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समाज

सिस्टम जो हमारा खून चूस रहा है....

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 14 जून, 2018 11:52 AM
  • 24 अप्रिल, 2017 06:09 PM
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भारत में हर साल 3 मिलियन यूनिट खून की कमी होती है. एक्सिडेंट और डिलिवरी के समय अधिकतर खून की जरूरत पड़ती है. ऐसे में इतने खून की बर्बादी कितने लोगों के लिए घातक होगी इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

रक्त दान महादान कहा गया है, लेकिन अगर आपको पता चले कि आपका दान किया गया रक्त ही खराब हो गया है तो आप क्या कहेंगे? पिछले 5 सालों में करीब 28 लाख यूनिट खून बर्बाद कर दिया गया.

लगभग कितना खून?

अब अगर इसे लीटर में तब्दील करें तो 6 लाख लीटर खून बर्बाद कर दिया गया है. ये 53 पानी के टैंकर भरने के बराबर मात्रा है.

28 लाख यूनिट मतलब-

इंसानी शरीर में कुल 8-12 पिंट (खून नापने की यूनिट) होती है. खून देने के समय 1 पिंट निकाला जाता है. अब अगर देखा जाए तो 1 यूनिट में लगभग 1 पिंट या (400-525 मिली लीटर) खून होता है. इसका मतलब लगभग 25-28 लाख लोगों का खून बर्बाद कर दिया गया.

सबसे ज्यादा खून 4 राज्यों में बर्बाद हुआ

भारत में हर साल 3 मिलियन यूनिट खून की कमी होती है. एक्सिडेंट और डिलिवरी के समय अधिकतर खून की जरूरत पड़ती है. ऐसे में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडू में सिर्फ खून ही नहीं खराब हुआ बल्कि रेड ब्लड सेल और प्लाज्मा भी खराब हो गए. इनमें से कुछ भी एक्सपायर होने के पहले इस्तेमाल नहीं किया गया. सिर्फ 2016-17 में 6.57 लाख यूनिट ब्लड और उससे जुड़े प्रोडक्ट्स खराब हो गए.

मज़े की बात तो ये है कि इसमें ज्यादातर खराब होने वाली चीज प्लाजमा थी जिसकी एक्सपायरी डेट 1 साल तक की होती है. यानी 1 साल रखे-रखे सड़ा दिया लेकिन इस्तेमाल नहीं किया. आम तौर पर खून की यूनिट 35 दिन में खराब हो जाती है लेकिन उससे निकला प्लाज्मा 1 साल तक सुरक्षित इस्तेमाल किया जा सकता है. एक बात और जान लीजिए, 2016-17 में 3 लाख यूनिट प्लाज्मा खराब हुआ है और ये दवाइयां बनाने वाली कंपनियां इम्पोर्ट कराती हैं.

ये पहली बार नहीं है जब ऐसा कुछ सुनने में आया है. अगर हालिया किस्सों को ही लिया जाए तो...

रक्त दान महादान कहा गया है, लेकिन अगर आपको पता चले कि आपका दान किया गया रक्त ही खराब हो गया है तो आप क्या कहेंगे? पिछले 5 सालों में करीब 28 लाख यूनिट खून बर्बाद कर दिया गया.

लगभग कितना खून?

अब अगर इसे लीटर में तब्दील करें तो 6 लाख लीटर खून बर्बाद कर दिया गया है. ये 53 पानी के टैंकर भरने के बराबर मात्रा है.

28 लाख यूनिट मतलब-

इंसानी शरीर में कुल 8-12 पिंट (खून नापने की यूनिट) होती है. खून देने के समय 1 पिंट निकाला जाता है. अब अगर देखा जाए तो 1 यूनिट में लगभग 1 पिंट या (400-525 मिली लीटर) खून होता है. इसका मतलब लगभग 25-28 लाख लोगों का खून बर्बाद कर दिया गया.

सबसे ज्यादा खून 4 राज्यों में बर्बाद हुआ

भारत में हर साल 3 मिलियन यूनिट खून की कमी होती है. एक्सिडेंट और डिलिवरी के समय अधिकतर खून की जरूरत पड़ती है. ऐसे में महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडू में सिर्फ खून ही नहीं खराब हुआ बल्कि रेड ब्लड सेल और प्लाज्मा भी खराब हो गए. इनमें से कुछ भी एक्सपायर होने के पहले इस्तेमाल नहीं किया गया. सिर्फ 2016-17 में 6.57 लाख यूनिट ब्लड और उससे जुड़े प्रोडक्ट्स खराब हो गए.

मज़े की बात तो ये है कि इसमें ज्यादातर खराब होने वाली चीज प्लाजमा थी जिसकी एक्सपायरी डेट 1 साल तक की होती है. यानी 1 साल रखे-रखे सड़ा दिया लेकिन इस्तेमाल नहीं किया. आम तौर पर खून की यूनिट 35 दिन में खराब हो जाती है लेकिन उससे निकला प्लाज्मा 1 साल तक सुरक्षित इस्तेमाल किया जा सकता है. एक बात और जान लीजिए, 2016-17 में 3 लाख यूनिट प्लाज्मा खराब हुआ है और ये दवाइयां बनाने वाली कंपनियां इम्पोर्ट कराती हैं.

ये पहली बार नहीं है जब ऐसा कुछ सुनने में आया है. अगर हालिया किस्सों को ही लिया जाए तो ही मध्यप्रदेश में पिछले दो सालों में 5 हज़ार करोड़ का अनाज सड़ गया. इसे घोटाला भी कहा जा रहा है.

इसके अलावा, हाल ही में एक खबर आई थी जहां जीआरपी स्टाफ ने कहा था कि चूहे हर महीने 25 लीटर शराब पी रहे हैं और 30 किलो गांजा खा गए. ये रेलवे अधिकारियों की रिपोर्ट में भी लिखा गया था.

अब मुद्दे की बात ये है कि इतना सारा इकट्ठा किया गया अनाज, गांजा, खून आदि जरूरतमंदों के पास क्यों नहीं पहुंच पाता. ठीक है गांजे के जरूरतमंद कम होंगे, लेकिन उसका इस्तेमाल भी दवा कंपनियां कर सकती हैं.

कैंप की जगह ब्लड बैंक में करें डोनेट...

अगर हम सिर्फ खून की ही बात करें तो इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी की डॉक्टर ज़रीन भरूचा का कहना है कि कम से कम 500 यूनिट खून आसानी से इकट्ठा किया जा सकता है और उसे स्टोर भी किया जा सकता है, लेकिन ऐसे ब्लड कैंप भी रहे हैं जहां 1000 से 3000 यूनिट ब्लड इकट्ठा किया गया है. इन ब्लड कैंप से सिर्फ खून की बर्बादी ही होती है मतलब आप अपना खून दे तो देते हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो पाता.

इसे ठीक करने का सबसे अच्छा तरीका ये है कि आप ब्लड बैंक में जाकर ही खून डोनेट करें. ऐसे में कम से कम खून का इस्तेमाल तो हो जाएगा. रक्त दान करना सही है, लेकिन अगर रक्त का इस्तेमाल ही सही नहीं हो रहा है तो ऐसा करके कुछ अच्छा नहीं हो सकता. तो अगर आप भी किसी ब्लड डोनेशन कैंप में खून दे रहे हैं तो पहले पूरी जांच कर लें कि ये सही है या नहीं. खून कहां स्टोर करते हैं, किसने कैंप को ऑर्गेनाइज किया है और खून कहां जाने वाला है. ये कुछ सवाल आपके खून की बर्बादी को बचा सकते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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