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रश्मिका - राजामौली और साउथ के नाम पर क्या डूबती नैया बचा पाएगा बॉलीवुड?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 23 मार्च, 2023 04:05 PM
  • 23 मार्च, 2023 04:05 PM
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Zee Cine Award 2023 में पहले गुड बाय के लिए रश्मिका मंदाना को बेस्ट डेब्यू फीमेल का अवार्ड देना, उनसे मंच पर परफॉर्म कराना फिर आरआरआर के लिए बॉलीवुड का एसएस राजामौली को सम्मानित करना यूं ही नहीं है. इसके पीछे एक भारी गणित है.

फ्राइडे को बॉलीवुड में किसी नयी फिल्म का रिलीज होना भर है. क्या प्रड्यूसर- डायरेक्टर. क्या एक्टर और एक्ट्रेस सबकी शक्लें ऐसी मानों किसी दिए गए एग्जाम का रिजल्ट आ रहा है. एग्जामिनर जनता होती है और बताती है कि किसने बॉक्स ऑफिस पर क्या गुल खिलाया? कौन हिट हुआ? कौन फ्लॉप? बाकी दौर बॉयकॉट बॉलीवुड वाला है इसलिए ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि तमाम चुनौतियों का सामना हिंदी पट्टी को करना पड़ रहा है. शायद आपको जानकार हैरत हो मगर जैसे हाल हैं, फैंस के एक बड़े वर्ग ने हिंदी सिनेमा को सिनेमा की संज्ञा देनी ही बंद कर दी है. उनका मानना यही है कि अगर भारत में देखे जाने लायक फ़िल्में कहीं बन रही हैं तो वो सिर्फ साउथ है. कह सकते हैं कि मौजूदा वक़्त में जैसा ऑरा साउथ की फिल्मों ने बनाया है बॉलीवुड कहीं दब सा गया प्रतीत होता है. चूंकि कहावत है जब जागो तब सवेरा इसलिए अपनी रणनीति में बॉलीवुड ने अहम परिवर्तन किया जिसका नजारा हमें बीते दिनों हुए Zee Cine Award 2023 में देखने को मिला.

ध्यान रहे अब तक जैसा सिनेमा को लेकर माहौल था बॉलीवुड एक तरफ था वहीं दूसरी तरफ रीजनल सिनेमा जैसे टॉलीवुड, संदलवुड, तेलुगु और मलयालम सिनेमा थे लेकिन अब वक़्त बदल गया है और बात क्योंकि एक इंडस्ट्री के रूप में बॉलीवुड के सर्वाइवल की आ गयी है तो उसने इस विभाजन को हटा दिया है. कैसे? आइये समझते हैं.

ज़ी सिने अवार्ड्स में रश्मिका और राजामौली को सम्मानित करना बॉलीवुड के बचने की नाकाम कोशिश है

दरअसल इस बार जी सिने अवार्ड 2023 की ज्यूरी ने बेस्ट डेब्यू फीमेल के लिए रश्मिका मंदाना को अवार्ड दिया है. वही जब हम बतौर एक्टर रश्मिका के एक्टिंग करियर को देखते हैं तो मिलता है कि 2016 में किरिक पार्टी नाम की कन्नड़ फिल्म से इंडस्ट्री में कदम रखा था. रश्मिका दक्षिण में एक बड़ा नाम और...

फ्राइडे को बॉलीवुड में किसी नयी फिल्म का रिलीज होना भर है. क्या प्रड्यूसर- डायरेक्टर. क्या एक्टर और एक्ट्रेस सबकी शक्लें ऐसी मानों किसी दिए गए एग्जाम का रिजल्ट आ रहा है. एग्जामिनर जनता होती है और बताती है कि किसने बॉक्स ऑफिस पर क्या गुल खिलाया? कौन हिट हुआ? कौन फ्लॉप? बाकी दौर बॉयकॉट बॉलीवुड वाला है इसलिए ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि तमाम चुनौतियों का सामना हिंदी पट्टी को करना पड़ रहा है. शायद आपको जानकार हैरत हो मगर जैसे हाल हैं, फैंस के एक बड़े वर्ग ने हिंदी सिनेमा को सिनेमा की संज्ञा देनी ही बंद कर दी है. उनका मानना यही है कि अगर भारत में देखे जाने लायक फ़िल्में कहीं बन रही हैं तो वो सिर्फ साउथ है. कह सकते हैं कि मौजूदा वक़्त में जैसा ऑरा साउथ की फिल्मों ने बनाया है बॉलीवुड कहीं दब सा गया प्रतीत होता है. चूंकि कहावत है जब जागो तब सवेरा इसलिए अपनी रणनीति में बॉलीवुड ने अहम परिवर्तन किया जिसका नजारा हमें बीते दिनों हुए Zee Cine Award 2023 में देखने को मिला.

ध्यान रहे अब तक जैसा सिनेमा को लेकर माहौल था बॉलीवुड एक तरफ था वहीं दूसरी तरफ रीजनल सिनेमा जैसे टॉलीवुड, संदलवुड, तेलुगु और मलयालम सिनेमा थे लेकिन अब वक़्त बदल गया है और बात क्योंकि एक इंडस्ट्री के रूप में बॉलीवुड के सर्वाइवल की आ गयी है तो उसने इस विभाजन को हटा दिया है. कैसे? आइये समझते हैं.

ज़ी सिने अवार्ड्स में रश्मिका और राजामौली को सम्मानित करना बॉलीवुड के बचने की नाकाम कोशिश है

दरअसल इस बार जी सिने अवार्ड 2023 की ज्यूरी ने बेस्ट डेब्यू फीमेल के लिए रश्मिका मंदाना को अवार्ड दिया है. वही जब हम बतौर एक्टर रश्मिका के एक्टिंग करियर को देखते हैं तो मिलता है कि 2016 में किरिक पार्टी नाम की कन्नड़ फिल्म से इंडस्ट्री में कदम रखा था. रश्मिका दक्षिण में एक बड़ा नाम और जाना माना चेहरा और किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. लेकिन जिस तरह हिंदी पट्टी तक आते आते उन्हें 6 साल का समय लगा वो विचलित करता है.

बॉलीवुड द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद, साउथ की इंडस्ट्री से जुड़े तमाम फिल्म क्रिटिक ऐसे हैं. जिनका मानना है कि, मुश्किल वक़्त में रश्मिका को ढाल बनाकर बॉलीवुड ने उम्मीद की शम्मा रौशन तो की. लेकिन आदत से मजबूर बॉलीवुड की कार्यप्रणाली में कोई विशेष सुधर नहीं हुआ है. हो सकता है कि ये बात फैंस को अच्छी लगे कि देर आए दुरुस्त आए के फंडे पर काम करते हुए बॉलीवुड ने दक्षिण की एक अभिनेत्री को कंसीडर किया लेकिन बात तब थी जब रश्मिका को अवार्ड बेस्ट डेब्यू ने लिए नहीं दिया जाता बल्कि उन्हें अवार्ड बेस्ट एक्ट्रेस का मिलता. यहां हमें ये भी समझना होगा कि एक्टिंग के लिहाज से रश्मिका आलिया भट्ट से कहीं से भी कम नहीं है. (आलिया को गंगूबाई काठियावाड़ी के लिए बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड दिया गया है)

बात आलोचना की नहीं है लेकिन सच यही है कि बात जब एक इंडस्ट्री के रूप में बॉलीवुड में सबका साथ सबका विकास की आती है तो यहां हमें बॉलीवुड की कार्यप्रणाली में गहरा विरोधाभास दिखता है. खैर... Zee Cine Award 2023 के इस मंच से सिर्फ रश्मिका को ही नहीं बल्कि साउथ के एक और व्यक्ति को सम्मानित किया गया है. जी हां बात हो रही है आरआरआर फेम एस एस राजामौली की. एक ऐसे वक़्त में जान पूरी दुनिया आरआरआर का लोहा मान चुकी हो. अगर बॉलीवुड एस एस राजामौली को प्राइम ऑफ़ नेशन का अवार्ड दे रहा है तो कोई एहसान नहीं कर रहा है. जैसा काम राजामौली का है उन्हें ये अवार्ड बहुत पहले ही मिल जाना था.

कुल मिलाकर Zee Cine Award 2023 देखने के बाद ये कहना अतिश्योक्ति नहीं है कि अधर में फंसे बॉलीवुड ने राजामौली और रश्मिका को लाकर अपने आप को बचाने की तरकीब तो खूब निकाली लेकिन क्योंकि उसकी नीयत में खोट कोई आजका नहीं है तो तमाम विरोधाभास हैं जिनकी झड़ी लगी है.

जैसी मूवीज बतौर दर्शक हम बॉलीवुड से पा रहे हैं हमें ये कहने में कोई गुरेज नहीं हैं कि बॉलीवुड सिर्फ फ़िल्में बना रहा है और हमारा शुक्रवार ख़राब कर रहा है. असली काम साउथ में हो रहा है. वहां फिल्म से जुड़ा हर शख्स पूरी तसल्ली के साथ अपने काम को अंजाम दे रहा है और जो निकल रहा है वो आरआरआर सारिका विश्वस्तरीय हो रहा है. बॉलीवुड को बाज आ जाना चाहिए और इस बात को समझना चाहिए कि साउथ के दम पर बहुत दिन तक वो अपनी डूबती नैया पार नहीं लगा पाएगा. उसे भी साउथ की तरह क्रिएटिव, टैलेंटेड और दमदार होना ही पड़ेगा और ऐसा इसलिए भी क्योंकि दौर ओटीटी का है जहां बेईमानी करने का स्कोप न तो निर्माता निर्देशकों के पास है और न ही एक्टर और एक्ट्रेस के पास.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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