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राहुल गांधी के इंटरव्यू को भंसाली की पद्मावती क्यों बनाना चाहती है बीजेपी?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 14 दिसम्बर, 2017 11:43 AM
  • 14 दिसम्बर, 2017 11:43 AM
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ये ठीक है कि राहुल गांधी का इंटरव्यू गुजराती न्यूज चैनल के लिए एक्सक्लूसिव है क्योंकि इसे उनके कांग्रेस अध्यक्ष नामित होने के बाद लिया गया है, लेकिन उसमें ऐसी कौन सी बात है जिसको लेकर बीजेपी तूल दे रही है?

राहुल गांधी के सामने कांग्रेस अध्यक्ष की नयी जिम्मेदारी संभालने में थोड़ा वक्त रहा. चुनाव प्रचार से फुरसत हो ही चुकी थी. मंदिरों में दर्शन कर ही चुके थे, सो प्रेस कांफ्रेंस कर ली. फिर भी वक्त बच रहा था, इसलिए इंटरव्यू भी दे दिया. मतदान के बाद और वोटों की गिनती के बीच का वक्त काटना कितना मुश्किल होता है कोई चाहे तो हिमाचल प्रदेश के नेताओं से पूछ सकता है.

बीजेपी को राहुल गांधी का ये इंटरव्यू रास नहीं आया. एक गुजराती चैनल पर राहुल गांधी का इंटरव्यू दिखाये जाने के बाद शिकायत लेकर बीजेपी चुनाव आयोग पहुंच गयी. चुनाव आयोग ने जांच की और राहुल गांधी को नोटिस थमा दिया. साथ ही, इंटरव्यू को चैनलों पर दिखाये जाने पर भी रोक लगा दी.

सवाल ये है कि बीजेपी राहुल गांधी के इंटरव्यू को इतना तूल क्यों दे रही है? ऐसा लग रहा है जैसे बीजेपी नेता राहुल गांधी के इंटरव्यू को संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती का हाल करने पर तुले हों. फर्क बस इतना है कि पद्मावती पर बवाल बगैर फिल्म देखे हो रहा था और राहुल के इंटरव्यू पर उसे देख लेने के बाद हो रहा है.

राहुल ने नया क्या बोला?

बीजेपी को आपत्ति सिर्फ इस बात पर है कि राहुल गांधी का इंटरव्यू दूसरे दौर की वोटिंग के 48 घंटे के भीतर आया है. बीजेपी का दावा है कि इंटरव्यू से नियमों का उल्लंघन हुआ है. आचार संहिता अपनी जगह सही है और चुनाव आयोग इंटरव्यू देखने के बाद अपना फैसला भी सुना ही दिया. सारी बातें अपनी जगह हैं, सवाल ये है कि राहुल गांधी ने इंटरव्यू में नया क्यो बोला है?

मोदी के प्रति राहुल के आभार के मायने...

क्या राहुल ने ऐसी कोई बात की है जो उन्होंने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में नहीं कही थी? अगर राहुल के इंटरव्यू पर ऐतराज है फिर तो उनके प्रेस कांफ्रेंस पर भी होनी...

राहुल गांधी के सामने कांग्रेस अध्यक्ष की नयी जिम्मेदारी संभालने में थोड़ा वक्त रहा. चुनाव प्रचार से फुरसत हो ही चुकी थी. मंदिरों में दर्शन कर ही चुके थे, सो प्रेस कांफ्रेंस कर ली. फिर भी वक्त बच रहा था, इसलिए इंटरव्यू भी दे दिया. मतदान के बाद और वोटों की गिनती के बीच का वक्त काटना कितना मुश्किल होता है कोई चाहे तो हिमाचल प्रदेश के नेताओं से पूछ सकता है.

बीजेपी को राहुल गांधी का ये इंटरव्यू रास नहीं आया. एक गुजराती चैनल पर राहुल गांधी का इंटरव्यू दिखाये जाने के बाद शिकायत लेकर बीजेपी चुनाव आयोग पहुंच गयी. चुनाव आयोग ने जांच की और राहुल गांधी को नोटिस थमा दिया. साथ ही, इंटरव्यू को चैनलों पर दिखाये जाने पर भी रोक लगा दी.

सवाल ये है कि बीजेपी राहुल गांधी के इंटरव्यू को इतना तूल क्यों दे रही है? ऐसा लग रहा है जैसे बीजेपी नेता राहुल गांधी के इंटरव्यू को संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती का हाल करने पर तुले हों. फर्क बस इतना है कि पद्मावती पर बवाल बगैर फिल्म देखे हो रहा था और राहुल के इंटरव्यू पर उसे देख लेने के बाद हो रहा है.

राहुल ने नया क्या बोला?

बीजेपी को आपत्ति सिर्फ इस बात पर है कि राहुल गांधी का इंटरव्यू दूसरे दौर की वोटिंग के 48 घंटे के भीतर आया है. बीजेपी का दावा है कि इंटरव्यू से नियमों का उल्लंघन हुआ है. आचार संहिता अपनी जगह सही है और चुनाव आयोग इंटरव्यू देखने के बाद अपना फैसला भी सुना ही दिया. सारी बातें अपनी जगह हैं, सवाल ये है कि राहुल गांधी ने इंटरव्यू में नया क्यो बोला है?

मोदी के प्रति राहुल के आभार के मायने...

क्या राहुल ने ऐसी कोई बात की है जो उन्होंने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में नहीं कही थी? अगर राहुल के इंटरव्यू पर ऐतराज है फिर तो उनके प्रेस कांफ्रेंस पर भी होनी चाहिये. जिस तरह बीजेपी नेताओं ने राहुल के प्रेस कांफ्रेंस के हर शब्द का जवाब दिया, इंटरव्यू के मामले में भी वैसा ही कर सकते थे. या फिर दिक्कत ये है कि जो बातें वो एक साथ सबको बता सकते हैं - उसे किसी को अकेले नहीं बता सकते ताकि वो एक्सक्लूसिव इंटरव्यू का दावा कर ले. क्या इंटरव्यू में राहुल गांधी ने ऐसी कोई बात की है, जो उन्होंने 9 दिसंबर को नहीं कही होगी? 9 दिसंबर को गुजरात विधानसभा की 89 सीटों के लिए पहले दौर का मतदान हुआ था.

क्या राहुल गांधी जो बातें उन इलाकों में कह रहे थे जहां चुनाव प्रचार की समय सीमा नहीं खत्म हुई थी, वे बातें उन इलाकों के लोगों तक नहीं पहुंच पा रही होंगी जहां लोग वोट डाल रहे थे? क्या आज के दौर में ये मुमकिन है? मुमकिन एक ही हालत में हो सकता है जब वोटिंग वाले इलाकों में इंटरनेट बैन कर दिया जाये, केबल और डीटीएच ब्लॉक कर दिया जाये और लोग फोन से भी एक दूसरे से बात न कर सकें. क्या वोटिंग के दौरान ऐसा किया जा सकता है? अगर ऐसा करने की सोचा जाये तो क्या ये व्यावहारिक और तार्किक हो सकता है?

इंटरव्यू को देखा जाये तो राहुल गांधी ने वही सारी बातें कही हैं जो अभी तक वो कहते आये हैं. मंदिर से राहुल गांधी का पुजारी से पूछना कि सोनिया गांधी से बात करेंगे? और फिर मोबाइल से वहीं से सोनिया से बात कराने की भी खबर मीडिया में आयी ही थी. हां, पुजारी की वो बात कि सोनिया को वो बताएं कि जब भी वो अमेरिका जायें तो उसे ओढ़ कर जायें, इसका पता अभी चला है. देखें तो पुजारी ने शाल ओढ़ कर अमेरिका जाने की सलाह इसलिए दी होगी ताकि आशीर्वाद बना रहे. जहां तक अमेरिका जाने की बात है तो सोनिया इलाज के लिए जाती रही हैं, संभव है पुजारी की सलाह उसी सिलसिले में हो. वैसे इसमें भी किसी को क्यों ऐतराज हो सकता है क्योंकि कांग्रेस ने तो पहले ही सोनिया के अमेरिका जाने, उनकी बीमारी और इलाज को निजता की दुहाई देते हुए पहले ही मना कर दिया था.

इंटरव्यू में एक सवाल राहुल गांधी के मेकओवर को लेकर जरूर है. सैम पित्रोदा के सौजन्य से जब से राहुल गांधी अमेरिका दौरे पर गये और लौटकर गुजारत में लगातार वक्त गुजारने लगे तो उनके प्रति लोगों की धारणा बदलने लगी. जब बीजेपी शासन से खफा लोगों के बीच राहुल गांधी जाने लगे और विरोध में खड़े युवा नेताओं को साथ ले लिये तो सत्ताधारी दल के खिलाफ असंतोष सामने आने लगा - लेकिन इसमें भी नया क्या है?

मेकओवर को लेकर राहुल गांधी ने भी वही बात कही है जो इस तरह के सवाल के जवाब में सैम पित्रोदा सहित तमाम कांग्रेस नेता कई बार कह चुके हैं. राहुल ने भी यही कहा है कि बीजेपी ही पैसे खर्च कर उनकी छवि खराब करती आयी है - और अभी जो दिख रहा है वो ओरिजिनल है.

कहीं ऐसा तो नहीं कि बीजेपी को राहुल गांधी की वो बात नागवार गुजर रही है जो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कही है?

'मेरे तो मोदी मददगार...'

इंटरव्यू में राहुल गांधी से प्रधानमंत्री मोदी को अपने लिये मददगार बताया है. राहुल का कहना है, "मेरी सबसे ज्यादा मदद मोदीजी करते हैं. मैं उनसे नफरत कैसे करूं? ये हमारा धर्म है. जब आपको कोई नफरत दे उसे प्यार दो. मेरे अंदर मोदी या बीजेपी के किसी भी नेता के लिए नफरत नहीं है."

देखा जाये तो राहुल गांधी की हाल की बातों में मोदी को लेकर अक्सर तंज नजर आता है, लेकिन उसमें ह्यूमर भी मिला होता है. अभी अभी राहुल गांधी ने एक कार्यकर्ता को फटकारते हुए मीठा बोलने की सलाह दी थी. राहुल ने कहा था कि मीठा बोल कर हराओ.

इंटरव्यू में भी तो राहुल ने यही बात कही है. राहुल इंटरव्यू में भी दोहराया है कि वो प्रधानमंत्री के बारे में कुछ नहीं कहेंगे क्योंकि वो हिंदुस्तान को रिप्रजेंट करते हैं.

मालूम नहीं बीजेपी को राहुल गांधी की किस बात से सबसे ज्यादा आपत्ति है? वैसे राहुल गांधी ने मोदी को मददगार बता कर क्या समझाने की कोशिश की है? क्या ये कि वो मोदी के हमलों की वजह से ही इतने मजबूत और धैर्यवान बन पाये हैं? या फिर कुछ और? कहीं राहुल गांधी द्वारा मोदी को मददगार बताने में बीजेपी को अपने 'कांग्रेस मुक्त भारत' जैसा संदेश तो नहीं नजर आ रहा है? अब तक जिस तरह बीजेपी नेता कहते रहे कि राहुल गांधी कांग्रेस मुक्त भारत बनाने में खुद ही मददगार साबित हो रहे हैं - क्या बीजेपी ये समझ रही है कि राहुल गांधी ये जताना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी खुद ही 'बीजेपी मुक्त गुजरात' में उनकी मदद कर रहे हैं!

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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