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अब न मुगल वापस आएंगे न शिवाजी, हम 'हिस्ट्री' को 'मिस्ट्री' करने के लिए स्वतंत्र हैं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 09 अगस्त, 2017 03:27 PM
  • 09 अगस्त, 2017 03:27 PM
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उत्तर प्रदेश के मुगलसराय स्टेशन के बाद अब मुगलों और मुस्लिम शासकों को लेकर जिस तरह से महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना सामने आई है वो न सिर्फ चिंता में डालने वाला है बल्कि भविष्य के बड़े खतरों की ओर एक साफ संकेत है.

यही कोई सुबह के 5 बज के आस-पास का समय रहा होगा. मैंने एक सपना देखा. मेरा सपना मुझे तो ठीक-ठाक लगा मगर जब मैंने इसे अपने दोस्तों से साझा किया तो उन्हें मेरे इस सपने में कुछ गड़बड़ लगी. सपना कुछ ऐसा था कि, न जाने कैसे मगर मैं किसी राज्य का राजा बन गया हूं. मैंने अपने राज्य से जुड़ी हर चीज सफेद करवा दी है. यानी महल, दफ्तर, घर, नदी, नाले, पेड़, पौधे, पशु, पक्षी, दीवार, धर्म से जुड़ी इमारतें, लोग उनका पहनावा, खाना, खाने से जुड़ी चीजें सब सफेद हैं.

मेरे राज्य में और कोई रंग नहीं था या यूं भी कहा जा सकता है कि मैंने अपने राज्य में किसी और रंग के लिए गुंजाइश ही नहीं छोड़ी थी. सपने में मैंने ये भी देखा था कि अगर मुझे अपने राज्य में कोई और चीज किसी अन्य रंग की दिखती तो मैं फौरन उसे सफेद रंग में रंगवा देता. सपने में, मैं अपने राज्य का वो शासक था जिसे सफेद रंग से मुहब्बत और बाकी रंगों से नफरत थी.

आप भी एक ऐसे राज्य की कल्पना करके देखिये जहां जो कुछ है वो सफेद है. सफेद के अलावा वहां न कुछ लाल है न पीला है. एक ऐसा राज्य जहां काले और गुलाबी के लिए कोई जगह नहीं है. शायद आप मेरी बात सुनते ही उसे खारिज कर दें, और कहें कि यदि ऐसा हो गया तो जीवन बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा और सभी चीजें बड़ी ही बोरिंग हो जाएंगी.

उत्तर प्रदेश के मुगलसराय स्टेशन के बाद अब महाराष्ट्र के इस मामले ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है

हो सकता है सपना, राजा, सफेद रंग, जैसी ये बातें जो हमने ऊपर लिखी हैं आपको सोचने पर मजबूर कर दें कि ऐसा क्या हो गया है जो आज हम इस तरह की बातें कर रहे हैं, तो इसके पीछे की वहज और खबर दोनों ही बड़ी गंभीर हैं. अगर आप खबर समझ गए तो आपको हमारे द्वारा ऊपर लिखी गयी बात समझने में आसानी होगी. उत्तर प्रदेश के मुगलसराय स्टेशन के बाद अब मुगलों और मुस्लिम...

यही कोई सुबह के 5 बज के आस-पास का समय रहा होगा. मैंने एक सपना देखा. मेरा सपना मुझे तो ठीक-ठाक लगा मगर जब मैंने इसे अपने दोस्तों से साझा किया तो उन्हें मेरे इस सपने में कुछ गड़बड़ लगी. सपना कुछ ऐसा था कि, न जाने कैसे मगर मैं किसी राज्य का राजा बन गया हूं. मैंने अपने राज्य से जुड़ी हर चीज सफेद करवा दी है. यानी महल, दफ्तर, घर, नदी, नाले, पेड़, पौधे, पशु, पक्षी, दीवार, धर्म से जुड़ी इमारतें, लोग उनका पहनावा, खाना, खाने से जुड़ी चीजें सब सफेद हैं.

मेरे राज्य में और कोई रंग नहीं था या यूं भी कहा जा सकता है कि मैंने अपने राज्य में किसी और रंग के लिए गुंजाइश ही नहीं छोड़ी थी. सपने में मैंने ये भी देखा था कि अगर मुझे अपने राज्य में कोई और चीज किसी अन्य रंग की दिखती तो मैं फौरन उसे सफेद रंग में रंगवा देता. सपने में, मैं अपने राज्य का वो शासक था जिसे सफेद रंग से मुहब्बत और बाकी रंगों से नफरत थी.

आप भी एक ऐसे राज्य की कल्पना करके देखिये जहां जो कुछ है वो सफेद है. सफेद के अलावा वहां न कुछ लाल है न पीला है. एक ऐसा राज्य जहां काले और गुलाबी के लिए कोई जगह नहीं है. शायद आप मेरी बात सुनते ही उसे खारिज कर दें, और कहें कि यदि ऐसा हो गया तो जीवन बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा और सभी चीजें बड़ी ही बोरिंग हो जाएंगी.

उत्तर प्रदेश के मुगलसराय स्टेशन के बाद अब महाराष्ट्र के इस मामले ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है

हो सकता है सपना, राजा, सफेद रंग, जैसी ये बातें जो हमने ऊपर लिखी हैं आपको सोचने पर मजबूर कर दें कि ऐसा क्या हो गया है जो आज हम इस तरह की बातें कर रहे हैं, तो इसके पीछे की वहज और खबर दोनों ही बड़ी गंभीर हैं. अगर आप खबर समझ गए तो आपको हमारे द्वारा ऊपर लिखी गयी बात समझने में आसानी होगी. उत्तर प्रदेश के मुगलसराय स्टेशन के बाद अब मुगलों और मुस्लिम शासकों को हिस्ट्री बुक्स से निकाल दिया गया है. अपनी तरह का ये अनूठा निर्णय महाराष्ट्र की बीजेपी-शिवसेना सरकार द्वारा लिया गया है.

मुंबई मिरर में छपी खबर को अगर सही मानें तो महाराष्ट्र स्टेट एजुकेशन बोर्ड ने इस बार के अकादमिक सत्र के लिए 7वीं और 9वीं कक्षा के लिए इतिहास की जो पाठय पुस्तक जारी की हैं उसमें मराठा राज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में तो सब कुछ विस्तार से बता दिया मगर इन किताबों में मुगल और इससे पहले के सलतनत काल के मुस्लिम बादशाहों से संबंधित कई महत्वपूर्ण तथ्यों और जानकारियों को हटा दिया गया है.

कहा जा सकता है कि इस निर्णय के बाद भविष्य में बच्चों के लिए ये जानना टेढ़ी खीर होगा कि उत्कृष्ट वास्तुकला का परिचय देने वाली इमारतों जैसे क़ुतुब मीनार, लाल किला और ताजमहल का निर्माण किस शासक द्वारा करवाया गया था. बताया ये भी जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने 9वीं कक्षा की किताब में आपातकाल और बोफोर्स घोटाले का जिक्र किया है. इसके पीछे का तर्क ये है कि आज के बच्चों को वो बातें जाननी चाहिए जो हमारे आस-पास से या फिर हमसे जुड़ी हैं.

इतिहास की किताबों से छेड़छाड़ कोई आज का मुद्दा नहीं है

गौरतलब है कि ये कोई पहली बार नहीं है जब इतिहास की किताबों से इतिहास को निकालकर लोगों ने उसे अपने मन की बात से पाट दिया है. इस विषय पर लोगों का तर्क है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि लोग उन बातों से दूर रहें जो बुरी हैं. यानी सम्पूर्ण घटना क्रम को देखते हुए कहा जा सकता है कि ऐसा इसलिए हो रहा है ताकि व्यक्ति बुराई से दूरी बना ले.

बहरहाल, अगर हम भविष्य में लोगों को रामायण में से रावण, महाभारत में से कौरव, कृष्ण के जीवन में से कंस को निकालता हुआ देखें तो हमें हैरत नहीं करनी चाहिए और ये मान लेना चाहिए कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि हमारी सरकार और उस सरकार से जुड़े लोग ये बिल्कुल भी नहीं चाहते कि हम बुरी चीजों को देखें.

ऐसी बुरी चीजें जो सक्रिय या फिर असक्रिय रूप से हमारा जीवन प्रभावित कर सकती हैं. ध्यान रहे हिस्ट्री की किताबों से मुगलों और मुस्लिम शासकों को निकालना मेरे ख्वाब जैसा है जिसमें सब कुछ सफेद था और सफेद के सिवा कुछ नहीं था.

अंत में मैं अपनी बात खत्म करते हुए यही कहूंगा कि न तो अब मुगल वापस आएंगे न शिवाजी. आगे भी मेरा जीवन वैसा ही चलेगा जैसे आज चल रहा है. बस सरकार के इस फैसले से दुःख हुआ है. दुःख इसलिए कि अब मेरी सरकार मेरे विषय में ये मान चुकी है कि मैं ठीक वैसा ही सोचूंगा जैसा वो चाहती है.

यदि मैं अपनी सरकार के बेतुके फैसलों के साथ रहा तो ये एक बहुत उम्दा बात है वरना सरकार में तो ऐसे लोग बैठे ही हैं जो मुझे उन देशों में भेज देंगे जहां मेरे जैसे विपरीत विचारधारा और नकारात्मक सोच वाले लोगों को भेजा जाता है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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