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क्यों खास है उत्तर प्रदेश के चौथे चरण का चुनाव?

    • आलोक रंजन
    • Updated: 23 फरवरी, 2017 02:44 PM
  • 23 फरवरी, 2017 02:44 PM
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यूपी चुनाव के चौथे दौर में कुल 116 उम्मीदवार यानी 17 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. सबसे ज्यादा बीजेपी के 40 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं.

उत्तर प्रदेश में अब तक 209 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में चुनाव हो गए हैं. सबकी नजर अब चौथे चरण के चुनाव पर है. चौथे चरण में 23 फरवरी को 12 जिलों की 53 सीटों पर वोट डाले जायेंगे. इस चरण में जो जिलों में वोट डाले जायेंगे वो हैं- निचले दोआब क्षेत्र के प्रतापगढ़, कौशाम्बी, इलाहाबाद, रायबरेली और फतेहपुर के ज़िले और साथ ही साथ बुंदेलखंड के सात जिले, जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट. इस चरण में 1.84 करोड़ मतदाता 680 उम्मीदवारों का भाग्य तय करेंगे.

यह मध्य प्रदेश से लगा हुआ क्षेत्र करीब 500 किलोमीटर में फैला हुआ हैं. झाँसी जहाँ पश्चिम में स्थित हैं तो इलाहाबाद पूर्व में. झाँसी 1857 क्रांति का केंद्र था, तो इलाहाबाद आजादी के आंदोलन का महत्वपूर्ण केंद्र था. इसी क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का सबसे आबादी वाला जिला इलाहाबाद आता है तो वहीं दूसरी ओर सबसे छोटा जिला महोबा भी आता है.

इस क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की संख्या कम है पर दलितों की संख्या अधिक है. बुंदेलखंड के ललितपुर और चित्रकूट में जनजाति की भी कुछ संख्या है. दोआब जिलों में भी दलितों की उपस्थिति देखने को मिलती है. रायबरेली में तो दलित 30 प्रतिशत के करीब है.  

चौथे चरण में कई दिग्गजों की किस्मत दांव परबुंदेलखंड के इलाकों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. यहाँ पर मतदाता जाति के आधार पर ही वोट करते हैं. नरेंद्र मोदी ने जालौन की रैली में बसपा को 'बहनजी संपत्ति पार्टी' करार दिया तो मायावती ने मोदी पर आक्रमण करते हुए उन्हें निगेटिव दलित मैन कहा था. स्पष्ठ है कि दलितों को लुभाने में किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है.

इस दौर में कुल 116 उम्मीदवार यानी 17 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. सबसे ज्यादा बीजेपी के 40 फीसदी...

उत्तर प्रदेश में अब तक 209 विधानसभा सीटों के लिए तीन चरणों में चुनाव हो गए हैं. सबकी नजर अब चौथे चरण के चुनाव पर है. चौथे चरण में 23 फरवरी को 12 जिलों की 53 सीटों पर वोट डाले जायेंगे. इस चरण में जो जिलों में वोट डाले जायेंगे वो हैं- निचले दोआब क्षेत्र के प्रतापगढ़, कौशाम्बी, इलाहाबाद, रायबरेली और फतेहपुर के ज़िले और साथ ही साथ बुंदेलखंड के सात जिले, जालौन, झांसी, ललितपुर, महोबा, हमीरपुर, बांदा और चित्रकूट. इस चरण में 1.84 करोड़ मतदाता 680 उम्मीदवारों का भाग्य तय करेंगे.

यह मध्य प्रदेश से लगा हुआ क्षेत्र करीब 500 किलोमीटर में फैला हुआ हैं. झाँसी जहाँ पश्चिम में स्थित हैं तो इलाहाबाद पूर्व में. झाँसी 1857 क्रांति का केंद्र था, तो इलाहाबाद आजादी के आंदोलन का महत्वपूर्ण केंद्र था. इसी क्षेत्र में उत्तर प्रदेश का सबसे आबादी वाला जिला इलाहाबाद आता है तो वहीं दूसरी ओर सबसे छोटा जिला महोबा भी आता है.

इस क्षेत्र में अल्पसंख्यकों की संख्या कम है पर दलितों की संख्या अधिक है. बुंदेलखंड के ललितपुर और चित्रकूट में जनजाति की भी कुछ संख्या है. दोआब जिलों में भी दलितों की उपस्थिति देखने को मिलती है. रायबरेली में तो दलित 30 प्रतिशत के करीब है.  

चौथे चरण में कई दिग्गजों की किस्मत दांव परबुंदेलखंड के इलाकों में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. यहाँ पर मतदाता जाति के आधार पर ही वोट करते हैं. नरेंद्र मोदी ने जालौन की रैली में बसपा को 'बहनजी संपत्ति पार्टी' करार दिया तो मायावती ने मोदी पर आक्रमण करते हुए उन्हें निगेटिव दलित मैन कहा था. स्पष्ठ है कि दलितों को लुभाने में किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी है.

इस दौर में कुल 116 उम्मीदवार यानी 17 फीसदी के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. सबसे ज्यादा बीजेपी के 40 फीसदी उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. बीजेपी के 48 उम्मीदवार इस चरण में भाग्य आजमा रहे हैं. सबसे ज्यादा करोड़पति उम्मीदवार बहुजन समाज पार्टी के हैं. इस पार्टी के 45 उम्मीदवार यानि 85 फीसदी करोड़पति हैं.

कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के लिए भी ये फेज काफी महत्वपूर्ण है. इलाहाबाद और रायबरेली कांग्रेस लीडरशिप की जन्मस्थली और कर्मस्थली रही है. कांग्रेस इन दोनों जिलों में इस बार अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है. सोनिया गाँधी ने इस बार जहाँ प्रचार तक नहीं किया वहीं प्रियंका गाँधी ने सिर्फ एक दिन रायबरेली में प्रचार किया. अब देखना ये है कि यहां के मतदाता इसको किस रूप में लेते हैं.

2012 विधानसभा चुनाव में तो समाजवादी पार्टी ललितपुर, महोबा, हमीरपुर और कौशाम्बी जिलों में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी. इस बार अखिलेश यादव इस दाग को धोना चाहते हैं और यहाँ से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद कर रहे हैं.

बीजेपी का 2012 में प्रदर्शन काफी ख़राब रहा था. वो केवल 5 सीट ही जीत पायी थी. 2 सीट दोआब से और तीन बुंदेलखंड क्षेत्र से. इस बार बीजेपी केंद्रीय मंत्री उमा भारती और साध्वी निरंजन ज्योति ने पार्टी को इस क्षेत्र से अधिक सीट दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. बीजेपी उम्मीद कर रही है कि पिछले बार की तुलना में उसे फायदा जरूर पहुंचेगा.

रायबरेली सीट पर भी है वोटिंग

अगर हम इन 53 सीट का पिछला यानि 2012 विधानसभा चुनाव का रिजल्ट देखें तो समाजवादी पार्टी को सबसे ज्यादा 24 सीट मिली थी. बसपा 15 सीट में विजयी हुई थी. कांग्रेस जहां 6 सीट जीतने में सफल हो पायी थी तो बीजेपी को 5 सीटें मिली थी. अन्य के खाते में 3 सीटें गयी थी.

इस चरण कई वीआईपी उम्मीदवारों की किस्मत भी दांव पर लगी हुई है. वीआईपी उम्मीदवारों में रायबरेली से कांग्रेस की उम्मीदवार अदिति सिंह प्रमुख हैं. वह रायबरेली के बाहुबली नेता अखिलेश सिंह की बेटी हैं. इसी तरह रामपुर खास में आराधना मिश्रा 'मोना' कांग्रेस की तरफ से लड़ रही हैं. वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी की बेटी हैं. रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया कुंडा से निर्दलीय लड़ रहे हैं. राजा भैया जिनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं पांच बार से लगातार निर्दलीय के तौर पर यहां से जीतते आये हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह इलाहाबाद पश्चिम सीट से किस्मत आजमा रहे हैं. उनके खिलाफ बसपा ने पूजा पाल को उतारा है तो सपा ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन की पूर्व अध्यक्ष ऋचा सिंह को उम्मीदवार बनाया है. ऊंचाहार से बीजेपी की तरफ से उत्कर्ष मौर्य चुनाव लड़ रहे हैं. वे स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटे हैं.

अगर इस दौर के मुख्य मुद्दों की बात करें तो किसानों की स्थिति, बुंदेलखंड से रोजगार की तलाश में मजदूरों और किसानों का पलायन, आधारभूत सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, सफाई का आभाव, भूखमरी और कुपोषण, अवैध खनन, कानून एवं व्यवस्था, नोटबंदी का प्रभाव आदि हैं.

गहराई से देखें तो इस चरण में कई दिग्गजों की परीक्षा होने जा रही है. कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रतिष्ठा रायबरेली में लगी है तो भाजपा की केंद्रीय मंत्री उमा भारती और साध्वी निरंजन ज्योति का इम्तिहान क्रमशः झाँसी और फतेहपुर के क्षेत्र में होने जा रहा है. कुंडा से प्रदेश के मंत्री राजा भैया की प्रतिष्ठा दाव पर है तो सांसद प्रमोद तिवारी के इज्ज़त का भी सवाल है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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