• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की कुर्सी खींचने की तैयारी चल रही है ?

    • सुनील नामदेव
    • Updated: 25 अक्टूबर, 2017 04:58 PM
  • 25 अक्टूबर, 2017 04:58 PM
offline
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में एक साल का वक्त बचा है. ऐसे में बीजेपी के कई नेता खुद को बतौर मुख्यमंत्री पेश करने में लगे हैं. इस कतार में पार्टी महासचिव सरोज पांडे अव्वल नंबर पर हैं

छत्तीसगढ़ में चुनाव करीब आते ही बीजेपी के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री के पद को लेकर खींचतान शुरू हो गयी है. बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पांडे ने यह कहकर माहौल गरमा दिया है कि अगले मुख्यमंत्री का चयन पार्टी आलाकमान तय करेगी. सरोज पांडे का यह बयान मुख्यमंत्री रमन सिंह को सीधे चुनौती देने वाला माना जा रहा है. सरोज पांडे ने बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री का राग छेड़कर बीजेपी नेताओं के बीच अच्छी-खासी बहस छेड़ दी.

3 महीने पहले कोरबा में उन्होंने राज्य में बीजेपी नेतृत्व को लेकर ऐसा ही बयान दिया था. उन्होंने फिर दोहराया कि छत्तीसगढ़ में अगली सरकार बनने पर सीएम कौन बनेगा इसका फैसला चुनाव के बाद होगा. उधर पार्टी महासचिव के सुर में सुर मिलाते हुए राज्य के गृह मंत्री राम सेवक पैकरा ने भी अपना पैतरा बदल लिया है. उन्होंने कहा कि चौथी बार मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस पर फैसला राष्ट्रीय कार्यसमिति ही लेगी. इस बीच पार्टी कार्यसमिति के अंदर और बाहर नेतृत्व को लेकर बयानबाजी करने वाले नेताओं को मुख्यमंत्री रमन सिंह ने खरी खोटी सुनाई है. उन्होंने ऐसे नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि पहले चौथी बार सरकार बनायें फिर मुख्यमंत्री की सोचें. करीब डेढ़ साल बाद रायपुर में बीजेपी कार्य समिति की बैठक हुई थी.

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में एक साल का वक्त बचा है. ऐसे में बीजेपी के कई नेता खुद को बतौर मुख्यमंत्री पेश करने में लगे हैं. इस कतार में पार्टी महासचिव सरोज पांडे अव्वल नंबर पर हैं. वो मानकर चल रही हैं कि पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर पेश करेगी. हालांकि सरोज पांडे दुर्ग लोकसभा सीट से 2014 के आम चुनाव में शिकस्त खा चुकी हैं. राज्य की 11 में से एकमात्र यही लोकसभा सीट थी जिस पर कांग्रेसी उम्मीदवार ताम्रध्वज साहू ने उन्हें दस हजार से अधिक वोटों से हराया था. बाकी की 10 सीटों में बीजेपी कामयाब रही थी. बताया जा रहा है कि पार्टी महासचिव बनने के बाद सरोज पांडेय की मुख्यमंत्री बनने की चाहत खुलकर सामने आ गयी है. यह भी बताया जा रहा है कि...

छत्तीसगढ़ में चुनाव करीब आते ही बीजेपी के नेताओं के बीच मुख्यमंत्री के पद को लेकर खींचतान शुरू हो गयी है. बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव सरोज पांडे ने यह कहकर माहौल गरमा दिया है कि अगले मुख्यमंत्री का चयन पार्टी आलाकमान तय करेगी. सरोज पांडे का यह बयान मुख्यमंत्री रमन सिंह को सीधे चुनौती देने वाला माना जा रहा है. सरोज पांडे ने बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री का राग छेड़कर बीजेपी नेताओं के बीच अच्छी-खासी बहस छेड़ दी.

3 महीने पहले कोरबा में उन्होंने राज्य में बीजेपी नेतृत्व को लेकर ऐसा ही बयान दिया था. उन्होंने फिर दोहराया कि छत्तीसगढ़ में अगली सरकार बनने पर सीएम कौन बनेगा इसका फैसला चुनाव के बाद होगा. उधर पार्टी महासचिव के सुर में सुर मिलाते हुए राज्य के गृह मंत्री राम सेवक पैकरा ने भी अपना पैतरा बदल लिया है. उन्होंने कहा कि चौथी बार मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस पर फैसला राष्ट्रीय कार्यसमिति ही लेगी. इस बीच पार्टी कार्यसमिति के अंदर और बाहर नेतृत्व को लेकर बयानबाजी करने वाले नेताओं को मुख्यमंत्री रमन सिंह ने खरी खोटी सुनाई है. उन्होंने ऐसे नेताओं को नसीहत देते हुए कहा कि पहले चौथी बार सरकार बनायें फिर मुख्यमंत्री की सोचें. करीब डेढ़ साल बाद रायपुर में बीजेपी कार्य समिति की बैठक हुई थी.

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव में एक साल का वक्त बचा है. ऐसे में बीजेपी के कई नेता खुद को बतौर मुख्यमंत्री पेश करने में लगे हैं. इस कतार में पार्टी महासचिव सरोज पांडे अव्वल नंबर पर हैं. वो मानकर चल रही हैं कि पार्टी उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर पेश करेगी. हालांकि सरोज पांडे दुर्ग लोकसभा सीट से 2014 के आम चुनाव में शिकस्त खा चुकी हैं. राज्य की 11 में से एकमात्र यही लोकसभा सीट थी जिस पर कांग्रेसी उम्मीदवार ताम्रध्वज साहू ने उन्हें दस हजार से अधिक वोटों से हराया था. बाकी की 10 सीटों में बीजेपी कामयाब रही थी. बताया जा रहा है कि पार्टी महासचिव बनने के बाद सरोज पांडेय की मुख्यमंत्री बनने की चाहत खुलकर सामने आ गयी है. यह भी बताया जा रहा है कि दुर्ग और वैशाली नगर विधानसभा सीट में किस्मत आजमाने के लिए सरोज पांडे ने अभी से राजनैतिक समीकरणों को अंजाम देना शुरू कर दिया है.

मुख्यमंत्री बनने का अरमान अब जुबान पर आ गया

उधर राजनीतिक मंचो में आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग ने प्रदेश के गृहमंत्री राम सेवक पैकरा के अरमानों को जगा दिया है. पैकरा भी आदिवासी समुदाय की ओर से खुद को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार मान कर चल रहे हैं. विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही उनके भी हाव-भाव भी बदले हुए नजर आ रहे हैं. बिलासपुर में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने पत्रकारों से यह तक कह दिया कि मुख्यमंत्री कौन होगा इसका फैसला राष्ट्रीय कार्यसमिति करेगी.

दरअसल बीजेपी के भीतर नेताओं का एक दबाव समूह बन गया है. जो एन केन प्रकारेण मौजूदा मुख्यमंत्री का चेहरा बदलने के लिए जोर आजमाइश में जुटा है. इसके लिए आदिवासी मुख्यमंत्री की मांग पार्टी फोरम में उठाई जा रही है. इसके पीछे दलील दी जा रही है कि छत्तीसगढ़ का निर्माण ही आदिवासी राज्य के रूप में किया गया था. तत्कालीन समय इस वर्ग की भावनाओं का आदर करते हुए कांग्रेस आलाकमान ने बतौर आदिवासी मुख्यमंत्री अजित जोगी की ताजपोशी की थी. राज्य के आदिवासी नेता इसकी मिसाल देते हुए बीजेपी आलाकमान से भी आदिवासी को मुख्यमंत्री बनाये जाने की मांग कर रहे हैं.

छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने लगातार तीसरी बार कांग्रेस को धूल चटाई है. हालांकि 2003, 2008 और 2013 में वोटों का अंतर लगातार घटता गया है. 2013 के विधानसभा चुनाव में यह अंतर घटकर एक फीसदी से भी कम हो गया. जहां बीजेपी को 42.34 फीसदी वोट मिले, वहीं कांग्रेस को 41.57 फीसदी. इस तरह से वोटों का अंतर सिमटकर 0.7 फीसदी तक आकर रह गया है.

पहले चुनाव जीत लो फिर मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब देख लेना

मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस अंतर को भांपते हुए पार्टी के नेताओं को अपनी चिंता से वाकिफ भी कराया है. पार्टी फोरम में रमन सिंह यह कह चुके हैं कि हम अच्छी स्थिति में नहीं हैं. और हमें मुगालते में नहीं रहना चाहिए. मुख्यमंत्री का इशारा उन नेताओं की तरफ था जो मुख्यमंत्री बनने के सपने देख रहे हैं. रमन सिंह ने यह भी साफ़ किया है कि पहले राज्य में बीजेपी सरकार तो बना ले उसके बाद मुख्यमंत्री अपने आप तय हो जाएगा.

दो राय नहीं कि पिछले चार सालों से रमन सिंह इलेक्शन मोड में है. आदिवासी हो या फिर अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग की आबादी, हर समुदाय को साधने में  वो कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इस बार तो उन्होंने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. मंत्रालय में कलेक्टर और एसपी कॉन्फ्रेंस कर पुरे 38 घंटे अफसरों के साथ गुजारकर उन्होंने राज्य की सभी 90 विधान सभा सीटों में बीजेपी की नब्ज़ टटोल ली है. बीते तीन विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार मुख्य विरोधी दल कांग्रेस से उन्हें कड़ी टक्कर मिलने की आशंका है. राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में बीजेपी के खाते में 49 सीटें हैं. जबकि कांग्रेस के पास 39. और एक मात्र सीट पर बीएसपी और एक पर निर्दलीय का कब्जा है. हालांकि कांग्रेस के तीन मौजूदा विधायकों ने पार्टी छोड़ जोगी कांग्रेस का दामन थाम लिया है.    

छत्तीसगढ़ के मौजूदा राजनैतिक समीकरणों में बीजेपी ने कांग्रेसी उम्मीदवारों के साथ साथ BSP, सी.पी.एम. और जोगी कांग्रेस के उम्मीदवारों पर भी निगाह गड़ाई हुई है. पार्टी को लग रहा है कि इस बार भी सत्ताधारी दल और विरोधियों के बीच मात्र 5 से 7 सीटों का अंतर रहेगा. लिहाजा बीजेपी ने विरोधियों के अरमानों पर पानी फेरने की कवायद शुरू कर दी है. उधर विपक्ष भी बीजेपी को पटखनी देने के लिए पूरी तरह से सक्रिय हो गया है.

ये भी पढ़ें-

इंडिया टुडे के सर्वे ने उजागर कर दी कांग्रेस और बीजेपी के चुनावी हथियारों की ताकत !

अल्पेश और हार्दिक का समर्थन लेकर कांग्रेस ने भाजपा का फायदा कर दिया है

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲