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क्या सच में गुजरात का ताज बीजेपी को जा रहा है?

    • रमेश ठाकुर
    • Updated: 17 दिसम्बर, 2017 06:03 PM
  • 17 दिसम्बर, 2017 06:03 PM
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भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस और हार्दिक पटेल ने एक दूसरे से हाथ मिलाया. हार्दिक पटेल किसी भी सूरत में मोदी को रोकना चाहते हैं. लेकिन क्या ऐसा होगा, इसलिए दो दिन का और इंतजार करने की जरूरत है.

एग्जिट पोल की विश्वसनीयता एक बार फिर दांव पर लगी है. अगर इस बार भी ये पोल्स गलत साबित हुए तो इनसे लोगों का विश्वास खत्म हो जाएगा. दरअसल पहले के कई एग्जिट पोल हवा-हवाई साबित हुए हैं. दिल्ली चुनाव परिणाम के आंकलनों पर सभी चैनल मुंह की खा चुके हैं. उस वक्त सभी चैनलों के एग्जिट पोल गलत साबित हुए थे. यही कारण है कि कुछ समय से एग्जिट पोलों की साख पर लोग सवाल खड़े करने लगे हैं. क्योंकि चैनलों की जल्दबाजी के चलते पिछले कुछ सालों से इन एग्जिट पोलों की पोल खुल चुकी है.

एग्जिट पोल कितने सही, कितने गलत?

मालूम हो कि जब दिल्ली में विधानसभा के चुनाव हुए, तो अधिकतर चैनलों ने भाजपा को जीतता हुआ दिखाया था. लेकिन रिजल्ट आने के बाद पता चला की एक्जिट पोल में न्यूज चैनल जिसकी सरकार बनावा रहे थे, वह पार्टी सिर्फ तीन ही सीटों पर सिमट गई. खैर, अतीत को ध्यान में न रखकर खबरिया चैनल गुरूवार को गुजरात में अंतिम चरण का चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रहे थे. जैसे ही पांच बजे और मतदान खत्म हुआ. सभी चैनलों ने एक साथ अपने अपने एग्जिट पोल के द्वार खोल दिए थे. सभी ने अपने-अपने अनुमानों के आधार पर आंकलन पेश किए. परिणाम आने से पहले ही सभी चैनलों ने गुजरात और हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने के सबूत जारी कर दिए. चैनलों ने गुजराज में भाजपा को तीन तिहाई सीटें दी हैं ऐसा ही अनुमान हिमाचल प्रदेश में बताया है. चैनलों ने जैसे ही भाजपा के पक्ष में रूझान बताए, दिल्ली-गुजरात स्थित पार्टी कार्यालयों पर कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़े बजने शुरू हो गए. उत्साहित कार्यकर्ता पटाखे फोड़ने लगे. एक दूसरे को गुलाल लगाने लगे. 'गुजरात...

एग्जिट पोल की विश्वसनीयता एक बार फिर दांव पर लगी है. अगर इस बार भी ये पोल्स गलत साबित हुए तो इनसे लोगों का विश्वास खत्म हो जाएगा. दरअसल पहले के कई एग्जिट पोल हवा-हवाई साबित हुए हैं. दिल्ली चुनाव परिणाम के आंकलनों पर सभी चैनल मुंह की खा चुके हैं. उस वक्त सभी चैनलों के एग्जिट पोल गलत साबित हुए थे. यही कारण है कि कुछ समय से एग्जिट पोलों की साख पर लोग सवाल खड़े करने लगे हैं. क्योंकि चैनलों की जल्दबाजी के चलते पिछले कुछ सालों से इन एग्जिट पोलों की पोल खुल चुकी है.

एग्जिट पोल कितने सही, कितने गलत?

मालूम हो कि जब दिल्ली में विधानसभा के चुनाव हुए, तो अधिकतर चैनलों ने भाजपा को जीतता हुआ दिखाया था. लेकिन रिजल्ट आने के बाद पता चला की एक्जिट पोल में न्यूज चैनल जिसकी सरकार बनावा रहे थे, वह पार्टी सिर्फ तीन ही सीटों पर सिमट गई. खैर, अतीत को ध्यान में न रखकर खबरिया चैनल गुरूवार को गुजरात में अंतिम चरण का चुनाव खत्म होने का इंतजार कर रहे थे. जैसे ही पांच बजे और मतदान खत्म हुआ. सभी चैनलों ने एक साथ अपने अपने एग्जिट पोल के द्वार खोल दिए थे. सभी ने अपने-अपने अनुमानों के आधार पर आंकलन पेश किए. परिणाम आने से पहले ही सभी चैनलों ने गुजरात और हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने के सबूत जारी कर दिए. चैनलों ने गुजराज में भाजपा को तीन तिहाई सीटें दी हैं ऐसा ही अनुमान हिमाचल प्रदेश में बताया है. चैनलों ने जैसे ही भाजपा के पक्ष में रूझान बताए, दिल्ली-गुजरात स्थित पार्टी कार्यालयों पर कार्यकर्ताओं ने ढोल-नगाड़े बजने शुरू हो गए. उत्साहित कार्यकर्ता पटाखे फोड़ने लगे. एक दूसरे को गुलाल लगाने लगे. 'गुजरात में फिर भाजपा आबे छै', के नारे गूंजने लगे.

दरअसल मौजूदा गुजरात विधानसभा इलेक्शन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और केंद्र व राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ है. ये जीत 2019 का रास्ता साफ करेगी. और हार पीछे धकेलने का काम करेगी. लेकिन ऐसा न हो, इसके लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. अंतिम परिणाम 18 तारीख को आएंगे. लेकिन उससे पहले ही एग्जिट पोल्स ने भाजपा को जश्न मनाने का मौका दे दिया. भाजपा नेता अब अपनी जीत पर पूरी तरह आश्वस्त हो गए हैं.

असली परीक्षा चैनलों के एग्जिट पोलों पर है. सभी खबरिया चैनलों की साख दांव पर लगी हुई है. अगर परिणाम एग्जिट पोलों से विपरित हुए तो चैनलों की विश्वसनीसता खतरे में पड़ जाएगी. भविष्य में कोई भी एग्जिट पोल पर विश्वास नहीं करेगा. गुरूवार को गुजरात विधानसभा चुनावों में मतदान का आखिरी दौर समाप्त होने के कुछ ही समय बाद देश के तमाम खबरिया न्यूज चैनलों ने अपने-अपने अनुमानित एग्जिट पोलों को जारी कर दिया. एग्जिट पोलों में अधिकांश चैनलों ने भाजपा को भारी मतों से जीतता हुआ दिखाया है.

सोमवार को इनकी सच्चाई सामने आ जाएगी

सन् 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को 115, कांग्रेस को 61, गुजरात परिवर्तन पार्टी को 2, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 2, जनता दल यूनाइटेड को 1 और निर्दलीय को 1 सीट मिली थी. चैनल इस बार भी लगभग वही आंकड़े दिखा रहे हैं. गौर करें तो इंडिया न्यूज-सीएनएक्स के एग्जिट पोल में गुजरात में भाजपा को 110 से 120 और कांग्रेस को 65-75 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. वहीं टाइम्स नाऊ-वीएमआर के एग्जिट पोल में भाजपा को 115 और कांग्रेस को 65 सीटें मिलती दिखाई गई हैं. इसके अलावा न्यूज 18-सी वोटर के एग्जिट पोल में भाजपा को 108 और कांग्रेस को 74 सीटें और इंडिया टुडे-माय एक्सिस ने भाजपा को 99 से 113 और कांग्रेस को 68 से 82 सीटों का अनुमान दिया है. न्यूज 24-चाणक्य ने भाजपा को 135 और कांग्रेस को 47 सीटों का अनुमान जताया है. खैर, इन एग्जिट पोल से जहां भाजपाई उत्साहित हैं, वहीं अन्य दलों के नेताओं की परेशानी बढ़ी हुई दिखाई देने लगी है. हालांकि विपक्ष के लोग मौजूदा एग्जिट पोलों को झुठला रहे हैं. इसे भाजपा की चाल बता रहे हैं. विपक्ष का कहना है कि चुनाव आयोग से लेकर न्यूज चैनलों को भी भाजपा ने हाईजैक कर लिया है. उन्हीं का गुणगान करते हैं.

देखा जाए तो एग्जिट पोल्स ने चुनाव परिणामों का क्रेज खत्म कर दिया है. एक जमाना था जब लोग परिणाम की तारीख का इंतजार करते थे. हमारे लिए एग्जिट पोल्स की सच्चाई को जानना बहुत जरूरी है. एग्जिट पोल्स महज अनुमान भर होते हैं. रिसर्च और सर्वे एजेंसियों के साथ मिलकर न्यूज चैनलों द्वारा जारी होने वाला एग्जिट पोल मतदान केंद्रों में पहुंचने वाले मतदाताओं और मतदान संपन्न होने के बाद के अनुमानों पर आधारित होता है. इनसे संकेत मिल सकता है कि हर चरण में मतदान के बढ़े प्रतिशत और मतदाताओं के रुख के आधार पर 18 दिसंबर को क्या नतीजे निकलेंगे.

एग्जिट पोल के नतीजों से सिर्फ चुनावों की हवा का रुख पकड़ में आता है. असल स्थिति नहीं. अंतिम परिणाम तो 18 तारीख को ही पता चलेगा. नए-नवेले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का राजनीतिक करियर इस चुनाव के रिजल्ट पर टिका हुआ है. चुनाव हारते हैं, तो राहुल गांधी को बड़ा सदमा लग सकता है. कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है. कांग्रेस का पाटीदारों के साथ जाना कितना कारगर साबित होगा, इस बात का भी पता चलेगा.

लेकिन मरता क्या न करता! इस कहावत के मुताबिक भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस और हार्दिक पटेल ने एक दूसरे से हाथ मिलाया. हार्दिक पटेल किसी भी सूरत में मोदी को रोकना चाहते हैं. लेकिन क्या ऐसा होगा, इसलिए दो दिन का और इंतजार करने की जरूरत है. सोमवार को हकीकत की पोटली ईवीएम मशीन से खुल जाएगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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