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छेड़छाड़ की शिकार इस लड़की की तस्वीरें कुछ बयान करती हैं...

    • श्रुति दीक्षित
    • Updated: 07 अक्टूबर, 2017 11:39 AM
  • 07 अक्टूबर, 2017 11:39 AM
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भारतीय सभ्यता के अनुसार छेड़छाड़ होने पर लड़की को चुप चाप आंखें नीची करके सीधे अपने रास्ते पर चले जाना चाहिए. ऐसा कई लोग करते भी हैं, लेकिन एम्सटरडैम की एक लड़की ने कुछ अलग किया.

रास्ते में चलते हुए अगर किसी लड़की को कोई लड़का छेड़े तो लड़की को क्या करना चाहिए? भारतीय सभ्यता के अनुसार ऐसा होने पर लड़की को चुप चाप आंखें नीची करके सीधे अपने रास्ते पर चले जाना चाहिए. ऐसा कई लोग करते भी हैं, लेकिन एम्सटरडैम की एक लड़की ने कुछ अलग किया.

सड़कों पर छेड़छाड़ काफी आम बात है. इतनी कि इसके बारे में कोई कुछ बड़ा करता ही नहीं. हालांकि, 20 साल की नोआ जान्समा ने कुछ अलग ही किया. नोआ ने उन सभी मर्दों के साथ सेल्फी ली जिन्होंने उसे छेड़ने की कोशिश की. इसमें कोई भी ऐसी सेल्फी नहीं है कि किसी मर्द को ये न पता हो कि उसकी तस्वीर ली जा रही है. नोआ ने उनसे पूछा और उन्होंने स्वेच्छा से सेल्फी खिंचवाई.

नोआ ने डियर कैटकॉलर्स (Dear Catcallers) के नाम से एक इंस्टाग्राम अकाउंट भी बनाया और सिर्फ 1 महीने में 30 पोस्ट के साथ अकाउंट के 45000 फॉलोवर्स हैं.

इन फोटोज में एक थीम भी दिखेगी. सभी मर्द हस रहे हैं और नोआ एकदम स्थिर चेहरे के साथ सीधे देख रही हैं. ये समझाता है कि नोआ कितनी असहज महसूस कर रही हैं उन मर्दों के बीच.

हर तस्वीर के साथ नोआ ने कैप्शन भी दिया है.

 

अपने प्रोजेक्ट के बारे में नोआ का कहना...

रास्ते में चलते हुए अगर किसी लड़की को कोई लड़का छेड़े तो लड़की को क्या करना चाहिए? भारतीय सभ्यता के अनुसार ऐसा होने पर लड़की को चुप चाप आंखें नीची करके सीधे अपने रास्ते पर चले जाना चाहिए. ऐसा कई लोग करते भी हैं, लेकिन एम्सटरडैम की एक लड़की ने कुछ अलग किया.

सड़कों पर छेड़छाड़ काफी आम बात है. इतनी कि इसके बारे में कोई कुछ बड़ा करता ही नहीं. हालांकि, 20 साल की नोआ जान्समा ने कुछ अलग ही किया. नोआ ने उन सभी मर्दों के साथ सेल्फी ली जिन्होंने उसे छेड़ने की कोशिश की. इसमें कोई भी ऐसी सेल्फी नहीं है कि किसी मर्द को ये न पता हो कि उसकी तस्वीर ली जा रही है. नोआ ने उनसे पूछा और उन्होंने स्वेच्छा से सेल्फी खिंचवाई.

नोआ ने डियर कैटकॉलर्स (Dear Catcallers) के नाम से एक इंस्टाग्राम अकाउंट भी बनाया और सिर्फ 1 महीने में 30 पोस्ट के साथ अकाउंट के 45000 फॉलोवर्स हैं.

इन फोटोज में एक थीम भी दिखेगी. सभी मर्द हस रहे हैं और नोआ एकदम स्थिर चेहरे के साथ सीधे देख रही हैं. ये समझाता है कि नोआ कितनी असहज महसूस कर रही हैं उन मर्दों के बीच.

हर तस्वीर के साथ नोआ ने कैप्शन भी दिया है.

 

अपने प्रोजेक्ट के बारे में नोआ का कहना है कि लड़कियों के साथ छेड़छाड़ को आम माना जाता है पर ये आम नहीं होती. उनके दिमाग में ये बात बहुत दिनों से थी, लेकिन एक दिन ट्रेन में जब नोआ को दो लड़कों ने छेड़ा तो नोआ ने एक्शन लिया.

एक महीने में 30 अलग-अलग तस्वीरें खींची गईं और शर्म की बात तो ये है कि उन मर्दों में से सिर्फ एक ने ये जानना चाहा कि आखिर ये तस्वीर क्यों खींची जा रही है.

किसी भी लड़की का पीछा करना, उसपर फब्तियां कसना, उसे छूने की कोशिश करना, सीटी बजाना ये तो बहुत आम है दुनिया में. इसे अगर सिर्फ भारत की समस्या समझा जा रहा है तो ऐसा नहीं है. ये समस्या तो पूरी दुनिया की बनती जा रही है.

अगर कोई लड़की सामने से आ रही है तो वो इसलिए घर से बाहर नहीं निकली कि उसे कुछ कहा जाए. नोआ का कहना है कि उनमें से कोई भी बिना किसी शक के अपना काम करता रहा क्योंकि किसी को भी ये नहीं लगता कि जो वो कर रहे हैं उसमें कोई बुराई है और उन्हें ये नहीं करना चाहिए.

ये सिर्फ कुछ की वाक्ये हैं. नोआ ने कई के साथ तो तस्वीर खिंचवाने की हिम्मत ही नहीं की क्योंकि उसे ये सुरक्षित नहीं लगा. छेड़छाड़ के इस एक्सपेरिमेंट के बाद अब नोआ चाहती हैं कि ये इंस्टाग्राम अकाउंट किसी अन्य लड़की के काम आए. 1 जनवरी 2018 से छेड़छाड़ के लिए एमस्टरडैम में 190 यूरो (लगभग 14500 रुपए) का फाइन लगने वाला है और इसे भी नोआ कम ही मानती हैं.

अब भारत में तो न जुर्माना लगेगा और इसके लिए किसी सख्त सजा के बारे में तो भूल ही जाइए. भारत में होती तो छेड़छाड़ के खिलाफ आवाज उठाने के चक्कर में या तो इसे कैरेक्टरलेस बोल दिया जाता, या तो समझाइश दी जाती कि लड़कियों को अकेले नहीं घूमना चाहिए, या तो उसके कपड़ो को लेकर उसे ट्रोल किया जाता, या फिर इंस्टाग्राम अकाउंट पर कई मनचले इससे फोटो खिंचवाने के लिए कहते और अगर इन सबके आगे ये किसी तरह से लोगों के साथ प्रोटेस्ट करने में कामयाब हो जाती तो इसे लाठियां खानी पड़तीं. खैर, भारत में जो भी हो लेकिन कम से कम हम इस लड़की के काम को तो सराह ही सकते हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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