• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सोशल मीडिया

चुनाव आयोग फेसबुक के साथ रिश्ते बने तो रहेंगे लेकिन एहतियात के साथ...

    • संजय शर्मा
    • Updated: 23 मार्च, 2018 08:05 PM
  • 23 मार्च, 2018 08:05 PM
offline
भारतीय चुनाव आयोग ने फेसबुक के साथ अपने संबंधों की समीक्षा के संकेत दिए हैं तो आइये जानें कि कैसे चुनाव आयोग को फेसबुक के साथ रिश्ते निभाने के दौरान रखना होगा कुछ खास बातों का ध्यान.

फेसबुक से डाटा लीक होने की तस्दीक होने के बाद अब चुनाव आयोग फेसबुक के साथ अपने लगभग तीन साल पुराने रिश्तों की समीक्षा कर रहा है. आयोग के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक डाटा लीकेज ना हो इसके एहतियाती उपाय किये जाने ज़रूरी हैं बजाय कि युवाओं के पसंदीदा प्लेटफार्म्स से मुंह मोड़ने का कोई औचित्य आज के दौर में नहीं है.

चुनाव आयोग और फेसबुक के रिश्तों पर निगाह डालें तो दोनों की आंखे चार हुई 2015 में जब आयोग ने फेसबुक पर अपना पेज बनाया. 2014 के चुनावों से चार्ज हुए युवा मतदाताओं की जब आयोग की गतिविधियों में दिलचस्पी बढ़ी तो रिश्तों में गर्माहट भी बढ़ी. आयोग और फेसबुक में गठजोड़ हुआ। आयोग ने फेसबुक के ज़रिए 18 साल के हुए नौजवान वोटरों को जागरूक करने का ज़ोरदार अभियान चला. फेसबुक ने 2015 से अब तक उन नौजवानों को मैसेज भेजना शुरू किया जिन्होंने 18 बसन्त की दहलीज पार कर ली हो. नौजवान धड़ाधड़ जुड़ने लगे. मतदाताओं का पंजीकरण और आयोग के साथ फेसबुक का उत्साह सब साथ साथ बढ़ते गये.

भारतीय चुनाव आयोग ने फेसबुक के साथ अपने संबंधों की समीक्षा के संकेत दिए हैं

इसके बाद अगले बड़े प्रोजेक्ट में फेसबुक और चुनाव आयोग साथ चले जब 2016 में राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव हुए. तब भी फेसबुक ने नए वोटरों को उनके संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाई. इसके अलावा फेसबुक नवजवानों के जन्मदिन पर शुभकामनाएं और बधाई देने के साथ उन्हें ये भी याद दिलाने लगा कि अब वो देश के भाग्य विधाता यानी वोटर बनने के योग्य हो चुके हैं. फौरन वोटर रजिस्ट्रेशन कराकर वोटर कार्ड बनवा लें.

इसके बाद आया 2018 की 25 जनवरी को नेशनल वोटर्स डे. फेसबुक ने आयोग की ओर से भेजी बधाई! साथ ही वोट देने के अधिकार और लोकतांत्रिक कर्तव्यों की याद भी दिलाई. लेकिन अब जब फेसबुक के संस्थापक मार्क...

फेसबुक से डाटा लीक होने की तस्दीक होने के बाद अब चुनाव आयोग फेसबुक के साथ अपने लगभग तीन साल पुराने रिश्तों की समीक्षा कर रहा है. आयोग के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक डाटा लीकेज ना हो इसके एहतियाती उपाय किये जाने ज़रूरी हैं बजाय कि युवाओं के पसंदीदा प्लेटफार्म्स से मुंह मोड़ने का कोई औचित्य आज के दौर में नहीं है.

चुनाव आयोग और फेसबुक के रिश्तों पर निगाह डालें तो दोनों की आंखे चार हुई 2015 में जब आयोग ने फेसबुक पर अपना पेज बनाया. 2014 के चुनावों से चार्ज हुए युवा मतदाताओं की जब आयोग की गतिविधियों में दिलचस्पी बढ़ी तो रिश्तों में गर्माहट भी बढ़ी. आयोग और फेसबुक में गठजोड़ हुआ। आयोग ने फेसबुक के ज़रिए 18 साल के हुए नौजवान वोटरों को जागरूक करने का ज़ोरदार अभियान चला. फेसबुक ने 2015 से अब तक उन नौजवानों को मैसेज भेजना शुरू किया जिन्होंने 18 बसन्त की दहलीज पार कर ली हो. नौजवान धड़ाधड़ जुड़ने लगे. मतदाताओं का पंजीकरण और आयोग के साथ फेसबुक का उत्साह सब साथ साथ बढ़ते गये.

भारतीय चुनाव आयोग ने फेसबुक के साथ अपने संबंधों की समीक्षा के संकेत दिए हैं

इसके बाद अगले बड़े प्रोजेक्ट में फेसबुक और चुनाव आयोग साथ चले जब 2016 में राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव हुए. तब भी फेसबुक ने नए वोटरों को उनके संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों की याद दिलाई. इसके अलावा फेसबुक नवजवानों के जन्मदिन पर शुभकामनाएं और बधाई देने के साथ उन्हें ये भी याद दिलाने लगा कि अब वो देश के भाग्य विधाता यानी वोटर बनने के योग्य हो चुके हैं. फौरन वोटर रजिस्ट्रेशन कराकर वोटर कार्ड बनवा लें.

इसके बाद आया 2018 की 25 जनवरी को नेशनल वोटर्स डे. फेसबुक ने आयोग की ओर से भेजी बधाई! साथ ही वोट देने के अधिकार और लोकतांत्रिक कर्तव्यों की याद भी दिलाई. लेकिन अब जब फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने यह मान लिया है कि हां, चुनाव और मतदाताओं से सम्बंधित डाटा लीक हुआ है और इसकी जिम्मेदारी भी वो लेते हैं तो आयोग ने इस पर समीक्षा करने की ठानी.

आयोग ने इस पूरे मामले की गहन पड़ताल के लिए विशेषज्ञों की टीम बनाई और उनसे इस गड़बड़ के तकनीकी और कानूनी पहलुओं पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग उसी के आधार पर ज़्यादा मज़बूत सुरक्षा उपायों के साथ ही अब सोशल मीडिया की राह पर आगे बढ़ेगा. क्योंकि अधिकार और कर्तव्य के साथ निजता का अधिकार भी तो मायने रखता है ना.

ये भी पढ़ें -

Whatsapp बनाने वाला आखिर क्यों चाहता है कि Facebook delete कर दिया जाए?

जानें किस आधार पर दुनिया में सबसे ज्यादा 'फेक फॉलोअर्स' वाले नेता बने पीएम मोदी!

फेसबुक के कारण खतरे में है अगले लोकसभा चुनाव की निष्‍पक्षता !


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    नाम बदलने की सनक भारी पड़ेगी एलन मस्क को
  • offline
    डिजिटल-डिजिटल मत कीजिए, इस मीडियम को ठीक से समझिए!
  • offline
    अच्छा हुआ मां ने आकर क्लियर कर दिया, वरना बच्चे की पेंटिंग ने टीचर को तारे दिखा दिए थे!
  • offline
    बजरंग पुनिया Vs बजरंग दल: आना सरकार की नजरों में था लेकिन फिर दांव उल्टा पड़ गया!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲