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समाज

तीन तलाक के आगे 5 मांगें और हैं ओवैसी जी !

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 27 जनवरी, 2017 10:00 PM
  • 27 जनवरी, 2017 10:00 PM
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जलीकट्टू के विरोध प्रदर्शन से सीख लेने की वकालत कर रहे असदुद्दीन औवैसी के लिए हमारी भी कुछ सलाह है, सिर्फ तीन तलाक ही क्यों, मुस्लिम समाज को तो ऐसे कई मुद्दों पर एकजुट होकर अभियान चलाने की जरूरत है.

जलीकट्टू पर आए फैसले से भले ही तमिलनाडू खुशियां मना रहा हो, लेकिन वास्तविकता तो ये है कि लोगों का कट्टरपन भारत के कानून पर भारी पड़ गया. जलीकट्टू जैसे क्रूर खेल को परंपरा का हवाला देकर लाखों लोगों का एकजुट होना कोई तारीफ की बात तो है नहीं, लेकिन इस फैसले ने कई और कट्टरपंथियों को अपनी आवाज बुलंद करने का एक मौका दे दिया.

एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों को सलाह दी है कि उन्हें भी तमिलनाडु की जनता से सीख लेनी चाहिए. जलीकट्टू का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था फिर भी जब लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया तो, सरकार को झुकना पड़ा और कानून बदल दिया गया. ठीक उसी तरह अब मुस्लिमों को भी अपने सम्मान की रक्षा करने के लिए शक्ति प्रदर्शन करना चाहिए, अपने हक के लिए को लड़ना चाहिए. यहां ओवैसी का इशारा ट्रिपल तलाक पर था.

यानी जलीकट्टू को ढाल बनाकर अब असदुद्दीन ओवैसी तीन तलाक को अपनी परंपरा बताकर, मुसलमानों को वैसा ही विरोध प्रदर्शन करने के लिए उकसा रहे हैं.

ओवैसी के लिए हमारी सलाह तो ये है कि सिर्फ तीन तलाक ही क्यों, मुस्लिम समाज को तो ऐसे कई मुद्दों पर एकजुट होकर अभियान चलाना चाहिए. जैसे-

1. चार शादी को कानूनी मान्‍यता-

इस्लाम कहता है कि मुस्लिम मर्द चार शादियां तक कर सकते हैं, यानि एक साथ चार बीवियों का सुख ले सकते हैं. पर अगर भारत का कानून भी इस परंपरा को मान्यता दे दे तो फिर बात ही क्या है. हर व्यक्ति को कानूनन 4 बीवियां रखने का अधिकार तो मिलना ही चाहिए. भले ही उन्हें और उनसे हुई संतानों को संभालने की सामर्थ्य हो या न हो.

2. कॉमन सिविल कोड नहीं, शरिया कानून-

भले ही...

जलीकट्टू पर आए फैसले से भले ही तमिलनाडू खुशियां मना रहा हो, लेकिन वास्तविकता तो ये है कि लोगों का कट्टरपन भारत के कानून पर भारी पड़ गया. जलीकट्टू जैसे क्रूर खेल को परंपरा का हवाला देकर लाखों लोगों का एकजुट होना कोई तारीफ की बात तो है नहीं, लेकिन इस फैसले ने कई और कट्टरपंथियों को अपनी आवाज बुलंद करने का एक मौका दे दिया.

एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मुसलमानों को सलाह दी है कि उन्हें भी तमिलनाडु की जनता से सीख लेनी चाहिए. जलीकट्टू का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था फिर भी जब लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया तो, सरकार को झुकना पड़ा और कानून बदल दिया गया. ठीक उसी तरह अब मुस्लिमों को भी अपने सम्मान की रक्षा करने के लिए शक्ति प्रदर्शन करना चाहिए, अपने हक के लिए को लड़ना चाहिए. यहां ओवैसी का इशारा ट्रिपल तलाक पर था.

यानी जलीकट्टू को ढाल बनाकर अब असदुद्दीन ओवैसी तीन तलाक को अपनी परंपरा बताकर, मुसलमानों को वैसा ही विरोध प्रदर्शन करने के लिए उकसा रहे हैं.

ओवैसी के लिए हमारी सलाह तो ये है कि सिर्फ तीन तलाक ही क्यों, मुस्लिम समाज को तो ऐसे कई मुद्दों पर एकजुट होकर अभियान चलाना चाहिए. जैसे-

1. चार शादी को कानूनी मान्‍यता-

इस्लाम कहता है कि मुस्लिम मर्द चार शादियां तक कर सकते हैं, यानि एक साथ चार बीवियों का सुख ले सकते हैं. पर अगर भारत का कानून भी इस परंपरा को मान्यता दे दे तो फिर बात ही क्या है. हर व्यक्ति को कानूनन 4 बीवियां रखने का अधिकार तो मिलना ही चाहिए. भले ही उन्हें और उनसे हुई संतानों को संभालने की सामर्थ्य हो या न हो.

2. कॉमन सिविल कोड नहीं, शरिया कानून-

भले ही आप भारत में रह रहे हों लेकिन भारतीय संविधान की बातें मानने के लिए आप बाध्य न हों, आपके लिए सिर्फ शरिया का कानून ही सर्वोपरी हो. कॉमन सिविल कोड जैसी कोई भी बंदिश आप पर कभी लागू न हो.

3. संडे नहीं, जुमे (शुक्रवार) को हॉलीडे-

अब दुनिया भर में भले ही संडे यानी रविवार को छुट्टी हो, लेकिन मुस्लिम समाज की छुट्टी केवल जुम्मे यानी शुक्रवार हो ही होनी चाहिए. बिल्कुल, इसके लिए सबको एक साथ आना होगा.

4. ऑफिस टाइम में नमाज के लिए छुट्टी-

सरकारी नौकरी में हों या फिर प्राइवेट, हर मुस्लिम कर्मचारी को नमाज के लिए अल्पावकाश यानि कुछ देर की छुट्टी तो मिलनी ही चाहिए. आखिर काम इंतजार कर सकता है, धर्म नहीं, है न?

5. जेहाद को जायज माना जाए

भले ही जेहाद का मतलब मेहनत और मशक्कत करना है, लेकिन आप दुनिया को जेहाद का उद्देश्य इस्लाम की रक्षा के लिए संघर्ष (हिंसा) करना ही बताएं. इस जेहाद को आप तो जायज मानते ही हैं, कानून से भी सर्टिफिकेट दिलवाने के लिए संघर्ष करें.

ओवैसी ने अब तक जब भी मुंह खोला है विवादितत बातें ही कहीं. लेकिन सच कहूं तो उनके एक ट्वीट ने उनकी पिछली सारी गलतियां माफ कर दी थीं, जब उन्होंने कहा था कि मुसलमानों को सरकार की तरफ से दी जाने वाली हज सब्सिडी बंद कर दी जानी चाहिए, और इस पैसे का इस्तेमाल मुस्लिम महिलाओं की पढ़ाई-लिखाई के लिए किया जाना चाहिए.

उस वक्त लगा कि ओवैसी अपने समाज की भलाई के लिए बदलाव का रुख कर रहे हैं. और आज इस तरह की बात कर उन्होंने ये कहने को फिर मजबूर कर दिया कि 'आप नहीं सुधरेंगे'. जलीकट्टू का सहारा लेकर आज उन्होंने 'कट्टरपंथ' शब्द के सही मायने समझा दिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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