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मेरठ पुलिस ने संस्कृति की रक्षा की या उसी के मुंह पर तमाचा जड़ा?

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 27 सितम्बर, 2018 06:20 PM
  • 26 सितम्बर, 2018 03:37 PM
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मेरठ पुलिस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें चार पुलिसवाले एक लड़की को इसलिए पीट रहे हैं क्योंकि उसके किसी मुस्लिम के साथ संबंध हैं.

हिंदुस्तान में लव जिहाद के नाम पर जो कुछ भी होता है उसे देखकर शायद पूरी दुनिया के लोग चौंक जाएं. किसी भी जाति धर्म के नाम पर बवाल मचाना बहुत आसान है, लेकिन उसे समझने की कोशिश करना बहुत मुश्किल. हाल ही में मेरठ में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां कुछ पुलिस वालों ने मिलकर मेडिकल की एक छात्रा के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया. कारण? सिर्फ ये कि उसका दोस्त मुस्लिम था.

कथित तौर पर छात्रा अपने दोस्त के घर पढ़ाई के लिए गई थी और वहां कुछ वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) के कार्यकर्ता पहुंच गए और पहले तो बहुत हंगामा किया और उसके बाद दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने भी लड़की को अपनी गाड़ी में बैठाया और उसके बाद उसे अलग ही पाठ पढ़ाने लगे कि मुस्लिम से दोस्ती ठीक नहीं है. लड़की को मारा-पीटा भी गया.

वीडियो में मेडिकल छात्रा को मुस्लिम से दोस्ती के लिए पीटा जा रहा है

जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें देखा जा सकता है कि कैसे एक महिला पुलिस कर्मी लड़की को पीट रही है, जबरन उसका मुंह खुलवाया गया है और सामने बैठा एक पुलिस वाला कह रहा है कि 'मुल्ला ज्यादा पसंद आ रहा है तुझे.'

वीडियो के वायरल होते ही यूपी पुलिस ने मेरठ पुलिस से तत्कालीन प्रभाव से एक्शन लेने को कहा और मेरठ पुलिस के चार लोगों को सस्पेंड भी कर दिया गया है.

पुलिस ने ट्वीट कर मामले की जानकारी देने में तो तत्परता दिखाई, लेकिन इसके बाद एक सवाल भी सामने आकर खड़ा हो गया है. ये सब आखिर पुलिस महकमे में हुआ कैसे? हमारे देश में पुलिस वालों के बारे में जब भी बात होती है तो या तो उनके करप्शन के बारे में बोला...

हिंदुस्तान में लव जिहाद के नाम पर जो कुछ भी होता है उसे देखकर शायद पूरी दुनिया के लोग चौंक जाएं. किसी भी जाति धर्म के नाम पर बवाल मचाना बहुत आसान है, लेकिन उसे समझने की कोशिश करना बहुत मुश्किल. हाल ही में मेरठ में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां कुछ पुलिस वालों ने मिलकर मेडिकल की एक छात्रा के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया. कारण? सिर्फ ये कि उसका दोस्त मुस्लिम था.

कथित तौर पर छात्रा अपने दोस्त के घर पढ़ाई के लिए गई थी और वहां कुछ वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) के कार्यकर्ता पहुंच गए और पहले तो बहुत हंगामा किया और उसके बाद दोनों को पुलिस के हवाले कर दिया. पुलिस ने भी लड़की को अपनी गाड़ी में बैठाया और उसके बाद उसे अलग ही पाठ पढ़ाने लगे कि मुस्लिम से दोस्ती ठीक नहीं है. लड़की को मारा-पीटा भी गया.

वीडियो में मेडिकल छात्रा को मुस्लिम से दोस्ती के लिए पीटा जा रहा है

जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें देखा जा सकता है कि कैसे एक महिला पुलिस कर्मी लड़की को पीट रही है, जबरन उसका मुंह खुलवाया गया है और सामने बैठा एक पुलिस वाला कह रहा है कि 'मुल्ला ज्यादा पसंद आ रहा है तुझे.'

वीडियो के वायरल होते ही यूपी पुलिस ने मेरठ पुलिस से तत्कालीन प्रभाव से एक्शन लेने को कहा और मेरठ पुलिस के चार लोगों को सस्पेंड भी कर दिया गया है.

पुलिस ने ट्वीट कर मामले की जानकारी देने में तो तत्परता दिखाई, लेकिन इसके बाद एक सवाल भी सामने आकर खड़ा हो गया है. ये सब आखिर पुलिस महकमे में हुआ कैसे? हमारे देश में पुलिस वालों के बारे में जब भी बात होती है तो या तो उनके करप्शन के बारे में बोला जाता है या उनका डर दिखाया जाता है. आम जिंदगी की बात करें तो अगर किसी का रिश्तेदार पुलिस में है तो वो उस अधिकारी या हवलदार की धौंस जरूर दिखाएगा. ये तो हुई एक बात, लेकिन अब तो पुलिस वालों को मॉरल पुलिसिंग के लिए भी चर्चित किया जाने लगा है. खुद ही सोचिए किसी के घर से उसे निकाल कर घसीट कर ले जाना और फिर पुलिस की गाड़ी में ऐसी हरकत करना कहां तक सही है?

ये तो सिर्फ चार लोगों की बात थी जिन्हें सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन उन वीएचपी कार्यकर्ताओं का क्या जिन्होंने पहले तो छात्रा और छात्र पर हमला किया और उसके बाद पुलिस स्टेशन में भी हंगामा किया? ये सब करके कौन सी संस्कृति बचा रहे हैं हम? किस समाज की रचना कर रहे हैं? अगर उस छात्रा और छात्र का रिश्ता था भी तो इन समाज के ठेकेदारों को किसने हक दिया अपनी मनमानी करने का?

जिस समय पुलिस आई उस समय वीएचपी कार्यकर्ताओं को रोकने की जगह छात्रा के साथ ऐसा सुलूक करना तो पुलिस की ड्यूटी नहीं हो सकती. और अगर देखा जाए तो आज के समय में भारत में हिंदू और मुस्लिम पर जितना विवाद हो रहा है वो सोचने पर मजबूर कर देता है कि 2018 में भी यहां लोगों को अपना साथी चुनने की इजाजत नहीं है.

दलित, मुस्लिम, नीची जाति कहे जाने वाले लोग भी लोग ही हैं उन्हें हर वक्त क्यों ऐसा समझा जाता है कि उनसे कोई रिश्ता रखा नहीं जा सकता. इस बीच हम अपनी संस्कृति को बचा रहे हैं या फिर ये दिखा रहे हैं कि आखिर कितनी नफरत भरी है लोगों के मन में. ये सब करके क्या समाज के लोग खुद को श्रेष्ठ साबित करना चाहते हैं? हिंदुस्तान में कानून भले ही सबको एक नजर से देखने का दावा करे, लेकिन कानून के ये रक्षक ही जनता को एक नजर से नहीं देखते.

प्रॉब्लम ये नहीं कि उन पुलिस वालों ने लड़की को मारा, प्रॉब्लम तो ये है कि शायद देश के हर पुलिस स्टेशन में ऐसे लोग मिल जाएंगे. धर्म के नाम पर ये सब गुंडागर्दी है, पुलिस की ड्यूटी नहीं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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