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केजरीवाल की बेटी के साथ ठगी बताती है कि कितना भी पढ़ लो चोर दो कदम आगे ही चलता है!

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 09 फरवरी, 2021 07:15 PM
  • 09 फरवरी, 2021 07:15 PM
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दिल्ली के मुखिया अरविंद केजरीवाल की बेटी से ठगों ने डिजिटलता के नाम पर जो ठगी की है वह एक बड़ी सीख है आम लोगों के लिए.खासतौर पर ऑनलाइन वेबसाइटों पर पेमेंट करने वालों के लिए. आधुनिकता के इस दौर में जितना आसानी से पेमेंट करने की जानकारी रखनी होती है वहीं इसके गलत इस्तेमाल से बचने की भी चुनौती है.

देश की राजधानी दिल्ली को पढ़े-लिखे लोगों वाले शहरों के रूप में जाना जाता है. युवाओं की बात हो तो ये बात और पक्की हो जाती है कि वह पढ़ा लिखा होगा उसे आसानी के साथ बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है. और जब बात खुद मुख्यमंत्री के परिवार की हो तो ये गुमान भी नहीं किया जा सकता है कि कोई वारदात उनके परिवार के साथ हो जाएगी. दिल्ली की सत्ता पर काबिज अरविंद केजरीवाल खुद तो काबिल हैं ही, साथ में उनका परिवार भी बेहद शिक्षित माना जाता है. उनकी बेटी हैं हर्षिता केजरीवाल, जोकि आईआईटी दिल्ली से पढ़ी हुई हैं. वर्तमान में वह नौकरी कर रही हैं. हर्षिता ने पुराने सामान की खरीद फरोख्त करने वाले मोबाईल ऐप ओएलएक्स (OLX) पर पुराना सोफा बेचने के लिए विज्ञापन पोस्ट किया था. ग्राहकों का इंतेज़ार था, एक ग्राहक ने सोफा खरीदने में दिलचस्पी दिखाई और इस संबंध में हर्षिता से डील फाइनल कर ली. पेमेंट की बात हुई तो ग्राहक ने कहा कि वह पहले कुछ पैसे डालकर चेक करेगा फिर वह पूरे पैसे ट्रांसफर कर देगा. हर्षिता के खाते में अकाउंट चेक करने के नाम पर कुछ पैसे डाल दिए गए और फिर उस ग्राहक ने एक क्यूआर कोड भेज कर उसे स्कैन करने के लिए कहा ताकि तय रकम हर्षिता के अकाउंट में ट्रांसफर किया जा सके.

दिल्ली के मुख्यमंत्री की बेटी के साथ ठगी होना ऑनलाइन ठगी की मजबूती दिखाता है

हर्षिता ने जैसे ही उस क्यूआर कोड को स्कैन किया तो हर्षिता के अकाउंट से फौरन 20 हज़ार रुपये कट गए. हर्षिता ने इसकी शिकायत की तो ग्राहक ने गलती हो जाने की बात कही और फिर से वही प्रक्रिया अपनाया. हर्षिता के अकाउंट से दुबारा पैसे कट गए. इस बार अकाउंट से 14 हज़ार रुपये कट गए थे. यानी कुल 34 हज़ार रुपये क्यूआर कोड के ज़रिए हर्षिता के अकाउंट से लूट लिए गए. हर्षिता को एहसास हो गया कि वह ठगी का...

देश की राजधानी दिल्ली को पढ़े-लिखे लोगों वाले शहरों के रूप में जाना जाता है. युवाओं की बात हो तो ये बात और पक्की हो जाती है कि वह पढ़ा लिखा होगा उसे आसानी के साथ बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता है. और जब बात खुद मुख्यमंत्री के परिवार की हो तो ये गुमान भी नहीं किया जा सकता है कि कोई वारदात उनके परिवार के साथ हो जाएगी. दिल्ली की सत्ता पर काबिज अरविंद केजरीवाल खुद तो काबिल हैं ही, साथ में उनका परिवार भी बेहद शिक्षित माना जाता है. उनकी बेटी हैं हर्षिता केजरीवाल, जोकि आईआईटी दिल्ली से पढ़ी हुई हैं. वर्तमान में वह नौकरी कर रही हैं. हर्षिता ने पुराने सामान की खरीद फरोख्त करने वाले मोबाईल ऐप ओएलएक्स (OLX) पर पुराना सोफा बेचने के लिए विज्ञापन पोस्ट किया था. ग्राहकों का इंतेज़ार था, एक ग्राहक ने सोफा खरीदने में दिलचस्पी दिखाई और इस संबंध में हर्षिता से डील फाइनल कर ली. पेमेंट की बात हुई तो ग्राहक ने कहा कि वह पहले कुछ पैसे डालकर चेक करेगा फिर वह पूरे पैसे ट्रांसफर कर देगा. हर्षिता के खाते में अकाउंट चेक करने के नाम पर कुछ पैसे डाल दिए गए और फिर उस ग्राहक ने एक क्यूआर कोड भेज कर उसे स्कैन करने के लिए कहा ताकि तय रकम हर्षिता के अकाउंट में ट्रांसफर किया जा सके.

दिल्ली के मुख्यमंत्री की बेटी के साथ ठगी होना ऑनलाइन ठगी की मजबूती दिखाता है

हर्षिता ने जैसे ही उस क्यूआर कोड को स्कैन किया तो हर्षिता के अकाउंट से फौरन 20 हज़ार रुपये कट गए. हर्षिता ने इसकी शिकायत की तो ग्राहक ने गलती हो जाने की बात कही और फिर से वही प्रक्रिया अपनाया. हर्षिता के अकाउंट से दुबारा पैसे कट गए. इस बार अकाउंट से 14 हज़ार रुपये कट गए थे. यानी कुल 34 हज़ार रुपये क्यूआर कोड के ज़रिए हर्षिता के अकाउंट से लूट लिए गए. हर्षिता को एहसास हो गया कि वह ठगी का शिकार हो चुकी हैं.

एक मुख्यमंत्री की बेटी होने के नाते हर्षिता ने कभी सपने में भी नहीं सोचा रहा होगा कि ठगी की घटना उनके साथ भी हो सकती है. हर्षिता खुद आईआईटी पास हैं, बेहद शिक्षित हैं बेहद समझदार हैं लेकिन उनके साथ भी इस तरह का ठगी किया जाना बताता है कि आम लोगों की क्या हालत रहती होगी और यह ठग उनसे किस तरह की ठगी करते होंगे.

इंटरनेट का इस्तेमाल आज के युग में लगभग बड़ी आबादी करती है. खासतौर पर युवा वर्ग आधुनिकता की ओर पूरी तरह से आकर्षित है. डिजिटल बनना अच्छी बात है ज़िंदगी आसान हो जाती है. आनलाइन माध्यम से पेमेंट लेना और देना भी भारत की तरक्की को दर्शाता है आधुनिकता का संदेश देता है. इसीलिए भारत सरकार भी लगातार डिजिटल इंडिया का नारा देती रहती है. लेकिन जब आम इंसान आधुनिक होगा तो ज़ाहिर सी बात है ठग या चोर भी तो आधुनिक होंगे.

आज के दौर में जहां भारत में आनलाईन माध्यम से पैसों के लेन देन का चलन बढ़ा है वहीं दूसरी ओर आनलाइन माध्यम से होने वाले क्राइम भी बढ़े हैं. हमारी साइबर सेल की पुलिस भी कम ही मात्रा में है जबकि ऐसे मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. साइबर ठगी के मामले हर साल तेजी के साथ उछाल मार कर वृद्धि कर रहे हैं. आजकल क्यूआर कोड, वेबसाइट लिंक, मोबाईल ऐप्लीकेशन, डेटिंग ऐप और केवाईसी के नाम पर ये ठगी बड़े पैमाने पर चल रही है.

लेनदेन की प्रक्रिया को डिजिटल इंडिया में जितना आसान बनाया जा रहा है उतने ही आसानी के साथ इस तरह के ठगी के मामले भी बढ़ रहे हैं. तेज़ी से बढ़ रहे इन मामलों पर एक्शन लेते हुए लेनदेन की प्रक्रिया को और जटिल बनाए जाने के साथ साइबर अपराध कर रहे अपराधियों की पहचान करके उनसे सख्ती के साथ निपटने की ज़रूरत है. इन अपराधों पर लगाम लगाना बेहद ज़रूरी है. वरना जब मुख्यमंत्री के घर का और आईआईटी की स्टूडेंट रह चुकी लड़की का ये हाल है तो आम लोगों का पैसा ठगने में कहां कोई वक्त लगने वाला है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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