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Toolkit Tandav के कारण मोदी सरकार ने बैठा दिया OTT platform और सोशल मीडिया पर पहरा!

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 25 फरवरी, 2021 09:18 PM
  • 25 फरवरी, 2021 09:18 PM
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किसान आंदोलन में 'टूलकिट' के इस्तेमाल और OTT प्लेटफॉर्म पर 'तांडव' वेब सीरीज को लेकर मचे बवाल के बाद केंद्र सरकार ने अब डिजिटल कंटेंट पर नकेल कसना शुरू कर दिया है. माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से तनातनी चल रही थी.

सोशल मीडिया पर 'टूलकिट' और OTT प्लेटफॉर्म पर 'तांडव' के बाद केंद्र सरकार ने इस पर अंकुश लगाने के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी है. केंद्र सरकार सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के डिजिटल कंटेंट को नियमित करने के लिए तीन महीने में कानून लागू करेगी. हालांकि, केंद्र सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया को सेल्फ रेगुलेशन करने को कहा है. अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो सरकार की ओर से कानून और नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. नई गाइडलाइंस में ये भी कहा गया है कि सोशल मीडिया पर 'गड़बड़ी' फैलाने वाले की जानकारी भी अब इन कंपनियों को देनी होगी. सरकार ने सोशल मी़डिया कंपनियों और OTT प्लेटफॉर्म से इसे लेकर एक 'प्रॉपर मैकेनिज्म' बनाने के लिए कहा है. ये गाइडलाइंस हर व्यक्ति पर लागू होंगी, चाहे वह किसी राजनीतिक दल से जुड़ा हो या आम आदमी हो.

'टूलकिट' के 'तांडव' की वजह से बने नियम 

किसान आंदोलन में 'टूलकिट' के इस्तेमाल और OTT प्लेटफॉर्म पर 'तांडव' वेब सीरीज को लेकर मचे बवाल के बाद केंद्र सरकार ने अब डिजिटल कंटेंट पर नकेल कसना शुरू कर दिया है. माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से तनातनी चल रही थी. केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के नाम पर देश में भ्रामक एवं भड़काऊ सूचनाएं फैलाने वाले कई ट्विटर खातों को बंद करने के लिए कहा था. लेकिन, ट्विटर ने इसका पालन करने से मना किया था. ट्विटर ने इसे लेकर एक ब्लॉग भी शेयर किया था. जिसमें कहा गया था कि वह भारतीय संविधान के अनुसार यूजर्स की अभिव्यक्ति की आजादी अधिकार का समर्थन करना जारी रखेगा. अगर किसी का ट्विटर खाता बंद किया जाता है, तो यह उसके अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का उल्लंघन होगा. इसके बाद से ही माना जा रहा था कि केंद्र सरकार अब माइक्रोब्लॉगिंग साइट के साथ आर-पार की लड़ाई करने के मूड में आ गई है.

सोशल मीडिया कंपनियों पर लगेगी लगाम

किसान आंदोलन से जुड़े 'टूलकिट' मामले के बाद केंद्र सरकार ने इसे और गंभीरता से लिया....

सोशल मीडिया पर 'टूलकिट' और OTT प्लेटफॉर्म पर 'तांडव' के बाद केंद्र सरकार ने इस पर अंकुश लगाने के लिए गाइडलाइंस जारी कर दी है. केंद्र सरकार सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के डिजिटल कंटेंट को नियमित करने के लिए तीन महीने में कानून लागू करेगी. हालांकि, केंद्र सरकार ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मीडिया को सेल्फ रेगुलेशन करने को कहा है. अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो सरकार की ओर से कानून और नियमों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. नई गाइडलाइंस में ये भी कहा गया है कि सोशल मीडिया पर 'गड़बड़ी' फैलाने वाले की जानकारी भी अब इन कंपनियों को देनी होगी. सरकार ने सोशल मी़डिया कंपनियों और OTT प्लेटफॉर्म से इसे लेकर एक 'प्रॉपर मैकेनिज्म' बनाने के लिए कहा है. ये गाइडलाइंस हर व्यक्ति पर लागू होंगी, चाहे वह किसी राजनीतिक दल से जुड़ा हो या आम आदमी हो.

'टूलकिट' के 'तांडव' की वजह से बने नियम 

किसान आंदोलन में 'टूलकिट' के इस्तेमाल और OTT प्लेटफॉर्म पर 'तांडव' वेब सीरीज को लेकर मचे बवाल के बाद केंद्र सरकार ने अब डिजिटल कंटेंट पर नकेल कसना शुरू कर दिया है. माइक्रोब्लॉगिंग साइट Twitter और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से तनातनी चल रही थी. केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन के नाम पर देश में भ्रामक एवं भड़काऊ सूचनाएं फैलाने वाले कई ट्विटर खातों को बंद करने के लिए कहा था. लेकिन, ट्विटर ने इसका पालन करने से मना किया था. ट्विटर ने इसे लेकर एक ब्लॉग भी शेयर किया था. जिसमें कहा गया था कि वह भारतीय संविधान के अनुसार यूजर्स की अभिव्यक्ति की आजादी अधिकार का समर्थन करना जारी रखेगा. अगर किसी का ट्विटर खाता बंद किया जाता है, तो यह उसके अभिव्यक्ति की आजादी के मूल अधिकार का उल्लंघन होगा. इसके बाद से ही माना जा रहा था कि केंद्र सरकार अब माइक्रोब्लॉगिंग साइट के साथ आर-पार की लड़ाई करने के मूड में आ गई है.

सोशल मीडिया कंपनियों पर लगेगी लगाम

किसान आंदोलन से जुड़े 'टूलकिट' मामले के बाद केंद्र सरकार ने इसे और गंभीरता से लिया. टूलकिट का संबंध खालिस्तान समर्थक समूह से निकलने पर सरकार ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कैपिटल हिल और लाल किला की घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि सोशल मीडिया भारत में बिजनेस करें. सरकार आलोचना के लिए तैयार है, लेकिन डबल स्टैंडर्ड नहीं चलेगा.' इसे ट्विटर द्वारा यूजर्स के खातों को सरकार के आदेश के बावजूद बंद न करने से जोड़कर देखा जा सकता है. सरकार ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी भरे लहजे के साथ अपनी बात सोशल मीडिया कंपनियों तक पहुंचा दी है. अगर सोशल मीडिया कंपनियां सरकार या अदालत के आदेश की अवहेलना करेंगी, तो उन्हें इसका दंड (आईटी एक्ट के अनुसार) भुगतना पड़ेगा.

नई गाइडलाइंस के मुताबिक, इंड-टू-इंड एनक्रिप्शन देने वाली व्हाट्सएप के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है.

सरकार के मांगने पर देनी होगी जानकारी

नई गाइडलाइंस के मुताबिक, इंड-टू-इंड एनक्रिप्शन देने वाली व्हाट्सएप के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है. भारत की संप्रभुता, सुरक्षा, विदेशों से संबंध, दुष्कर्म जैसे अहम मामलों पर सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से अब सोशल मीडिया कंपनियों को 'शरारती' कंटेंट फैलाने वाले शख्स के बारे में भी जानकारी देनी होगी. नियम के अनुसार, विदेश से शुरू होने वाले कंटेंट को भारत में पहले किसने शेयर या ट्वीट किया है, इसकी जानकारी देनी होगी. कोर्ट के आदेश या सरकार द्वारा पूछे जाने पर सोशल मीडिया कंपनियों को उस शख्स की जानकारी साझा करनी होगी. इसी के साथ सरकार ने फेक अकाउंट्स के लिए कंपनियों को कहा है कि वे खुद से ऐसा नियम बनाए, जिससे यह न हो सके. इसके लिए वह आधार कार्ड लें या फिर मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करें.

OTT प्लेटफॉर्म को बनाना पड़ेगा त्रिस्तरीय तंत्र

'तांडव' वेब सीरीज को लेकर देश में काफी बवाल मचा था. इसमें हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने और प्रधानमंत्री के किरदार को शराबी आदि दिखाने को लेकर कई जगहों पर एफआईआर भी दर्ज की गई थी. यूपी पुलिस ने इस मामले में कई लोगों से पूछताछ भी की थी. जिसके बाद अब केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने OTT प्लेटफॉर्म को त्रि-स्तरीय ओटीटी तंत्र बनाने को कहा है. ओटीटी (OTT) प्लेटफॉर्म्स को स्व-नियमन के लिए संस्था बनानी होगी. इसमें सेल्फ रेगुलेशन के अंतर्गत ओटीटी प्लेटफॉर्म कोई भी कंटेंट प्रसारित करने से पहले उसकी जांच करेंगे. OTT प्‍लेटफॉर्म्‍स को एक शिकायत निवारण तंत्र बनाना होगा. इसमें सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट का कोई सेवानिवृत्त जज या इस श्रेणी के कोई प्रख्यात व्यक्ति को शामिल किया जाएगा. सेंसर बोर्ड के एथिक्स और कोड की तरह ही ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी उम्र के हिसाब से सर्टिफिकेशन होगा.

शिकायत के लिए प्रॉपर ग्रीवांस मैकेनिज्म

सोशल मीडिया कंपनियों और ओटीटी प्लेटफॉर्म को एक प्रॉपर ग्रीवांस मैकेनिज्म बनाना होगा. इसके तहत भारत के रहने वाले ही नोडल ऑफिसर, रेसिडेंट ग्रीवांस ऑफिसर रखे जाएंगे. एक चीफ कंप्लायंस ऑफिसर की नियुक्ति करनी होगी, जो 24 घंटे सरकारी एजेंसियों के निर्देशों पर जवाब देगा. लोगों की शिकायतों को सुना जाएगा. किसी यूजर का कंटेंट हटाने से पहले उसे बताना होगा और हटाने का कारण भी बताना होगा. हर महीने कितनी शिकायतों पर एक्शन हुआ, इसकी जानकारी देनी होगी. आपत्तिजनक कंटेंट को 24 घंटे के अंदर हटाना होगा. गलती होने पर OTT प्लेटफॉर्म को भी अन्य सभी की तरह माफी प्रसारित करनी होगी.

तीन महीने में लागू हो जाएंगे कानून

नई गाइडलाइंस के अनुसार, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, न्यूज वेबसाइट, व्हाट्सएप और लिंक्डइन जैसे सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म को सरकार की ओर से मांगे जाने पर कंटेंट की जानकारी देना जरूरी हो गया है. कुल मिलाकर सरकार ने सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल मीडिया पर लगाम कसने की ठान ली है. तीन महीने के अंदर इसे लेकर कानून भी बना दिया जाएगा.

सरकार ने कर ली पर कतरने की तैयारी

सोशल मीडिया को दो हिस्सों में बांटा जाएगा. पहला महत्वपूर्ण और दूसरा कम महत्वपूर्ण होगा. इसका वर्गीकरण कैसे किया जाएगा, इसके लिए सरकार आगे यूजर्स संख्या को लेकर नोटिफिकेशन जारी करेगी. डिजिटल मीडिया के लिए प्रेस काउंसिल के एथिक्स और कोड का पालन करने को कहा गया है. महिलाओं से संबंधी अश्लील सामग्री दिखाने या प्रकाशित करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होगी. कुल मिलाकर केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के पर कतरने की तैयारी कर ली है. नए नियमों के अनुसार, अगर भारत में आकर आपको व्यापार करना है, तो भारत सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस के हिसाब से ही करना होगा. अगर ऐसा नहीं करते हैं, तो कानून अपना काम करेगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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