• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

UN की अनधिकृत चेष्टा व भारत के विरोध के पीछे कौन है, और क्यों?

    • डॉ. अरुण प्रकाश
    • Updated: 04 जुलाई, 2022 07:16 PM
  • 04 जुलाई, 2022 07:16 PM
offline
गुजरात के गोधरा में तीर्थयात्रियों को जिन्दा जला दिया गया. तब उसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई. उस प्रतिक्रिया को गुजरात दंगा कहकर विश्वभर में प्रचारित किया गया. कांग्रेस सरकार ने राज्य की सरकार के प्रति राजनीतिक दुराग्रह के चलते इसे पोषित भी किया. इस दुष्प्रचार ने भारत को वैश्विक मंचों पर बहुत कमजोर किया और देश को कई महत्वपूर्ण राजनयिक सम्बन्ध खोने पड़े.

2002 में गुजरात में हुये प्रतिक्रियात्मक दंगों के बाद भारत-विरोधी अभियान की हर हद पार करने वाली तीस्ता जावेद सीतलवाड़ की गिरफ़्तारी हुई. करीब डेढ़ दशक तक अपने अभियान पर डटी रहने के बाद तीस्ता को तो बहुत कुछ मिला लेकिन उसी अनुपात में भारत को बहुत कुछ खोना पड़ा. तीस्ता की गिरफ़्तारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई है. कोर्ट ने अपने अवलोकन में पाया है कि ज़ाकिया जाफरी की याचिका को आधार बनाकर और फर्जी दस्तावेजों को सही बताकर कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग कर अलग-अलग कमीशन में पेश किये गये. तीस्ता सीतलवाड़ के साथ पुलिस अधिकारी संजीव भट और आर बी श्री कुमार को भी इसका आरोपित पाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जांच की आवश्यकता बताई थी. अब तीस्ता को बताना होगा कि ये फर्जी दस्तावेज किसके कहने पर, कहां से, कैसे और किसके साथ मिलकर बनाए। सरकार को बदनाम करने के पीछे की साजिश क्या थी? तीस्ता के पीछे कौन लोग थे? इस बात का इशारा सुप्रीम कोर्ट ने भी किया है कि जानबूझकर दूसरे के इशारे पर तीस्ता ने ऐसा किया है. 

तीस्ता व उनके पुलिस साथियों की गिरफ़्तारी भारत-निंदकों पर किसी वज्रपात से कम नहीं है. तत्काल इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए, और पूरी इकोलॉजी सक्रिय हो गई. कुछ दिनों के भीतर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार शाखा का बयान आ गया और वह तत्काल रिहाई की मांग करने लगे. संयुक्त राष्ट्र के इस बयान के बाद भारत विरोधियों ने नग्नता का प्रचंड प्रदर्शन किया और सुप्रीम कोर्ट के लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग होने लगा. इन भारत द्रोहियों ने N को अधिक तरजीह दी व देश के खिलाफ वैश्विक षड्यंत्र में शामिल हो गये.

ध्यान देने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 16 वर्षों में हुई गतिविधियों के बारीक अवलोकन के बाद आया था. उसके लिए भारतीय न्यायिक प्रक्रिया व संहिता का अनुपालन हुआ. जबकि संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार शाखा ने बिना कुछ जाने...

2002 में गुजरात में हुये प्रतिक्रियात्मक दंगों के बाद भारत-विरोधी अभियान की हर हद पार करने वाली तीस्ता जावेद सीतलवाड़ की गिरफ़्तारी हुई. करीब डेढ़ दशक तक अपने अभियान पर डटी रहने के बाद तीस्ता को तो बहुत कुछ मिला लेकिन उसी अनुपात में भारत को बहुत कुछ खोना पड़ा. तीस्ता की गिरफ़्तारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई है. कोर्ट ने अपने अवलोकन में पाया है कि ज़ाकिया जाफरी की याचिका को आधार बनाकर और फर्जी दस्तावेजों को सही बताकर कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग कर अलग-अलग कमीशन में पेश किये गये. तीस्ता सीतलवाड़ के साथ पुलिस अधिकारी संजीव भट और आर बी श्री कुमार को भी इसका आरोपित पाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जांच की आवश्यकता बताई थी. अब तीस्ता को बताना होगा कि ये फर्जी दस्तावेज किसके कहने पर, कहां से, कैसे और किसके साथ मिलकर बनाए। सरकार को बदनाम करने के पीछे की साजिश क्या थी? तीस्ता के पीछे कौन लोग थे? इस बात का इशारा सुप्रीम कोर्ट ने भी किया है कि जानबूझकर दूसरे के इशारे पर तीस्ता ने ऐसा किया है. 

तीस्ता व उनके पुलिस साथियों की गिरफ़्तारी भारत-निंदकों पर किसी वज्रपात से कम नहीं है. तत्काल इसके खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए, और पूरी इकोलॉजी सक्रिय हो गई. कुछ दिनों के भीतर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार शाखा का बयान आ गया और वह तत्काल रिहाई की मांग करने लगे. संयुक्त राष्ट्र के इस बयान के बाद भारत विरोधियों ने नग्नता का प्रचंड प्रदर्शन किया और सुप्रीम कोर्ट के लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग होने लगा. इन भारत द्रोहियों ने N को अधिक तरजीह दी व देश के खिलाफ वैश्विक षड्यंत्र में शामिल हो गये.

ध्यान देने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला 16 वर्षों में हुई गतिविधियों के बारीक अवलोकन के बाद आया था. उसके लिए भारतीय न्यायिक प्रक्रिया व संहिता का अनुपालन हुआ. जबकि संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार शाखा ने बिना कुछ जाने समझे, लिखा-लिखाया बयान जारी कर दिया. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार शाखा को इस बारे में प्रोपेगेंडा से अधिक कुछ पता नहीं. दूसरी ओर, भारत संयुक्त का सदस्य है कोई गुलाम नहीं है. भारत की संप्रभुता व स्वतंत्र न्यायिक प्रक्रिया के सम्मान को N प्रतिबद्ध है. भारत में राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार आयोग है. आंतरिक मामलों में मानवाधिकार उल्लंघन का विषय देखना इन आयोगों की जिम्मेदारी व अधिकार है. N का यह बयान अपनी प्रतिबद्धता, अधिकार व सीमाओं का ही उल्लंघन है. यह संयुक्त राष्ट्र की अनधिकृत चेष्टा है.

तीस्ता व उनके पुलिस साथियों की गिरफ़्तारी भारत-निंदकों पर किसी वज्रपात से कम नहीं है.

वहीं दुनिया के हर देश में एक ही अपराध के अलग-अलग दंड निर्धारित हैं. यही नहीं, कई देशों में जो कृत्य वैध है, दूसरे देशों में वही अपराध है. आपराधिक मामलों में न्यायिक प्रक्रिया पर N का बयान अनधिकृत चेष्टा है. वह जिन अन्तर्राष्ट्रीय नियमों की बात करता है वह यहां लागू नहीं होते. वैसे भी इस्लामी देशों के कानून हर अन्तराष्ट्रीय नियम का खुला उल्लंघन हैं, यही नहीं उनकी नागरिक व्याख्या व गैर-मुस्लिमों के लिए बना कानून मानवाधिकार की संहिता का ही द्रोह है. लेकिन N ने कभी इन सब विषयों का कोई बयान या चिंता नहीं जाहिर की है. N मतंग संस्था है, उसे दुनिया में घट रही घटनाओं से अरुचि है. उसका उपयोग सिर्फ एजेंडा साधने के लिए होता है, साथ ही वह विकासशील देशों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाये रखने का मंच है. तब भी N बहुधा अपने मूल सिद्धातों का ऐसा खुला उपहास नहीं करता है. ऐसे में समझने वाली बात यह है कि कौन से ऐसे लोग हैं जिन्होंने उसे ऐसा करने को बाध्य किया. उससे अधिक महत्वपूर्ण यह है, कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हुई गिरफ़्तारी के खिलाफ इन लोगों को N तक पहुंच बनाने की जरूरत क्यों पड़ी?

गुजरात में हुये प्रतिक्रियात्मक दंगों का दंश न ही अपूर्व था, न ही सबसे भयावह. उस दंगे में अगर कुछ अपूर्व था तो वह थी प्रतिक्रिया. भारत का बहुसंख्यक वर्ग राष्ट्र विभाजन के कुछ वर्ष पहले से ही नरसंहार का सामना करता आ रहा था. बंगाल की खाड़ी से लेकर विंध्य के पठार तक खून से लथपथ थे. विभाजन की घोषणा के साथ ही सप्तसैंधव का पानी हिन्दुओं के खून से लाल हो गया. यह क्रम अनवरत चलता रहा. आजादी के बाद पूर्वी पाकिस्तान और पाकिस्तान के सिंध में नस्लीय सफाया जारी रहा. भारतीय सेना के शौर्य से बंगमुक्ति हुई लेकिन वह वहां रह रहे हिन्दुओं के लिए राहत न थी, उनपर त्रासदी जारी रही. गुजरात के गोधरा में तीर्थयात्रियों को जिन्दा जला दिया गया. तब उसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई. उस प्रतिक्रिया को गुजरात दंगा कहकर विश्वभर में प्रचारित किया गया.

दुनिया का कोई कोना नहीं बचा, जहां भारत विरोधी अभियान न चलाये गये हों. हालांकि, भारत के किसी नागरिक का खून इस मिट्टी पर गिरना त्रासद ही है. लेकिन, यहां उतना खून नहीं गिरा था, जितना खून पोस्टरों पर पोता गया. कांग्रेस सरकार ने राज्य की सरकार के प्रति राजनीतिक दुराग्रह के चलते इसे पोषित भी किया. इस दुष्प्रचार ने भारत को वैश्विक मंचों पर बहुत कमजोर किया और देश को कई महत्वपूर्ण राजनयिक सम्बन्ध खोने पड़े. इस पूरे अभियान की अगुवाई तीस्ता जावेद सीतलवाड ने की, जोकि एक संभ्रांत परिवार से आती थीं. लुटियन में उनका सिक्का चलता था और एनजीओ गिरोह में उनका दबदबा था.

सैकड़ों दंगों की मार खाए हिन्दू समाज ने इसबार नियोजित प्रतिकार किया था. सारी मशीनरी इसी के खिलाफ उतरी थी. हिन्दू समाज भविष्य में ऐसी प्रतिक्रिया न करे, और उसपर वैश्विक दबाव बना रहे इसके लिए ही सारे उपक्रम किये गये. उभरते भारत को दबोचने के लिए विश्व-षड्यंत्र पहले से ही सक्रिय था, उसने तीस्ता सीतलवाड़ जैसे संभ्रांत एनजीओ संचालकों से हाथ मिलाया और अभियान को गति दी.

आज जब उस षड्यंत्र का तुम्बा फूट रहा है तो इन सबकी पीड़ा और प्रतिक्रिया अपेक्षित है. सुप्रीम कोर्ट के अवलोकन ने उस समूची पारिस्थितिकी पर प्रहार कर दिया है, जिसे जानता-समझता तो हर सुधि भारतीय था, लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं था. N के स्वयं को उस गिरोह के साथ खुद को खड़ा करके भारत-हित में ही काम किया है, क्योंकि देश इस समय ‘चेहरे’ पहचान रहा है और स्वयं आकर अपना पहचान बता जा रहे हैं वह देश पर एहसान ही कर रहे हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲