• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
समाज

अमानवीयता और घिनौनेपन की हद बयां करती 10 तस्वीरें

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 11 मार्च, 2018 06:00 PM
  • 11 मार्च, 2018 04:38 PM
offline
धरती के 'भगवान' के वास स्थान अस्पताल से कई बार ऐसी तस्वीरें भी सामने आती हैं, जिन्हें देखकर ऐसे भगवान से किसी का भी भरोसा उठ जाए. एक ऐसी ही तस्वीर फिर से सामने आई है, जिसे देखने भर से सारी कहानी समझ आ जाएगी.

'अस्पताल', जहां धरती के भगवान रहते हैं. भगवान इसलिए क्योंकि अस्पताल में बैठने वाले डॉक्टर ही हैं जो लोगों की जिंदगी बचाते हैं और एक नया जीवन देते हैं. लेकिन धरती के 'भगवान' यानी डॉक्टरों के वास स्थान अस्पताल से कई बार ऐसी तस्वीरें भी सामने आती हैं, जिन्हें देखकर ऐसे भगवान से किसी का भी भरोसा उठ जाए. एक ऐसी ही तस्वीर फिर से सामने आई है, जिसे देखने भर से सारी कहानी समझ आ जाएगी. ये तस्वीरें दिखाती हैं कि कितनी भयानक स्थिति पैदा हो चुकी है. अस्पताल को जहां जिंदगी बचाने के लिए जाना जाता था, अब वही सबसे असंवेदशील जगह बनता जा रहा है. देखिए अब किस तस्वीर ने मचाया है बवाल.

1- ये तस्वीर उत्तर प्रदेश के झांसी की है. एक एक्सिडेंट के बाद इस शख्स का पैर काटना पड़ा. लेकिन हद तो तब हो गई, जब पैर के कटे हुए हिस्से को ही मरीज का तकिया बना दिया गया. झांसी मेडिकल कॉलेज की ये तस्वीर साफ दिखाती है कि अस्पताल और भगवान का दर्जा दिए जाने वाले डॉक्टर कितने असंवेदनशील हो गए हैं.

2- ऐसा नहीं है कि पहली बार अस्पताल की असंवेदनशीलता की कोई तस्वीर सामने आई है. इससे पहले अगस्त 2016 में ओडिशा के बालासोर में एंबुलेंस न मिलने की वजह से अस्पताल कर्मचारियों द्वारा एक महिला की लाश को बांस पर लटकाकर ले जाने का मामला सामने आया था. ये सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी कि कर्मचारियों ने पहले महिला के शव को कमर से तोड़ा और फिर बांस पर लटकाकर पोस्टमार्टम के लिए ले गए.

'अस्पताल', जहां धरती के भगवान रहते हैं. भगवान इसलिए क्योंकि अस्पताल में बैठने वाले डॉक्टर ही हैं जो लोगों की जिंदगी बचाते हैं और एक नया जीवन देते हैं. लेकिन धरती के 'भगवान' यानी डॉक्टरों के वास स्थान अस्पताल से कई बार ऐसी तस्वीरें भी सामने आती हैं, जिन्हें देखकर ऐसे भगवान से किसी का भी भरोसा उठ जाए. एक ऐसी ही तस्वीर फिर से सामने आई है, जिसे देखने भर से सारी कहानी समझ आ जाएगी. ये तस्वीरें दिखाती हैं कि कितनी भयानक स्थिति पैदा हो चुकी है. अस्पताल को जहां जिंदगी बचाने के लिए जाना जाता था, अब वही सबसे असंवेदशील जगह बनता जा रहा है. देखिए अब किस तस्वीर ने मचाया है बवाल.

1- ये तस्वीर उत्तर प्रदेश के झांसी की है. एक एक्सिडेंट के बाद इस शख्स का पैर काटना पड़ा. लेकिन हद तो तब हो गई, जब पैर के कटे हुए हिस्से को ही मरीज का तकिया बना दिया गया. झांसी मेडिकल कॉलेज की ये तस्वीर साफ दिखाती है कि अस्पताल और भगवान का दर्जा दिए जाने वाले डॉक्टर कितने असंवेदनशील हो गए हैं.

2- ऐसा नहीं है कि पहली बार अस्पताल की असंवेदनशीलता की कोई तस्वीर सामने आई है. इससे पहले अगस्त 2016 में ओडिशा के बालासोर में एंबुलेंस न मिलने की वजह से अस्पताल कर्मचारियों द्वारा एक महिला की लाश को बांस पर लटकाकर ले जाने का मामला सामने आया था. ये सुनकर आपकी रूह कांप जाएगी कि कर्मचारियों ने पहले महिला के शव को कमर से तोड़ा और फिर बांस पर लटकाकर पोस्टमार्टम के लिए ले गए.

3- अगस्त 2016 में ही ओडिशा के कालाहांडी से एक और घटना सामने आई थी, जिसमें व्यक्ति को कंधे पर अपनी पत्नी का शव रखकर करीब 10 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा था. यहां भी मामला था एंबुलेंस नहीं मिलने का. कलेजा कंपा देने वाली बात ये भी थी कि साथ में 12 साल की उनकी बेटी भी थी, जो पूरे रास्ते रोती-बिलखती चलती रही.

4- झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल राजेंद्र इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सितंबर 2016 में तो महिला मरीज के साथ जो किया गया, उसके लिए जितनी भी सजा मिले शायद वो कम ही होगी. महिला को खाना परोसने के लिए बर्तन नहीं थे तो उसे फर्श पर ही खाना परोस दिया. यहां और भी शर्मनाक बात ये है कि महिला का एक हाथ टूटा हुआ था और उस पर प्लास्टर चढ़ा था.

5- दिल्ली के शालीबाग में स्थित मैक्स अस्पताल तो आपको याद ही होगा. जी हां, वही अस्पताल जिसने जिंदा बच्चे को ही मरा बताया. घटना 30 नवंबर 2017 की है. जब परिजन प्लास्टिक में पैक बच्चे के शव को लेकर जा रहे थे तभी उन्हें उसमें हलचल महसूस हुई, जिसके बाद पता चला कि बच्चा जिंदा है और उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया. घटना पर सख्त कार्रवाई करते हुए दिल्ली सरकार ने मैक्स हॉस्टिपल का लाइसेंस भी रद्द कर दिया था.

6- नवंबर 2017 में उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में जिला अस्पताल से भी एक रूह कंपा देने वाली खबर सामने आई थी. यहां से एक बच्ची के शव को कुत्ता उठा ले गया और किसी को भनक तक नहीं लगी. जब पता चला कि शव गायब है तो अफरा-तफरी मची. अस्पताल ने पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि हमने तो शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया था, अब हर मरीज के बच्चे पर गार्ड और चौकीदार नहीं लगा सकते.

7- फरवरी 2017 में छत्तीसगढ़ के कांकेर से एक ऐसी तस्वीर सामने आई, जिसने सबको झकझोर दिया. खस्ता हाल स्वास्थ्य सेवाओं के चलते अमल मंडल नाम के एक शख्स को पोस्टमार्टम के लिए करीब 22 किलोमीटर तक अपने पिता का शव बाइक पर बांधकर ले जाना पड़ा. न तो अस्पताल प्रशासन ने कोई मदद की ना ही पुलिस ने मदद का हाथ बढ़ाया.

8- एक ऐसा ही मामला मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले से भी सामने आया था, जहां स्कूल में खेलने के दौरान एक बच्चे की मौत हो गई थी. अमानवीयता की हदें तो तब पार हो गईं जब पिता को अपने बेटे के लिए कोई एंबुलेंस या गाड़ी नहीं मिली. आखिरकार, मजबूर पिता ने बेटे को शव को बाइक पर बांधा और पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले गया.

9- अस्पताल के डॉक्टरों और कर्मचारियों की संवेदना मर चुकी है, जिसका उदाहरण छत्तसीगढ़ के बस्तर की ये घटना है. रमेश नाम के शख्स की पत्नी ने मृत बच्चे को जन्म दिया, जिसके बाद उसे अस्पताल प्रशासन ने बेड खाली करने के लिए कहा. मजबूरी में रमेश ने अपने बच्चे का शव एक झोले में रखकर अस्पताल में भटकता रहा. जब किसी पर पहले ही कोई मुसीबत आई हो तो उसे सहारा देने के बजाय अस्पताल उस पर मुसीबतों का पहाड़ क्यों गिरा देते हैं?

10- बिहार के मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला का शव कचरा ट्रॉली से लाया गया था। मामला जून 2017 का है, जब महिला ने अस्पताल के अंदर एक पार्क के नजदीक दम तोड़ दिया था। यहां से पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल ले जाने के लिए महिला को स्ट्रेचर तक की सुविधा नहीं दी गई, उसे बुरी तरह से कचरे की ट्रॉली में उठाकर ले जाया गया। 

आज के समय में अस्पताल शब्द सबसे असंवेदनशील शब्द बन चुका है. जिंदगी बचाने के नाम पर मानो जिंदगी से खिलवाड़ होने लगा है. जिंदा तो जिंदा, मृत शरीर को भी नहीं बख्शा जा रहा है. भले ही शव में जान नहीं होती, लेकिन हड्डियां तोड़कर उसकी पोटली बना देना किसी घिनौने काम से कम नहीं है. सवाल उठता है कि आखिर ऐसी असंवेदनशील घटनाओं पर रोक क्यों नहीं लग रही? जवाब है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई ही नहीं होती है. जब मामला मीडिया में आता है तो थोड़े बहुत सख्त एक्शन ले लिए जाते हैं, लेकिन बाद में उस मामले में क्या हुआ, ये किसी को पता नहीं चलता. तभी अचानक कोई दूसरी घटना हो जाती है और फिर पुरानी घटना को मीडिया भी भूल जाता है और लोग भी.

ये भी पढ़ें-

किसी को प्यार करते हैं तो उसके साथ आपत्तिजनक फोटो कभी न खींचें

त्रिपुरा में लेनिन का गिरना केरल के लिए संकेत है

वो बातें जो एक भारतीय महिला को सबसे ज्यादा डराती हैं!



इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    आम आदमी क्लीनिक: मेडिकल टेस्ट से लेकर जरूरी दवाएं, सबकुछ फ्री, गांवों पर खास फोकस
  • offline
    पंजाब में आम आदमी क्लीनिक: 2 करोड़ लोग उठा चुके मुफ्त स्वास्थ्य सुविधा का फायदा
  • offline
    CM भगवंत मान की SSF ने सड़क हादसों में ला दी 45 फीसदी की कमी
  • offline
    CM भगवंत मान की पहल पर 35 साल बाद इस गांव में पहुंचा नहर का पानी, झूम उठे किसान
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲