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ईरान में मुल्लों का 'तख़्तापलट' !

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 31 दिसम्बर, 2017 01:48 PM
  • 31 दिसम्बर, 2017 01:48 PM
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ईरान की जनता सड़कों पर है और सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन देखकर लग रहा है कि यदि हालात नहीं संभले तो ईरान की हुकूमत एक बड़ी परेशानी में पड़ने वाली है.

इन दिनों देश दुनिया में लोग किसी न किसी बात से अपनी सरकारों से खफा हैं और किसी न किसी बात को लेकर अपने-अपने तरीकों से विरोध दर्ज कर रहे हैं. ताजा मामला मुस्लिम राष्ट्र ईरान का है. ईरान के लोगों की सड़कों पर आने की वजह बढ़ी हुई कीमतें थीं. फिर मुद्दा बदल गया, अब लोग मौलवियों के शासन के ख़िलाफ़ सड़कों पर अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं. 2009 के बाद ये पहला मौका है जब मुस्लिम राष्ट्र ईरान में इस तरह का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. 2009 में विवादित चुनावों के मद्देनजर लोग सड़कों पर एकजुट हुए थे.

यदि ईरान ने अपने लोगों की बात नहीं मानी तो भविष्य में स्थिति गंभीर होगी

बताया जा रहा है कि राजधानी तेहरान में विरोध प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों को पुलिस द्वारा हिरासत में भी लिया गया है. साथ ही सरकार का ये भी फरमान है कि किसी भी स्थान पर लोग एकजुट न हों. सरकार के इस फैसले पर भी लोगों ने रोष प्रकट किया है और इस बात के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर प्रदर्शन के लिए जमा होने की अपीलें की जा रही हैं.

तो आखिर इस प्रदर्शन की वजह क्या है

ईरान के लोग कट्टर इस्लामिक शासन के तौर-तरीकों से त्रस्त हैं. वो उस आजादी और खुलेपन की मांग कर रहे हैं जो शाह ईरान के समय में देश की जनता को हासिल थी. इसके अलावा स्थानीय नागरिकों का ये भी मानना है कि जिस सरकार को अपने आंतरिक मसलों पर ध्यान देना चाहिए वो सीरिया, लेबनान आदि देशों के चरमपंथी गुटों को समर्थन देने की नीति पर काम कर रही है. ये सरासर गलत है.

राजधानी तेहरान समेत अन्य शहरों की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोग ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता सैयद अली खामनायी समेत अन्य मौलानाओं और मौलवियों की नीतियों के खिलाफ हैं और मांग कर रहे हैं कि उन्हें कट्टरपंथ से आजादी मिले ताकि वो खुल के अपनी जिंदगी जी...

इन दिनों देश दुनिया में लोग किसी न किसी बात से अपनी सरकारों से खफा हैं और किसी न किसी बात को लेकर अपने-अपने तरीकों से विरोध दर्ज कर रहे हैं. ताजा मामला मुस्लिम राष्ट्र ईरान का है. ईरान के लोगों की सड़कों पर आने की वजह बढ़ी हुई कीमतें थीं. फिर मुद्दा बदल गया, अब लोग मौलवियों के शासन के ख़िलाफ़ सड़कों पर अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं. 2009 के बाद ये पहला मौका है जब मुस्लिम राष्ट्र ईरान में इस तरह का प्रदर्शन देखने को मिल रहा है. 2009 में विवादित चुनावों के मद्देनजर लोग सड़कों पर एकजुट हुए थे.

यदि ईरान ने अपने लोगों की बात नहीं मानी तो भविष्य में स्थिति गंभीर होगी

बताया जा रहा है कि राजधानी तेहरान में विरोध प्रदर्शन कर रहे कुछ लोगों को पुलिस द्वारा हिरासत में भी लिया गया है. साथ ही सरकार का ये भी फरमान है कि किसी भी स्थान पर लोग एकजुट न हों. सरकार के इस फैसले पर भी लोगों ने रोष प्रकट किया है और इस बात के खिलाफ भी सोशल मीडिया पर प्रदर्शन के लिए जमा होने की अपीलें की जा रही हैं.

तो आखिर इस प्रदर्शन की वजह क्या है

ईरान के लोग कट्टर इस्लामिक शासन के तौर-तरीकों से त्रस्त हैं. वो उस आजादी और खुलेपन की मांग कर रहे हैं जो शाह ईरान के समय में देश की जनता को हासिल थी. इसके अलावा स्थानीय नागरिकों का ये भी मानना है कि जिस सरकार को अपने आंतरिक मसलों पर ध्यान देना चाहिए वो सीरिया, लेबनान आदि देशों के चरमपंथी गुटों को समर्थन देने की नीति पर काम कर रही है. ये सरासर गलत है.

राजधानी तेहरान समेत अन्य शहरों की सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे लोग ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता सैयद अली खामनायी समेत अन्य मौलानाओं और मौलवियों की नीतियों के खिलाफ हैं और मांग कर रहे हैं कि उन्हें कट्टरपंथ से आजादी मिले ताकि वो खुल के अपनी जिंदगी जी सकें.

गौरतलब है कि ईरान के अलग- अलग हिस्सों में हो रहे इन विरोध प्रदर्शनों में महिलाएं भी खुलकर भाग ले रही हैं. ट्विटर पर कई ऐसे वीडियो दिख रहे हैं जिसमें ईरान की महिलाएं अपना हिजाब उतार कर अपना विरोध दर्ज कर रही हैं और मौजूद सुरक्षा कर्मियों को आड़े हाथों ले रही हैं. ध्यान रहे की अब तक ईरान में हिजाब न पहनने वाली महिलाओं को सरकार द्वारा दंडित किया जाता रहा है.

ईरान में हो रहे इन विरोध प्रदर्शनों को अपना समर्थन देते हुए अमेरिका ने ईरान की मौजूदा हुकूमत की कड़े शब्दों में निंदा की है. व्हाइट हाउस ने अपने एक बयान में इस बात की ओर साफ तौर से इशारा किया है कि ईरानी नागरिक भ्रष्ट शासन और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए देश के पैसे का इस्तेमाल होने से आजिज आ गए हैं.

आपको बताते चलें कि प्रदर्शनकारी 'हिजबुल्लाह को मौत', 'सैयद अली खामनायी शर्म करो, हमारा देश छोड़कर जाओ', 'हम एक इस्लामी गणतंत्र नहीं चाहते', 'युवा बेरोजगार हैं और मुल्लाओं के पास सभी पद हैं' जैसे नारे लगा रहे हैं. लोगों को इस तरह नारे लगाते देखकर एक बात तो साफ है कि यदि वक़्त रहते ईरान की हुकूमत ने इसे गंभीरता से नहीं लिया तो फिर आने वाले वक़्त में इसे संभालना लगभग नामुमकिन हो जाएगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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