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याद रखिए, अपने बच्चे को सलामत रखने का ये है नया PASSWORD

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 01 मई, 2018 08:17 PM
  • 01 मई, 2018 08:17 PM
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जब हम अपने मोबाइल को दूसरों से बचाने के लिए उसमें पासवर्ड लगाते हैं तो बच्चों को सलामत रखने के लिए पासवर्ड क्यों नहीं? ये पासवर्ड आपके बच्चे को उन लोगों से बचाएगा, जो उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.

बच्चों के अपहरण की घटनाएं को अक्सर आप सुनते रहते होंगे, लेकिन जिस तरह से इस बच्ची ने अपहरणकर्ता के चंगुल से खुद को बचाया, वह काबिले तारीफ है. दिल्ली से सटे गाजियाबाद की एक सोसाएटी में घटी ये घटना आपको हैरान तो करेगी ही, साथ ही आपको एक सीख भी देगी. इस घटना में एक 12 साल की बच्ची को कथित रूप से किडनैप करने के इराद से आए व्यक्ति से बच्ची ने पासवर्ड पूछ लिया. बस फिर क्या था, किडनैपर डर गया और फरार हो गया. दरअसल, बच्ची को उसके माता-पिता ने एक पासवर्ड बताया था और किसी अनजान व्यक्ति के साथ तभी जाने की सलाह दी है, जब वह उस पासवर्ड को बताए. जब हम अपने मोबाइल को दूसरों से बचाने के लिए उसमें पासवर्ड लगाते हैं तो बच्चों को सलामत रखने के लिए पासवर्ड क्यों नहीं? ये पासवर्ड आपके बच्चे को उन लोगों से बचाएगा, जो उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.

हर अभिभावक को अपने बच्चे को पासवर्ड बताना चाहिए, ताकि कोई भी उन्हें नुकसान न पहुंचा सके.

कुछ इस तरह से बच्ची ने बचाया खुद को

12 साल की ये बच्ची सोसाएटी में खेल रही थी. उसी समय करीब 35 साल का एक शख्स वहां आया और उसने बच्ची से कहा कि उसके पापा का एक्सिडेंट हो गया है, इसलिए वह उसे लेने आया है. बच्ची ने उस शख्स से कहा कि पहले पापा का पासवर्ड बताओ जो उन्होंने आपको बताया है, तभी चलेंगे. इतना सुनना भर था कि किडनैपर के हाथ-पांव फूलने लगे. उसने कभी सोचा भी नहीं होगा कि बच्ची ऐसा कुछ पूछ लेगी. बिना पासवर्ड बताए ही जब उस शख्स ने बच्ची से चलने को कहा तो बच्ची ने शोर मचाने की धमकी दी, जिसके बाद वह शख्स वहां से फरार हो गया. घटना का पता चलने पर जब सीसीटीवी खंगाला गया तो पता चला कि सीसीटीवी तो बंद था. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है.

4 साल पहले ही शुरू हो चुका था ये...

बच्चों के अपहरण की घटनाएं को अक्सर आप सुनते रहते होंगे, लेकिन जिस तरह से इस बच्ची ने अपहरणकर्ता के चंगुल से खुद को बचाया, वह काबिले तारीफ है. दिल्ली से सटे गाजियाबाद की एक सोसाएटी में घटी ये घटना आपको हैरान तो करेगी ही, साथ ही आपको एक सीख भी देगी. इस घटना में एक 12 साल की बच्ची को कथित रूप से किडनैप करने के इराद से आए व्यक्ति से बच्ची ने पासवर्ड पूछ लिया. बस फिर क्या था, किडनैपर डर गया और फरार हो गया. दरअसल, बच्ची को उसके माता-पिता ने एक पासवर्ड बताया था और किसी अनजान व्यक्ति के साथ तभी जाने की सलाह दी है, जब वह उस पासवर्ड को बताए. जब हम अपने मोबाइल को दूसरों से बचाने के लिए उसमें पासवर्ड लगाते हैं तो बच्चों को सलामत रखने के लिए पासवर्ड क्यों नहीं? ये पासवर्ड आपके बच्चे को उन लोगों से बचाएगा, जो उसे नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.

हर अभिभावक को अपने बच्चे को पासवर्ड बताना चाहिए, ताकि कोई भी उन्हें नुकसान न पहुंचा सके.

कुछ इस तरह से बच्ची ने बचाया खुद को

12 साल की ये बच्ची सोसाएटी में खेल रही थी. उसी समय करीब 35 साल का एक शख्स वहां आया और उसने बच्ची से कहा कि उसके पापा का एक्सिडेंट हो गया है, इसलिए वह उसे लेने आया है. बच्ची ने उस शख्स से कहा कि पहले पापा का पासवर्ड बताओ जो उन्होंने आपको बताया है, तभी चलेंगे. इतना सुनना भर था कि किडनैपर के हाथ-पांव फूलने लगे. उसने कभी सोचा भी नहीं होगा कि बच्ची ऐसा कुछ पूछ लेगी. बिना पासवर्ड बताए ही जब उस शख्स ने बच्ची से चलने को कहा तो बच्ची ने शोर मचाने की धमकी दी, जिसके बाद वह शख्स वहां से फरार हो गया. घटना का पता चलने पर जब सीसीटीवी खंगाला गया तो पता चला कि सीसीटीवी तो बंद था. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है.

4 साल पहले ही शुरू हो चुका था ये आइडिया

पासवर्ड का ये तरीका बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए काफी अच्छा है. ऐसा नहीं है कि पहली बार ऐसा कोई मामला सामने आया है. 4 साल पहले ही बेंगलुरु के एक स्कूल Little Flower Public School ने इस आइडिया को लेकर एक सर्कुलर जारी किया था. सर्कुलर में बच्चों के माता-पिता से कहा गया था कि वह अपने बच्चों को एक पासवर्ड बताएं, ताकि जब कोई अनजान शख्स उन्हें लेने आए तो पहले वो पासवर्ड बताए. ये आइडिया भी स्कूल के प्रिंसिपल को एक अभिभावक ने ही दिया था. अगर हर माता-पिता अपने बच्चों को इस तरह से कोई खास पासवर्ड बता दे तो बच्चों के किडनैप होने की घटनाओं पर काफी हद तक लगाम लग सकती है.

क्यों जरूरी है पासवर्ड?

अधिकतर बच्चों की किडनैपिंग जबरदस्ती नहीं होती, बल्कि उन्हें बहला-फुसलाकर अपहरणकर्ता अपने साथ ले जाते हैं. ऐसे में अगर अभिभावक अपने बच्चों को एक पासवर्ड बताकर उसे इस्तेमाल करने का तरीका समझाएंगे तो बच्चों के अपहरण की घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकती है. बच्चों का अपहरण कर के अभिभावक से फिरौती मांगना, बच्चियों से रेप और हत्या जैसी घटनाओं पर भी इस खास आइडिया की मदद से काफी हद तक लगाम लग सकती है. बच्चों को यह अच्छे से समझाना बहुत जरूरी है कि कोई अनजान शख्स बहला-फुसलाकर या फिर किसी चीज का लालच देकर उन्हें साथ चलने को कह सकता है, लेकिन साथ नहीं जाना है, जब तक कि वह पासवर्ड न बता दे. बस इतना जिस अभिभावक ने कर लिया, समझ लीजिए उसने एक अभिभावक होने का कर्तव्य पूरा कर लिया.

हर रोज 20 बच्चे होते हैं अगवा

अगर पूरे देश की बात की जाए तो नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार 2016 में करीब 52,000 बच्चे अगवा हुए हैं. बच्चों के साथ हुए अपराध के करीब 1.11 लाख मामले 2016 में हुए हैं, जिनमें से लगभग 50 फीसदी मामले तो बच्चों को अगवा करने के हैं. अगर सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो दिल्ली पुलिस और महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय के अनुसार दिल्ली में रोजाना करीब 20 बच्चे गायब होते हैं. इनमें से सिर्फ 30 फीसदी ही वापस मिल पाते हैं. रोजाना गायब होने वाले 20 बच्चों में से सिर्फ 1 या 2 बच्चे भी गलती से खो जाते हैं, बाकी बच्चों को अगवा किया जाता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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