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ग्रीनपार्क में IND-NZ Test Match ने सिद्ध किया कनपुरिये पाताल में भी गुटखा खा लेंगे!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 26 नवम्बर, 2021 01:06 PM
  • 26 नवम्बर, 2021 01:06 PM
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जैसा मोह कनपुरियों का गुटखे के प्रति है दुनिया की शायद ही कोई जगह हो जहां गुटखा खाने वाले किसी कनपुरिये ने गुटखा न खाया हो. न विश्वास हो तो कानपुर स्थित ग्रीनपार्क स्टेडियम की तस्वीर देख लीजिये जहां इंडिया न्यूजीलैंड टेस्ट मैच को देखता एक फैन पुरी तल्लीनता से गुटखा खा रहा है और जिसकी तस्वीर वायरल हो गयी है.

आदमी कनपुरिया होते मस्त हैं. एकदम जिंदादिल. खाने, खिलाने में एकदम आगे और पैसे का मुंह न देखने वाले. आपका कोई कनपुरिया दोस्त हो तो आप ख़ुद ब ख़ुद समझ जाएंगे. आवश्यकता ही नहीं है कि किसी कनपुरिया भाई बंधू की क्वालिटी किसी ऐसे को बताई जाए जो 24 में से 18 घंटे कनपुरियों के बीच रहता हो. अब बात क्योंकि कानपुर और कनपुरियों की चली है तो ये कहना भी ग़लत नहीं है कि भीड़ में खड़ा कनपुरिया आदमी अलग ही दिखता है. काहे? अरे भइया अधिकांश समय उसका मुंह गइया माफिक चबर चबर चलता रहता है. और जब जिक्र मुंह चलने का हुआ है और किसी कनपुरिये के मुंह के चलने का हुआ है तो सारी गौर ओ फ़िक्र बिना गुटखे के अधूरी है. देश के नक्शे में कानपुर क्यों पहचान रखता है किसी से भी पूछ लीजिए जवाब मुंह से पिचकारी मारते हुए गुटखे के रूप में हमारे सामने होगा. जैसा मोह कनपुरियों का गुटखे के प्रति है दुनिया की शायद ही कोई जगह हो जहां गुटखा खाने वाले किसी कनपुरिये ने गुटखा न खाया हो. 

कहीं पर भी गुटखा खाने की अदा सीखनी हो तो किसी कनपुरिया से सीखें

देखिये हम ये बिल्कुल नहीं कह रहे कि कानपुर का मतलब गुटखा है. लेकिन जिस तरह कनपुरियों में गुटखे का प्रेम है गुटखा ही कानपुर का पर्याय है. जैसा कि हम बता चुके हैं दुनिया का कोई भी कोना हो अगर कनपुरिया आदमी गुटखा खाने पर आ जाए तो भगवान भी उसे नहीं रोक सकता. न यकीन हो तो इंटरनेट पर वायरल ग्रीन पार्क स्टेडियम की उस तस्वीर को देखिये जिसमें इंडिया न्यूजीलैंड मैच के दौरान एक आदमी गुटखा खाते हुए मैच का मजा तो ले ही रहा है साथ ही किसी से फोन पर बात भी कर रहा है.

तस्वीर कैमरा पर कैप्चर होने के बाद इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह फैली है. तमाम यूजर्स की तरह कवि डॉक्टर कुमार विश्वास ने भी तस्वीर को साझा किया है और अपने खास अंदाज में...

आदमी कनपुरिया होते मस्त हैं. एकदम जिंदादिल. खाने, खिलाने में एकदम आगे और पैसे का मुंह न देखने वाले. आपका कोई कनपुरिया दोस्त हो तो आप ख़ुद ब ख़ुद समझ जाएंगे. आवश्यकता ही नहीं है कि किसी कनपुरिया भाई बंधू की क्वालिटी किसी ऐसे को बताई जाए जो 24 में से 18 घंटे कनपुरियों के बीच रहता हो. अब बात क्योंकि कानपुर और कनपुरियों की चली है तो ये कहना भी ग़लत नहीं है कि भीड़ में खड़ा कनपुरिया आदमी अलग ही दिखता है. काहे? अरे भइया अधिकांश समय उसका मुंह गइया माफिक चबर चबर चलता रहता है. और जब जिक्र मुंह चलने का हुआ है और किसी कनपुरिये के मुंह के चलने का हुआ है तो सारी गौर ओ फ़िक्र बिना गुटखे के अधूरी है. देश के नक्शे में कानपुर क्यों पहचान रखता है किसी से भी पूछ लीजिए जवाब मुंह से पिचकारी मारते हुए गुटखे के रूप में हमारे सामने होगा. जैसा मोह कनपुरियों का गुटखे के प्रति है दुनिया की शायद ही कोई जगह हो जहां गुटखा खाने वाले किसी कनपुरिये ने गुटखा न खाया हो. 

कहीं पर भी गुटखा खाने की अदा सीखनी हो तो किसी कनपुरिया से सीखें

देखिये हम ये बिल्कुल नहीं कह रहे कि कानपुर का मतलब गुटखा है. लेकिन जिस तरह कनपुरियों में गुटखे का प्रेम है गुटखा ही कानपुर का पर्याय है. जैसा कि हम बता चुके हैं दुनिया का कोई भी कोना हो अगर कनपुरिया आदमी गुटखा खाने पर आ जाए तो भगवान भी उसे नहीं रोक सकता. न यकीन हो तो इंटरनेट पर वायरल ग्रीन पार्क स्टेडियम की उस तस्वीर को देखिये जिसमें इंडिया न्यूजीलैंड मैच के दौरान एक आदमी गुटखा खाते हुए मैच का मजा तो ले ही रहा है साथ ही किसी से फोन पर बात भी कर रहा है.

तस्वीर कैमरा पर कैप्चर होने के बाद इंटरनेट पर जंगल की आग की तरह फैली है. तमाम यूजर्स की तरह कवि डॉक्टर कुमार विश्वास ने भी तस्वीर को साझा किया है और अपने खास अंदाज में मजेदार कैप्शन दिया है.तस्वीर ट्वीट करते हुए कुमार विश्वास ने लिखा है कि, कानहीपुर में मैच अहै आज. इसके बाद कुमार विश्वास ने अपनी पोस्ट में कुछ मजेदार स्माइली भी दिये हैं.

ऐसा नहीं है कि स्टेडियम पर बैठकर गुटखा खाते और फ़ोन पर बतियाते इस व्यक्ति की तस्वीर ही इंटरनेट पर मौजूद है. इसका पूरा वीडियो है. करीब 9 सेकंड के इस वीडियो ने कानपुर की ज़मीनी हकीकत से हमें रू-ब-रू करा दिया है. वीडियो देखें और उसका अवलोकन करें तो ऐसा बिल्कुल नहीं है कि व्यक्ति अकेले मैच का आनंद ले रहा है. वीडियो से साफ है कि उसके परिजन भी साथ हैं और वो मुंह में गुटखा भरे मैच देख रहा है साथ ही किसी से फ़ोन पर बात भी कर रहा है. वायरल वीडियो की क्लिपिंग से साफ है कि गुटखा खोर व्यक्ति के साथ बैठी महिला भी व्यक्ति के गुटखा खाने से असहज है.

इंटरनेट पर वायरल इस तस्वीर के बाद लोग ग्रीन पार्क की सिक्योरिटी को भी जमकर कोस रहे हैं. सोशल मीडिया पर तमाम यूजर्स ऐसे हैं जिनका कहना है कि व्यक्ति का इस तरह स्टेडियम में बैठकर गुटखा खाना स्टेडियम में तैनात सुरक्षाकर्मियों की लापरवाही का नतीजा है.

ऐसे में ये बताना बहुत जरूरी है कि किसी के यूं इस तरह गुटखा चबाने में सिक्योरिटी वालों का क्या ही दोष. बताया जा रहा है कि भारत-न्यूजीलैंड के बीच ग्रीनपार्क स्टेडियम में खेले गए क्रिकेट टेस्ट मैच के लिए सिक्योरिटी वाले भी खासे गंभीर थे. स्टेडियम के गेट पर ही सुरक्षाकर्मियों ने लोगों की तलाशी ली.

तलाशी में उन्हें जिसके पास सिगरेट-गुटखा, सिक्का, पानी की बोतल मिली उन्होंने उसे जमा करवा लिया. स्टेडियम की सिक्योरिटी कितनी टाइट थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिक्योरिटी स्टाफ ने महिलाओं के बैग तक बाहर रखवा लिए थे. लेकिन फिर कहानी वही है हिम्मत ए मर्दा तो मदद ए खुदा कनपुरिया आदमी कहां ही मानने वाला. उसे जुआड़ करना था कर लिया स्टेडियम के अंदर गुटखा ले जाने का जुआड़.

जैसा की लाजमी था ऐसी तस्वीरों पर लोग प्रतिक्रिया देंगे. हुआ भी कुछ ऐसा ही है. लोगों का कहना है कि कनपुरिया आदमी छोटी मोटी बात के लिए गुटखा कहां ही थूकेगा.

सोशल मीडिया पर यूजर्स तो यहां तक कह रहे हैं कि अगर कानपुरिया आदमी गुटखा थूककर बात करेगा तो दूसरा कनपुरिया शायद ही उसके द्वारा कही बात को समझे.

गुटखे पर बड़े बड़े शोध कर यूजर्स कुमार विशवास को ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि स्टेडियम में बैठकर गुटखा खाते व्यक्ति ने कुछ गलत नहीं किया है.

वहीं ऐसे भी यजर्स हैं जो कानपुर में गुटखे की खपत की कड़े शब्दों में निंदा में बिजी हो गए हैं.

बहरहाल इतनी टाइट सिक्योरिटी के बाद जिस तरह व्यक्ति न केवल गुटखे को अंदर ले गया बल्कि उसने उसे पूरी तल्लीनता के साथ खाया इतना तो साफ़ हो गया है कि अगर कोई गुटखा खोर कनपुरिया गुटखा खाने पर आ जाए तो शायद ही कोई माई का लाल हो जो उसे रोक पाए. खैर स्टेडियम में बैठा ये व्यक्ति सलाम के काबिल है. इसने कानपुर और कनपुरिया परंपरा की लाज रख ली.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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