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भारत में पोर्न को बैन नहीं करना चाहिए, क्योंकि...

    • देवानिक साहा
    • Updated: 03 अगस्त, 2015 01:10 PM
  • 03 अगस्त, 2015 01:10 PM
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केंद्र गलत धारणाओं को आधार बनाकर पोर्न को बैन करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहा है. लेकिन सूचना युग के इस दौर में क्या सच में पोर्न पर बैन लगाया जा सकता है?

बीजेपी की एक आदत है. वह किसानों की आत्महत्या, चाइल्ड ट्रैफिकिंग, कुपोषण और अन्य जरूरी मुद्दों को छोड़ कई बार अप्रासंगिक विषयों में उलझ जाती है. ट्विटर पर सक्रिय लोग जहां देश में मौत की सजा देने या नहीं देने पर बहस में व्यस्त हैं. इसी बीच खबर आई है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने MTNL, BSNL और ACT सर्विस प्रोवाइडर्स को कई पॉर्न वेबसाइटों को बैन करने का निर्देश जारी किया है. हालांकि DNA अखबार के अनुसार प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने ऐसे किसी बैन की पुष्टि नहीं की है.

पिछले महीने पोर्नोग्राफिक वेबसाइटों पर बैन लगाने से संबंधित एक याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एचएल दत्तू ने कहा था, 'अदालत ऐसे आदेश नहीं दे सकता. कल कोई आए और कोर्ट से कहे कि 'मैं एक व्यस्क हूं. फिर आप मुझे एक बंद कमरे में यह सब देखने से कैसे रोक सकते हैं. यह संविधान के अनुच्छेद-21 (जहां व्यक्तिगत आजादी की बात कही गई है) का उल्लंघन होगा. हां, यह मुद्दा जरूर गंभीर है, कुछ कदम उठाने की जरूरत है. केंद्र को इस विषय पर कोई फैसला लेना है. देखते हैं केंद्र सरकार क्या कदम उठाती है.'

केंद्र हालांकि अपनी गलत धारणाओं को आधार बनाकर पोर्न को बैन करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहा है. लेकिन सूचना युग के इस दौर में क्या सच में पोर्न पर बैन लगाया जा सकता है?

बहरहाल पोर्न पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए या नहीं, यह बहस का विषय है. लेकिन भारत में पोर्न वेबसाइटों की मौजूदगी जरूरी है. इसके चार मुख्य कारण हैं-

1. जिज्ञासा जगाने का मुख्य सोर्स:

भारत में सेक्स के बारे में बात करना एक अनुचित बात मानी जाती है. यहां तक इस शब्द के इस्तेमाल होने पर भी लोग शर्म से इधर-उधर झांकने लगते हैं. इस पर बात करने से बचते हैं. किसी भी माता-पिता को अपने बच्चों से इस विषय पर खुल के बात करनी चाहिए, लेकिन वे भी ऐसा करने से कतराते हैं. इसलिए ऐसे रूढ़िवादी समाज में किशोर उम्र के बच्चों के लिए पोर्न वेबसाइट सेक्स और उससे जुड़ी...

बीजेपी की एक आदत है. वह किसानों की आत्महत्या, चाइल्ड ट्रैफिकिंग, कुपोषण और अन्य जरूरी मुद्दों को छोड़ कई बार अप्रासंगिक विषयों में उलझ जाती है. ट्विटर पर सक्रिय लोग जहां देश में मौत की सजा देने या नहीं देने पर बहस में व्यस्त हैं. इसी बीच खबर आई है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने MTNL, BSNL और ACT सर्विस प्रोवाइडर्स को कई पॉर्न वेबसाइटों को बैन करने का निर्देश जारी किया है. हालांकि DNA अखबार के अनुसार प्राइवेट सर्विस प्रोवाइडर्स का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने ऐसे किसी बैन की पुष्टि नहीं की है.

पिछले महीने पोर्नोग्राफिक वेबसाइटों पर बैन लगाने से संबंधित एक याचिका की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एचएल दत्तू ने कहा था, 'अदालत ऐसे आदेश नहीं दे सकता. कल कोई आए और कोर्ट से कहे कि 'मैं एक व्यस्क हूं. फिर आप मुझे एक बंद कमरे में यह सब देखने से कैसे रोक सकते हैं. यह संविधान के अनुच्छेद-21 (जहां व्यक्तिगत आजादी की बात कही गई है) का उल्लंघन होगा. हां, यह मुद्दा जरूर गंभीर है, कुछ कदम उठाने की जरूरत है. केंद्र को इस विषय पर कोई फैसला लेना है. देखते हैं केंद्र सरकार क्या कदम उठाती है.'

केंद्र हालांकि अपनी गलत धारणाओं को आधार बनाकर पोर्न को बैन करने के लिए प्रतिबद्ध दिखाई दे रहा है. लेकिन सूचना युग के इस दौर में क्या सच में पोर्न पर बैन लगाया जा सकता है?

बहरहाल पोर्न पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए या नहीं, यह बहस का विषय है. लेकिन भारत में पोर्न वेबसाइटों की मौजूदगी जरूरी है. इसके चार मुख्य कारण हैं-

1. जिज्ञासा जगाने का मुख्य सोर्स:

भारत में सेक्स के बारे में बात करना एक अनुचित बात मानी जाती है. यहां तक इस शब्द के इस्तेमाल होने पर भी लोग शर्म से इधर-उधर झांकने लगते हैं. इस पर बात करने से बचते हैं. किसी भी माता-पिता को अपने बच्चों से इस विषय पर खुल के बात करनी चाहिए, लेकिन वे भी ऐसा करने से कतराते हैं. इसलिए ऐसे रूढ़िवादी समाज में किशोर उम्र के बच्चों के लिए पोर्न वेबसाइट सेक्स और उससे जुड़ी जटिलता के बारे में जानकारी देने में बड़ी भूमिका निभाता है. हमारी सरकार तो सेक्स शिक्षा देने के भी हक में नहीं है. पिछले साल केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने इस बात को स्पष्ट कर दिया था.

2. सेक्सुअलिटी के नए मतलब खोजना और उससे जुड़ी फैंटसी को जगह देना:

भारत में सेक्स को मुख्य रूप से केवल संतान पैदा करने का जरिया ही माना जाता रहा है. यहां इसके बारे में चर्चा या सेक्स से जुड़ी फैंटसी के बारे में ज्यादा बात नहीं होती. हाल में मैंने अपने दोस्तों को बताया कि मैं अपने लिए एक सेक्स टॉय खरीदने की योजना बना रहा हूं. वे हैरान रह गए कि क्योंकि उन्होंने कभी किसी लड़के को सेक्स टॉय खरीदने के बारे में बात करते नहीं सुना था. पोर्नोग्राफी दरअसल आपकी फैंटसी को जगाने का काम करता है. आप हर तरीके से फिर सेक्स का आनंद उठा सकते हैं.

3. पोर्न महिला और पुरुष की बराबरी को बढ़ावा देता है:

पोर्न देखने और सेक्स को इंजॉय करने पर हमेशा से पुरुषों का एकाधिकार रहा है. भारत जैसे पुरुष प्रधान देश में इस बारे में यही माना जाता रहा है कि महिलाएं सेक्स की इच्छा की मांग नहीं रख सकतीं. अगर कोई महिला ऐसी बातें करती भी है तो उसे हम वेश्या या बदचलन की संज्ञा दे देते हैं. मेरे विचार में दोनों के साथ में पोर्न देखने से यह अहसास जगता है कि सेक्स दोनों के लिए जरूरी है.

4. पोर्न पर प्रतिबंध से अपराध कम नहीं होंगे:

सुप्रीम कोर्ट में साल-2013 में पोर्न को बैन करने की एक याचिका दायर की गई. वहां बताया गया कि महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध का यह बड़ा कारण है. शायद, सरकार इसी दलील को देखते हुए यह कदम उठा रही है. हालांकि, कई प्रमाण मौजूद हैं जो साबित करते हैं कि पोर्न पर बैन करने से अपराध कम नहीं होंगे. महिला कार्यकर्ता अरुधंती घोष के अनुसार, 'आप कांगो, सोमालिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत का उदाहरण ले सकते हैं. यह ऐसे देश हैं जहां सेक्सुअलिटी को लेकर समाज में खुलापन नहीं है लेकिन इन्हीं देशों में सेक्सुअल हिंसा भी सबसे ज्यादा है.' इससे भी आगे चेक गणराज्य, डेनमार्क और जापान का उदाहरण लिया जा सकता है जहां पोर्नोग्राफी की मौजूदगी के कारण सेक्स से जुड़े अपराधों में कमी आई है.

अगर इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स पोर्न पर पूरी तरह से बैन लगा भी देते हैं, तो हैकिंग और जुगाड़ के आज के दौर में उसे देखने वाले आराम से हासिल कर सकते हैं. टोरेंट या कई अन्य प्रॉक्सी वेबसाइट यह मुहैया कराने में सक्षम हैं. इसलिए बीजेपी सरकार जो फैसला लेने जा रही है, निश्चित तौर पर वह फेल हो जाएगा. फैसले का असर तो कुछ नहीं होगा लेकिन एक बार फिर सरकार की फजीहत जरूर होगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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