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क्या भारत में मुस्लिम हावी हो रहे हैं? नहीं

    • रश्मि सिंह
    • Updated: 17 अप्रिल, 2015 07:34 AM
  • 17 अप्रिल, 2015 07:34 AM
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पेव रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2050 तक दुनिया में मुस्लिमों की जनसंख्या ईसाइयों के बराबर हो जाएगी.

मुस्लिम, हिंदू, जनसंख्या वृद्धि - इन शब्दों को एक साथ हिंदू कट्टरपंथियों की हास्यास्पद टिप्पणियों के संदर्भ में यों ही रख रही हूं ताकि देश उन्हें खारिज कर दे.ठीक ऐसा तब हुआ जब पेव रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2050 तक दुनिया में मुस्लिमों की जनसंख्या ईसाइयों के बराबर हो जाएगी. इसका मतलब ये हुआ कि 2070 तक इस्लाम दुनिया में सबसे बड़ा धर्म हो जाएगा. रिपोर्ट बताती है कि 2050 तक भारत सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश होगा.

जैसी कि उम्मीद थी, इस बात से हिंदू कट्टरपंथी घबरा गए. भारत पाकिस्तान बन सकता है - विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के महासचिव सुरेन्द्र जैन ने तो यहां तक चेतावनी दे डाली. वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चंपत राय ने तो सारी हदें पार कर डाली. एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में तो उन्होंने यहां तक कह डाला कि हिंदुओं के लिए परिवार नियोजन कोई निजी मसला नहीं है. मूर्खतापूर्ण बातों का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए हिंदू महासभा की अध्यक्ष साध्वी देवा ठाकुर तो मुसलमानों और ईसाइयों की जबरन नसबंदी कराना चाहती हैं.

हिन्दूवादी ग्रुप ऐसे जनसंख्या अनुमानों का इस्तेमाल मुस्लिम विरोधी प्रचार प्रसार के लिए कर रहे हैं. इन आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए वे दावा कर रहे हैं कि मुसलमान भारत पर कब्जा जमाने में लगे हुए हैं. बेशक, वे जनसंख्या से जुड़े बदलावों की गहराई में जाने की जहमत नहीं उठाते जो तीन चरणों में होता हैः

1. उच्च मृत्यु और प्रजनन दर

2. उच्च प्रजनन दर और निम्न मृत्यु दर जिसकी बदौलत आबादी बढ़ती है. 3. निम्न प्रजनन और मृत्यु दर जो आखिरकार जनसंख्या वृद्धि को संतुलित रखता है.

तकरीबन हर इलाके में ऐसा ही होता है. मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के ज्यादातर मुस्लिम बहुल मुल्कों ने जनसांख्यिकीय परिवर्तन के चक्र को पूरा कर लिया है. 1950 से 2000 के बीच तेजी से बढ़ी आबादी के बाद उनकी कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में गिरावट देखी गई है. यही बात भारत की आबादी पर भी लागू होती है.

अब मुद्दे की बात. वीएचपी...

मुस्लिम, हिंदू, जनसंख्या वृद्धि - इन शब्दों को एक साथ हिंदू कट्टरपंथियों की हास्यास्पद टिप्पणियों के संदर्भ में यों ही रख रही हूं ताकि देश उन्हें खारिज कर दे.ठीक ऐसा तब हुआ जब पेव रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2050 तक दुनिया में मुस्लिमों की जनसंख्या ईसाइयों के बराबर हो जाएगी. इसका मतलब ये हुआ कि 2070 तक इस्लाम दुनिया में सबसे बड़ा धर्म हो जाएगा. रिपोर्ट बताती है कि 2050 तक भारत सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश होगा.

जैसी कि उम्मीद थी, इस बात से हिंदू कट्टरपंथी घबरा गए. भारत पाकिस्तान बन सकता है - विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के महासचिव सुरेन्द्र जैन ने तो यहां तक चेतावनी दे डाली. वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय महासचिव चंपत राय ने तो सारी हदें पार कर डाली. एक अंग्रेजी अखबार को दिए इंटरव्यू में तो उन्होंने यहां तक कह डाला कि हिंदुओं के लिए परिवार नियोजन कोई निजी मसला नहीं है. मूर्खतापूर्ण बातों का सिलसिला आगे बढ़ाते हुए हिंदू महासभा की अध्यक्ष साध्वी देवा ठाकुर तो मुसलमानों और ईसाइयों की जबरन नसबंदी कराना चाहती हैं.

हिन्दूवादी ग्रुप ऐसे जनसंख्या अनुमानों का इस्तेमाल मुस्लिम विरोधी प्रचार प्रसार के लिए कर रहे हैं. इन आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए वे दावा कर रहे हैं कि मुसलमान भारत पर कब्जा जमाने में लगे हुए हैं. बेशक, वे जनसंख्या से जुड़े बदलावों की गहराई में जाने की जहमत नहीं उठाते जो तीन चरणों में होता हैः

1. उच्च मृत्यु और प्रजनन दर

2. उच्च प्रजनन दर और निम्न मृत्यु दर जिसकी बदौलत आबादी बढ़ती है. 3. निम्न प्रजनन और मृत्यु दर जो आखिरकार जनसंख्या वृद्धि को संतुलित रखता है.

तकरीबन हर इलाके में ऐसा ही होता है. मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के ज्यादातर मुस्लिम बहुल मुल्कों ने जनसांख्यिकीय परिवर्तन के चक्र को पूरा कर लिया है. 1950 से 2000 के बीच तेजी से बढ़ी आबादी के बाद उनकी कुल प्रजनन दर (टीएफआर) में गिरावट देखी गई है. यही बात भारत की आबादी पर भी लागू होती है.

अब मुद्दे की बात. वीएचपी इस रिपोर्ट का इस्तेमाल "हिंदुओं को अधिक बच्चे पैदा करने चाहिए" जैसे संदेश देने के लिए कर रही है. हां, पेव के अनुमान से लगता है कि 2050 तक भारत, दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश हो जाएगा. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि हिंदू आबादी से आगे निकलने के लिए भारतीय मुसलमान अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं.

भारत, दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला दूसरा देश है. मुस्लिम आबादी के मामले में भी भारत का नंबर दूसरा है जहां लगभग 14 फीसदी मुसलमान हैं. विशाल आकार और जनसंख्या की वजह से यहां मुस्लिम बहुल पाकिस्तान से भी ज्यादा मुसलमान हैं. भारत की रैंकिंग में सुधार इसलिए नहीं होगा कि भारतीय मुसलमान अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं, बल्कि इसलिए कि इंडोनेशियाई मुस्लिमों ने जनसांख्यिकीय परिवर्तन पूरा कर लिया है और वे कम बच्चे पैदा कर रहे हैं. भारत में मुस्लिम प्रजनन दर 3.2 प्रतिशत है जो उनकी वैश्विक प्रजनन दर 3.1 से थोड़ा सा अधिक है. इंडोनेशिया में यह दर गिर कर 2.0 पहुंच गई है जिसका मतलब है कि वहां मुस्लिम महिलाएं पूरे जीवनकाल में औसतन दो ही बच्चे पैदा करती हैं. इस उपमहाद्वीप में 2050 तक मुसलमानों की आबादी में 18.4 फीसदी का इजाफा होगा, लेकिन यह आंकड़ा कुल आबादी में हिंदुओं के प्रतिनिधित्व को लेकर वीएचपी अतिशयोक्तिपूर्ण फिक्र की पुष्टि नहीं करता.

एक तो ये कि भारत में प्रजनन दर घट रही है और मुसलमान भी इससे प्रभावित होंगे. दूसरा, भारतीय मुसलमानों में भी जागरुकता, सूचना और शिक्षा के बढ़ते प्रभाव के चलते कम बच्चे पैदा करने की इंडोनेशिया जैसी प्रवृत्ति देखी जा सकती है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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