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...तो क्या ट्विटर, भारत में भविष्य के लिए खुद को तैयार कर रहा है

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 23 मार्च, 2021 12:03 PM
  • 23 मार्च, 2021 12:03 PM
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भारत में भी बीते कुछ महीनों में ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच किसान आंदोलन को लेकर किए कुछ ट्वीट्स की वजह से तनातनी का माहौल बना हुआ था. भारत सरकार का मानना था कि आंदोलन को समर्थन देने की आड़ में देशविरोधी ताकतें (खालिस्तानी समर्थक और पाकिस्तान) अपना एजेंडा चला रहे हैं. इस तकरार के सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की चर्चा शुरू हो गई थी.

सोशल मीडिया के सबसे बड़े मंच के तौर पर ट्विटर (Twitter) की बादशाहत बरकरार है. ट्विटर एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिस पर दुनियाभर के तमाम राजनेता, अभिनेता, एक्टिविस्ट समेत हर वर्ग के लोग मौजूद हैं. अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of speech) को आधार बनाकर शुरू हुए ट्विटर ने अपनी नीतियों को समय़ के अनुसार कई बार बदला है. यह बदलाव लगातार जारी हैं और हाल ही में ट्विटर ने एक सर्वे जारी किया है. इस सर्वे में ट्विटर ने यूजर्स से पूछा है कि वे वैश्विक नेताओं को 'स्पेशल ट्रीटमेंट' देने के बारे में क्या राय रखते हैं? यहां स्पेशल ट्रीटमेंट का मतलब वैश्विक नेताओं को ट्विटर कंपनी की पॉलिसी और नियमों से छूट देने की बात से हैं. दरअसल, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट बैन करने के बाद ट्विटर की काफी आलोचना हुई थी. लोगों ने इसे 'डिडिटल तानाशाही' तक का नाम दे दिया था. हालांकि, कुछ लोगों ने ये भी कहा था कि ट्विटर को यह कदम काफी पहले उठा लेना चाहिए था. यहां ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ट्विटर को इस तरह के सर्वे की जरूरत क्यों पड़ गई है? क्या वह भारत सरकार के नए दिशा-निर्देशों के लिए खुद को तैयार कर रहा है?

भारत में भी बीते कुछ महीनों में ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच किसान आंदोलन (Farmer Protest) को लेकर किए कुछ ट्वीट्स की वजह से तनातनी का माहौल बना हुआ था. भारत सरकार का मानना था कि आंदोलन को समर्थन देने की आड़ में देशविरोधी ताकतें (खालिस्तानी समर्थक और पाकिस्तान) अपना एजेंडा चला रहे हैं. इस तकरार के सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की चर्चा शुरू हो गई थी. ट्विटर ने उस दौरान कहा था कि भारतीय संविधान के अनुसार, वह किसी की अभिव्यक्ति की आजादी को नहीं छीन सकता है. ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी (Jack Dorsey) ने किसान आंदोलन के समर्थन में किए गए विदेशी हस्तियों के ट्वीट्स को भी लाइक किया था. बीते महीने ही सरकार ने सोशल मीडिया समेत ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर नए दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं. जिसके चलते ट्विटर को आने...

सोशल मीडिया के सबसे बड़े मंच के तौर पर ट्विटर (Twitter) की बादशाहत बरकरार है. ट्विटर एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिस पर दुनियाभर के तमाम राजनेता, अभिनेता, एक्टिविस्ट समेत हर वर्ग के लोग मौजूद हैं. अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of speech) को आधार बनाकर शुरू हुए ट्विटर ने अपनी नीतियों को समय़ के अनुसार कई बार बदला है. यह बदलाव लगातार जारी हैं और हाल ही में ट्विटर ने एक सर्वे जारी किया है. इस सर्वे में ट्विटर ने यूजर्स से पूछा है कि वे वैश्विक नेताओं को 'स्पेशल ट्रीटमेंट' देने के बारे में क्या राय रखते हैं? यहां स्पेशल ट्रीटमेंट का मतलब वैश्विक नेताओं को ट्विटर कंपनी की पॉलिसी और नियमों से छूट देने की बात से हैं. दरअसल, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अकाउंट बैन करने के बाद ट्विटर की काफी आलोचना हुई थी. लोगों ने इसे 'डिडिटल तानाशाही' तक का नाम दे दिया था. हालांकि, कुछ लोगों ने ये भी कहा था कि ट्विटर को यह कदम काफी पहले उठा लेना चाहिए था. यहां ये सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ट्विटर को इस तरह के सर्वे की जरूरत क्यों पड़ गई है? क्या वह भारत सरकार के नए दिशा-निर्देशों के लिए खुद को तैयार कर रहा है?

भारत में भी बीते कुछ महीनों में ट्विटर और केंद्र सरकार के बीच किसान आंदोलन (Farmer Protest) को लेकर किए कुछ ट्वीट्स की वजह से तनातनी का माहौल बना हुआ था. भारत सरकार का मानना था कि आंदोलन को समर्थन देने की आड़ में देशविरोधी ताकतें (खालिस्तानी समर्थक और पाकिस्तान) अपना एजेंडा चला रहे हैं. इस तकरार के सामने आने के बाद से ही सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की चर्चा शुरू हो गई थी. ट्विटर ने उस दौरान कहा था कि भारतीय संविधान के अनुसार, वह किसी की अभिव्यक्ति की आजादी को नहीं छीन सकता है. ट्विटर के सीईओ जैक डॉर्सी (Jack Dorsey) ने किसान आंदोलन के समर्थन में किए गए विदेशी हस्तियों के ट्वीट्स को भी लाइक किया था. बीते महीने ही सरकार ने सोशल मीडिया समेत ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर नए दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए हैं. जिसके चलते ट्विटर को आने वाले समय में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. संभावना है कि ट्विटर ने इसी को मद्देनजर रखते हुए सर्वे कराने का फैसला लिया है. माना जा रहा है कि इस सर्वे के आधार पर ट्विटर भारत में अपनी भविष्य की पॉलिसी तय करेगा.

ट्विटर अपने इस सर्वे का इस्तेमाल भारत में यूजर्स और दुनिया के सामने अभिव्यक्ति की आजादी पर 'हमले' के रूप में कर सकता है.

भारत सरकार के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, सोशल मीडिया कंपनियों को कोर्ट के आदेश या सरकार द्वारा पूछे जाने पर गलत या भ्रामक कंटेंट फैलाने वाले शख्स की जानकारी देनी होगी. यूजर्स की शिकायतें दूर करने के लिए ग्रीवांस मैकेनिज्म बनाने को भी सरकार ने कहा है. माना जा रहा है कि ट्विटर अपने इस सर्वे का इस्तेमाल भारत में यूजर्स और दुनिया के सामने अभिव्यक्ति की आजादी पर 'हमले' के रूप में कर सकता है. ट्विटर अपने इस सर्वे के बाद यूजर्स से कह सकता है कि भारत में सरकार ने उसके लिए नियम इतने कड़े कर दिए हैं कि वह लोगों के सामने सच्चाई (अपने नियमों के अनुसार) नहीं ला पा रहा है. यहां ध्यान देना होगा संयुक्त राज्य अमेरिका (SA) और जापान (Japan) के बाद भारत (India) ट्विटर के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार है.

ट्विटर पर लंबे समय से दुनियाभर के चुनावों को 'अपरोक्ष' रूप से प्रभावित करने के आरोप लगते रहे हैं. बीते साल अमेरिका में हुए राष्ट्रपति चुनाव के दौरान ट्विटर ने डोनाल्ड ट्रंप के कई ट्वीट्स को 'गलत जानकारी' के तौर पर फ्लैग करना शुरू कर दिया था. माइक्रोब्लॉगिंग साइट ने नतीजे आने के बाद भड़की हिंसा का दोषी मानते हुए ट्रंप का अकाउंट बैन कर दिया था. उस समय भी सवाल उठे थे कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति का अकाउंट को बंद करने की ताकत ट्विटर को किसने दी है? एक निजी कंपनी वैश्विक राजनीति से जुड़े मामलों पर इतनी आसानी से फैसला कैसे ले सकती है? ट्रंप के ट्वीटस को 'फेक' फ्लैग करने के मामले पर ट्विटर का बचाव करते हुए कंपनी के सीईओ जैक डॉर्सी ने कहा था कि इसके लिए सीधे तौर पर मैं जिम्मेदार हूं. हम आने वाले समय में चुनावों के बारे में ऐसी गलत और विवादास्पद सूचनाओं को दुनिया के सामने लाते रहेंगे.

कहा जा सकता है कि अपने इसी फैसले को सही ठहराने की कोशिश में ट्विटर ने यह सर्वे कराने का निर्णय लिया हो. साथ ही भविष्य में तीसरे सबसे बड़े बाजर भारत में सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए भी ट्विटर खुद को तैयार कर रहा है. बीते साल ट्विटर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का ट्विटर अकाउंट भी कुछ समय के लिए अस्थायी रूप से बंद कर दिया था. हालांकि, ट्विटर ने इसे एल्गोरिदम द्वारा कॉपीराइट का मामला बताकर की गई कार्रवाई माना था और अनजाने में हुई गलती कहा था. ट्विटर की ओर से जारी किए गए इस सर्वे में यूजर्स के सामने एक सवाल का जवाब देने के लिए पांच विकल्प रखे गए हैं. काल्पनिक स्थितियों पर पूछे गए सवालों के लिए ट्विटर ने यूजर्स को तत्काल अकाउंट बंद करने, फिर ट्वीट करने से पहले विवादित ट्वीट डिलीट करने, ट्वीट की रीच (लाइक, रिट्वीट और कमेंट को ब्लॉक करने) को कम करने, ट्वीट को 'फ्लैग' करने और कोई कार्रवाई ना करने जैसे विकल्प दिए हैं.

ट्विटर का यह सर्वे 14 भाषाओं में है और इसमें हिंदी भी शामिल है. बीती 19 मार्च को शुरू हुआ ये सर्वे 12 अप्रैल तक चलेगा. ट्विटर ने अपने ग्लोबल यूजर्स से 'प्लेटफॉर्म पॉलिसी और भविष्य की यात्रा' तय करने को लेकर राय मांगी है. ट्विटर के इस सर्वे को देखकर आसानी से कहा जा सकता है कि सोशल मीडिया कंपनी भारत में अपने भविष्य को लेकर अभी से तैयारियों में जुट गई है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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