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मप्र की सड़कों से ज्‍यादा गड्ढे शिवराज के राज में हैं !

    • अभिनव राजवंश
    • Updated: 26 अक्टूबर, 2017 02:25 PM
  • 26 अक्टूबर, 2017 02:25 PM
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शिवराज सिंह चौहान ने एमपी की सड़कों को वाशिंगटन से बेहतर बताकर अपना मजाक बनवा लिया. सोशल मीडिया को तो भूल ही जाएं अब उनके मंत्री जी भी नहीं बख्श रहे!

अक्सर हमारे राजनेता अपने बड़बोलेपन की वजह से विवादों में आ जाते हैं. मगर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने तो अपने बड़बोलेपन में सभी को पीछे छोड़ दिया है. शिवराज सिंह ने अमरीका में भारतीय मूल के उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि "हमने सड़कें बनाईं. सड़कें भी ऐसी मित्रों, जब मैं यहां वॉशिंगटन के एयरपोर्ट पर उतरा और सड़कों पर चलकर आया तो मुझे लगा मध्य प्रदेश की सड़कें अमरीका की सड़कों से ज़्यादा बेहतर हैं."

अब शिवराज सिंह ने किन सड़कों को ध्यान में रखकर ये बातें कहीं, यह तो शिवराज ही बेहतर समझ सकते हैं. मगर आकड़ें बताते हैं कि भोपाल या मध्य प्रदेश की सड़कें ऐसी नहीं हैं जिनका गुणगान अमेरिका में जाकर किया जा सके. हां शिवराज अपने तर्क में उन चंद वीआईपी सड़कों के नाम गिना सकते हैं जो थोड़ी बेहतर स्थिति में हैं. हालांकि चंद बेहतर सड़कों के भरोसे पर यह नहीं कहा जा सकता कि पूरे प्रदेश की सड़कें अमेरिका की सडकों को भी पीछे छोड़ सकती हैं.

मुख्यमंत्री की इस बात को सोशल मीडिया पर लोगों ने हाथों-हाथ ले लिया है और देश-विदेश की सड़कों की फोटो शेयर करके 'मामा' के बयान की बखिया उधेड़ रहे हैं. लोग पूरे प्रदेश भर के गड्ढायुक्त सडकों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालकर शिवराज सिंह चौहान को उनके ही बयान पर घेर रहे हैं. देखिए कुछ मजेदार ट्वीट-

अक्सर हमारे राजनेता अपने बड़बोलेपन की वजह से विवादों में आ जाते हैं. मगर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने तो अपने बड़बोलेपन में सभी को पीछे छोड़ दिया है. शिवराज सिंह ने अमरीका में भारतीय मूल के उद्योगपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि "हमने सड़कें बनाईं. सड़कें भी ऐसी मित्रों, जब मैं यहां वॉशिंगटन के एयरपोर्ट पर उतरा और सड़कों पर चलकर आया तो मुझे लगा मध्य प्रदेश की सड़कें अमरीका की सड़कों से ज़्यादा बेहतर हैं."

अब शिवराज सिंह ने किन सड़कों को ध्यान में रखकर ये बातें कहीं, यह तो शिवराज ही बेहतर समझ सकते हैं. मगर आकड़ें बताते हैं कि भोपाल या मध्य प्रदेश की सड़कें ऐसी नहीं हैं जिनका गुणगान अमेरिका में जाकर किया जा सके. हां शिवराज अपने तर्क में उन चंद वीआईपी सड़कों के नाम गिना सकते हैं जो थोड़ी बेहतर स्थिति में हैं. हालांकि चंद बेहतर सड़कों के भरोसे पर यह नहीं कहा जा सकता कि पूरे प्रदेश की सड़कें अमेरिका की सडकों को भी पीछे छोड़ सकती हैं.

मुख्यमंत्री की इस बात को सोशल मीडिया पर लोगों ने हाथों-हाथ ले लिया है और देश-विदेश की सड़कों की फोटो शेयर करके 'मामा' के बयान की बखिया उधेड़ रहे हैं. लोग पूरे प्रदेश भर के गड्ढायुक्त सडकों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालकर शिवराज सिंह चौहान को उनके ही बयान पर घेर रहे हैं. देखिए कुछ मजेदार ट्वीट-

अगर बात भोपाल की ही करें, तो यहां से आये दिन सड़क में मौजूद गढ्ढों के कारण सड़क दुर्घटना की ख़बरें आम हैं. कुछ ही दिन पहले एक अंग्रेजी अखबार के खबर के अनुसार मानसून के बाद भोपाल के सड़कों की स्थिति जर्जर हो चुकी है. कम से कम शहर के 30 फीसदी सड़कों को मरम्मत की दरकार है. और यह स्थिति तब है जब इस साल अपेक्षाकृत कम बारिश हुई है. इसी साल अगस्त के महीने में भारतीय जनता पार्टी के ही एक विधायक रामेश्वर शर्मा सड़क में बने गड्ढों को भरने निकल पड़े थे. भोपाल के कोलार क्षेत्र में सड़क में बने गड्ढे भरने के लिए विधायक जी ने श्रमदान भी किया. इसी दौरान विधायक ने नगर निगम और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की लापरवाही की बात भी कही थी.

इतना लंबा नहीं फेंकना चाहिए था सर!

अब अगर एक नजर मध्य प्रदेश में होने वाले सड़क हादसों पर डालें तो साल 2013 से 2016 में सड़क हादसों से मौत के मामले में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद तीसरे नंबर पर रहा था. इन चार सालों में सड़क पर मौजूद गड्ढों के कारण मध्यप्रदेश में कुल 1244 मौतें दर्ज की गयी हैं. भारत सरकार के सड़क परिवहन और हाइवे मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2015 में सड़क पर गड्ढों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में मध्यप्रदेश अव्वल था. इस साल प्रदेश में गड्ढों के कारण 3070 दुर्घटनाएं दर्ज की गयी थी. साल 2016 में भी मध्य प्रदेश में गड्ढों के कारण 81 लोगों की मौत जबकि 749 लोग घायल हो गए थे.

हालांकि लगता है शिवराज अमेरिका जाते ही इन आकड़ों को भूल बैठे थे. अब शिवराज सिंह पर इन का क्या असर पड़ेगा यह कहना मुश्किल है. मगर शिवराज सिंह के लिए एक नेक सलाह यह है कि अगली बार बोलने से पहले तथ्यों से इतनी छेड़छाड़ न कर दें कि उन पर लीपापोती करना भी असंभव हो जाये.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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