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राहुल ने समझाया किसानों को भला एक चायवाला दे भी क्या सकता है!

    • आईचौक
    • Updated: 03 फरवरी, 2019 07:18 PM
  • 03 फरवरी, 2019 07:18 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में बजट की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, लेकिन राहुल गांधी ने उसमें चाय ऐंगल जोड़ दिया है. पटना के गांधी मैदान में कांग्रेस की रैली में राहुल गांधी समझाया कि कांग्रेस को वोट देना क्यों फायदेमंद है.

यूपी के साथ साथ बिहार में भी कांग्रेस को खड़ा करने की तैयारी चल रही है. तीन दशक बाद गांधी मैदान में हुई कांग्रेस की रैली के जरिये राहुल गांधी ने बिहार में महागठबंधन को साधने की पूरी कोशिश की - और तेजस्वी यादव भी कदम कदम पर साथ नजर आये.

कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के साथ पटना पहुंचे राहुल गांधी के निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो रहे ही, मोदी सरकार के बजट पर तंज कसा कि किसानों को तो आधी कप चाय की कीमत भी नहीं मिली.

भला आधे कप चाय से क्या होने वाला है?

अंतरिम बजट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां कहीं भी जा रहे हैं, किसानों और कामगारों के लिए हुई घोषणा का जोर शोर से बखान कर रहे हैं - दावा कर रहे हैं कि ऐसा किसी भी सरकार ने नहीं किया.

राहुल गांधी भी कांग्रेस के कर्जमाफी के खिलाफ मोदी सरकार के किसान पैकेज की राजनीति को अच्छी तरह महसूस कर रहे हैं. साथ ही, राहुल गांधी काउंटर अटैक का रास्ता भी खोज लिये हैं. पटना रैली में राहुल गांधी ने कहा, 'पिछले पांच वर्षों में मोदी जी ने अरबपतियों को करोड़ों रुपये दिए, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया है जैसे हमारी सरकार बनेगी वैसे ही भारत के हर गरीब व्यक्ति को मिनिमम इनकम की गारंटी देगी. हर गरीब के खाते में डायरेक्ट पैसे ट्रांसफर किए जाएंगे.' कांग्रेस के तीन नये मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत, कमलनाथ और भूपेश बघेल के साथ पहुंचे राहुल गांधी ने कहा, 'अगली हरित क्रांति मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होगी... मैं एक नाम और जोड़ना चाहता हूं... इसमें मैं बिहार का नाम जोड़ना चाहता हूं.'

कांग्रेस सबसे ज्यादा परेशान किसानों के खाते में दिये जाने वाले सालाना 6000 रुपये से है. बजट के बाद से ही कांग्रेस नेता इसमें अलग अलग ऐंगल ढूंढ कर मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं. पहले कांग्रेस ने कहा था कि किसान परिवार को रोज 17 रुपये देकर सरकार उनका अपमान कर रही है. अब कांग्रेस अध्यक्ष ने इसमें चायवाला ऐंगल जोड़ दिया है. प्रधानमंत्री मोदी भी तो मौके-बेमौके खुद को चायवाला बताते ही...

यूपी के साथ साथ बिहार में भी कांग्रेस को खड़ा करने की तैयारी चल रही है. तीन दशक बाद गांधी मैदान में हुई कांग्रेस की रैली के जरिये राहुल गांधी ने बिहार में महागठबंधन को साधने की पूरी कोशिश की - और तेजस्वी यादव भी कदम कदम पर साथ नजर आये.

कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के साथ पटना पहुंचे राहुल गांधी के निशाने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तो रहे ही, मोदी सरकार के बजट पर तंज कसा कि किसानों को तो आधी कप चाय की कीमत भी नहीं मिली.

भला आधे कप चाय से क्या होने वाला है?

अंतरिम बजट के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां कहीं भी जा रहे हैं, किसानों और कामगारों के लिए हुई घोषणा का जोर शोर से बखान कर रहे हैं - दावा कर रहे हैं कि ऐसा किसी भी सरकार ने नहीं किया.

राहुल गांधी भी कांग्रेस के कर्जमाफी के खिलाफ मोदी सरकार के किसान पैकेज की राजनीति को अच्छी तरह महसूस कर रहे हैं. साथ ही, राहुल गांधी काउंटर अटैक का रास्ता भी खोज लिये हैं. पटना रैली में राहुल गांधी ने कहा, 'पिछले पांच वर्षों में मोदी जी ने अरबपतियों को करोड़ों रुपये दिए, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने फैसला किया है जैसे हमारी सरकार बनेगी वैसे ही भारत के हर गरीब व्यक्ति को मिनिमम इनकम की गारंटी देगी. हर गरीब के खाते में डायरेक्ट पैसे ट्रांसफर किए जाएंगे.' कांग्रेस के तीन नये मुख्यमंत्रियों अशोक गहलोत, कमलनाथ और भूपेश बघेल के साथ पहुंचे राहुल गांधी ने कहा, 'अगली हरित क्रांति मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में होगी... मैं एक नाम और जोड़ना चाहता हूं... इसमें मैं बिहार का नाम जोड़ना चाहता हूं.'

कांग्रेस सबसे ज्यादा परेशान किसानों के खाते में दिये जाने वाले सालाना 6000 रुपये से है. बजट के बाद से ही कांग्रेस नेता इसमें अलग अलग ऐंगल ढूंढ कर मोदी सरकार पर हमला कर रहे हैं. पहले कांग्रेस ने कहा था कि किसान परिवार को रोज 17 रुपये देकर सरकार उनका अपमान कर रही है. अब कांग्रेस अध्यक्ष ने इसमें चायवाला ऐंगल जोड़ दिया है. प्रधानमंत्री मोदी भी तो मौके-बेमौके खुद को चायवाला बताते ही रहते हैं.

पटना रैली में राहुल गांधी ने कहा, 'मोदी जी एक किसान को आधा कप चाय की कीमत के बराबर राहत देकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, देश के किसान के साथ इससे क्रूर मजाक नहीं हो सकता.'

आधे कप चाय की कीमत तुम क्या जानो...

अपनी बात को समझाते हुए राहुल गांधी ने कहा, 'अगर इस 6000 की धनराशि को 5 सदस्य वाले परिवार पर लागू किया जाए तो, एक व्यक्ति के हिस्से में 3.33 रुपये प्रति दिन आता है, जो आधा कप चाय की कीमत के बराबर है.'

30 साल बाद गांधी मैदान में कांग्रेस की रैली

2015 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले पटना में स्वाभिमान रैली बुलायी गयी थी. महागठबंधन की ओर से हुई उस रैली में राहुल गांधी तो नहीं, लेकिन सोनिया गांधी ने हिस्सा जरूर लिया था. उससे पहले 1989 में कांग्रेस ने ऐसी रैली की थी जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी पहुंचे थे.

तीस साल बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा पटना में कांग्रेस की ओर से रैली कराये जाने के पीछे राजनीतिक दूरदर्शिता बतायी जा रही है. राहुल गांधी अब यूपी के साथ साथ बिहार में भी कांग्रेस की जमीन मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं - और उनकी नजर अगले विधानसभा चुनावों पर है. उससे पहले रैली के जरिये राहुल गांधी महागठबंधन में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराना चाहते हैं.

महागठबंधन के नेताओं में तेजस्वी यादव खासे एक्टिव दिखे और राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का योग्य उम्मीदवार बताया. जीतनराम मांझी और शरद यादव ने भी रैली में पहुंच कर कांग्रेस के प्रति समर्थन दिखाया.

यूपी से पहले बिहार को दुरूस्त करने की कोशिश...

कुछ दिन पहले एनसीपी से कांग्रेस में लौटे तारिक अनवर ने कांग्रेस नेताओं को घर वापसी की सलाह दी थी. उसके बाद से पुराने कांग्रेसियों ने काफी उत्साह दिखाया है. साथ ही साथ, कांग्रेस बाहुबली नेताओं को भी हाथोंहाथ लेने लगी है - अनंत सिंह और लवली आनंद इसमें सबसे चर्चित नाम हैं. रैली में पांच लाख की भीड़ होने का दावा किया गया - और राहुल गांधी ने भी भीड़ देख कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मेहनत की तारीफ की. राहुल गांधी ने इसी क्रम में कई ऐसे वादे भी किये जो कांग्रेस के सत्ता में आने पर पूरी होंगी.

अचानक महागठबंधन छोड़ कर नीतीश कुमार बीजेपी के सपोर्ट से फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ गये. राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए नीतीश कुमार को धोखेबाज बताया था. माना जाता है कि राहुल गांधी के दबाव में ही लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को ये कहते हुए मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित किया कि वो तो जहर पीने को भी तैयार हैं.

अक्टूबर, 2017 की बात है. नीतीश कुमार के बीजेपी के सपोर्ट से नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के दौरे पर गये. पटना यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में नीतीश कुमार और मोदी दोनों मौजूद थे. नीतीश कुमार ने बड़ी उम्मीद और दावे के साथ प्रधानमंत्री मोदी से पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिये जाने की मांग की. प्रधानमंत्री का रिस्पॉन्स काफी ठंडा दिखा. नीतीश कुमार का चेहरा लाल हो उठा और आगे के कार्यक्रमों में भी उसका असर दिखा.

पटना रैली में राहुल गांधी ने कांग्रेस की सरकार बनने पर जो चुनावी वादे किये उनमें एक था - पटना यूनिवर्सिटी को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाना.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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