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Baba Ramdev vs IMA: कोरोना इलाज के नाम पर हुई मनमानी का जवाब कौन देगा?

    • मुकेश कुमार गजेंद्र
    • Updated: 22 मई, 2021 10:40 PM
  • 22 मई, 2021 10:40 PM
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'एलोपैथी बेकार साइंस है. पहले हाईड्रोऑक्सीक्लोरोक्विन फेल हो गई, फिर रेमडेसिविर फेल हो गई, फिर स्टेरॉयड फेल हो गए. प्लाज्मा थैरेपी के ऊपर भी बैन लग गया. आइवरमेक्टिन गोली भी फेल हो गई. बुखार के लिए फैबिफ्लू दे रहे हैं, वो भी फेल है.' ये कथित बयान बाबा रामदेव का बताया जा रहा है.

कोरोना महामारी के बीच एलोपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई. इन दोनों चिकित्सा पद्धतियों के पुरोधा एक-दूसरे के सामने आ गए हैं. सोशल मीडिया पर एक कथित वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें स्वामी रामदेव यह कहते हुए नजर आ रहे हैं, 'मॉडर्न एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है. इसकी वजह से लाखों कोरोना मरीजों की मौत हो गई है.' बाबा के इस बयान पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताई है. आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से रामदेव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि या तो योगगुरू रामदेव के आरोपों को स्वीकार कर देश की आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं को भंग करें या फिर उनके खिलाफ महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज कर मुकदमा चलाएं. चलिए, माना कि एलोपैथी के खिलाफ बाबा रामदेव का ये बयान गलत है. उनको महामारी के वक्त में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए. मैंने ये भी मान लिया कि ऐसे बयान पर आईएमए का गुस्सा जायज है, लेकिन क्या 'धरती के भगवान' कहे जाने वाले डॉक्टरों का इतना बड़ा संगठन पहले इन सवालों के जवाब देगा क्या?

योगगुरू बाबा रामदेव के कथित बयान के बाद बवाल, IMA ने दी कड़ी चेतावनी.

हाईड्रोक्सीक्लोक्वीन दवा का हुआ ऐसा हाल

कोरोना की पहली लहर के दौरान डॉक्टरों ने कहा कि हाईड्रोक्सीक्लोक्वीन के जरिए वायरस का खात्मा किया जा सकता है. पूरे देश में लोगों ने इस मेडिसीन का सेवन करना शुरू कर दिया. इसको लेकर ऐसा माहौल बनाया गया कि उस वक्त के अमेरिका के सबसे पॉवरफुल शख्स डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस दवा को रामबाण मान लिया....

कोरोना महामारी के बीच एलोपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को लेकर एक नई बहस शुरू हो गई. इन दोनों चिकित्सा पद्धतियों के पुरोधा एक-दूसरे के सामने आ गए हैं. सोशल मीडिया पर एक कथित वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें स्वामी रामदेव यह कहते हुए नजर आ रहे हैं, 'मॉडर्न एलोपैथी एक स्टुपिड और दिवालिया साइंस है. इसकी वजह से लाखों कोरोना मरीजों की मौत हो गई है.' बाबा के इस बयान पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताई है. आईएमए ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से रामदेव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि या तो योगगुरू रामदेव के आरोपों को स्वीकार कर देश की आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं को भंग करें या फिर उनके खिलाफ महामारी एक्ट के तहत केस दर्ज कर मुकदमा चलाएं. चलिए, माना कि एलोपैथी के खिलाफ बाबा रामदेव का ये बयान गलत है. उनको महामारी के वक्त में आधुनिक चिकित्सा पद्धति के खिलाफ ऐसी बातें नहीं कहनी चाहिए. मैंने ये भी मान लिया कि ऐसे बयान पर आईएमए का गुस्सा जायज है, लेकिन क्या 'धरती के भगवान' कहे जाने वाले डॉक्टरों का इतना बड़ा संगठन पहले इन सवालों के जवाब देगा क्या?

योगगुरू बाबा रामदेव के कथित बयान के बाद बवाल, IMA ने दी कड़ी चेतावनी.

हाईड्रोक्सीक्लोक्वीन दवा का हुआ ऐसा हाल

कोरोना की पहली लहर के दौरान डॉक्टरों ने कहा कि हाईड्रोक्सीक्लोक्वीन के जरिए वायरस का खात्मा किया जा सकता है. पूरे देश में लोगों ने इस मेडिसीन का सेवन करना शुरू कर दिया. इसको लेकर ऐसा माहौल बनाया गया कि उस वक्त के अमेरिका के सबसे पॉवरफुल शख्स डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस दवा को रामबाण मान लिया. यहां तक कि मलेरिया के इस दवा के लिए भारत पर अनैतिक दबाव भी बनाने लगे. लेकिन इस दवा से कोरोना वायरस का तो कुछ हुआ नहीं, उल्टा लोगों पर साइड इफेक्ट दिखने लगा, जिसके बाद WHO ने इसे कोरोना के इलाज से बाहर से कर दिया.

ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल से बाहर हुआ रेमडेसिविर

इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर के दौरान रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड अचानक तेज हो गई. हर दूसरा डॉक्टर कोरोना मरीज को बचाने के नाम पर इस इंजेक्शन को रिकमेंड करने लगा. देखते ही देखते भारत में सबसे ज्यादा खोजी जाने वाली दवा बन गई. कोविड-19 के मरीजों के लिए इसकी भारी मांग से बाजार में रेमडेसिविर का मिलना मुश्किल हो गया. यहां तक कि कुछ लोग इसकी कालाबाजारी तक करने लगे. दिल्ली-एनसीआर में कई डॉक्टर भी ऐसा करते हुए पुलिस के हत्थे चढ़े. हालही में WHO ने इसको भी कोरोना इलाज से जुड़े प्रोटोकॉल से बाहर कर दिया है.

अब बताया प्लाज्मा थैरेपी भी कारगर नहीं

इस दौरान कोरोना मरीजों की जान बचाने के लिए एक पद्धति खूब इस्तेमाल की गई, वो है प्लाज्मा थैरेपी. हालांकि, इस बात का अभी तक कोई प्रमाण नहीं है कि इससे लोगों की जान बची या नहीं. क्योंकि देश में जिस पैमाने पर लोगों की मौत हुई है, उसमें ऐसे सवाल का होना भी बेमानी है. प्लाज्मा थैरेपी को लेकर चारों तरफ खूब हल्ला हुआ, व्हाट्सऐप से लेकर फेसबुक और ट्विटर तक लोगों ने प्लाज्मा के लिए गुहार लगाई. डोनेशन के लिए प्रेरित किया. मदद करने वालों ने भी आगे बढ़कर प्लाज्मा दिया, लेकिन इसके साथ भी वही हुआ. अब बताया जा रहा है कि वो भी कारगर नहीं है.

स्टेरॉयड के धड़ल्ले इस्तेमाल से ब्लैक फंगस

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों और लोगों की उखड़ती सांसों को देखते हुए डॉक्टरों द्वारा पहले ऑक्सीजन और उससे भी बात नहीं बनी तो स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल धड़ल्ले से किया जा रहा है. यह जानते हुए भी कि हर दवा का साइड इफेक्ट होता है, लेकिन स्टेरॉयड का इस्तेमाल पैरासिटामोल की तरह हो रहा है. ऐसे में ब्लैक फंगस जैसी घातक बीमारी से अब लोगों की मौत होने लगी है. कई लोग कोरोना से ठीक होने के बाद भी हार्ट अटैके से मौत के मुंह में समां जा रहे हैं. अब तक जितने लोगों की एक्स्ट्रा स्टेरॉयड देने की वजह से जान गई, उसकी जिम्मेदारी IMA लेगा क्या?

नहीं आई कोरोना की एक भी कारगर दवा

यदि एलोपैथी इतनी ही कारगर है तो कोरोना की पूरी कुंडली होने के बावजूद अबतक एक भी कारगर दवा सामने क्यों नहीं लाई जा सकी है? ऐसे में इतने प्रयोगों के बाद आयुर्वेदिक दवाओं का कारोबार करने वाला एक व्यक्ति तो डंके की चोट पर बात करेगा ही ना. क्योंकि, उनकी दवाएं फायदेमंद भले न हो, लेकिन नुकसान तो नहीं करती हैं. इतना ही नहीं दवा कंपनियों और अस्पतालों की मुनाफाखोरी, गैर-जिम्मेदार डॉक्टरों की IMA जिम्मेदारी लेगा क्या? IMA बाबा रामदेव को भले गरिया ले, उनपर भड़क ले, लेकिन कोरोना मरीजों को इलाज देने वाले डॉक्टर खुद उनसे योग और प्रणायाम करते रहने को कह रहे हैं, इसका जवाब उनके पास है क्या?


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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