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योगी ने शिवपाल को 'पेंडुलम' कहा लेकिन बनाया तो अखिलेश यादव ने ही है

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 29 नवम्बर, 2022 09:54 PM
  • 29 नवम्बर, 2022 09:54 PM
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मैनपुरी लोकसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में प्रचार के लिए पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) पर निशाना साधते हुए उन्हें पेंडुलम कह दिया. जिसके बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) चाचा शिवपाल के बचाव में आ गए.

मैनपुरी लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार करने पहुंचे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निशाने पर खासतौर से 'यादव कुनबा' रहा था. उस दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 'चाचा शिवपाल यादव की स्थिति पेंडुलम के जैसी हो गई है. चाचा को बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं मिलती. उन्हें कुर्सी के हत्थे पर बैठाया जाता है. चाचा को फुटबॉल बना दिया है. जीवन में कभी पेंडुलम नहीं बनना चाहिए. पेंडुलम का कोई लक्ष्य नहीं होता है.' वहीं, अब चाचा शिवपाल यादव पर किए गए इस तंज पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पलटवार किया है. अखिलेश यादव ने कहा है कि 'चाचा शिवपाल पेंडुलम नहीं झूला हैं. वे मुख्यमंत्री को ऐसा झूला झुलाएंगे कि उन्हें पता नहीं चलेगा, कहां चले गए.' लेकिन, जिस तरह से अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को झूला बताया है. ऐसा लग रहा है कि जरूरत पड़ने पर फिर से चाचा के साथ खेला करने से वो चूकेंगे नहीं.

मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव अखिलेश यादव के लिए नाक का सवाल बन गया है.

अभी ज्यादा समय नहीं बीता है. जब अखिलेश यादव ने ताकीद कर दी थी कि चाचा शिवपाल यादव को जहां सम्मान मिले, वो वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं. जिसके बाद शिवपाल यादव इधर-उधर होने की घुड़की देते रहे. लेकिन, समाजवादी पार्टी नहीं छोड़ी थी. वहीं, मैनपुरी लोकसभा सीट का उपचुनाव फंसते देख एक बार फिर से अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव के घर जाकर मुलाकात की. जो यूपी विधानसभा चुनाव से पहले की गई अखिलेश-शिवपाल की मुलाकात की तरह ही थी. लेकिन, चुनाव के बाद चाचा-भतीजे के रिश्तों में किस कदर तल्खी आ गई थी. ये भी किसी से छिपा नहीं है. वैसे, जब शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी से निकाला गया था. तो, उसके पीछे की वजह अखिलेश यादव ही थे. क्योंकि, अखिलेश नहीं चाहते थे कि समाजवादी पार्टी पर किसी भी हाल में शिवपाल यादव अपनी दावेदारी ठोंके.

मैनपुरी लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार करने पहुंचे यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निशाने पर खासतौर से 'यादव कुनबा' रहा था. उस दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 'चाचा शिवपाल यादव की स्थिति पेंडुलम के जैसी हो गई है. चाचा को बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं मिलती. उन्हें कुर्सी के हत्थे पर बैठाया जाता है. चाचा को फुटबॉल बना दिया है. जीवन में कभी पेंडुलम नहीं बनना चाहिए. पेंडुलम का कोई लक्ष्य नहीं होता है.' वहीं, अब चाचा शिवपाल यादव पर किए गए इस तंज पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पलटवार किया है. अखिलेश यादव ने कहा है कि 'चाचा शिवपाल पेंडुलम नहीं झूला हैं. वे मुख्यमंत्री को ऐसा झूला झुलाएंगे कि उन्हें पता नहीं चलेगा, कहां चले गए.' लेकिन, जिस तरह से अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल को झूला बताया है. ऐसा लग रहा है कि जरूरत पड़ने पर फिर से चाचा के साथ खेला करने से वो चूकेंगे नहीं.

मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव अखिलेश यादव के लिए नाक का सवाल बन गया है.

अभी ज्यादा समय नहीं बीता है. जब अखिलेश यादव ने ताकीद कर दी थी कि चाचा शिवपाल यादव को जहां सम्मान मिले, वो वहां जाने के लिए स्वतंत्र हैं. जिसके बाद शिवपाल यादव इधर-उधर होने की घुड़की देते रहे. लेकिन, समाजवादी पार्टी नहीं छोड़ी थी. वहीं, मैनपुरी लोकसभा सीट का उपचुनाव फंसते देख एक बार फिर से अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव के घर जाकर मुलाकात की. जो यूपी विधानसभा चुनाव से पहले की गई अखिलेश-शिवपाल की मुलाकात की तरह ही थी. लेकिन, चुनाव के बाद चाचा-भतीजे के रिश्तों में किस कदर तल्खी आ गई थी. ये भी किसी से छिपा नहीं है. वैसे, जब शिवपाल यादव को समाजवादी पार्टी से निकाला गया था. तो, उसके पीछे की वजह अखिलेश यादव ही थे. क्योंकि, अखिलेश नहीं चाहते थे कि समाजवादी पार्टी पर किसी भी हाल में शिवपाल यादव अपनी दावेदारी ठोंके.

इसके उलट अब मैनपुरी लोकसभा चुनाव से पहले चाचा-भतीजे के बीच एक बार फिर से भरोसा कायम हो गया है. दरअसल, इसकी एक बड़ी वजह शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव हैं. शिवपाल की राजनीति अब कुछ ही सालों की बची है. और, उनके बेटे आदित्य यादव अभी तक राजनीति में कोई स्थापित चेहरा नहीं बन सके हैं. अखिलेश यादव से करीबी दिखाकर शिवपाल अपने बेटे के लिए समाजवादी पार्टी में जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन, अखिलेश यादव भी चाचा शिवपाल पर इतनी आसानी से भरोसा करने वाले नहीं हैं. क्योंकि, उन्हें पता है कि अगर शिवपाल यादव को थोड़ी सी भी ढील दी गई. तो, वो सीधे समाजवादी पार्टी पर कब्जा करने की कोशिश करेंगे. हालांकि, यह संभव नहीं है. लेकिन, इतना तो तय है कि अखिलेश ने चाचा शिवपाल को झूला बताकर उन्हें ही झुला दिया है.

अगर 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले शिवपाल यादव जरा सी भी गड़बड़ करते हैं. तो, अखिलेश यादव उन्हें साइडलाइन करने में समय नहीं लगाएंगे. क्योंकि, भले ही योगी आदित्यनाथ ने शिवपाल को पेंडुलम कहा हो. लेकिन, चाचा को पेंडुलम बनाया, तो अखिलेश ने ही है. वैसे, ये तो नहीं ही हो सकता है कि अखिलेश यादव को ये भी न पता हो कि झूला भी पेंडुलम की तरह ही काम करता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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