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Elon Musk Vs Twitter: कोर्ट का फैसला जो भी हो, लेकिन ट्विटर की 'लंका' लग चुकी है

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 30 जुलाई, 2022 03:54 PM
  • 30 जुलाई, 2022 03:54 PM
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माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर इंक (Twitter Inc) ने एलन मस्क के खिलाफ कंपनी खरीद सौदा रद्द करने पर मुकदमा दर्ज किया है. वहीं, एलन मस्क (Elon Musk) ने काउंटरसूट (Countersuit) दाखिल कर ट्विटर को लपेट दिया है. वैसे, इस खींचतान में नुकसान ट्विटर (Twitter) के खाते में ही गया है. क्योंकि, एलन मस्क ने ट्विटर इंक के सारे पन्ने लोगों के सामने खोल दिए हैं.

खबर है कि एलन मस्क ने ट्विटर इंक के खिलाफ एक काउंटरसूट दाखिल किया है. जिसमें ट्विटर इंक पर फेक अकाउंट के बारे में पूरी जानकारी न दिये जाने का हवाला दिया गया है. दरअसल, इसी साल दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर को खरीदने के लिए 44 बिलियन डॉलर का सौदा कर सबको चौंका दिया था. लेकिन, कुछ ही समय बाद एलन मस्क ने ट्विटर खरीद के इस सौदे को रद्द कर दिया था. जिसके खिलाफ ट्विटर इंक ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया है. और, 44 बिलियन डॉलर के सौदे को रद्द करने पर टेस्ला के सीईओ से माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने टर्मिनेशन शुल्क में 1 अरब डॉलर की मांग की है. क्योंकि, अमेरिकी कानूनों के हिसाब से एलन मस्क को सौदा रद्द करने पर ट्विटर पर 1 अरब डॉलर चुकाने होंगे. और, मस्क ने इसी के खिलाफ कोर्ट में काउंटरसूट लगाया है. वैसे, इस तमाम खींचतान को देखकर कहा जा सकता है कि एलन मस्क बनाम ट्विटर विवाद पर कोर्ट का फैसला जो भी हो, लेकिन ट्विटर की 'लंका' लग चुकी है.

 एलन मस्क ने खुद को फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट कहा था और ट्विटर को फ्री स्पीच रोकने वाला घोषित कर दिया था.

कैसे लगी ट्विटर की लंका...

फेक अकाउंट के फेर में फंसा ट्विटर: एलन मस्क ने ट्विटर इंक के अधिग्रहण सौदे को रद्द करने के लिए फेक अकाउंट की संख्या को आधार बनाया था. दरअसल, ट्विटर खरीद की डील फाइनल होने से पहले एलन मस्क ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट से फेक अकाउंट्स और स्पैम बॉट्स के बारे में जानकारी शेयर करने को कहा था. जिस पर ट्विटर की ओर से कहा गया था कि उसके प्लेटफॉर्म पर फेक अकाउंट्स 5 फीसदी से कम हैं. लेकिन, मस्क ट्विटर की इस जानकारी से सहमत नही थे. एलन मस्क का मानना था कि ट्विटर पर 20 फीसदी से ज्यादा फेक अकाउंट्स हैं. ट्विटर...

खबर है कि एलन मस्क ने ट्विटर इंक के खिलाफ एक काउंटरसूट दाखिल किया है. जिसमें ट्विटर इंक पर फेक अकाउंट के बारे में पूरी जानकारी न दिये जाने का हवाला दिया गया है. दरअसल, इसी साल दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर को खरीदने के लिए 44 बिलियन डॉलर का सौदा कर सबको चौंका दिया था. लेकिन, कुछ ही समय बाद एलन मस्क ने ट्विटर खरीद के इस सौदे को रद्द कर दिया था. जिसके खिलाफ ट्विटर इंक ने कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया है. और, 44 बिलियन डॉलर के सौदे को रद्द करने पर टेस्ला के सीईओ से माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने टर्मिनेशन शुल्क में 1 अरब डॉलर की मांग की है. क्योंकि, अमेरिकी कानूनों के हिसाब से एलन मस्क को सौदा रद्द करने पर ट्विटर पर 1 अरब डॉलर चुकाने होंगे. और, मस्क ने इसी के खिलाफ कोर्ट में काउंटरसूट लगाया है. वैसे, इस तमाम खींचतान को देखकर कहा जा सकता है कि एलन मस्क बनाम ट्विटर विवाद पर कोर्ट का फैसला जो भी हो, लेकिन ट्विटर की 'लंका' लग चुकी है.

 एलन मस्क ने खुद को फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट कहा था और ट्विटर को फ्री स्पीच रोकने वाला घोषित कर दिया था.

कैसे लगी ट्विटर की लंका...

फेक अकाउंट के फेर में फंसा ट्विटर: एलन मस्क ने ट्विटर इंक के अधिग्रहण सौदे को रद्द करने के लिए फेक अकाउंट की संख्या को आधार बनाया था. दरअसल, ट्विटर खरीद की डील फाइनल होने से पहले एलन मस्क ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट से फेक अकाउंट्स और स्पैम बॉट्स के बारे में जानकारी शेयर करने को कहा था. जिस पर ट्विटर की ओर से कहा गया था कि उसके प्लेटफॉर्म पर फेक अकाउंट्स 5 फीसदी से कम हैं. लेकिन, मस्क ट्विटर की इस जानकारी से सहमत नही थे. एलन मस्क का मानना था कि ट्विटर पर 20 फीसदी से ज्यादा फेक अकाउंट्स हैं. ट्विटर को इन आरोपों से दुनियाभर में आलोचना झेलनी पड़ी थी. क्योंकि, ट्विटर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की भीड़ में सबसे ज्यादा विश्वसनीय माना जाता है.

मॉडरेट पॉलिसी पर लगा सवालिया निशान: एलन मस्क ने ट्विटर खरीद सौदे से पहले खुद को 'फ्री स्पीच एब्सोल्यूटिस्ट' के तौर पर पेश किया था. मस्क ने ट्विटर द्वारा पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अकाउंट पर आजीवन प्रतिबंध लगाने के फैसले को मनमाना करार दिया था. एलन मस्क ने ट्विटर की कॉन्टेंट मॉडरेट पॉलिसी को 'फ्री स्पीच' के खिलाफ बताया था. मस्क ने खुलेआम कहा था कि ट्विटर की पॉलिसी, फीचर और एल्गोरिद्म दक्षिणपंथी विचारों के खिलाफ ही काम करते हैं. जबकि, वामपंथी विचारधारा वालों के लिए ट्विटर एक स्वर्ग जैसा है.

अपना एजेंडा थोपने वाला प्लेटफॉर्म: ट्विटर खरीदने के बाद एलन मस्क ने कई ऐसे ट्वीट किए थे. जिनके जरिये मस्क ने दावा किया था कि माइक्रोब्लॉगिंग साइट अपने यूजर्स के ऊपर अपना एजेंडा थोप रही है. दरअसल, ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डॉर्सी घोषित वामपंथी थे. और, ट्विटर पर वामपंथी एजेंडा चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की संभावना भी शून्य थी. जबकि, दक्षिणपंथी विचारधारा वाले यूजर्स के खिलाफ ट्विटर तेज और कड़ी कार्रवाई करता था. इतना ही नहीं, ट्विटर ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बेटे के खिलाफ खबर लिखने वाली एक न्यूज वेबसाइट का अकाउंट सस्पेंड कर दिया था. ऐसे तमाम मामले मस्क के ट्विटर डील करने के दौरान ही खुलकर सामने आए. जिससे ट्विटर पर अपना एजेंडा यूजर्स पर थोपने का आरोप गहरा गया.

शेयर हुए धड़ाम: एलन मस्क के ट्विटर इंक को खरीदने के डील पर मुहर लगते ही माइक्रोब्लॉगिंग साइट के शेयरों में तेजी दर्ज की जाने लगी थी. 40 से 45 डॉलर के बीच झूलता ट्विटर का शेयर भाव अचानक ही 50 डॉलर तक पहुंच गया था. लेकिन, इस डील के रद्द होते ही ट्विटर इंक के शेयर एक बार फिर से 41.66 डॉलर के करीब आ गए हैं. जो एलन मस्क की ओर से ट्विटर डील तोड़ने के बाद का सबसे उच्चतम शेयर भाव है. हालांकि, संभव है कि ट्विटर को शेयर के भाव के लिहाज से उतना नुकसान न हो. लेकिन, कंपनी की साख पर लगा बट्टा आसानी से नही जाने वाला है.

एलन मस्क ने डील रद्द करते समय भी ट्विटर को लपेटा

वैसे, एलन मस्क ने जब ट्विटर खरीद सौदे को रद्द किया था. तब भी उन्होंने एक ट्वीट के जरिये ट्विटर पर निशाना साधा था. मस्क ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक फोटो शेयर की थी. जिसमें उन्हें हंसते हुए देखा जा सकता है. इस फोटो पर लिखा था कि पहले उन्होंने कहा कि मैं ट्विटर नहीं खरीद सकता, बाद में उन्होंने कहा कि वे बॉट (फेक अकाउंट्स) के बारे में जानकारी नहीं देंगे. अब वे मुझे ट्विटर खरीदने के लिए कोर्ट में मजबूर करना चाहते हैं. अब उन्हें फेक अकाउंट्स की जानकारी कोर्ट में देनी पड़ेगी. 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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