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जोशीमठ की तर्ज पर कहीं हिमाचल का मैक्लोडगंज भी विकास की भेंट न चढ़ जाए

    • रजनीश कुमार सक्सेना
    • Updated: 16 जनवरी, 2023 08:40 PM
  • 16 जनवरी, 2023 08:40 PM
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जिस तरह से जोशीमठ में जमीन धंस रही है. वैसा ही खतरा हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के मैक्लोडगंज में भी मंडरा रहा है. इस खतरे की वजह नगर निगम के नियमों को दर किनार कर लोगों की ओर से किया जा रहा अवैध निर्माण है.

उत्तराखंड के जोशीमठ में जिस तरह से जमीन धंस रही है. वैसा ही खतरा हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के मैक्लोडगंज में भी मंडरा रहा है. वहां अवैध निर्माण के कारण अधिकांश इमारतें खड़ी ढलानों पर लटकी हुई हैं और एक दूसरे से सटी हुई हैं. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मैक्लोडगंज क्षेत्र में स्थित इमारतें उच्च तीव्रता वाले भूकंप में ताश के पत्तों की तरह ढह सकती हैं. इस बारे में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के जियोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. अंबरीश कुमार महाजन ने बताया कि मैक्लोडगंज में ड्रेनेज या सीवेज सिस्टम का कोई समाधान नहीं है.

प्रोअंबरीश महाजन ने बताया प्रोफेसर महाजन ने यह भी बताया कि धर्मशाला में मैक्लोडगंज, भागसूनाग कुछ ऐसी जगह हैं, जो कि लैंडस्लाइड जोन है. सही ड्रेनेज सिस्टम न होने के चलते यहां पर ये स्थिति पैदा हुई है. अगर यहां ड्रेनेज सिस्टम सही होता तो इस तरह की समस्या नहीं आती.

जैसी निर्माण की अंधी रेस लगी है मैक्लोडगंज भी जोशीमठ सरीखा हो रहा है

जब भी बहुमंजिला निर्माण होता है, तो इससे जमीन पर ज्यादा लोड पड़ता है, जिससे उसके खिसकने की संभावना बढ़ जाती है. महाजन ने बताया कि शिमला में भी कई स्थान लैंडस्लाइड जोन में आते हैं। वहां कई बहुमंजिला इमारतें भी हैं, जो खतरे का संकेत हैं. उन्होंने कहा कि शिमला में भी आने वाले समय में जोशीमठ जैसे हालात हो सकते हैं.

जोशीमठ में 2 और होटल झुके

जोशीमठ में होटल मलारी की तरह ही रोपवे के रास्ते में स्नो क्रेस्ट और कॉमेट होटल भी अब झुकने लगे हैं. दोनों मालिकों ने अपने होटलों को खाली करना शुरू कर दिया है. स्नो क्रेस्ट के मालिक पूजा प्रजापति का कहना है कि दोनों होटलों के बीच पहले करीब 4 फीट का फासला था. झुकने के चलते यह फासला अब महज कुछ इंच बचा...

उत्तराखंड के जोशीमठ में जिस तरह से जमीन धंस रही है. वैसा ही खतरा हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के मैक्लोडगंज में भी मंडरा रहा है. वहां अवैध निर्माण के कारण अधिकांश इमारतें खड़ी ढलानों पर लटकी हुई हैं और एक दूसरे से सटी हुई हैं. विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मैक्लोडगंज क्षेत्र में स्थित इमारतें उच्च तीव्रता वाले भूकंप में ताश के पत्तों की तरह ढह सकती हैं. इस बारे में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के जियोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. अंबरीश कुमार महाजन ने बताया कि मैक्लोडगंज में ड्रेनेज या सीवेज सिस्टम का कोई समाधान नहीं है.

प्रोअंबरीश महाजन ने बताया प्रोफेसर महाजन ने यह भी बताया कि धर्मशाला में मैक्लोडगंज, भागसूनाग कुछ ऐसी जगह हैं, जो कि लैंडस्लाइड जोन है. सही ड्रेनेज सिस्टम न होने के चलते यहां पर ये स्थिति पैदा हुई है. अगर यहां ड्रेनेज सिस्टम सही होता तो इस तरह की समस्या नहीं आती.

जैसी निर्माण की अंधी रेस लगी है मैक्लोडगंज भी जोशीमठ सरीखा हो रहा है

जब भी बहुमंजिला निर्माण होता है, तो इससे जमीन पर ज्यादा लोड पड़ता है, जिससे उसके खिसकने की संभावना बढ़ जाती है. महाजन ने बताया कि शिमला में भी कई स्थान लैंडस्लाइड जोन में आते हैं। वहां कई बहुमंजिला इमारतें भी हैं, जो खतरे का संकेत हैं. उन्होंने कहा कि शिमला में भी आने वाले समय में जोशीमठ जैसे हालात हो सकते हैं.

जोशीमठ में 2 और होटल झुके

जोशीमठ में होटल मलारी की तरह ही रोपवे के रास्ते में स्नो क्रेस्ट और कॉमेट होटल भी अब झुकने लगे हैं. दोनों मालिकों ने अपने होटलों को खाली करना शुरू कर दिया है. स्नो क्रेस्ट के मालिक पूजा प्रजापति का कहना है कि दोनों होटलों के बीच पहले करीब 4 फीट का फासला था. झुकने के चलते यह फासला अब महज कुछ इंच बचा है. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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