• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सोशल मीडिया

‘जब पैसे नहीं थे तो लॉक नहीं करना था कलेक्टर’ यह चोर कैसे बन गया हीरो?

    • ज्योति गुप्ता
    • Updated: 11 अक्टूबर, 2021 08:48 PM
  • 11 अक्टूबर, 2021 08:48 PM
offline
सोशल मीडिया पर एक चोर की पर्ची की फोटो वायरल हो रही है जो शायद आप तक भी पहुंची होगी जिसमें लिखा है कि ‘जब पैसे नहीं थे तो लॉक नहीं करना था कलेक्टर’...इस लाइन को पढ़कर लगता है चोर ने ताला खोलने की बड़ी कोशिश की होगी लेकिन जब पैसे हांथ नहीं लगे तो गुस्से में ये चिट्ठी लिखकर छोड़कर चला गया. चलिए बताते हैं कि बात क्या है?

चोर गए तो थे कलेक्टर साहब के घर चोरी करने...उन्होंने लॉक भी बड़ी शिद्दत और मेहनत से तोड़ी थी लेकिन जब वहां कैस पैसे नहीं मिले तो उसने कुछ ऐसा किया कि अब लोगों ने उसे हीरो ही बना दिया. सोशल मीडिया पर कोई उसे ईमानदार चोर कह रहा तो कोई कह रहा भाई आत्मविश्वास हो तो ऐसा. क्या इसे डर नहीं लगता?

असल में सोशल मीडिया पर एक चोर की पर्ची की फोटो वायरल हो रही है जो शायद आप तक भी पहुंची होगी जिसमें लिखा है कि ‘जब पैसे नहीं थे तो लॉक नहीं करना था कलेक्टर’...इस लाइन को पढ़कर लगता है चोर ने ताला खोलने की बड़ी कोशिश की होगी लेकिन जब पैसे हांथ नहीं लगे तो गुस्से में ये चिट्ठी लिखकर छोड़कर चला गया. चलिए बताते हैं कि बात क्या है?

ऐसे चोरों के बारे में क्या कहा जाए समझ नहीं आता

दरअसल, मध्य प्रदेश से एक बड़ी ही आजीब चोरी की घटना सामने आई है. देवास में डिप्टी कलेक्टर के घर ही चोर घुस गए और 30 हजार रुपए कैश और कुछ चांदी की ज्वैलरी चुरा ले गए. उन चोरों ने शायद कलेक्टर साहब के घर से ज्यादा नकदी की उम्मीद की थी लेकिन उन्हें शायद कैशलेस इंडिया का ध्यान नहीं रहा. भाई साहब इस जमाने में घर में ज्यादा कैश कौन रखता है? उनकी हिम्मत तो देखिए उन्होंने आस-पास रहने वाले शीर्ष अधिकारियों की परवाह तक नहीं की. अब तो ऑटो वाले से लेकर सब्जी वाले तक सभी ऐप से ही काम चलाते हैं. लगता है चोर, पुराने जमाने के थे.

और तो और चोरों ने एसडीएम के ही पेन और पैड से लिखकर पर्ची छोड़कर आ गए. जैसे वे सामने वाले कि बेइज्जती खराब कर रहे हों या मजे ले रहे हों. ऐसा अक्सर फिल्मों में होता है. एक बार चोर ने इसी तरह पर्ची पर लिखा कि माफ करना पता नहीं था कि कोरोना की दवाई है और इतना कहकर उसने दवाई वापस कर दी थी.

एक बार बुजुर्ग दंपत्ति को लूटने वालों ने...

चोर गए तो थे कलेक्टर साहब के घर चोरी करने...उन्होंने लॉक भी बड़ी शिद्दत और मेहनत से तोड़ी थी लेकिन जब वहां कैस पैसे नहीं मिले तो उसने कुछ ऐसा किया कि अब लोगों ने उसे हीरो ही बना दिया. सोशल मीडिया पर कोई उसे ईमानदार चोर कह रहा तो कोई कह रहा भाई आत्मविश्वास हो तो ऐसा. क्या इसे डर नहीं लगता?

असल में सोशल मीडिया पर एक चोर की पर्ची की फोटो वायरल हो रही है जो शायद आप तक भी पहुंची होगी जिसमें लिखा है कि ‘जब पैसे नहीं थे तो लॉक नहीं करना था कलेक्टर’...इस लाइन को पढ़कर लगता है चोर ने ताला खोलने की बड़ी कोशिश की होगी लेकिन जब पैसे हांथ नहीं लगे तो गुस्से में ये चिट्ठी लिखकर छोड़कर चला गया. चलिए बताते हैं कि बात क्या है?

ऐसे चोरों के बारे में क्या कहा जाए समझ नहीं आता

दरअसल, मध्य प्रदेश से एक बड़ी ही आजीब चोरी की घटना सामने आई है. देवास में डिप्टी कलेक्टर के घर ही चोर घुस गए और 30 हजार रुपए कैश और कुछ चांदी की ज्वैलरी चुरा ले गए. उन चोरों ने शायद कलेक्टर साहब के घर से ज्यादा नकदी की उम्मीद की थी लेकिन उन्हें शायद कैशलेस इंडिया का ध्यान नहीं रहा. भाई साहब इस जमाने में घर में ज्यादा कैश कौन रखता है? उनकी हिम्मत तो देखिए उन्होंने आस-पास रहने वाले शीर्ष अधिकारियों की परवाह तक नहीं की. अब तो ऑटो वाले से लेकर सब्जी वाले तक सभी ऐप से ही काम चलाते हैं. लगता है चोर, पुराने जमाने के थे.

और तो और चोरों ने एसडीएम के ही पेन और पैड से लिखकर पर्ची छोड़कर आ गए. जैसे वे सामने वाले कि बेइज्जती खराब कर रहे हों या मजे ले रहे हों. ऐसा अक्सर फिल्मों में होता है. एक बार चोर ने इसी तरह पर्ची पर लिखा कि माफ करना पता नहीं था कि कोरोना की दवाई है और इतना कहकर उसने दवाई वापस कर दी थी.

एक बार बुजुर्ग दंपत्ति को लूटने वालों ने उनके पैर छूकर माफी मांगी थी और कहा कि माफ करना मजबूरी थी...हम आपके पैसे लौट देंगे. अब ऐसे चोरों के बारे में क्या कहा जाए समझ नहीं आता. पर्ची कितनी भी लिख लें काम तो गलत ही है लेकिन इनके स्वैग तो सबसे अलग ही निकले, इतनी इमानदारी अगर नेता दिखा दें तो देश के हालात बदल जाएं...तो सफेद पोशाक पहनकर जनता के साथ चोरी भी करते हैं और सीनाजोरी भी…नेताओं को चोरों से ईमानदारी सीखने की जरूरत है...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    नाम बदलने की सनक भारी पड़ेगी एलन मस्क को
  • offline
    डिजिटल-डिजिटल मत कीजिए, इस मीडियम को ठीक से समझिए!
  • offline
    अच्छा हुआ मां ने आकर क्लियर कर दिया, वरना बच्चे की पेंटिंग ने टीचर को तारे दिखा दिए थे!
  • offline
    बजरंग पुनिया Vs बजरंग दल: आना सरकार की नजरों में था लेकिन फिर दांव उल्टा पड़ गया!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲