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थैंक यू अवनी! तुमने 'हैशटैग' नहीं, बल्कि फाइटर प्लेन उड़ाकर महिला सशक्तिकरण को बल दिया

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 22 फरवरी, 2018 06:03 PM
  • 22 फरवरी, 2018 06:03 PM
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एक तरफ देश में हैशटैग चलाकर महिला सशक्तिकरण को बल दिया जा रहा है. तो वहीं दूसरी तरफ फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी, लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं और उन्होंने इतिहास रच दिया है.

देश में दिन भर में कुछ न कुछ घटित होता रहता है, ऐसे में कई ऐसी घटनाएं होती हैं, जिन्हें देखकर जहां एक तरफ मजबूती का अनुभव होता है, वहीं दूसरी तरफ हमारी सोच भी परिवर्तित होती है. खबर है कि फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं और इतिहास रच दिया है. जी हां, एक ऐसे दौर में जब हम घर में बेटी के जन्म लेने पर मुंह सिकोड़ लेते हैं और पूरा घर सर पर उठा लेते हैं. कई मायनों में महिला सशक्तिकरण को बल देती ये एक बड़ी खबर है. वायुसेना से प्राप्त जानकारी के अनुसार, चतुर्वेदी लड़ाकू विमान को अकेले उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं. उन्होंने मिग- 21 बाइसन को अकेले उड़ाया है. बताया जा रहा है कि इस तरह की यह उनकी पहली उड़ान थी.

अवनी के इस प्रयास ने लोगों में असल महिला सशक्तिकरण की भावना का संचार किया है

ध्यान रहे कि किसी भी पायलट के लिए हमेशा ही लड़ाकू विमान उड़ाना एक सपने की तरह होता है. अवनी ने भी सपना देखा था कि, वो फाइटर पायलट बनेंगी. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए अवनी ने प्रशिक्षण लिया और अपने सपने को  अंजाम तक पहुंचाया. ज्ञात हो कि 19 फरवरी की सुबह अवनी ने गुजरात के जामनगर एयरबेस से उड़ान भरी और सफलतापूर्वक अपना मिशन पूरा किया. उड़ान के दौरान अवनी के अलावा अनुभवी फ्लायर्स प्रशिक्षक, जामनगर एयरबेस का एयर ट्रैफिक कंट्रोल रन-वे पर निगरानी के लिए मौजूद था और उन्होंने इतिहास बनते हुए देखा.

आपको बताते चलें कि, महिला फाइटर पायलट बनने के लिए 2016 में पहली बार तीन महिलाओं अवनि चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना को वायु सेना में कमिशन किया गया था. अवनी की इस सफलता से न सिर्फ वो और उनके घरवाले खुश है बल्कि पूरे देश में खुशी की लहर है. सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर अवनी लगातार टॉप...

देश में दिन भर में कुछ न कुछ घटित होता रहता है, ऐसे में कई ऐसी घटनाएं होती हैं, जिन्हें देखकर जहां एक तरफ मजबूती का अनुभव होता है, वहीं दूसरी तरफ हमारी सोच भी परिवर्तित होती है. खबर है कि फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी लड़ाकू विमान उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं और इतिहास रच दिया है. जी हां, एक ऐसे दौर में जब हम घर में बेटी के जन्म लेने पर मुंह सिकोड़ लेते हैं और पूरा घर सर पर उठा लेते हैं. कई मायनों में महिला सशक्तिकरण को बल देती ये एक बड़ी खबर है. वायुसेना से प्राप्त जानकारी के अनुसार, चतुर्वेदी लड़ाकू विमान को अकेले उड़ाने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं. उन्होंने मिग- 21 बाइसन को अकेले उड़ाया है. बताया जा रहा है कि इस तरह की यह उनकी पहली उड़ान थी.

अवनी के इस प्रयास ने लोगों में असल महिला सशक्तिकरण की भावना का संचार किया है

ध्यान रहे कि किसी भी पायलट के लिए हमेशा ही लड़ाकू विमान उड़ाना एक सपने की तरह होता है. अवनी ने भी सपना देखा था कि, वो फाइटर पायलट बनेंगी. अपने इस सपने को पूरा करने के लिए अवनी ने प्रशिक्षण लिया और अपने सपने को  अंजाम तक पहुंचाया. ज्ञात हो कि 19 फरवरी की सुबह अवनी ने गुजरात के जामनगर एयरबेस से उड़ान भरी और सफलतापूर्वक अपना मिशन पूरा किया. उड़ान के दौरान अवनी के अलावा अनुभवी फ्लायर्स प्रशिक्षक, जामनगर एयरबेस का एयर ट्रैफिक कंट्रोल रन-वे पर निगरानी के लिए मौजूद था और उन्होंने इतिहास बनते हुए देखा.

आपको बताते चलें कि, महिला फाइटर पायलट बनने के लिए 2016 में पहली बार तीन महिलाओं अवनि चतुर्वेदी, मोहना सिंह और भावना को वायु सेना में कमिशन किया गया था. अवनी की इस सफलता से न सिर्फ वो और उनके घरवाले खुश है बल्कि पूरे देश में खुशी की लहर है. सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर अवनी लगातार टॉप ट्रेंड में हैं और दुनिया भर में बैठे भारतीय अपनी इस बेटी पर ट्वीट करते हुए एक के बाद एक ट्वीट कर उनका प्रोत्साहन कर रहे हैं. आइये नजर डालते हैं कुछ ऐसे ही ट्वीट्स पर.

गौरतलब है कि अवनी की ये उपलब्धि इस लिए भी एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी क्योंकि अब तक दुनिया के चुनिंदा देशों जैसे ब्रिटेन, अमेरिका, इजरायल और पाकिस्तान में ही महिलाएं फाइटर पायलट बन सकती थीं. ऐसे में भारत सरकार ने अक्टूबर 2015 में महिलाओं के फाइटर पायलट बनने की राह प्रशस्त कर दी थी. अंत में हम अपनी बात खत्म करते हुए यही कहेंगे कि अवनी उन महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं, जिनमें लीग से हटकर कुछ अलग करने और उसके माध्यम से देश सेवा करने का जज्बा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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