• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

सुजाता मंडल-सौमित्र खान: साल 2020 के जाते जाते सामने आया तलाक का अजीब किस्सा

    • आईचौक
    • Updated: 24 दिसम्बर, 2020 09:59 AM
  • 24 दिसम्बर, 2020 09:59 AM
offline
बीजेपी सांसद सौमित्र खान (Saumitra Khan) और TMC नेता सुजाता मंडल खान (Sujata Mondal Khan) के बीच तलाक का मामला सियासी ड्रामा है या मौके का फायदा उठाने की कोशिश - बेहतर तो वे दोनों ही जानते होंगे, लेकिन ये भी पश्चिम बंगाल के राजनीतिक हिंसा (Political Violence) जैसा ही है.

तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी के जंग का जवाब ममता बनर्जी ने सर्जिकल स्ट्राइक से दिया है - लेकिन सियासी जोर आजमाइश के चक्कर में एक फेमिली ही दांव पर लग गयी है. दांव पर लगा है 10 साल पुराना रुमानी रिश्ता और चार साल पुरानी शादीशुदा जिंदगी.

शुभेंदु अधिकारी सहित कई तृणमूल कांग्रेस नेताओं के साथ अमित शाह के बीजेपी ज्वाइन कराने के दो दिन बाद ही बीजेपी सांसद सौमित्र खान की पत्नी सुजाता मंडल खान (Sujata Mondal Khan) ने ममता बनर्जी की शरण ले ली - और तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. उसके बाद तो सौमित्र खान ने भी आव न देखा ताव अपनी पत्नी सुजाता मंडल खान को तलाक का नोटिस थमा दिया है.

कानून बना कर तीन तलाक खत्म करने वाली केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर अपने सांसद से पत्नी को तलाक दिलवाने की तोहमत लग रही है - और ये इल्जाम लगा रही हैं बीजेपी सांसद सौमित्र खान (Saumitra Khan) की पत्नी सुजाता मंडल खान.

सुजाता मंडल खान ने 23 दिसंबर को ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है - और उनके ऐसा करने से नाराज उनके पति सौमित्र खान ने नाम से खान टाइटल हटाने की सलाहियत के साथ ही तलाक का नोटिस भी थमा दिया है.

पश्चिम बंगाल चुनाव चाहे कोई जीते या हारे, बात अगर नोटिस तक रही तो ठीक वरना राजनीति के चक्कर में एक परिवार को तोड़ने के पाप के भागीदार बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही होंगे - अगर किसी ने भी एक शादीशुदा जोड़े की जिंदगी को फिर से खुशहाल बनाने की कोई पहल नहीं की! और अगर सौमित्र खान और सुजाता मंडल खान मिल जुल कर कोई सियासी ड्रामा नहीं कर रहे हैं, तो मौके का राजनीतिक फायदा उठाना भी पश्चिम बंगाल के राजनीतिक हिंसा (Political Violence) जैसा ही लगता है.

ये सियासी ड्रामा है या मौके का फायदा उठाने की कोशिश?

2019 के चुनाव से पहले सौमित्र खान को एक आपराधिक मामले में जमानत तो मिल गयी, लेकिन शर्तों के साथ. शर्त ये रही कि वो अपने चुनाव क्षेत्र बिष्णुपुर नहीं जाएंगे. जेल से छूटने के लिए सौमित्र खान ने...

तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी के जंग का जवाब ममता बनर्जी ने सर्जिकल स्ट्राइक से दिया है - लेकिन सियासी जोर आजमाइश के चक्कर में एक फेमिली ही दांव पर लग गयी है. दांव पर लगा है 10 साल पुराना रुमानी रिश्ता और चार साल पुरानी शादीशुदा जिंदगी.

शुभेंदु अधिकारी सहित कई तृणमूल कांग्रेस नेताओं के साथ अमित शाह के बीजेपी ज्वाइन कराने के दो दिन बाद ही बीजेपी सांसद सौमित्र खान की पत्नी सुजाता मंडल खान (Sujata Mondal Khan) ने ममता बनर्जी की शरण ले ली - और तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर लिया. उसके बाद तो सौमित्र खान ने भी आव न देखा ताव अपनी पत्नी सुजाता मंडल खान को तलाक का नोटिस थमा दिया है.

कानून बना कर तीन तलाक खत्म करने वाली केंद्र में सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर अपने सांसद से पत्नी को तलाक दिलवाने की तोहमत लग रही है - और ये इल्जाम लगा रही हैं बीजेपी सांसद सौमित्र खान (Saumitra Khan) की पत्नी सुजाता मंडल खान.

सुजाता मंडल खान ने 23 दिसंबर को ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है - और उनके ऐसा करने से नाराज उनके पति सौमित्र खान ने नाम से खान टाइटल हटाने की सलाहियत के साथ ही तलाक का नोटिस भी थमा दिया है.

पश्चिम बंगाल चुनाव चाहे कोई जीते या हारे, बात अगर नोटिस तक रही तो ठीक वरना राजनीति के चक्कर में एक परिवार को तोड़ने के पाप के भागीदार बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस दोनों ही होंगे - अगर किसी ने भी एक शादीशुदा जोड़े की जिंदगी को फिर से खुशहाल बनाने की कोई पहल नहीं की! और अगर सौमित्र खान और सुजाता मंडल खान मिल जुल कर कोई सियासी ड्रामा नहीं कर रहे हैं, तो मौके का राजनीतिक फायदा उठाना भी पश्चिम बंगाल के राजनीतिक हिंसा (Political Violence) जैसा ही लगता है.

ये सियासी ड्रामा है या मौके का फायदा उठाने की कोशिश?

2019 के चुनाव से पहले सौमित्र खान को एक आपराधिक मामले में जमानत तो मिल गयी, लेकिन शर्तों के साथ. शर्त ये रही कि वो अपने चुनाव क्षेत्र बिष्णुपुर नहीं जाएंगे. जेल से छूटने के लिए सौमित्र खान ने शर्त मान ली और चुनाव प्रचार करने नहीं गये. तब सुजाता मंडल खान ने पति को चुनाव जिताने के लिए कड़ी मेहनत की - और उसी की बदौलत सौमित्र खान बीजेपी के टिकट पर दोबारा लोक सभा पहुंचे.

सुजाता मंडल ने बीजेपी छोड़ने वजह पार्टी में नजरअंदाज किया जाना बताया, पति के लिए इतने त्याग के बदले में पार्टी की तरफ से उनको कभी कुछ भी नहीं मिला.

सुजाता मंडल खान की शिकायतों को खारिज करते हुए सौमित्र खान कह रहे हैं कि बीजेपी में परिवारवाद नहीं चलता है. चुनाव दर चुनाव ऐसे सैकड़ों उदाहरण मिल जाएंगे जहां बीजेपी के परिवारवाद से परहेज के सौमित्र खान के दावे बेकार साबित होंगे - ज्यादा दूर नहीं हाल ही हुए विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची पर सौमित्र खान एक बार नजर डाल लेते तो दूसरों को ये नहीं कहना पड़ता कि वो सरेआम झूठ बोल रहे हैं.

सौमित्र खान का इल्जाम है कि तृणमूल कांग्रेस उनकी पत्नी को चुरा लिया है - इसलिए वो पत्नी को तलाक देंगे और पूरी मेहनत से बीजेपी को मजबूत करने में जुट जाएंगे.

सौमित्र खान ऐसा क्यों कह रहे हैं कि तृणमूल कांग्रेस ने उनकी पत्नी को चुरा लिया है, ऐसे क्यों नहीं बोलते कि ये डकैती का मामला!

सुजाता मंडल का कहना है, 'जब आपकी निजी जिंदगी में राजनीति घुस जाती है, तो इससे रिश्ता खराब होता है... सौमित्र बीजेपी में गलत लोगों की संगत में हैं, जो उन्हें मेरे खिलाफ भड़का रहे हैं... जिस पार्टी ने ट्रिपल तलाक खत्म किया, वो आज सौमित्र से मुझे तलाक देने को कह रही है.'

सुजाता मंडल का कहना है कि अब भी वो अपने पति से प्यार करती हैं - और अलग होने की बात उन्होंने नहीं की है. कहती हैं, 'वो मुझे तलाक इसलिए दे रहे हैं क्योंकि मैंने पार्टी बदल ली है.'

सुजाता मंडल खान को लगता है कि उनके पति शायद किसी की बातों में आ गये हैं. आज तक से बातचीत में सुजाता मंडल खान कहती हैं, 'मुझे नहीं लगता कि पति-पत्नी के अलग-अलग पार्टी में होने से उनका रिश्ता खराब हो सकता है. ऐसे बहुत सारे उदाहरण हैं. मैं आपको बता सकती हूं कि टीएमसी जिसे मैंने ज्वाइन किया उसके वरिष्ठ नेता हैं सौगत रॉय उनके बड़े भाई तथागत रॉय बीजेपी में हैं. वो राज्यपाल भी थे. उन दोनों के रिश्ते खराब होने की बात कभी नहीं सुनी.'

शादी को सात जन्मों का रिश्ता बताते हुए सुजाता मंडल कहती हैं, 'कहा जाता है कि ये रिश्ते भगवान ऊपर से बना कर भेजता है. उसे कोई इस बात पर तोड़ना चाहता है कि मैं टीएमसी में आ गई. इसमें पति-पत्नी का रिश्ता कहां से आ गया.'

सुजाता मंडल खान ने अपना स्टैंड भी साफ कर दिया है, 'मैंने सौमित्र का बुरा कभी नहीं चाहा, वो अपनी जिंदगी में खुश रहें बड़ी तरक्की करें यही चाहती हूं. वो मुझे पत्नी मानें या ना मानें मैं अब भी उन्हें अपना पति मानती हूं - उनके नाम का सिंदूर मेरे माथे पर है.'

राजनीति प्रेम कहानियों से भरी बड़ी है, लेकिन प्रेम और विवाह के बाद तलाक की नौबत लाने वाली राजनीति की ये शायद पहली कहानी होगी - कम से कम पश्चिम बंगाल में तो ऐसा ही होगा.

बिहार के पप्पू यादव और रंजीता रंजन एक साथ, अलग अलग राजनीतिक पार्टी से लोक सभा सांसद रहे हैं - लेकिन पश्चिम बंगाल में सुजाता मंडल खान के ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर लेने के बाद रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच गया है.

ध्यान देने वाली बात ये है कि सुजाता मंडल खान प्यार, सात जन्मों का रिश्ता और सिंदूर जैसी चीजों की मिसाल तो दे रही हैं, लेकिन लगता तो ऐसा है जैसे वो दूर से ही पति की खुशहाल जिंदगी की दुआएं दे रही हैं - मतलब, क्या ये समझा जाये कि वो भी आगे बढ़ने का फैसला कर चुकी हैं. द प्रिंट ने बीजेपी सूत्रों के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट में बताया है कि सुजाता मंडल खान की महत्वाकांक्षा सौमित्र खान के साथ निजी रिश्तों पर भारी पड़ रही थी थी - और सब कुछ ठीक नहीं चल रहा था.

ऐसा तो नहीं लगता कि पति पत्नी के बीच चल रहे सियासी ड्रामे की कोई स्क्रिप्ट पहले से लिखी गयी हो, लेकिन कहीं न कहीं ये जरूर लगने लगा है कि अपनी अपनी पार्टियों के प्रति निष्ठा दिखाने के लिए मिले मौके का दोनों ही भरपूर फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं - और चुनावी माहौल में ये सब नये मिजाज में सुर्खियां बटोर रहा है.

अजीब दास्तां है ये!

ये उन दिनों की बात है जब कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच गठबंधन हुआ करता था. ममता बनर्जी कांग्रेस की मदद से पश्चिम बंगाल में परिवर्तन की लड़ाई लड़ रही थीं - और मां, माटी, मानुष के नारे के साथ राइटर्स बिल्डिंग पर कब्जे के लिए संघर्ष कर रही थीं.

ठीक दस साल पहले 2010 में सौमित्र खान की सुजाता मंडल से मुलाकात हुई. तब सौमित्र खान कांग्रेस नेता हुआ करते थे और सुजाता मंडल सरकारी स्कूल में टीचर थीं. जैसे जैसे दोनों का प्यार गहराता गया, रिश्ते मजबूत होते गये - सुजाता मंडल एक मजबूत सपोर्ट के तौर पर सौमित्र खान के इर्द गिर्द राजनीतिक कार्यक्रमों में देखी जाने लगीं. पंचायत स्तर से कांग्रेस में एंट्री मारने वाले सौमित्र खान के लिए प्यार और राजनीति साथ साथ चलते रहे.

साल भर बाद ही 2011 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस गठबंधन से कांग्रेस के टिकट पर सौमित्र खान बांकुड़ा विधानसभा सीट से चुनाव जीत गये. सुजाता के जिंदगी में आने के साल भर बाद ही विधायक बने सौमित्र खान ने प्यार तो नहीं लेकिन राजनीति में पाला बदल लिया. दरअसल, 2012 में कांग्रेस के साथ ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के रिश्ते खत्म कर लिये. तब कांग्रेस के कई विधायकों ने तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर लिया - और सौमित्र खान भी उनमें से एक रहे.

केंद्र की तब की यूपीए सरकार में हिस्सेदार ममता बनर्जी सितंबर, 2012 में FDI रिटेल, डीजल और गैस सिलिंडरों पर सब्सिडी के कोटे को लेकर विरोध जताया और अपनी मांगें नहीं माने जाने पर सरकार से समर्थन वापस ले लिया - क्रिया की प्रतिक्रिया की तरह पश्चिम बंगाल में कांग्रेस नेताओं ने भी तृणमूल कांग्रेस सरकार से सपोर्ट वापस ले लिया और गठबंधन टूट गया.

2014 में सौमित्र खान पहली बार ममता बनर्जी की ही बदौलत लोक सभा पहुंचे - और दो साल बाद 2016 में सुजाता मंडल से शादी रचा ली. 2019 में सौमित्र खान दोबारा लोक सभा पहुंचे, लेकिन आम चुनाव के ऐन पहले सौमित्र खान तृणमूल कांग्रेस को वैसा ही झटका दिया जैसा सात साल पहले कांग्रेस को दे चुके थे. फिलहाल सौमित्र खान पश्चिम बंगाल की बिष्णुपुर लोक सभा सीट से बीजेपी के सांसद हैं.

ये अजीब दास्तां सियासत के सफर में ही एक दशक पहले शुरू हुई. पड़ावों से गुजरती, जिंदगी पटरियां बदलती हुई, बढ़ती चली जा रही थी - और तभी अचानक ब्रेक लगते ही एक जोरदार आवाज गूंजी - तड़ाक! असलियत में ये आवाज 'तड़ाक' के तौर पर गूंजी जरूर लेकिन तभी मालूम हुआ मामला 'तलाक' तक पहुंच चुका है - और ये अजीब दास्तां पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के ठीक पहले सुनने को मिली है.

ये किस्सा है कांग्रेस में शुरू हुई मोहब्बत के तृणमूल कांग्रेस से होते हुए बीजेपी पहुंचने और फिर से टीएमसी के पेंच में फंस कर खतरे में पड़ जाने का - शुक्र है. मामला अभी तलाक के नोटिस तक ही है!

इन्हें भी पढ़ें :

ममता बनर्जी को अभी वोटर का समर्थन चाहिये - शरद पवार जैसा मोरल सपोर्ट नहीं

बंगाल चुनाव में BJP की जीत पर प्रशांत किशोर की भविष्यवाणी दोधारी तलवार बन गई है!

ममता की मुश्किलें बढ़ी हैं, लेकिन शाह के सामने बंगाल में भी दिल्ली जैसी चुनौती


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲