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जब योगी आदित्यनाथ कहते हैं 'मिट्टी में मिला दूंगा', तो मतलब समझ जा‍इये...

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 27 फरवरी, 2023 09:30 PM
  • 27 फरवरी, 2023 09:30 PM
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अपराध पर काबू पाने के इनाम में उत्तर प्रदेश की जनता ने लगभग चार दशक का रिकार्ड तोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ को दोबारा कुर्सी पर बैठाया. संगठित अपराध कम होना और प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगों के सिलसिले को थमना को यूपी सरकार की सफलता माना जाता है.

मिट्टी में मिला दूंगा ... ये वाक्य किसी एक्शन फिल्म का शीर्षक जैसा भी है. जनता अपना दिल ख़ुश करने के लिए यानी मनोरंजन के लिए फिल्म देखती है. तो फिर मारधाड़ वाली एक्शन फिल्में कैसे हिट हो जाती हैं ? इस प्रश्न का जवाब महत्वपूर्ण है. जनता को मारधाड़ नहीं पसंद है लेकिन ऐसी मारधाड़ जनता पसंद करती हैं जिसमें मारधाड़ करने वाले विलेन अंत में हीरो के हाथों कूटे जाते हैं. ऐसे दृश्य इस बात की तसल्ली देते हैं कि सज़ा के भय से आने वाला समय पूर्णयता अपराध मुक्त होने वाला है. बस यहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पॉलिटिकल निहितार्थ है. इसी कारण से योगी आदित्यनाथ को यूपी सहित पूरे देश की शांतिप्रिय जनता अपना नायक मानती है. इसीलिए ही अपराध और अपराधियों को नेस्तनाबूद करने का प्रण लेने वाले उनके वाक्य- मिट्टी में मिला दूंगा... गर्मी निकाल दूंगा..ठोक दूंगा... इत्यादि भारतीय जनमानस के लिए सुपरहिट डायलॉग होते हैं.

ज़ीरो टॉलरेंस की कोशिश वाली सख्त सरकार की फिल्म को बार-बार हिट करने के लिए जनता बार-बार ईवीएम के बॉक्स आफिस पर कमल का बटन दबाती है.अपराध पर काबू पाने के इनाम में उत्तर प्रदेश की जनता ने लगभग चार दशक का रिकार्ड तोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ को दोबारा कुर्सी पर बैठाया. संगठित अपराध कम होना और प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगों के सिलसिले को थमना को यूपी सरकार की सफलता माना जाता है.

फिर भी अपवादस्वरूप गाहे-बगाहे राजू पाल हत्याकांड जैसी ह्रदय विदारक आपराधिक घटनाएं सामने आ ही जाती हैं.ऐसी घटनाओं के कुछ पहलुओं पर ग़ौर कीजिए तो शक होता है कि कहीं योगी सरकार की ख़ूबियों की थाली में कंकर मिलाने जैसी कोई साजिश तो नहीं !प्रयागराज में राजू पाल की हत्या में किसी फिल्मी दृश्य की तरह हथियार लहराते-चलाते, बम बरसाते वीडियो और विधानसभा सत्र के दौरान वाली घटना की टाइमिंग पर ग़ौर कीजिए.

मिट्टी में मिला दूंगा ... ये वाक्य किसी एक्शन फिल्म का शीर्षक जैसा भी है. जनता अपना दिल ख़ुश करने के लिए यानी मनोरंजन के लिए फिल्म देखती है. तो फिर मारधाड़ वाली एक्शन फिल्में कैसे हिट हो जाती हैं ? इस प्रश्न का जवाब महत्वपूर्ण है. जनता को मारधाड़ नहीं पसंद है लेकिन ऐसी मारधाड़ जनता पसंद करती हैं जिसमें मारधाड़ करने वाले विलेन अंत में हीरो के हाथों कूटे जाते हैं. ऐसे दृश्य इस बात की तसल्ली देते हैं कि सज़ा के भय से आने वाला समय पूर्णयता अपराध मुक्त होने वाला है. बस यहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पॉलिटिकल निहितार्थ है. इसी कारण से योगी आदित्यनाथ को यूपी सहित पूरे देश की शांतिप्रिय जनता अपना नायक मानती है. इसीलिए ही अपराध और अपराधियों को नेस्तनाबूद करने का प्रण लेने वाले उनके वाक्य- मिट्टी में मिला दूंगा... गर्मी निकाल दूंगा..ठोक दूंगा... इत्यादि भारतीय जनमानस के लिए सुपरहिट डायलॉग होते हैं.

ज़ीरो टॉलरेंस की कोशिश वाली सख्त सरकार की फिल्म को बार-बार हिट करने के लिए जनता बार-बार ईवीएम के बॉक्स आफिस पर कमल का बटन दबाती है.अपराध पर काबू पाने के इनाम में उत्तर प्रदेश की जनता ने लगभग चार दशक का रिकार्ड तोड़ते हुए योगी आदित्यनाथ को दोबारा कुर्सी पर बैठाया. संगठित अपराध कम होना और प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगों के सिलसिले को थमना को यूपी सरकार की सफलता माना जाता है.

फिर भी अपवादस्वरूप गाहे-बगाहे राजू पाल हत्याकांड जैसी ह्रदय विदारक आपराधिक घटनाएं सामने आ ही जाती हैं.ऐसी घटनाओं के कुछ पहलुओं पर ग़ौर कीजिए तो शक होता है कि कहीं योगी सरकार की ख़ूबियों की थाली में कंकर मिलाने जैसी कोई साजिश तो नहीं !प्रयागराज में राजू पाल की हत्या में किसी फिल्मी दृश्य की तरह हथियार लहराते-चलाते, बम बरसाते वीडियो और विधानसभा सत्र के दौरान वाली घटना की टाइमिंग पर ग़ौर कीजिए.

इस बात में कोई शक नहीं कि योगी आदित्यनाथ के यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद सूबे में अपराधियों में खौफ है

 

माना जा रहा था कि उत्तर प्रदेश के बजट सत्र में सबसे बड़े विपक्षी दल सपा की तरफ से जाति का मुद्दा उछलेगा और इसके जवाब में सत्तापक्ष विकास, विश्वास, रोज़गार, निवेश और बेहतर क़ानून व्यवस्था के बखान से जाति के मुद्दे को धराशाई कर देगा. लेकिन सत्र में चर्चा के एक दिन पहले ही प्रयागराज की घटना की तस्वीर ने बेहतर कानून व्यवस्था के दावों को चुनौती दे दी.

सीसी टीवी कैमरों में क़ैद हत्या के दृश्य भी कुछ ऐसे हैं जैसे प्लान के मुताबिक प्रोफेशनल तरीके से शूट किए गए हों. या जानबूझ कर कैमरों की रीच के बीच फिल्मी अंदाज में हत्यारों ने आतंक की पराकाष्ठा का नंगा नाच किया हो.ऐसे तर्कों के साथ भाजपा समर्थक प्रयागराज की आपराधिक वारदात को सरकार को बदनाम करने वाली विरोधियों की साज़िश बता रहे हैं.

भाजपाई कह रहे हैं कि शक हो रहा है कि कहीं विधानसभा सत्र के ऐन वक्त पर प्रायोजित तरीके से इस वारदान को अंजाम तो नहीं दिया गया ! ताकि इसताज़ा मामले को लेकर योगी सरकार की कानून व्यवस्था को निशाने पर लिया जाए. यूपी की सियासत को समझने वाले विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार अनुपम मिश्रा और परवेज़ अहमद का कहना है कि भाजपा ने हर बार कोशिश की कि कभी मुख्यमंत्री योगी और विपक्षी नेता अखिलेश यादव आमने-सामने ना आएं. ख़ासकर विधानसभा में.

क्योंकि ऐसा होने पर अगड़ा-पिछड़ा सियासत को बल मिलने का खतरा है. यही कारण है कि हर बार अखिलेश यादव के हर हमले के सामने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को खड़ा किया गया. और दोनों नेताओं में नोंक-झोंक और तीखी झड़पें होती रहीं. लेकिन विपक्षियों ने इस बार प्रयागराज की घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इतना उकसाया की वो अखिलेश यादव के समक्ष आक्रामक हो गए.

भले ही योगी ने विधानसभा की चर्चा में सधे हुए तरीके से तर्क और तथ्यों के साथ अखिलेश यादव को करारा जवाब दिया किंतु भाजपा की योजना यही थी कि अखिलेश के सामने योगी नहीं बल्कि केशव मौर्य रहें. ख़ैर जो भी हो, सियासत की कोई साजिश हो, रणनीति हो या सदन में नेता सदन और नेता प्रतिपक्ष की किसी भी किस्म की नोंक-झोंक हो.

इस पूरी फिल्म में मुख्यमंत्री का डॉयलॉग-'माफियाओं को मिट्टी में मिला देंगे'. जनता को ख़ूब भाया. लोग चाहते भी यही हैं और आशा भी यही करते हैं कि आम जनता का सुख-शांति छीनने वाले और कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाले गुंडे, बदमाश, शातिर अपराधी और हर माफिया एक-एक कर मट्टी में मिला दिया जाए.

सोशल मीडिया पर चर्चाएं ये भी संभावनाएं व्यक्त करने लगी हैं कि किसी भी वक्त किसी भी अपराधी की गाड़ी पलट सकती है. ख़ासकर प्रयागराज की घटना को अंजाम देने वाले, सरेआम गोलियां लहराकर, बम बरसाकर नरसंहार करने वाले दुर्दांत अपराधियों की गाड़ियां पलटने (इनकाउंटर)की हर ख्वाहिश रखने वाली जनता की बड़ी तादाद है.

एक ख़बर ये भी है कि अपराधी अतीक अहमद को जेल से पूछताछ के लिए लाया जाना है. जनता कह रही है कि उसकी हिरासत का ख़ास ध्यान रखा जाए. बेलगाम गुर्गे की बल पर अतीक पुलिस पर हमला करवाकर भागने की कोशिश कर सकता है. और ऐसी परिस्थितियों में गाड़ी पलट जाए तो कोई आश्चर्य नहीं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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