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सरदार पटेल की प्रतिमा वाली ये तस्वीर दिल छू रही है, लेकिन इसका सच हैरान करता है !

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 31 अक्टूबर, 2018 11:25 AM
  • 31 अक्टूबर, 2018 11:25 AM
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जहां एक ओर सरदार पटेल की प्रतिमा का उद्घाटन हो गया है, वहीं दूसरी ओर, पिछले कुछ दिनों से इससे जुड़ी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. यह तस्वीर लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है.

पीएम मोदी ने सरदार पटेल की प्रतिमा का उद्घाटन कर दिया है. वहीं पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी एक ऐसी तस्वीर वायरल हो रही है जिसे देखकर किसी का भी दिल पसीज सकता है. तस्वीर में पीछे की तरफ सरदार पटेल की प्रतिमा दिख रही है, जबकि आगे एक गरीब महिला अपने बच्चों के साथ जमीन पर चूल्हा बनाकर उस पर खाना पका रही है और अपने बच्चों को खिला रही है. तस्वीर के साथ लिखा हुआ है- 'अगर सरदार पटेल जिंदा होते तो क्या इस बात की इजाजत देते कि आदिवासी किसानों की जमीन और खेत छीनकर उस पर उनकी मूर्ति बनाई जाए?' तस्वीर को जो भी देख रहा है शेयर कर रहा है. यही वजह है कि तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है.

यह तस्वीर लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है.

दरअसल, कई गांवों और आदिवासी संगठनों ने सरदार पटेल की मूर्ति के अनावरण के कार्यक्रम में न जाने का फैसला किया है. ये लोग इस कार्यक्रम का बहिष्कार यह कहते हुए कर रहे हैं कि जिस जमीन पर पटेल की मूर्ति बनाई गई है वह आदिवासियों की है. 31 अक्टूबर को 'काला दिवस' की तरह मनाने की भी तैयारी है.

झूठी है तस्वीर

एक पोस्ट के साथ जो तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, वह लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है. इस तस्वीर को पत्रकार दिलीप मंडल, महाराष्ट्र प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की सचिव शिल्पा बोडखे और आम आदमी पार्टी के एक समर्थक ने भी शेयर किया है, जो कि फर्जी है. दरअसल, इस तस्वीर को फोटोशॉप के जरिए बनाया गया है, जिसमें दो तस्वीरों को एक साथ जोड़ दिया गया है. इसमें गरीब महिला और बच्चे की जो तस्वीर दिख रही है, वह अलग है.

8 साल पुरानी है तस्वीर

गरीब महिला और उसके बच्चों की तस्वीर 8 साल पुरानी 26 फरवरी 2010 की है, जो फोटो और न्यूज एजेंसी रायटर्स की वेबसाइट पर मौजूद है. इस तस्वीर को...

पीएम मोदी ने सरदार पटेल की प्रतिमा का उद्घाटन कर दिया है. वहीं पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर इससे जुड़ी एक ऐसी तस्वीर वायरल हो रही है जिसे देखकर किसी का भी दिल पसीज सकता है. तस्वीर में पीछे की तरफ सरदार पटेल की प्रतिमा दिख रही है, जबकि आगे एक गरीब महिला अपने बच्चों के साथ जमीन पर चूल्हा बनाकर उस पर खाना पका रही है और अपने बच्चों को खिला रही है. तस्वीर के साथ लिखा हुआ है- 'अगर सरदार पटेल जिंदा होते तो क्या इस बात की इजाजत देते कि आदिवासी किसानों की जमीन और खेत छीनकर उस पर उनकी मूर्ति बनाई जाए?' तस्वीर को जो भी देख रहा है शेयर कर रहा है. यही वजह है कि तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है.

यह तस्वीर लोगों को गुमराह करने का काम कर रही है.

दरअसल, कई गांवों और आदिवासी संगठनों ने सरदार पटेल की मूर्ति के अनावरण के कार्यक्रम में न जाने का फैसला किया है. ये लोग इस कार्यक्रम का बहिष्कार यह कहते हुए कर रहे हैं कि जिस जमीन पर पटेल की मूर्ति बनाई गई है वह आदिवासियों की है. 31 अक्टूबर को 'काला दिवस' की तरह मनाने की भी तैयारी है.

झूठी है तस्वीर

एक पोस्ट के साथ जो तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, वह लोगों में भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है. इस तस्वीर को पत्रकार दिलीप मंडल, महाराष्ट्र प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की सचिव शिल्पा बोडखे और आम आदमी पार्टी के एक समर्थक ने भी शेयर किया है, जो कि फर्जी है. दरअसल, इस तस्वीर को फोटोशॉप के जरिए बनाया गया है, जिसमें दो तस्वीरों को एक साथ जोड़ दिया गया है. इसमें गरीब महिला और बच्चे की जो तस्वीर दिख रही है, वह अलग है.

8 साल पुरानी है तस्वीर

गरीब महिला और उसके बच्चों की तस्वीर 8 साल पुरानी 26 फरवरी 2010 की है, जो फोटो और न्यूज एजेंसी रायटर्स की वेबसाइट पर मौजूद है. इस तस्वीर को गुजरात के अहमदाबाद में खींचा गया था. यह तस्वीर उस दौरान खींची गई थी, जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट पेश किया था. अब इसी तस्वीर को सरदार पटेल की तस्वीर के साथ जोड़कर लोगों को गुमराह किया जा रहा है.

गरीब महिला और उसके बच्चों की तस्वीर 8 साल पुरानी 26 फरवरी 2010 की है.

इस तस्वीर पर लोग बहुत ही जल्दी भरोसा कर ले रहे हैं, क्योंकि आदिवासी लोगों की जमीन पर मूर्ति बनाने के आरोप भाजपा पर लग ही रहे हैं. इसी बीच कई गांवों और आदिवासी संगठनों द्वारा सरदार पटेल की मूर्ति के कार्यक्रम का बहिष्कार आग में घी की तरह काम कर रहा है और यह तस्वीर जंगल में आग की तरह सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है. हालांकि, वायरल हो रही इस तस्वीर में सरदार पटेल की तस्वीर कब ली गई है, उसका अभी पता नहीं चल सका है. अगर आप जानते हैं कि ये तस्वीर कब ली गई है, तो नीचे कमेंट बॉक्स में जरूर बताइए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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