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समाज

ये नेताओं के विचार हैं या व्याभिचार?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 08 जून, 2015 06:24 PM
  • 08 जून, 2015 06:24 PM
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छाती कहां तक दिख रही थी... स्कर्ट कितनी छोटी थी... खूब मजा किए बेटा! ये है तो एक शॉर्ट फिल्म लूडो में कैब ड्राइवरों की बातचीत. कहने भर को ही फिल्म है, हकीकत से दूर कहां है?

"छाती कहां तक दिख रही थी... स्कर्ट कितनी छोटी थी... खूब मजा किए बेटा!" ये है तो एक शॉर्ट फिल्म लूडो में कैब ड्राइवरों की बातचीत. कहने भर को ही फिल्म है, हकीकत से दूर कहां है?

एक फिल्म में बचाव पक्ष का वकील पूछता है, "उसके हाथ कहां थे... जांघों पर या... " हर बलात्कार पीड़ित को ऐसे कई तकलीफदेह पड़ावों से गुजरना पड़ता है. लेकिन हमारे नेताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्हें शायद ही कभी पीड़ितों की परवाह होती हो, कम से कम उनके सार्वजनिक बयानों से तो यही लगता है. पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस के विधायक दीपक हाल्दर (या हल्दार) ने तो एक बार यहां तक कह डाला कि बलात्कार पहले भी थे, बलात्कार आज भी हैं, जब तक यह धरती रहेगी, तब तक बलात्कार होते रहेंगे.

भई वाह! क्या दावा है! "आपके मुंह में... "

"बलात्कर जैसी घटनाओं को रोकने के लिए भले ही समूचा पुलिस बल तैनात कर दिया जाए, इसे रोका नहीं जा सकता, शायद भगवान ही अवतार लेकर आएं तभी इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगा सकते हैं." ये अमूल्य विचार हैं अजीज कुरैशी के. ये विचार उन्होंने तब व्यक्त किए थे जब वो उत्तर प्रदेश के राज्यपाल थे.

नादान कौन, नेता या बलात्कारी?

गोवा में कुछ दिन पहले दिल्ली की दो लड़कियों से गैंग रेप की खबर आई तो वहां के पर्यटन मंत्री दिलीप पारुलेकर का बयान आया, "वे लड़के नादान हैं और उनके खिलाफ छोटे-मोटे आपराधिक मामले दर्ज हैं. इस तरह की घटना भविष्य में दोबारा नहीं होगी." ऐसे में जबकि इस केस की जांच चल रही है मामले के दूसरे पहलुओं का जिक्र यहां गैरजरूरी होगा.

गोवा के मंत्री का बयान उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री से प्रेरित नजर आता है.

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक रैली समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा था, "जब लड़के और लड़कियों में कोई विवाद होता है तो लड़की बयान देती है कि लड़के ने मेरा बलात्कार किया. इसके बाद बेचारे लड़के को फांसी की सज़ा सुना दी जाती है. बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा अनुचित है....

"छाती कहां तक दिख रही थी... स्कर्ट कितनी छोटी थी... खूब मजा किए बेटा!" ये है तो एक शॉर्ट फिल्म लूडो में कैब ड्राइवरों की बातचीत. कहने भर को ही फिल्म है, हकीकत से दूर कहां है?

एक फिल्म में बचाव पक्ष का वकील पूछता है, "उसके हाथ कहां थे... जांघों पर या... " हर बलात्कार पीड़ित को ऐसे कई तकलीफदेह पड़ावों से गुजरना पड़ता है. लेकिन हमारे नेताओं को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. उन्हें शायद ही कभी पीड़ितों की परवाह होती हो, कम से कम उनके सार्वजनिक बयानों से तो यही लगता है. पश्चिम बंगाल के तृणमूल कांग्रेस के विधायक दीपक हाल्दर (या हल्दार) ने तो एक बार यहां तक कह डाला कि बलात्कार पहले भी थे, बलात्कार आज भी हैं, जब तक यह धरती रहेगी, तब तक बलात्कार होते रहेंगे.

भई वाह! क्या दावा है! "आपके मुंह में... "

"बलात्कर जैसी घटनाओं को रोकने के लिए भले ही समूचा पुलिस बल तैनात कर दिया जाए, इसे रोका नहीं जा सकता, शायद भगवान ही अवतार लेकर आएं तभी इस तरह की घटनाओं पर लगाम लगा सकते हैं." ये अमूल्य विचार हैं अजीज कुरैशी के. ये विचार उन्होंने तब व्यक्त किए थे जब वो उत्तर प्रदेश के राज्यपाल थे.

नादान कौन, नेता या बलात्कारी?

गोवा में कुछ दिन पहले दिल्ली की दो लड़कियों से गैंग रेप की खबर आई तो वहां के पर्यटन मंत्री दिलीप पारुलेकर का बयान आया, "वे लड़के नादान हैं और उनके खिलाफ छोटे-मोटे आपराधिक मामले दर्ज हैं. इस तरह की घटना भविष्य में दोबारा नहीं होगी." ऐसे में जबकि इस केस की जांच चल रही है मामले के दूसरे पहलुओं का जिक्र यहां गैरजरूरी होगा.

गोवा के मंत्री का बयान उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री से प्रेरित नजर आता है.

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में एक रैली समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने कहा था, "जब लड़के और लड़कियों में कोई विवाद होता है तो लड़की बयान देती है कि लड़के ने मेरा बलात्कार किया. इसके बाद बेचारे लड़के को फांसी की सज़ा सुना दी जाती है. बलात्कार के लिए फांसी की सज़ा अनुचित है. लड़कों से गलती हो जाती है."

रेप पर एक्सपर्ट ओपिनियन

रेप क्यों होते हैं? इस पर समाजशास्त्रियों, मनोवैज्ञानिकों या अन्य विशेषज्ञों की अपनी राय होती होगी. रेप पर हमारे स्वयंभू एक्सपर्ट बाकियों से इत्तेफाक नहीं रखते. उनकी अपनी अलग राय है.

समाजवादी पार्टी के नेता तोताराम यादव अभी ताजा ताजा एक्सपर्ट बने हैं. तोताराम मैनपुरी में जिला जेल का निरीक्षण करने गए थे, तभी सवाल पूछ लिया गया. हाजिरजवाब तोताराम ने तो अलग ही सवाल खड़े कर दिए, साथ में एक्सपर्ट राय भी, "क्या है बलात्कार? ऐसी कोई चीज नहीं है. लड़के और लड़कियों की आपसी सहमति से होते हैं बलात्कार." इसे कहते हैं पार्टी के पक्के कार्यकर्ता. अपने नेताजी का सच्चा अनुयाई.

साल भर पहले की बात है. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने बलात्कार को सोशल क्राइम बताया और कहा, "यह कभी-कभी सही होता है और कभी-कभी गलत." अपने विचार पर विस्तार से प्रकाश तो गौर साहब ही डाल सकते हैं.

तब शीला दीक्षित दिल्ली की मुख्यमंत्री थीं. बलात्कार की एक घटना के बाद जब मीडिया ने उन्हें घेरा तो उन्होंने बड़ी ही अजीब सलाह दी, "महिलाओं को ज़्यादा ऐडवेंचरस नहीं होना चाहिए." हाल ही में बलात्कार के मामलों में 'टू फिंगर टेस्ट' को लेकर विवाद होने पर मौजूदा दिल्ली सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा है. सरकार ने एक अफसर पर गलती थोपते हुए कार्रवाई की घोषणा के बीच कहा कि सर्कुलर वापस लिया जाएगा.

पुलिस कमिश्नर की सलाह

नेताओं के अक्सर आनेवाले इस तरह के बयानों से अलग दिल्ली पुलिस के कमिश्नर बीएस बस्सी ने हमलावरों के खिलाफ हद तक जाने की सलाह दी है. स्कूली छात्राओं के लिए सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान बस्सी ने कहा कि रेप से बचाव के दौरान अगर किसी महिला के हाथों अपराधी की हत्या हो जाती है, तो महिला के खिलाफ मर्डर केस दर्ज नहीं किया जा सकता. उन्होंने कहा कि यह घटना सेल्फ डिफेंस में होने की वजह से महिला को कानूनन पुलिस कातिल नहीं मान सकती.

हालांकि, इस बारे में जानेमाने वकील उज्ज्वल निकम का कहना था कि आत्मरक्षा के लिए महिला और पुरुषों के लिए कानून अलग अलग नहीं हैं. निश्चित रूप से कानून आत्मरक्षा का अधिकार देता है. कानून के तहत हत्या का मुकदमा भी दर्ज होगा और कोर्ट में आत्मरक्षा की बात खुद ही साबित भी करना होगा.

निश्चित रूप से बस्सी की सलाह बेजोड़ है. लेकिन कुछ सवाल भी हैं. दहेज को लेकर बढ़ती घटनाओं के बाद सख्त कानून बना. बाद में पता चला कि कानून के बेजा इस्तेमाल के चलते परिवार तबाह हो गए. बलात्कार के भी कुछ मामले ऐसे आए हैं जिसमें जान बूझकर फंसाने की बात सामने आई है. खैर, महिलाओं को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है और हमले की हालत में उन्हें क्या रुख अख्तियार करना चाहिए - ये उन्हें प्रजेंस ऑफ माइंड पर छोड़ दिया जाना चाहिए.

पुलिस कमिश्नर ने बलात्कारियों से निपटने की तो सलाह दे दी, ऐसे नेताओं से निबटने के लिए भी उनके पास कोई सलाह है क्या?

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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