• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सोशल मीडिया

मोदी सरकार के विरोध में उतरे आर्कबिशप का बात कहने का तरीका और माध्यम सरासर गलत है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 23 मई, 2018 12:21 PM
  • 23 मई, 2018 12:21 PM
offline
दिल्ली के आर्कबिशप ने लोकसभा चुनाव को लेकर जिस तरह पत्र लिखा उससे साफ है कि कहीं न कहीं धर्म की आड़ लेकर वो अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं. बहरहाल आम लोगों द्वारा इस मुद्दे पर उनकी आलोचना शुरू हो गयी है और उन्हें आड़े हाथों लिया जा रहा है.

2014 के लोकसभा चुनाव से पहले की बात है. देश में ऐसे कम ही लोग थे जो पीएम मोदी से परिचित थे. कह सकते हैं कि तब देश में पीएम मोदी को जानने वाले लोगों की संख्या उतनी ही थी जितना दाल में नमक होता है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आए और पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में बोलना शुरू किया लोगों को उनमें उम्मीद की एक किरण दिखाई दी. देश के एक बड़े वर्ग को लगा कि निश्चित तौर पर ये आदमी देश बदलने की सामर्थ्य रखता है और इसके पास विजन है. चुनाव हुए और नतीजे आए. मालूम चला कि देश के लोगों ने पीएम मोदी और उनकी नीतियों को हाथों हाथ लिया है.

2014 से 2018 तक के इन चार सालों का यदि अवलोकन करें तो मिलेगा कि प्रधानमंत्री के सत्ता संभालने के बाद देश साफ तौर पर दो वर्गों में विभाजित हो गया है. एक वर्ग उनका समर्थक है. ये वो वर्ग है जो अपने पीएम पर आंख मूंद के भरोसा करता है. उनकी नीतियों की सराहना करता है. दूसरा इस देश का वो वर्ग है जो, मौका चाहे जो भी है इसी फिराक में रहता है कि उसे ऐसा क्या मिल जाए जिसके दम पर वो पीएम और उनकी नीतियों की आलोचना कर सके.

आर्कबिशप ने सभी पादरियों को देश की स्थिति के बारे में कहते हुए एक पत्र लिखा

बात जब मोदी विरोध की आ रही है तो दिल्ली के आर्कबिशप को देखकर लगता है कि वो एक ऐसे व्यक्ति है जो उस दूसरे वर्ग से हैं. जिसका एकमात्र उद्देश अपने प्रधानमंत्री को नीचा दिखाना और उसका विरोध करना है. दिल्ली के आर्कबिशप ने प्रधामंत्री और भाजपा को लेकर एक चिट्ठी लिखी है, जिसके बाद वो विवादों के घेरे में आ गए हैं. देश के तमाम पादरियों से मुखातिब अपनी चिट्ठी में आर्कबिशप अनिल काउटो ने "नरेंद्र मोदी की सरकार दोबारा न बन पाए" इसके लिए दुआ करने का आग्रह किया है. इसी के साथ उन्होंने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को अशांत बताया है.

देश भर के...

2014 के लोकसभा चुनाव से पहले की बात है. देश में ऐसे कम ही लोग थे जो पीएम मोदी से परिचित थे. कह सकते हैं कि तब देश में पीएम मोदी को जानने वाले लोगों की संख्या उतनी ही थी जितना दाल में नमक होता है. जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आए और पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में बोलना शुरू किया लोगों को उनमें उम्मीद की एक किरण दिखाई दी. देश के एक बड़े वर्ग को लगा कि निश्चित तौर पर ये आदमी देश बदलने की सामर्थ्य रखता है और इसके पास विजन है. चुनाव हुए और नतीजे आए. मालूम चला कि देश के लोगों ने पीएम मोदी और उनकी नीतियों को हाथों हाथ लिया है.

2014 से 2018 तक के इन चार सालों का यदि अवलोकन करें तो मिलेगा कि प्रधानमंत्री के सत्ता संभालने के बाद देश साफ तौर पर दो वर्गों में विभाजित हो गया है. एक वर्ग उनका समर्थक है. ये वो वर्ग है जो अपने पीएम पर आंख मूंद के भरोसा करता है. उनकी नीतियों की सराहना करता है. दूसरा इस देश का वो वर्ग है जो, मौका चाहे जो भी है इसी फिराक में रहता है कि उसे ऐसा क्या मिल जाए जिसके दम पर वो पीएम और उनकी नीतियों की आलोचना कर सके.

आर्कबिशप ने सभी पादरियों को देश की स्थिति के बारे में कहते हुए एक पत्र लिखा

बात जब मोदी विरोध की आ रही है तो दिल्ली के आर्कबिशप को देखकर लगता है कि वो एक ऐसे व्यक्ति है जो उस दूसरे वर्ग से हैं. जिसका एकमात्र उद्देश अपने प्रधानमंत्री को नीचा दिखाना और उसका विरोध करना है. दिल्ली के आर्कबिशप ने प्रधामंत्री और भाजपा को लेकर एक चिट्ठी लिखी है, जिसके बाद वो विवादों के घेरे में आ गए हैं. देश के तमाम पादरियों से मुखातिब अपनी चिट्ठी में आर्कबिशप अनिल काउटो ने "नरेंद्र मोदी की सरकार दोबारा न बन पाए" इसके लिए दुआ करने का आग्रह किया है. इसी के साथ उन्होंने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को अशांत बताया है.

देश भर के पादरियों को संबोधित अपनी चिट्ठी में आर्कबिशप ने लिखा है कि, हम अशांत राजनीतिक माहौल में जी रहे हैं. लोकतांत्रिक सिद्धांत और धर्मनिरपेक्ष ताना बाना खतरे में है. देश और राजनेताओं के लिए प्रार्थना करना हमारी परंपरा है. आम चुनाव आने वाले हैं ऐसे में ये हमारे लिए और भी जरूरी हो जाता है. बिशप ने कहा कि ईसाई समुदाय विशेष कर शुक्रवार को देश के लिए प्रार्थना करें. इसके अलावा बिशप ने पादरियों से अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए प्रार्थना के अलावा उपवास रखने के लिए भी कहा है.

आर्कबिशप की इस चिट्ठी को अगर ध्यान से देखें तो मिलता है कि इसके पीछे उनकी एक गहरी राजनीति है. एक ऐसी राजनीति, जिसके दम पर देश जोड़ने के नाम पर वो न सिर्फ देश तोड़ने का काम कर रहे हैं बल्कि अपने समुदाय को बरगला रहे हैं और उनके बीच एक बेवजह का डर पैदा कर रहे हैं. आम चुनाव आने से पहले धर्म की आड़ लेकर जिस तरह से आर्कबिशप ने ये चिट्ठी लिखी है उससे इतना तो तय है कि आने वाले वक़्त में इस चिट्ठी के परिणाम बेहद घातक होंगे.

आर्कबिशप की चिट्ठी गहरी राजनीति की तरफ इशारा कर रही है

गौरतलब है कि मोदी विरोध के चलते आए रोज जिस तरह से आलोचकों द्वारा नए-नए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, वो बता रहे हैं कि इन चंद धर्म के ठेकेदारों के चलते देश की अस्मिता खतरे में है. एक ऐसे दौर में जब देश के लोगों में अलग-अलग मुद्दों को लेकर तनाव बना हुआ है आर्कबिशप का ये पत्र कई मायनों में विचलित करने वाला है. कहा जा सकता है कि अपने इस पत्र से पहले आर्कबिशप को कम से कम एक बार इस बात को गहनता से सोचना था कि यदि उनके खत से प्रभावित होकर हिन्दू कट्टरपंथी भी पत्र लिखने लगे तो उसका अंजाम क्या होगा?

बहरहाल, सोशल मीडिया पर लोग आर्कबिशप के इस पत्र पर खुल कर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. यदि उन प्रतिक्रियाओं पर नजर डालें तो मिल रहा है कि देश के लोग बिल्कुल भी आर्कबिशप की बात से इत्तेफाक नहीं रखते. लोग भी इस बात से सहमत हैं कि ये आर्कबिशप की एक खतरनाक चाल है जिसके दम पर वो केवल अपना स्वार्थ सिद्ध कर रहे हैं.

ट्विटर सेलेब्रिटियों में शुमार शेफाली वैद्य ने आर्क बिशप को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि जब कांची के शंकराचार्य धर्मान्तरण के खिलाफ बोलते हैं तो वह सांप्रदायिक होता है. लेकिन दिल्ली के आर्कबिशप कह रहे हैं कि एक "सेक्युलर सरकार" चुनने के लिए ईसाई हर शुक्रवार प्रार्थना करें वो अल्पसंख्यक अधिकार हैं. अच्छा लगा.

वहीं ट्विटर पर जिग्ग्स नाम के यूजरनेम ने बड़े ही मजाहिया अंदाज में आर्कबिशप को जवाब दिया है और कहा है कि अगर ऐसा ही रहा तो बीजेपी 50 सालों तक सत्ता में रहेगी.

संघ विचारक राकेश सिन्हा ने भी आर्क बिशप की इस बात को गंभीरता से लिया है और अपने खास अंदाज में इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.

महेश नाम के यूजर नेम ने ट्विटर पर इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देकर बता दिया है कि आखिर आर्कबिशप प्रधान मंत्री और उनकी नीतियों से इतना परेशान क्यों हैं.

@royally_fiery का भी ट्वीट इस मुद्दे पर गौर करने वाला है.

ट्विटर पर लोग लगातार इस मुद्दे पर आर्कबिशप की आलोचना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि उन्होंने ये किया निश्चित तौर पर गलत किया.

ट्विटर पर सुनंदा वसिष्ठ का भी ट्वीट एक समझदारी भरा ट्वीट कहा जाएगा जिसमें बड़े ही साफ सुथरे लहजे में आर्कबिशप की आलोचना की गयी है.

सोनम महाजन के ट्वीट से भी साफ है कि वो भी आर्क बिशप की बात से सहमत नहीं हैं और उन्होंने बड़े ही तीखे शब्दों में उनकी आलोचना की है.

खैर सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लोगों के ट्वीट देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि जहां एक तरफ वो आर्कबिशप की बात से खफा हैं. तो वहीं उन्हें हैरानी भी है कि कैसे प्रधानमंत्री और उनकी नीतियों का विरोध करने के लिए एक धर्मगुरु ने अपने धर्म को अपना हथियार बनाया है जिससे वो सारे समुदाय को बरगलाने का काम कर रहा है.

ये भी पढ़ें-

दिल्ली के आर्चबिशप ने 'शाही इमाम' वाली बात क्यों कह दी...

जल्द ही रिलीज हो सकती है ये फिल्म, 'जब तेल बना अंगारा'

2019 लोकसभा चुनाव में मोदी के खिलाफ इस्तेमाल होगा 'कर्नाटक-फॉर्मूला'


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    नाम बदलने की सनक भारी पड़ेगी एलन मस्क को
  • offline
    डिजिटल-डिजिटल मत कीजिए, इस मीडियम को ठीक से समझिए!
  • offline
    अच्छा हुआ मां ने आकर क्लियर कर दिया, वरना बच्चे की पेंटिंग ने टीचर को तारे दिखा दिए थे!
  • offline
    बजरंग पुनिया Vs बजरंग दल: आना सरकार की नजरों में था लेकिन फिर दांव उल्टा पड़ गया!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲