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अटल जी को डिमेंशिया था, इसके लक्षण को समय पर पहचानना ही आधा बचाव है

    • आईचौक
    • Updated: 16 अगस्त, 2018 10:09 PM
  • 16 अगस्त, 2018 10:09 PM
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डिमेंशिया (Dementia) असल में किसी बीमारी का नाम नहीं बल्कि कई लक्षणों के संगठनों का मिला जुला रूप है जिनकी वजह से इंसान की याददाश्त जाने लगती है. ये इतना भयानक होता है कि रोजमर्रा के कामकाज पर असर डालता है.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एम्स में निधन हो गया. अटल बिहारी वाजपेयी के लिए पूरा देश प्रार्थना कर रहा है. राजनीति से लंबे अर्से पहले रिटायरमेंट ले चुके अटल जी को कई बीमारियों ने घेरा हुआ था. 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी बीमारियों के हवाले से राजनीति से विदा ले ली.

लेकिन उनकी तबीयत असल मायने में बिगड़ी 2009 में जब एक स्‍ट्रोक के कारण उनकी बोल चाल बंद हो गई. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी के डिमेंशिया पीड़ित होने की बात सामने आई.

क्या है डिमेंशिया..

डिमेंशिया असल में किसी बीमारी का नाम नहीं बल्कि कई लक्षणों के संगठनों का मिला जुला रूप है जिनकी वजह से इंसान की याददाश्त जाने लगती है. ये इतना भयानक होता है कि रोजमर्रा के कामकाज पर असर डालता है. इसकी वजह से दिमाग में फिजिकल बदलाव होने लगते हैं. अल्ज़ाइमर (Alzheimer) बीमारी सबसे आम तरह का डिमेंशिया है, लेकिन इसके कई प्रकार हो सकते हैं.

डॉक्टर कई बार डिमेंशिया को अलग-अलग स्टेज में देखते हैं. ये इस बात पर निर्भर करता है कि किसी मरीज का डिमेंशिया किस हद तक आगे बढ़ गया है. जैसी स्टेज होती है उस तरह का ट्रीटमेंट मरीज को दिया जाता है.

डिमेंशिया में दिमाग का कोई सेल मर जाता है

उम्र के साथ-साथ ये बीमारी बढ़ती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर उम्र बढ़ेगी तो ये बीमारी होगी ही. भारत में करीब 1 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी का शिकार हैं. ये बीमारी लंबी चलने वाली बीमारी है और कई बार ये जिंदगी भर मरीज को परेशान करती है.

medicalnewstoday की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में करीब 47 करोड़ से भी ज्यादा लोग इस बीमारी की चपेट में हैं. हर 4 सेकंड में एक नया केस डिमेंशिया का डॉक्टरों के सामने आता...

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एम्स में निधन हो गया. अटल बिहारी वाजपेयी के लिए पूरा देश प्रार्थना कर रहा है. राजनीति से लंबे अर्से पहले रिटायरमेंट ले चुके अटल जी को कई बीमारियों ने घेरा हुआ था. 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी बीमारियों के हवाले से राजनीति से विदा ले ली.

लेकिन उनकी तबीयत असल मायने में बिगड़ी 2009 में जब एक स्‍ट्रोक के कारण उनकी बोल चाल बंद हो गई. उस समय अटल बिहारी वाजपेयी के डिमेंशिया पीड़ित होने की बात सामने आई.

क्या है डिमेंशिया..

डिमेंशिया असल में किसी बीमारी का नाम नहीं बल्कि कई लक्षणों के संगठनों का मिला जुला रूप है जिनकी वजह से इंसान की याददाश्त जाने लगती है. ये इतना भयानक होता है कि रोजमर्रा के कामकाज पर असर डालता है. इसकी वजह से दिमाग में फिजिकल बदलाव होने लगते हैं. अल्ज़ाइमर (Alzheimer) बीमारी सबसे आम तरह का डिमेंशिया है, लेकिन इसके कई प्रकार हो सकते हैं.

डॉक्टर कई बार डिमेंशिया को अलग-अलग स्टेज में देखते हैं. ये इस बात पर निर्भर करता है कि किसी मरीज का डिमेंशिया किस हद तक आगे बढ़ गया है. जैसी स्टेज होती है उस तरह का ट्रीटमेंट मरीज को दिया जाता है.

डिमेंशिया में दिमाग का कोई सेल मर जाता है

उम्र के साथ-साथ ये बीमारी बढ़ती है, लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर उम्र बढ़ेगी तो ये बीमारी होगी ही. भारत में करीब 1 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी का शिकार हैं. ये बीमारी लंबी चलने वाली बीमारी है और कई बार ये जिंदगी भर मरीज को परेशान करती है.

medicalnewstoday की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में करीब 47 करोड़ से भी ज्यादा लोग इस बीमारी की चपेट में हैं. हर 4 सेकंड में एक नया केस डिमेंशिया का डॉक्टरों के सामने आता है.

क्या है लक्षण?

1. कमजोर याद्दाश्त-

डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति अक्सर भूलने लगता है. उसकी याद्दाश्त जाने लगती है. वो अपना नाम, पता, हाल ही की घटनाओं को याद नहीं रख पाता. कई बार ऐसा होता है कि वो इंसान एक ही तरह का सवाल बार-बार पूछता है.

2. रोजमर्रा का काम करने में परेशानी-

खाना खाने, खाना बनाने, पानी कहां रखा है वो जगह, चश्मा पहनाना जैसे छोटे काम भी व्यक्ति भूलने लगता है. वो रास्ता भूलने लगता है. मरीज बहुत आसानी से अपने घर का रास्ता भी भूल सकता है. उसे पैसे गिनने में दिक्कत होती है.

3. भाषा की समस्या-

व्यक्ति भाषा भूलने लगता है. उसे कई बार शब्द याद नहीं आते या वो गलत शब्द बोलता है.

4. चीज़ें किसी अलग जगह रख देना-

चाभियां, पर्स, पैसे, टूथब्रश आदि कहीं भी रख कर भूल जाता. ये सब डिमेंशिया के ही लक्षण हैं.

5. मूड और व्यवहार में बदलाव..

डर, गुस्सा, शक, खुशी दुख इस बीमारी के मरीज को कभी भी कोई भी भावना घेर सकती है. वो हर किसी पर शक करता है. वो कभी भी गुस्सा हो सकता है. किसी को पहचाने या न पहचाने वो डर सकता है.

क्यों होती है ये बीमारी?

डिमेंशिया तब होता है जब दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती हैं. हालांकि, इस बात पर अभी भी रिसर्च चल रही है कि डिमेंशिया किसी ब्रेन सेल के मरने पर होता है या फिर डिमेंशिया होने के बाद ब्रेन के सेल मरते हैं.

इसके अलावा, डिमेंशिया किसी सिर की चोट की वजह से भी हो सकता है, या फिर किसी दौरे से, ब्रेन ट्यूमर भी इसका कारण है.

क्या है इलाज?

अगर दिमाग का सेल मरता है तो उसका कुछ नहीं किया जा सकता और इसलिए इसका कोई इलाज भी नहीं है. अलग-अलग डिमेंशिया जैसे अल्ज़ाइमर बीमारी के लिए अलग-अलग तरह के इलाज किए जाते हैं. ट्रीटमेंट दिया जाता है ताकि दिमाग का और कोई हिस्सा बर्बाद न हो सके.

हालांकि, चाहें कितना भी इलाज करवाया जाए, लेकिन डिमेंशिया बढ़ता ही रहता है.

कैसे बचा जा सकता है इससे..

वैसे तो बढ़ती उम्र इसका अक्सर कारण बनती है, लेकिन डिमेंशिया कुछ खास कारणों से और खतरनाक हो जाता है जैसे..

1. सिगरेट पीने या शराब पीने से.

2. कार्डियोवस्कुलर (दिल से संबंधित) बीमारियों के कारण. इसलिए हेल्थी लाइफस्टाइल बहुत जरूरी है.

3. खराब कोलेस्ट्रॉल के कारण. इसलिए खाने-पीने पर ध्यान जरूरी है.

4. डायबिटीज बिगड़ जाने के कारण.

कैसे पता चलता है डिमेंशिया हो गया है?

डिमेंशिया हो गया है या नहीं इसके लिए सबसे पहले मेमोरी टेस्ट किया जाता है. मरीज से जुड़े कई सवाल उससे पूछे जाते हैं. अगर जवाब सही नहीं हैं तो आगे के टेस्ट किए जाते हैं.

इसके बाद ब्लड टेस्ट और ब्रेन का सीटी स्कैन होता है. इसके बाद ये तय होता है कि किस तरह का डिमेंशिया है. इसी के साथ, MMSE (मिनी मेंटल स्टेट एग्जामिनेशन) टेस्ट भी होता है जिसमें मरीज से समय के बारे में पूछा जाता है, शब्दों को, भाषा को, उसके ध्यान को, गणनाओं को टेस्ट किया जाता है. इसके बारे में सबसे अहम ये है कि इन लक्षणों को जितनी जल्‍दी पहचान लिया जाए, जितनी जल्‍दी पकड़ लिया जाए, इसकी रोकथाम के बारे में कोशिश शुरू हो सकती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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