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कमला मिल्स हादसे वाली जगह की पड़ताल में घटना का सच सामने आ गया

    • प्रोबिर रॉय
    • Updated: 04 जनवरी, 2018 07:11 PM
  • 04 जनवरी, 2018 07:11 PM
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हमेशा पतली गली खोजने वाले देश में कोई भी नियम या कायदा कायदे से फॉलो नहीं किया जा सकता. न ही उसे जबरदस्ती लादा जा सकता है. और अगर मान लिया जाए कि ये कायदे बराबरी से सभी के लिए लागू कर भी दिए गए तो भी कोई इसका पालन नहीं करने वाला.

पिछले 6 महीने में मुंबई में आग लगने की सात घटनाएं घटी हैं. इन सात घटनाओं में से तीन तो रिहायशी बिल्डिंग में घटी हैं. शिकार होने वालों में 10 महिलाओं सहित 26 लोग हर वर्ग के थे. युवा, अवैध प्रवासियों से लेकर भारत घूमने आए एनआरआई तक. इतने के बाद ठहरकर हमें सोचने की जरुरत है. कमला मिल्स घटना जिसने अकेले 14 लोगों को अपने लपेटे में लील लिया के बाद मैंने वर्ली के इलाके का जायजा लेने की सोची.

देखिए मैंने क्या पाया-

1- कमला मिल्स घटना के बाद इलाके में स्थित अवैध निमार्णों को तोड़ने का काम पूरी रफ्तार से चालू था. बिना कुछ सोचे, बिना कोई विचार किए, बस तोड़फोड़ जारी थी. तोड़फोड़ के बाद उन जगहों के मालिक और मैनेजरों द्वारा वहां पर 'साफ सफाई' का काम भी उसी रफ्तार से चालू था. ये बताता है कि मैक्सिमम सिटी में किसी के भी मातम मनाने या फिर ठहर कर सोचने के लिए समय नहीं है.

2- ध्वस्त हुई इमारतों से कुछ फुट दूर स्थित ही की जगहों को छुआ तक नहीं गया जैसे स्माश, प्रवास, कोड. ट्रेड हाउस के ठीक सामने वाला रेस्टो बार खुला रहा जबकि उसके आसपास की सभी दुकानें या तो 'स्वत:' बंद कर दी गई थी या फिर उन्हें बंद करने का आदेश दिया गया था. या फिर उनकी बिजली पानी की सप्लाई बंद कर दी गई थी.

संकरे रास्तों और सुरक्षा की बदइंतजामी दुर्घटना को बुलावा ही है

उस पूरे एरिया में 120 रेस्त्रां हैं. जिसमें से 40 दुकानें, कैफे, बार तो खुद कमला मिल कंपाउंड में ही हैं.

3- एक दशक तक मल्टी नेशनल कंपनियों के ऑफिसों और बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए रिजर्व करके रखा गया कमला मिल्स कंपाउंड खास्ता हालत में था. और ऑफिस बंद होने के बाद तो ये जगह भूतों का मोहल्ला जैसा लगने लगता था. 6 महीने पहले तक...

पिछले 6 महीने में मुंबई में आग लगने की सात घटनाएं घटी हैं. इन सात घटनाओं में से तीन तो रिहायशी बिल्डिंग में घटी हैं. शिकार होने वालों में 10 महिलाओं सहित 26 लोग हर वर्ग के थे. युवा, अवैध प्रवासियों से लेकर भारत घूमने आए एनआरआई तक. इतने के बाद ठहरकर हमें सोचने की जरुरत है. कमला मिल्स घटना जिसने अकेले 14 लोगों को अपने लपेटे में लील लिया के बाद मैंने वर्ली के इलाके का जायजा लेने की सोची.

देखिए मैंने क्या पाया-

1- कमला मिल्स घटना के बाद इलाके में स्थित अवैध निमार्णों को तोड़ने का काम पूरी रफ्तार से चालू था. बिना कुछ सोचे, बिना कोई विचार किए, बस तोड़फोड़ जारी थी. तोड़फोड़ के बाद उन जगहों के मालिक और मैनेजरों द्वारा वहां पर 'साफ सफाई' का काम भी उसी रफ्तार से चालू था. ये बताता है कि मैक्सिमम सिटी में किसी के भी मातम मनाने या फिर ठहर कर सोचने के लिए समय नहीं है.

2- ध्वस्त हुई इमारतों से कुछ फुट दूर स्थित ही की जगहों को छुआ तक नहीं गया जैसे स्माश, प्रवास, कोड. ट्रेड हाउस के ठीक सामने वाला रेस्टो बार खुला रहा जबकि उसके आसपास की सभी दुकानें या तो 'स्वत:' बंद कर दी गई थी या फिर उन्हें बंद करने का आदेश दिया गया था. या फिर उनकी बिजली पानी की सप्लाई बंद कर दी गई थी.

संकरे रास्तों और सुरक्षा की बदइंतजामी दुर्घटना को बुलावा ही है

उस पूरे एरिया में 120 रेस्त्रां हैं. जिसमें से 40 दुकानें, कैफे, बार तो खुद कमला मिल कंपाउंड में ही हैं.

3- एक दशक तक मल्टी नेशनल कंपनियों के ऑफिसों और बड़ी भारतीय कंपनियों के लिए रिजर्व करके रखा गया कमला मिल्स कंपाउंड खास्ता हालत में था. और ऑफिस बंद होने के बाद तो ये जगह भूतों का मोहल्ला जैसा लगने लगता था. 6 महीने पहले तक यहां का यही आलम रहता था. लेकिन जैसे ही इस एरिया के कोने कोने में रेस्त्रां खुलने की बाढ़ आई पूरा माहौल ही बदल गया. रातों रात ये इलाका हैपेनींग प्लेस में बदल गया.

4- एक तरफ जहां इलाके में हो रहे अवैध निर्माणों के प्रति मालिकों का 'चलता है' वाला रवैया तो दूसरी तरफ खामियों को देखने के प्रति अधिकारियों का ढुलमुल व्यवहार. इस बात पर यकीन किया ही नहीं जा सकता कि ऐसे हाई प्रोफाइल जगह में हो रही अनियमितताओं का उन्हें पता ही न हो.

5- अब यहां सवाल ये खड़ा होता है कि अगर तोड़फोड़ का कारण आने जाने के रास्ते में, फुटपाथ पर, सड़कों पर अतिक्रमण है तो फिर तो मुंबई के अधिकतर मकानों, दुकानों और बिल्डिंगों को तोड़ दिया जाना चाहिए. अगर सुरक्षा, आग, एक्साइज या साफ सफाई की कमी की वजह से उठाया गया तो फिर तो वो आदेश उस दिन तो आया नहीं होगा. हालांकि, बस लाइसेंस रद्द करना ही काफी होगा. इससे संपत्ति को किसी नुकसान के बिना ही मानदंडों का उल्लंघन करने वाले प्रतिष्ठानों को बंद करने की अनुमति मिल जाएगी.

6- मैंने जो देखा वो घटना वाली जगह में बाहर निकलने के रास्ते संकरे होने के बिल्कुल विपरीत था. ग्राउंड फ्लोर के रेस्त्रां में आने जाने के दरवाजे चौड़े थे और जगह जगह साइन बोर्ड लगे थे.

7- तोड़ी मिल्स में लगभग 20 रेस्त्रां हैं और ये एक पत्थर के बीच में बना है. इस जगह में आने जाने वाले जगह की चौड़ाई इतनी है कि एक बार में सिर्फ एक टेम्पो के ही आने जाने की जगह है. फायर इंजन को तो भूल ही जाइए.

सीख क्या मिली?

इन घटनाओं से सीख लेकर अब संभलने की जरुरत है

- हमेशा पतली गली खोजने वाले देश में कोई भी नियम या कायदा कायदे से फॉलो नहीं किया जा सकता. न ही उसे जबरदस्ती लादा जा सकता है. और अगर मान लिया जाए कि ये कायदे बराबरी से सभी के लिए लागू कर भी दिए गए तो भी कोई इसका पालन नहीं करने वाला. इसलिए फाइन लगाने और लाइसेंस जब्त करने, सख्त इंस्पेक्शन जैसे कामों को करना चाहिए ताकि लोग नियमों का पालन करें.

हालांकि नियम कड़े करने के बाद घूस की रकम भी ज्यादा बढ़ जाएगी लेकिन इससे लोगों को लगेगा कि घूस देने से सस्ता तो नियमों का पालन कर लेने में है.

- ऐसी जगहों के आसपास की पार्किंग को बंद कर देना चाहिए. फिनिक्स मॉल में सेट्रलाइज्ड पार्किंग है जो आपातकाल में एंबुलेंस या फायर वैन की आवाजाही को बाधा नहीं पहुंचाता है. जबकि कमला मिल्स में रिजर्व पार्किंग का कॉन्सेप्ट है और कोई भी कहीं भी पार्किंग कर देता है.

- गैर-दहनशील निर्माण सामग्री का उपयोग अनिवार्य कर देना चाहिए. और इसका उल्लेख बिल्डिंग कोड और अर्बन प्लानिंग में होना चाहिए.

- खुली जगहों पर बाहर जाने का रास्ता और फायर ड्रिल जैसे काम हर महीने होने चाहिए. और ऑफिसों, मॉल इत्यादि के लिए ये अनिवार्य कर देना चाहिए.

- अंत में ज्यदातर मिल एरिया बेतरतीब बने हुए हैं. न ही उनका मैनेजमेंट सही है. हालांकि फिनिक्स मिल का मैनेजमेंट अच्छा है लेकिन कमला मिल और तोड़ी मिल में लोगों की सुरक्षा जैसा कोई भी ध्यान नहीं दिया गया है.

अगर इन बेसिक बातों पर ध्यान नहीं दिया गया तो खतरे के लिए हमेशा तैयार रहें.

(DailyO से साभार)

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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