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Begum Akhtar: वो गायिका जिसकी आवाज़ इधर उधर नहीं बल्कि सीधे रूह में उतरती है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 07 अक्टूबर, 2020 04:28 PM
  • 07 अक्टूबर, 2020 04:28 PM
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Begum Akhtar Birthday: वो गज़ल (Ghazal) गायिका जिन्होंने यातनाओं और शोषण को अपना हथियार बनाया और अख्तरीबाई से बेगम अख्तर (Begum Akhtar) बन सुरों की ऐसी महफ़िल सजाई कि आज भी दुनिया उसकी आवाज़ की दीवानी है.

कभी तक़दीर का मातम कभी दुनिया का गिला

मंज़िल-ए-इश्क़ में हर ग़म पर रोना आया.

अख्तरी बाई फ़ैज़ाबादी. अगर ये नाम आपके सामने आए तो शायद आप दो मिनट के लिए सोचने पर मजबूर हो जाएं. मगर जैसी ही आप से कहा जाए 'बेगम अख्तर' (Begum Akhtar) एक तस्वीर हमारे 'सब कॉन्शियस' माइंड में बनेगी जिसमें एक बड़ी प्यारी सी उम्रदराज़ औरत मंच पर है और ठुमरी गा रही है जिसके बोल है 'हमरी अटरिया पे आ जा रे सांवरिया... जी हां आज का दिन यानी 7 अक्टूबर इन्हीं बेगम अख्तर का दिन है. आज बेगम अख्तर का बर्थडे (Begum Akhtar) है. यूं तो ज्यादातर लोग बेगम अख्तर को एक ग़ज़ल गायिका (Ghazal Singer) के रूप में पहचानते हैं. लेकिन वो दादरा और ठुमरी ही थी. जिसने बेगम को वो मुकाम दे दिया, जहां पहुंचना किसी भी व्यक्ति, विशेषकर गायक के लिए किसी हंसी सपने से कम नहीं होता है.

वो बेगम अख्तर जिन्होंने गज़ल और भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक अलग पहचान से नवाज़ा

भले ही फैंस बेगम अख्तर को एक सफल ग़ज़ल गायिका के रूप में देखते हों. लेकिन जिस मुक़ाम पर वो पहुंची और जिस तरह उन्होंने सफलता के आयाम रचे. वो उनके लिए कहीं से भी आसान नहीं था. बेगम अख़्तर या ये कहें कि अख़्तरी बाई फैजाबादी का बचपन और वो उम्र जब कोई लड़की जवानी की दहलीज पर कदम रखती है. तमाम तरह की चुनैतियों से भरी थी. अपने बचपन में ही बेगम अख़्तर को यौन शोषण का सामना करना पड़ा और जीवन भर तवायफ कहलाईं. एक टीनेजर के तौर पर उनका बलात्कार हुआ जिसके बाद उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया जिसे जीवन भर उन्होंने अपनी बहन कहा.

कहने को तो ये सभी बातें बेगम अख्तर की ज़िंदगी के सियाह पहलू हैं जिनको जानने के बाद सवाल होगा कि आखिर जन्मदिन के दिन हम इनपर बात क्यों कर रहे हैं? लेकिन इन...

कभी तक़दीर का मातम कभी दुनिया का गिला

मंज़िल-ए-इश्क़ में हर ग़म पर रोना आया.

अख्तरी बाई फ़ैज़ाबादी. अगर ये नाम आपके सामने आए तो शायद आप दो मिनट के लिए सोचने पर मजबूर हो जाएं. मगर जैसी ही आप से कहा जाए 'बेगम अख्तर' (Begum Akhtar) एक तस्वीर हमारे 'सब कॉन्शियस' माइंड में बनेगी जिसमें एक बड़ी प्यारी सी उम्रदराज़ औरत मंच पर है और ठुमरी गा रही है जिसके बोल है 'हमरी अटरिया पे आ जा रे सांवरिया... जी हां आज का दिन यानी 7 अक्टूबर इन्हीं बेगम अख्तर का दिन है. आज बेगम अख्तर का बर्थडे (Begum Akhtar) है. यूं तो ज्यादातर लोग बेगम अख्तर को एक ग़ज़ल गायिका (Ghazal Singer) के रूप में पहचानते हैं. लेकिन वो दादरा और ठुमरी ही थी. जिसने बेगम को वो मुकाम दे दिया, जहां पहुंचना किसी भी व्यक्ति, विशेषकर गायक के लिए किसी हंसी सपने से कम नहीं होता है.

वो बेगम अख्तर जिन्होंने गज़ल और भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक अलग पहचान से नवाज़ा

भले ही फैंस बेगम अख्तर को एक सफल ग़ज़ल गायिका के रूप में देखते हों. लेकिन जिस मुक़ाम पर वो पहुंची और जिस तरह उन्होंने सफलता के आयाम रचे. वो उनके लिए कहीं से भी आसान नहीं था. बेगम अख़्तर या ये कहें कि अख़्तरी बाई फैजाबादी का बचपन और वो उम्र जब कोई लड़की जवानी की दहलीज पर कदम रखती है. तमाम तरह की चुनैतियों से भरी थी. अपने बचपन में ही बेगम अख़्तर को यौन शोषण का सामना करना पड़ा और जीवन भर तवायफ कहलाईं. एक टीनेजर के तौर पर उनका बलात्कार हुआ जिसके बाद उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया जिसे जीवन भर उन्होंने अपनी बहन कहा.

कहने को तो ये सभी बातें बेगम अख्तर की ज़िंदगी के सियाह पहलू हैं जिनको जानने के बाद सवाल होगा कि आखिर जन्मदिन के दिन हम इनपर बात क्यों कर रहे हैं? लेकिन इन पर बात करना इसलिए भी जरूरी है. क्यों कि बेगम ने हमको बताया कि अगर इंसान चाह ले तो अपने जीवन से जुड़ी बुरी बातों से सबक ले सकता है. और उन बुरी चीजों को एक ऐसा हथियार बना सकता है जिससे उसे जीत मिली हो.

बेगम अख़्तर के साथ उनकी जिंदगी में जो ज्यादतियां हुईं शायद उन्ही के बाद शायर ये लिख बैठा हो.

डबडबा आई वो आंखें, जो मेरा नाम आया,

इश्क नाकाम सही, फ़िर भी बहुत काम आया.

बेगम के बारे में मशहूर था कि वो मिर्जा गालिब, दाग़ देहलवी, फैज अहमद फैज, जिगर मुरादाबादी, शकील बदायुनी और कैफी आजमी की लेखनी से काफी प्रभावित थीं. सबसे दिलचस्प बात जो बेगम अख्तर के बारे में है वो ये कि वो जितनी अच्छी गायिका थीं. उतनी ही अच्छी कंपोजर थीं. शायद आपको जानकर हैरत हो कि बेगम अपने द्वारा गाये गए गाने ख़ुद ही कंपोज करती थीं.

बेगम अख़्तर का जैसा जीवन रहा. दादरा, ठुमरी, ख्याल को जिस तरह उन्होंने गया. उनकी बदौलत जैसे ग़ज़ल को नए सुर मिले ये कहना हमारे लिए अतिशयोक्ति नहीं है कि बेगम जैसा ग़ज़लसरा न कोई था. न कोई है. न कोई होगा. ग़ज़ल ही उनकी पहचान है. जब जब ग़ज़ल कहीं होगी या फिर गाई जाएगी बेगम अख्तर और उनकी आवाज़ को याद किया जाएगा. बेगम को इस दुनिया से अलविदा कहे ज़माना बीत चुका है. लेकिन आज भी संगीत को जानने समझने वाले लोग इस बात पर एकमत हैं कि, आज यदि ग़ज़ल और फोक को विश्व पटल पर पहचान मिली है तो इसकी एक बड़ी वजह बेगम अख़्तर हैं. बेगम की आवाज़ ने ग़ज़ल और शास्त्रीय संगीत को अमर कर दिया है.

बेगम को उनकी आवाज़ ने पहचान दी इसलिए सरकारों ने भी उन्हें ईनाम से नवाजा. बेगम अख़्तर को संगीत नाटक अवार्ड के अलावा भारत सरकार की तरफ से पद्म श्री और पद्म भूषण अवार्ड दिया गया. जैसा कि हम बता चुके हैं आज बेगम का दिन है तो बस ईश्वर से हमारी यही कामना है कि ईश्वर बेगम को स्वर्ग में स्थान दे और उनके दर्जे को बुलंद रखे. अंत में बस इतना ही कि बेगम अपनी आवाज़ के जरिये जो कर के चली गयी हैं वो शास्त्रीय संगीत और ग़ज़ल की विधा से जुड़े लोगों के लिए मील का पत्थर है जहां भविष्य में कभी शायद  व्यक्ति पहुंच पाए. एक बार फिर से हैप्पी बर्थडे बेगम.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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