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हंपी मंदिरों के अवशेष गिराने वालों को 'दाढ़ी-टोपी' लगा दी गई है

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 05 फरवरी, 2019 03:33 PM
  • 05 फरवरी, 2019 01:01 PM
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पुरातत्व विभाग का कहना है कि ये वीडियो कम से कम दो साल पुराना है. जबकि स्थानीय नागरिक इसे हाल ही में हुई घटना बता रहे हैं. और सोशल मीडिया पर तो इस वीडियो सांप्रदायिक रंग के साथ पेश किया जा रहा है.

इन दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है. वीडियो में तीन लड़के हंपी के विष्णु मंदिर के स्तंभ को गिराते हुए नजर आ रहे हैं. इस वीडियो को देखकर सोशल मीडिया पर काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है. आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है और पुलिस ने भी इस मामले पर जांच शुरू कर दी है.

हंपी कर्नाटक के बेल्लारी में स्थित है. यूनेस्को की ओर से हंपी मंदिर को हेरिटेज साइट घोषित किया गया है. यानी 14वीं शताब्‍दी में विजयनगर साम्राज्‍य द्वारा बनवाए गए ये मंदिर भारत की ही नहीं पूरे विश्व की ऐतिहासिक धरोहर है. और ऐसे में शरारती तत्वों का मंदिर में तोड़फोड़ किया जाना बेहद चिंता की बात है.

सोशल मीडिया पर लोग नाराज हैं क्योंकि यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर घोषित किए जाने के बाद भी संरक्षण के लिए हंपी में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस भी हरकत में आई और मंदिर परिसर में जाकर मुआयना किया. और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया.

वीडियो पुराना है- ASI

ऐतिहासिक धरोहर पर इस तरह की गई शरारत निश्चित रूप से अस्वीकार्य है. लेकिन इसपर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने भी जांच की है. वीडियो के वायरल होने के बाद पुरातत्त्व विभाग की एक टीम हंपी पहुंची और टीम ने गिराए गए स्तंभ का निरीक्षण किया जिससे वीडियो की सत्यता का पता चल सके.

टीम का नेतृत्व कर रहे पुरातत्त्वविद् एम कलीमुथु का कहना है कि- 'मैं साफ तौर पर कह सकता हूं कि ये सब हाल ही में नहीं हुआ है. गिरे हुए स्तंभ के पास पुराने जाले और घास-फूस उग आई है. ये कम से कम दो साल पुराना है. लेकिन इसका वीडियो अभी पोस्ट किया गया...

इन दिनों एक वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल रहा है. वीडियो में तीन लड़के हंपी के विष्णु मंदिर के स्तंभ को गिराते हुए नजर आ रहे हैं. इस वीडियो को देखकर सोशल मीडिया पर काफी गुस्सा देखने को मिल रहा है. आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है और पुलिस ने भी इस मामले पर जांच शुरू कर दी है.

हंपी कर्नाटक के बेल्लारी में स्थित है. यूनेस्को की ओर से हंपी मंदिर को हेरिटेज साइट घोषित किया गया है. यानी 14वीं शताब्‍दी में विजयनगर साम्राज्‍य द्वारा बनवाए गए ये मंदिर भारत की ही नहीं पूरे विश्व की ऐतिहासिक धरोहर है. और ऐसे में शरारती तत्वों का मंदिर में तोड़फोड़ किया जाना बेहद चिंता की बात है.

सोशल मीडिया पर लोग नाराज हैं क्योंकि यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर घोषित किए जाने के बाद भी संरक्षण के लिए हंपी में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है. इस मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस भी हरकत में आई और मंदिर परिसर में जाकर मुआयना किया. और उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया.

वीडियो पुराना है- ASI

ऐतिहासिक धरोहर पर इस तरह की गई शरारत निश्चित रूप से अस्वीकार्य है. लेकिन इसपर भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने भी जांच की है. वीडियो के वायरल होने के बाद पुरातत्त्व विभाग की एक टीम हंपी पहुंची और टीम ने गिराए गए स्तंभ का निरीक्षण किया जिससे वीडियो की सत्यता का पता चल सके.

टीम का नेतृत्व कर रहे पुरातत्त्वविद् एम कलीमुथु का कहना है कि- 'मैं साफ तौर पर कह सकता हूं कि ये सब हाल ही में नहीं हुआ है. गिरे हुए स्तंभ के पास पुराने जाले और घास-फूस उग आई है. ये कम से कम दो साल पुराना है. लेकिन इसका वीडियो अभी पोस्ट किया गया है.'

...लेकिन स्थानीय निवासी सहमत नहीं

अगर ASI की बातों पर भरोसा करें तो स्थानीय निवासी झूठे साबित होते हैं. जिनका कहना है कि स्तंभों के साथ हाल ही में तोड़फोड़ की गई है. लोगों का कहना है- 'अगर इन संतंभों की तोड़फोड़ सालों पहले की गई तो फिर संतंभों के नीचे जमी मिट्टी हाल ही में हुई तेज बारिश में साफ हो जानी चाहिए थी, और उसपर काई भी लगी होनी चाहिए थी जैसा कि बाकी स्तंभों पर दिखाई दे रही है.'

ये हैं वो स्तंभ जिन्हें गिराया गया है

दोनों बातें अलग-अलग हैं. और सवाल है कि आखिर भरोसा किस पर किया जाए. पुरातत्त्वविद् एम कलीमुथु अपनी ही टीम पर नाराजगी जता रहे हैं कि ये सब जब हुआ था तब ये मामला मेरे संज्ञान में नहीं लाया गया. ये सब कई महीनों पहले हुआ लेकिन मुझे जानकारी नहीं दी गई. गलती मेरे ही विभाग के लोगों से हुई है. पहले अपने ही घर में कार्रवाई की जाएगी फिर सुरक्षा बढ़ाई जाएगी.

मंदिर का इतिहास-

हंपी का विट्ठल मंदिर एक 15वीं सदी की संरचना है जो भगवान विट्ठल या भगवान विष्णु को समर्पित है. तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित यह मंदिर मूल दक्षिण भारतीय द्रविड़ मंदिरों की स्थापत्य शैली का प्रतिनिधित्व करता है. हंपी में स्थित विट्ठल मंदिर का निर्माण राजा देवराय द्वितीय के शासनकाल (1422 से 1446 ईसवीं) के दौरान किया गया था और यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य द्वारा अपनाई गई शैली का प्रतीक है. मंदिर की खास बात इसके 56 संगीतमय स्तंभ हैं, जिन्हें थपथपाने से संगीत सुनाई देता है.

कितना नुकसान हुआ-

पिछले कुछ सालों में मंदिर के करीब 14 स्तंभ क्षतिग्रस्त हुए हैं. छत को संभालने के लिए मंदिर के दोनों तरफ स्तंभ हैं जो या तो विजयनगर काल के दौरान आक्रमणकारियों द्वारा तोड़े गए या फिर पुराने होने की वजह से क्षतिग्रस्त हुए.

वीडियो को दिया जा रहा है नया मोड़

सोशल मीडिया पर सिर्फ ये वीडियो ही वायरल नहीं हो रहा बल्कि वीडियो का स्क्रीनशॉट भी वायरल हो रहा है. मामला मंदिर को क्षतिग्रस्त किए जाने का है इसलिए इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिशें भी की जा रही हैं. तस्वीर को फोटोशॉप किया गया है जिसमें स्तंभ गिराने वाले युवक के रंग रूप में थोड़ा बदलाव किया है जो साफ दिखाई दे रहा है. युवक के सिर पर टोपी और दाढ़ी दिखाई गई है, जबकी असल में युवक ऐसा दिखाई नहीं देता.

दोनों तस्वीरों में अंतर आप खुद ही देख लीजिए (पहली तस्वीर ऑरिजनल हा जबकि दूसरी फोटोशॉप्ड)

मंदिर चाहे कहीं का भी हो, कुछ लोग इसी ताक में बैठे रहते हैं कि किस तरह तोड़ मरोड़ कर उसे सांप्रदायिक रंग दिया जा सके.

हालांकि इस वीडियो के वायरल होने के पीछे और भी वजह बताई जा रही हैं. अभी हाल ही में अमित शाह विजयनगर गए और उसी दौरान इस वीडियो को वायरल किया जाना भी अपने आप में नई कहानी कह रहा है. चुनाव नजदीक हैं, इसलिए संभावनाएं बहुत प्रबल हैं कि तिल के ताड़ बनाए जाएं. बहरहाल पुलिस पर काफी दबाव है इसलिए इस वीडियो की सच्चाई तो देर-सवेर सामने आ ही जाएगी. और पुलिस ही सही बात भी सामने लाएगी कि वीडियो नया है या फिर पुराना. और साथ ही इन लोगों के चेहरों पर से भी धुंध छंटेगी. लेकिन तब तक के लिए इस वीडियो आगे फॉर्वर्ड करने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल जरूर करें.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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