• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

ओ PETA वाले मसीहा, बकरीद पर बकरियों के लिए भी सोचो ज़रा!

    • अनु रॉय
    • Updated: 29 जुलाई, 2020 09:10 PM
  • 29 जुलाई, 2020 09:10 PM
offline
गत वर्ष रक्षाबंधन (Raksha bandhan) पर पेटा (PETA) ने एक पोस्टर जारी करते हुए कहा था कि रक्षाबंधन पर लोग चमड़े का इस्तेमाल न करें जबकि इस त्योहार का चमड़े से कोई लेना देना नहीं है वही पेटा आज तब खामोश है जब बकरीद (Bakreid) होने वाली है और करोड़ों बकरे छुरी के नीचे आएंगे.

अभी कुछ दिन पहले ही राखी के लिए PETA India ने एक पोस्टर जारी किया जिसमें बाक़ायदा गाय की तस्वीर थी और लेदर-फ़्री राखी (Leather Free Rakshabandhan) मनाने की अपील की गयी थी. पहले तो आधा दिन मैं माथा पीटती रही ये जानने के लिए कि राखी (Rakhi) कब से लेदर यानी चमड़े से बनने लगी? राखी तो रेशम और मोतियों से बनती है. उसमें कई बात चंदन की लकड़ियां भी यूज़ होती हैं. ऊपर से राखी हिंदुओं का त्योहार है तो पूजा वाली किसी भी चीज़ में चमड़ा यूज़ करेंगे ही नहीं. फिर समझ आया कि ओह! शिट, राखी हिंदुओं का त्योहार है तो इससे PETA का दुःखी होना बनता है. हिंदुओं के सभी त्योहारों से इनका दुःख उमड़-उमड़ कर बहने लगता है. इनके अंदर का इंसान जानवरों के प्रेम में डूबने लगता है.

पेटा का पोस्टर जिसमें रक्षाबंधन के दौरान लेदर फ्री होने की बात कही गयी है

ध्यान रहे ख़ाली हिंदुओं के त्योहार के वक़्त. बाक़ी धर्मों के त्योहारों के समय ये अंधे और बहरे दोनों हो जाते हैं. जैसे कि कुछ सिलेक्टिव लोग भी हो जाते हैं. अब देखिए ट्विटर पर अभी मुझे #BakraLivesMatter वाले कई ट्वीट दिखे. थोड़ा पढ़ने पर पता चला कि बक़रीद आने वाली है तो लोग बकरियों के लिए प्रोटेस्ट कर रहें हैं. और मुझे इसमें लॉजिक भी दिखा कि बकरियों की भी लाइफ़ मैटर करती है.

जैसे ही मैं ट्विटर से निकलने वाली थी कि आरजे साएमा का भी एक ट्वीट दिखा जिसमें उनको इस बात से एतराज़ हुआ है कि क्या बकरा लाइव्ज़ मैटर करके गंध फैला रहे हो. एक शांतिप्रिय धर्म को तुम उनका त्योहार भी अच्छे से मनाने नहीं दे रहे हो. कितने गंदे हो बे! ये उस ट्वीट का हिंदी अनुवाद है जो उन्होंने अंग्रेज़ी में लिखा.

अभी कुछ दिन पहले ही राखी के लिए PETA India ने एक पोस्टर जारी किया जिसमें बाक़ायदा गाय की तस्वीर थी और लेदर-फ़्री राखी (Leather Free Rakshabandhan) मनाने की अपील की गयी थी. पहले तो आधा दिन मैं माथा पीटती रही ये जानने के लिए कि राखी (Rakhi) कब से लेदर यानी चमड़े से बनने लगी? राखी तो रेशम और मोतियों से बनती है. उसमें कई बात चंदन की लकड़ियां भी यूज़ होती हैं. ऊपर से राखी हिंदुओं का त्योहार है तो पूजा वाली किसी भी चीज़ में चमड़ा यूज़ करेंगे ही नहीं. फिर समझ आया कि ओह! शिट, राखी हिंदुओं का त्योहार है तो इससे PETA का दुःखी होना बनता है. हिंदुओं के सभी त्योहारों से इनका दुःख उमड़-उमड़ कर बहने लगता है. इनके अंदर का इंसान जानवरों के प्रेम में डूबने लगता है.

पेटा का पोस्टर जिसमें रक्षाबंधन के दौरान लेदर फ्री होने की बात कही गयी है

ध्यान रहे ख़ाली हिंदुओं के त्योहार के वक़्त. बाक़ी धर्मों के त्योहारों के समय ये अंधे और बहरे दोनों हो जाते हैं. जैसे कि कुछ सिलेक्टिव लोग भी हो जाते हैं. अब देखिए ट्विटर पर अभी मुझे #BakraLivesMatter वाले कई ट्वीट दिखे. थोड़ा पढ़ने पर पता चला कि बक़रीद आने वाली है तो लोग बकरियों के लिए प्रोटेस्ट कर रहें हैं. और मुझे इसमें लॉजिक भी दिखा कि बकरियों की भी लाइफ़ मैटर करती है.

जैसे ही मैं ट्विटर से निकलने वाली थी कि आरजे साएमा का भी एक ट्वीट दिखा जिसमें उनको इस बात से एतराज़ हुआ है कि क्या बकरा लाइव्ज़ मैटर करके गंध फैला रहे हो. एक शांतिप्रिय धर्म को तुम उनका त्योहार भी अच्छे से मनाने नहीं दे रहे हो. कितने गंदे हो बे! ये उस ट्वीट का हिंदी अनुवाद है जो उन्होंने अंग्रेज़ी में लिखा.

बकरीद पर आर जे साएमा का ट्वीट

हां, तो उनका ट्वीट पढ़ कर मुझे याद आया कि ये वही मोहतरमा हैं जिनको दिवाली से बहुत ज़्यादा परेशानी होती है. इनको तब पर्यावरण, देश, बूढ़े-बुजुर्ग, गली वाला कुत्ता और दूसरे मूक जानवर सबकी चिंता सताने लगती है लेकिन बक़रीद के वक़्त इनका ज़मीर छुट्टी पर चला जाता है. इनको तब बकरे की गर्दन रेते जाने पर परम-सुख की अनुभूति होती है.

प्रभु, कहां से आते हैं ये लोग. कहां से लाते हैं इतनी हिपोक्रेसी. फिर अगर इनकी ऐसी ओछी हरकत पर सवाल कीजिए तो लोग उलटे आपको ही भक्त, कट्टर हिंदू और असहिष्णु कहने लग जाते हैं. जबकि सबको पता है किसी भी सूरत में किसी भी जानवर को मरना क्रूरता ही है. चाहे त्योहार किसी भी धर्म का क्यों न हो.

ओ PETA वाले मसीहा बकरियों के लिए भी सोचो ज़रा. कोई पोस्टर जारी कर दो, बकरियों की अम्मा दुआएं देंगी तुम्हें. ख़ाली राखी पर तुम्हारी नींद खुलती है अभी ज़रा बक़रीद पर भी जाग जाओ मेहरबानी होगी.

और अगर पोस्टर न जारी कर पाओ, तो बकरीद के बाद RIP Bakri वाला ट्वीट ही कर देना.

ये भी पढ़ें -

पत्रकारों की हत्या पर चुप्पी क्यों साध लेता है देश

Vikas Dubey encounter: आस्तीन के सांप का खूनी खेल

गुना में किसान का पेस्टीसाइड पीना जानिए किसका गुनाह है...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲