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दलों को भाजपा और सीएम योगी आदित्यनाथ की ख़ूबियों से सीख जरूर लेना चाहिए!

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 28 मार्च, 2022 08:26 PM
  • 28 मार्च, 2022 08:26 PM
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यूपी में अगर भारतीय जनता पार्टी की सरकार दोबारा बनी है तो इसकी एक बड़ी वजह उसके कार्यकर्ता हैं. बात अगर एक पार्टी के रूप में भाजपा की हो तो भाजपा अपने हर कार्यकर्ता को हर जीत का नायक मानती हैं, लेकिन कुछ महानायक पर्दे के पीछे से संगठन को ताकत देने का काम करने के लिए रात-दिन पसीना बहाते हैं.

भाजपा की सफलताओं के कई राज़ हैं. यहां नेताओं से ज्यादा एहमियत कार्यकर्ताओं की समझी जाती है. और कार्यकर्ताओं में कर्मठता, सादगी, अनुशासन और जमीनी संघर्ष वालों को अवसर मिलते हैं. याद होगा आपको 2012 में सपा की जीत के बाद अखिलेश यादव ने जब शपथ ली थी तो मंच पर कूद रहे कुछ अनुशासनहीन सपाइयों ने मंच तोड़ दिया था, जिसके बाद अब तक लाख कोशिशों और प्रयोगों के बाद भी सपा शपथ ग्रहण समारोह का मंच सजा नहीं सकी.वैसे तो भाजपा अपने हर कार्यकर्ता को हर जीत का नायक मानती हैं, लेकिन कुछ महानायक पर्दे के पीछे से संगठन को ताकत देने का काम करने के लिए रात-दिन पसीना बहाते हैं.

भाजपा अगर दोबारा यूपी में आई है तो इसकी एक बड़ी वजह उसके कार्यकर्ताओं की मेहनत है 

संगठन की बात की जाए तो भाजपा के प्रदेश महामंत्री ( संगठन) सुनील बंसल 24×7 संगठन के लिए काम करते हैं. मीडिया से परहेज करते हैं, शोहरत की कदापि भूख नहीं है. शपथग्रहण समारोह में एक व्यक्ति कभी माइक ठीक करते तो कभी कुर्सियां व्यवस्थित करते नजर आए. ये यूपी भाजपा संगठन प्रभारी सुनील बंसल थे.

मीडिया से दूरी, अनुशासन,सादगी, कर्मठता और सरकार में आने की मोहमाया न होना.. जैसी ख़ूबियों वाले संघ के सिपाही ही शायद भाजपा की सफलता के मील के पत्थर हैं. ऐसी कार्यसंस्कृति वाली राजनीतिक पार्टी में ये अनुमान भी लगाना बेइमानी था कि चार दिन पहले भाजपा की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करने वाली अपर्णा यादव जैसी अनुभवहीन लोगों को मंत्रीमंडल में शामिल होंगी.

मुस्लिम नुमाइंदगी को लेकर सवाल उठते इसलिए तकनीकी कारणों से पिछली योगी सरकार के मंत्रीमंडल में जनाब मोहसिन रज़ा को शामिल कर लिया गया था, किन्तु वो टीवी कैमरों के मोह से ज़मीनी संघर्ष करते नजर नहीं आए, अपने बूथ से भी सौ-दो सौ वोट भी नहीं दिलवा...

भाजपा की सफलताओं के कई राज़ हैं. यहां नेताओं से ज्यादा एहमियत कार्यकर्ताओं की समझी जाती है. और कार्यकर्ताओं में कर्मठता, सादगी, अनुशासन और जमीनी संघर्ष वालों को अवसर मिलते हैं. याद होगा आपको 2012 में सपा की जीत के बाद अखिलेश यादव ने जब शपथ ली थी तो मंच पर कूद रहे कुछ अनुशासनहीन सपाइयों ने मंच तोड़ दिया था, जिसके बाद अब तक लाख कोशिशों और प्रयोगों के बाद भी सपा शपथ ग्रहण समारोह का मंच सजा नहीं सकी.वैसे तो भाजपा अपने हर कार्यकर्ता को हर जीत का नायक मानती हैं, लेकिन कुछ महानायक पर्दे के पीछे से संगठन को ताकत देने का काम करने के लिए रात-दिन पसीना बहाते हैं.

भाजपा अगर दोबारा यूपी में आई है तो इसकी एक बड़ी वजह उसके कार्यकर्ताओं की मेहनत है 

संगठन की बात की जाए तो भाजपा के प्रदेश महामंत्री ( संगठन) सुनील बंसल 24×7 संगठन के लिए काम करते हैं. मीडिया से परहेज करते हैं, शोहरत की कदापि भूख नहीं है. शपथग्रहण समारोह में एक व्यक्ति कभी माइक ठीक करते तो कभी कुर्सियां व्यवस्थित करते नजर आए. ये यूपी भाजपा संगठन प्रभारी सुनील बंसल थे.

मीडिया से दूरी, अनुशासन,सादगी, कर्मठता और सरकार में आने की मोहमाया न होना.. जैसी ख़ूबियों वाले संघ के सिपाही ही शायद भाजपा की सफलता के मील के पत्थर हैं. ऐसी कार्यसंस्कृति वाली राजनीतिक पार्टी में ये अनुमान भी लगाना बेइमानी था कि चार दिन पहले भाजपा की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण करने वाली अपर्णा यादव जैसी अनुभवहीन लोगों को मंत्रीमंडल में शामिल होंगी.

मुस्लिम नुमाइंदगी को लेकर सवाल उठते इसलिए तकनीकी कारणों से पिछली योगी सरकार के मंत्रीमंडल में जनाब मोहसिन रज़ा को शामिल कर लिया गया था, किन्तु वो टीवी कैमरों के मोह से ज़मीनी संघर्ष करते नजर नहीं आए, अपने बूथ से भी सौ-दो सौ वोट भी नहीं दिलवा सके.

मुस्लिम समाज में भी गरीब इंसान के किसी बुरे वक्त पर कभी नहीं दिखे. टीवी और कैमरे के दायरे में बंधे रहे. किसी भी भाजपा के बड़े मंच पर बड़े नेताओं के इर्द-गिर्द प्रोटोकॉल तोड़ कर मंडराते रहे. इसलिए उन्हें हटाकर दूसरे को मौका दिया गया.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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