• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सोशल मीडिया

IVF से जुड़ी हर झिझक तोड़ रही है ये वायरल तस्वीर

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 20 अगस्त, 2018 07:24 PM
  • 20 अगस्त, 2018 07:24 PM
offline
एक कपल ने IVF प्रोसेस में इस्तेमाल की गई हर एक सिरिंज को संभालकर रखा और उनके साथ अपनी बच्ची की तस्वीर ली. ये तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है जो एक खास संदेश देती है.

एक बच्चे की कीमत क्या होती है ये वही बता सकता है जिनके बच्चे नहीं हैं. हालांकि आजकल मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब बच्चे का सुख हर कोई पा सकता है. लेकिन उसकी कीमत भी चुकानी होती धैर्य, दर्द, और पैसे के रूप में.

आज एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. जो यही बताने की कोशिश कर रही है कि एक बच्चे को पाने के लिए मां-बाप सिर्फ संबंध नहीं बनाते, बल्कि कुछ ऐसे भी हैं जो उस एक खुशी के लिए कितने ही दर्द झेलते हैं.

4 साल, 3 मिसकैरेज, 7 कोशिशें और 1616 शॉट्स के बाद जो मिलता है वो ये है-

इस तस्वीर में छिपा है ये संदेश

ये बच्ची एरिजोनिया की रहने वाली पैट्रीशिया और किम्बर्ली ओ'नील की वो बच्ची है जिसे काफी कुछ सहने के बाद उन्होंने पाया है. इस बच्ची को IVF तकनीक के द्वारा जन्म दिया गया है.

बच्ची को सिरिंज से बने एक दिल के बीचों बीच रखा गया है. जो सोशल मीडिया पर वायरल है. पैट्रीशिया और किम्बर्ली ओ'नील ने इस प्रोसेस में इस्तेमाल की गई हर एक सिरिंज को संभालकर रखा और इस खूबसूरत फोटो के माध्यम से अपने संघर्षों को बताया.

संघर्ष इसलिए क्योंकि पैट्रीशिया और किम्बर्ली दोनों महिलाएं हैं. 2013 में वो साथ आईं. जब उन्होंने अपना परिवार बढ़ाने के बारे में सोचा तो उन्हें लगा कि उन्हें एक डोनर मिल जाएगा और वो डॉक्टर के पास जाएंगे और 9 महीने के बाद उन्हें बच्चा मिल जाएगा. पर ये इतना भी आसान नहीं था.

दो महिलाएं अगर एर बच्चा चाहें तो वो आसान तो नहीं हो सकता

आसान...

एक बच्चे की कीमत क्या होती है ये वही बता सकता है जिनके बच्चे नहीं हैं. हालांकि आजकल मेडिकल साइंस ने इतनी तरक्की कर ली है कि अब बच्चे का सुख हर कोई पा सकता है. लेकिन उसकी कीमत भी चुकानी होती धैर्य, दर्द, और पैसे के रूप में.

आज एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. जो यही बताने की कोशिश कर रही है कि एक बच्चे को पाने के लिए मां-बाप सिर्फ संबंध नहीं बनाते, बल्कि कुछ ऐसे भी हैं जो उस एक खुशी के लिए कितने ही दर्द झेलते हैं.

4 साल, 3 मिसकैरेज, 7 कोशिशें और 1616 शॉट्स के बाद जो मिलता है वो ये है-

इस तस्वीर में छिपा है ये संदेश

ये बच्ची एरिजोनिया की रहने वाली पैट्रीशिया और किम्बर्ली ओ'नील की वो बच्ची है जिसे काफी कुछ सहने के बाद उन्होंने पाया है. इस बच्ची को IVF तकनीक के द्वारा जन्म दिया गया है.

बच्ची को सिरिंज से बने एक दिल के बीचों बीच रखा गया है. जो सोशल मीडिया पर वायरल है. पैट्रीशिया और किम्बर्ली ओ'नील ने इस प्रोसेस में इस्तेमाल की गई हर एक सिरिंज को संभालकर रखा और इस खूबसूरत फोटो के माध्यम से अपने संघर्षों को बताया.

संघर्ष इसलिए क्योंकि पैट्रीशिया और किम्बर्ली दोनों महिलाएं हैं. 2013 में वो साथ आईं. जब उन्होंने अपना परिवार बढ़ाने के बारे में सोचा तो उन्हें लगा कि उन्हें एक डोनर मिल जाएगा और वो डॉक्टर के पास जाएंगे और 9 महीने के बाद उन्हें बच्चा मिल जाएगा. पर ये इतना भी आसान नहीं था.

दो महिलाएं अगर एर बच्चा चाहें तो वो आसान तो नहीं हो सकता

आसान नहीं था ये सफर

सबसे पहले उन्होंने इंट्रायूटरिन इंसेमिनेशन (II) करवाया जो IVF से काफी सस्ता था. इस प्रक्रीया में स्पर्म को निषेचन के लिए महिला के यूट्रस में डाला जाता है. लेकिन दो बार वो फेल हो गया. फिर उन्होंने IVF को चुना.

क्या है आईवीएफ(IVF)-

इस प्रक्रिया में अंडों के उत्पादन के लिए महिला को फर्टिलिटी दवाइयां दी जाती हैं और उसके बाद एक छोटी सी सर्जरी के माध्यम से अंडों को निकाल लिया जाता है. इसके बाद इन्हें प्रयोगशाला में कल्चर डिश में शुक्राणुओं के साथ मिलाकर निषेचन के लिए रख दिया जाता है. प्रयोगशाला में इसे दो-तीन दिन के लिए रखा जाता है और इससे बने भ्रूण को वापस महिला के गर्भ में प्रत्यारोपित कर दिया जाता है. आईवीएफ की पूरी प्रक्रिया में दो से तीन सप्ताह का समय लग जाता है. इसकी सफलता- असफलता का पता अगले 14 दिनों में रक्त परीक्षण/प्रेग्नेंसी टेस्ट के बाद ही लगता है.

IVF से पेट्रीशिया के 20 अंडे निकाले गए. और निषेचन के बाद उन्हें 5 अच्छे एम्ब्रियो मिल गए- तीन लड़कियां और दो लड़के. और अब समय था उन्हें पैट्रीशिया के गर्भ में प्रत्यारोपित करने का.

पहली बार में वो प्रेगनेंट हुई लेकिन 6 हफ्ते में गर्भपात हो गया. दूसरी बार 8 हफ्ते बाद गर्भपात हो गया. डॉक्टरों ने पाया कि पेट्रीशिया में एक ऐसा विकार था जिससे उसके प्लेसेंटा में खून के थक्के बन जाते थे जिस कारण गर्भपात हो जाता था. तीसरी बार वो प्रेगनेंट नहीं हो सकीं. चौथी बार वो प्रेगनेंट हुईं लेकिन 11 हफ्ते बीतने के बाद दोनों की खुशी एक बार फिर दुख में तब्दील हो गई. दोनों की हिम्मत अब जवाब दे चुकी थी.   

उनकी आखिरी उम्मीद वो आखिरी एम्ब्रियो था. इस बार वो इस विकार के स्पेशलिस्ट के पास गईं. और उन्होंने काफी सावधानी बरती. क्योंकि ये उनका आखिरी मौका था. वो दोनों बहुत डरी हुई भी थीं. लेकिन इस बार वो सच में खुशकिस्मत साबित हुईं. और 3 अगस्त को उनके यहां एक बेटी ने जन्म लिया, जिसका नाम उन्होंने लंदन रखा.

बेटी लंदन के साथ दोनों मांएं

लंदन का इस दुनिया में आना बहुत आसान नहीं था. और न ही उसे दुनिया में लाना पैट्रीशिया और किम्बर्ली के लिए आसान था. लेकिन इस तस्वीर ने इनके जैसे बहुत से जोड़ों को उम्मीद दी है, जो किसी न किसी वजह से बच्चे के सुख से वंचित हैं. इस तस्वीर ने बहुत ही प्रभावशाली तरीके से ये बताया है कि रास्ते भले ही आसान न हों, देर भले ही हो जाए लेकिन विश्वास और उम्मीद के सहारे मंजिल मिल ही जाती है.

2015 में भी IVF तकनीक से बेटी पाने वाले एक कपल ने एक फर्टिलिटी सेंटर को थैंक्यू कहने के लिए ऐसा ही फोटोशूट करवाया था.

ये तस्वीर भी उसी तरह वायरल हुई थी जो लंदन की हुई है

पर भारत ऐसी तस्वीर छुपाता है-

इस कपल ने तो अपनी IVF प्रक्रीया के पूरे सफर को एक तस्वीर के माध्यम से बयां कर दिया. लेकिन भारत में ये शायद ही संभव है. ऐसा नहीं कि ये तकनीक यहां काम नहीं करती. बल्कि भारत में तो फर्टिलिटी सेंटर्स लगभग हर बड़े शहर में खुल गए हैं. लोग इसका लाभ भी ले रहे हैं.

सालों साल परेशान होकर लोग IVF का रुख करते हैं. और कुछ प्रयासों के बाद उन्हें बच्चा हो जाता है. लेकिन कोई भी IVF जैसी तकनीक के बारे में बात नहीं करता. वो लोग भी नहीं जो असल में इस तकनीक से ही मां या बाप बने हैं. सिर्फ इतना ही कहा जाता है कि 'इलाज चल रहा है' 'डॉक्टरों के चक्कर लग रहे हैं'. ऐसा लगता है मानो IVF का नाम ले दिया तो उनकी इज्जत पर बात आ जाएगी. वास्तविकता तो यही है कि इस तकनीक का तभी इस्तेमाल किया जाता है जब मां या पिता में कोई शारीरिक कमी हो- वो कुछ भी हो सकता है. और इसी 'कमी' को लोग डॉक्टर के सामने तो स्वीकार कर लेते हैं लेकिन समाज के सामने स्वीकार नहीं कर सकते. वो इसे अपनी इज्जत से जोड़ लेते हैं. इसलिए भारत में ये तकनीक सीमित हैं. जिन कुछ विषयों पर बात करना जरूरी होता है, उन्हीं विषयों को इज्जत या मान मर्यादा का प्रश्न बना दिया जाता है.

ये भी पढ़ें-

375 ग्राम की 'सबसे छोटी बच्ची' के जन्म की खबर सबसे बड़ी खुशी देने वाली है

क्या माँ बनना मजाक या खिलवाड़ है?

सेरेना विलियम्स की कही बात हर कामकाजी मां के दिल का दर्द है

 


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    नाम बदलने की सनक भारी पड़ेगी एलन मस्क को
  • offline
    डिजिटल-डिजिटल मत कीजिए, इस मीडियम को ठीक से समझिए!
  • offline
    अच्छा हुआ मां ने आकर क्लियर कर दिया, वरना बच्चे की पेंटिंग ने टीचर को तारे दिखा दिए थे!
  • offline
    बजरंग पुनिया Vs बजरंग दल: आना सरकार की नजरों में था लेकिन फिर दांव उल्टा पड़ गया!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲