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क्यों सिर्फ राहुल गांधी ही 2019 में नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सकते हैं

    • प्रभाष कुमार दत्ता
    • Updated: 28 अगस्त, 2018 08:52 PM
  • 28 अगस्त, 2018 08:52 PM
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राहुल गांधी होने का महत्व सिर्फ भाजपा ही समझ सकती है, कोई और पार्टी नहीं. इस बात का पता ऐसे ही लगाया जा सकता है कि भाजपा का हर बड़ा नेता राहुल गांधी द्वारा नरेंद्र मोदी, एनडीए सरकार और खुद भाजपा पर लगाए गए हर एक आरोप का खंडन करता नजर आता है.

राहुल गांधी ने अपने चार दिन के यूरोप टूर पर बहुत ज्यादा सुर्खियां बटोर लीं. अपने विवादित बयानों के कारण राहुल गांधी पूरे देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं. अपने आरोपों के जरिए राहुल गांधी नरेंद्र मोदी पर लगातार आक्रमण कर रहे हैं.

हां, राहुल ने भूलवष भारत की मौजूदा हालत को इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जोड़कर देख लिया और भारत की तुलना सीरिया से कर दी, लेकिन इस दौरे पर राहुल गांधी की सबसे बड़ी गलती 1984 सिख दंगों में कांग्रेस को क्लीन चिट देना कही जाएगी. फिर भी अगर देखा जाए तो राहुल गांधी इकलौते ऐसे नेता हैं जो 2019 में नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सकते हैं.

राहुल गांधी ने अपने यूरोप दौरे में कई विवादित बयान दिए

राहुल गांधी होने का महत्व सिर्फ भाजपा ही समझ सकती है, कोई और पार्टी नहीं. इस बात का पता ऐसे ही लगाया जा सकता है कि भाजपा का हर बड़ा नेता राहुल गांधी द्वारा नरेंद्र मोदी, एनडीए सरकार और खुद भाजपा पर लगाए गए हर एक आरोप का खंडन करता नजर आता है. 

इस सबकी शुरुआत राहुल गांधी द्वारा 'सूट बूट की सरकार' बोलकर भाजपा का मजाक उड़ाने से हुई. भाजपा के हर टॉप नेता ने प्रधानमंत्री मोदी का बचाव किया था क्योंकि उन्होंने मोनोग्राम वाला सूट पहना था. पीएम मोदी ने बाद में उस सूट की नीलामी कर दी थी. पर राहुल गांधी का ये प्रयोग सफल रहा था और राहुल गांधी का कमेंट ही जीत गया था. अभी भी मोदी सरकार को 'सूट-बूट' वाले टैग से नवाज़ा जाता है.

राहुल की टीम अब राहुल गांधी को एक आम आदमी के नेता के रूप में प्रदर्शित करने में तुली हुई है. वो टीम हर मुमकिन कोशिश कर रही है कि वो राहुल गांधी को पीएम मोदी का प्रतिद्ंवद्वी दिखा सके. राहुल गांधी जिनतक पहुंचना एक समय पर मुमकिन नहीं था, वो अब खुद को पार्टी वालों के साथ और आम जनता के बीच उनके...

राहुल गांधी ने अपने चार दिन के यूरोप टूर पर बहुत ज्यादा सुर्खियां बटोर लीं. अपने विवादित बयानों के कारण राहुल गांधी पूरे देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं. अपने आरोपों के जरिए राहुल गांधी नरेंद्र मोदी पर लगातार आक्रमण कर रहे हैं.

हां, राहुल ने भूलवष भारत की मौजूदा हालत को इस्लामिक स्टेट (ISIS) से जोड़कर देख लिया और भारत की तुलना सीरिया से कर दी, लेकिन इस दौरे पर राहुल गांधी की सबसे बड़ी गलती 1984 सिख दंगों में कांग्रेस को क्लीन चिट देना कही जाएगी. फिर भी अगर देखा जाए तो राहुल गांधी इकलौते ऐसे नेता हैं जो 2019 में नरेंद्र मोदी को चुनौती दे सकते हैं.

राहुल गांधी ने अपने यूरोप दौरे में कई विवादित बयान दिए

राहुल गांधी होने का महत्व सिर्फ भाजपा ही समझ सकती है, कोई और पार्टी नहीं. इस बात का पता ऐसे ही लगाया जा सकता है कि भाजपा का हर बड़ा नेता राहुल गांधी द्वारा नरेंद्र मोदी, एनडीए सरकार और खुद भाजपा पर लगाए गए हर एक आरोप का खंडन करता नजर आता है. 

इस सबकी शुरुआत राहुल गांधी द्वारा 'सूट बूट की सरकार' बोलकर भाजपा का मजाक उड़ाने से हुई. भाजपा के हर टॉप नेता ने प्रधानमंत्री मोदी का बचाव किया था क्योंकि उन्होंने मोनोग्राम वाला सूट पहना था. पीएम मोदी ने बाद में उस सूट की नीलामी कर दी थी. पर राहुल गांधी का ये प्रयोग सफल रहा था और राहुल गांधी का कमेंट ही जीत गया था. अभी भी मोदी सरकार को 'सूट-बूट' वाले टैग से नवाज़ा जाता है.

राहुल की टीम अब राहुल गांधी को एक आम आदमी के नेता के रूप में प्रदर्शित करने में तुली हुई है. वो टीम हर मुमकिन कोशिश कर रही है कि वो राहुल गांधी को पीएम मोदी का प्रतिद्ंवद्वी दिखा सके. राहुल गांधी जिनतक पहुंचना एक समय पर मुमकिन नहीं था, वो अब खुद को पार्टी वालों के साथ और आम जनता के बीच उनके सवालों का जवाब देते हैं, और पत्रकारों से बात करते हैं. ये दिखाने की कोशिश करते हैं कि वो जो भी बोल रहे हैं वो बिलकुल भी पहले से निर्धारित स्क्रिप्ट नहीं है.

पिछले साल सितंबर में राहुल गांधी बर्कली (Berkeley), अमेरिका में यूनिवर्सिटी ऑफ केलिफोर्निया में भाषण दे रहे थे. उन्होंने सवालों का स्वागत किया और त्वरित उत्तर दिए. उस समय से लेकर अभी तक राहुल गांधी ने सवाल का जवाब देने वाला वो दौर अभी भी राहुल जारी रखे हुए हैं. मौजूदा दौरे में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री को चैलेंज किया है कि वो उनकी तरह के इंटरएक्टिव सेशन में लोगों के सवालों का जवाब दें.

राहुल गांधी ऐसे सेशन में एक-दो बार कुछ कठिन सवालों का जवाब देते हुए थोड़े उलझे हुए दिखे, लेकिन कांग्रेस ने इसे भी भुनाने की कोशिश की और कहा कि राहुल गांधी निडर हैं और ये भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ऐसी किसी भी परिस्थिती में शरमा जाएंगे. देखा जाए तो राहुल गांधी हमेशा से प्रेस कांफ्रेंस करते आए हैं, लेकिन पीएम मोदी ने 2014 से एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की. प्रधानमंत्री के आलोचक इस व्यवहार को उनकी कमजोरी ही कहते हैं. भले ही प्रधानमंत्री मोदी के बोलने की ताकत कुछ भी हो, लेकिन प्रेस कांफ्रेंस नहीं करना, उन्हें आलोचकों के निशाने पर ले आता है.

कांग्रेस लगातार एक समानांतर पृष्ठभूमि बनाने की कोशिश कर रही है क्योंकि 2019 चुनाव नजदीक आ गए हैं. 2019 का चुनाव भाजपा केवल प्रधानमंत्री की छवि पर लड़ेगी. कांग्रेस इसी समय रात-दिन मेहनत कर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री मोदी का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी बनाने में लगी हुई है. यही कारण है कि राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा निशाना साधे हुए हैं. चाहें वो नोटबंदी हो, जीएसटी हो या राफेल डील हो.

राहुल गांधी को समानांतर नेता साबित करने का एक हिस्सा वो भी है जो पूर्व भाजपा नेता अरुण शौरी बता चुके हैं, वो नरेंद्र मोदी सरकार को 'कांग्रेस और गाय' इन दो चीज़ों के तौर पर चित्रित कर चुके हैं. राहुल गांधी ने खुलेआम इस बात को स्वीकार किया है कि कांग्रेस ने गलतियां कीं और 2014 में उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. उसके बाद उन्होंने पीएम मोदी पर सामने से हमला बोला और भाजपा पर गौरक्षकों द्वारा किए जाने वाले हमलों को लेकर निशाना साधा.

राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पर निरंतर हमले के ही कारण भाजपा की एंटी-दलित छवि बन पाई और रूलिंग पार्टी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध जाकर SC/ST Act के लिए प्रावधान लाना पड़ा. सरकार के इस फैसले को मोदी सरकार का शाह बानो मूमेंट कहा गया.

अपने खुद के हिस्से में राहुल गांधी ने हिंदुत्व पर किए गए अपने हमले की भरपाई करने के लिए मंदिर-मंदिर जाकर दर्शन किए और खुद को शिव भक्त बताया. कांग्रेस ने तो राहुल को जनेऊधारी भी बता दिया.

राहुल गांधी और कांग्रेस द्वारा की जा रही राजनीति उनके काम आ रही है. एक हालिया सर्वे में बताया गया है कि राहुल गांधी को 2019 में पीएम का प्रतिद्वंद्वी मानने वालों की संख्या बढ़ रही है. लेटेस्ट इंडिया टुडे मूड ऑफ नेशन पोल के अनुसार राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता में अंतर कम हो रहा है. और लोकसभा इलेक्शन के लिए राहुल गांधी एक सशक्त उम्मीदवार बन रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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