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यूपी पंचायत चुनाव में गई 700 शिक्षकों की जान, कौन होगा जिम्मेदार?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 01 मई, 2021 10:24 PM
  • 01 मई, 2021 10:24 PM
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योगी सरकार ने चुनाव से पहले शिक्षकों की कोरोना जांच कराई थी, लेकिन वोट डालने आने वाले सभी लोगों की कोरोना जांच नहीं हुई थी. मतदान करने आने वाले कितने लोग कोरोना संक्रमित होंगे, इसका आंकड़ा योगी सरकार के पास नहीं है. गांवों में कोरोना संक्रमण के क्या हाल हैं, किसी से छिपा नहीं है.

उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच हुए पंचायत चुनाव लगभग 700 शिक्षकों के लिए जानलेवा साबित हुए हैं. यूपी के शिक्षक संघों के दावे को सच माना जाए, तो पंचायत चुनाव में 700 से ज्यादा शिक्षकों की जान जा चुकी है. शिक्षक संघ ये भी दावा कर रहा है कि प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा शिक्षक कोरोना संक्रमित हैं. इसके बावजूद चुनाव आयोग ने मतगणना को टालना उचित नहीं समझा है. मतगणना के लिए भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है. सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर कोरोना महामारी की भयावह लहर के बावजूद पंचायत चुनाव क्यों कराए गए? अगर आगे भी ऐसा कुछ होता है, तो शिक्षकों की मौत का जिम्मेदार कौन होगा?

बैलेट पेपर बन सकते हैं कोरोना संक्रमण फैलने की वजह

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव बैलेट पेपर से कराए गए थे. चुनाव में वोट डालना लोगों का संवैधानिक अधिकार होता है. इस अधिकार से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता है. लेकिन, इस अधिकार की वजह से करीब 700 शिक्षकों की जान जा चुकी है. योगी सरकार ने चुनाव से पहले शिक्षकों की कोरोना जांच कराई थी, लेकिन वोट डालने आने वाले सभी लोगों की कोरोना जांच नहीं हुई थी. मतदान करने आने वाले कितने लोग कोरोना संक्रमित होंगे, इसका आंकड़ा योगी सरकार के पास नहीं है. गांवों में कोरोना संक्रमण के क्या हाल हैं, किसी से छिपा नहीं है. कोरोना संक्रमण से लोग गांवों में भी जान गंवा रहे हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि उनकी मौतों का आंकड़ा कोरोना से हुई मौतों में नहीं गिना जा रहा है. गांवों में कोरोना संक्रमण की जांच भगवान भरोसे चल रही है. बैलेट पेपर से हुए चुनाव के बाद अब मतगणना 2 मई को होगी. कहना गलत नहीं होगा कि बैलेट पेपर भी कोरोना संक्रमण के फैलने का एक बड़ा कारण हो सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मतगणना को टालने...

उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच हुए पंचायत चुनाव लगभग 700 शिक्षकों के लिए जानलेवा साबित हुए हैं. यूपी के शिक्षक संघों के दावे को सच माना जाए, तो पंचायत चुनाव में 700 से ज्यादा शिक्षकों की जान जा चुकी है. शिक्षक संघ ये भी दावा कर रहा है कि प्रदेश में 10 हजार से ज्यादा शिक्षक कोरोना संक्रमित हैं. इसके बावजूद चुनाव आयोग ने मतगणना को टालना उचित नहीं समझा है. मतगणना के लिए भी शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है. सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर कोरोना महामारी की भयावह लहर के बावजूद पंचायत चुनाव क्यों कराए गए? अगर आगे भी ऐसा कुछ होता है, तो शिक्षकों की मौत का जिम्मेदार कौन होगा?

बैलेट पेपर बन सकते हैं कोरोना संक्रमण फैलने की वजह

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव बैलेट पेपर से कराए गए थे. चुनाव में वोट डालना लोगों का संवैधानिक अधिकार होता है. इस अधिकार से किसी को भी वंचित नहीं किया जा सकता है. लेकिन, इस अधिकार की वजह से करीब 700 शिक्षकों की जान जा चुकी है. योगी सरकार ने चुनाव से पहले शिक्षकों की कोरोना जांच कराई थी, लेकिन वोट डालने आने वाले सभी लोगों की कोरोना जांच नहीं हुई थी. मतदान करने आने वाले कितने लोग कोरोना संक्रमित होंगे, इसका आंकड़ा योगी सरकार के पास नहीं है. गांवों में कोरोना संक्रमण के क्या हाल हैं, किसी से छिपा नहीं है. कोरोना संक्रमण से लोग गांवों में भी जान गंवा रहे हैं. फर्क सिर्फ इतना है कि उनकी मौतों का आंकड़ा कोरोना से हुई मौतों में नहीं गिना जा रहा है. गांवों में कोरोना संक्रमण की जांच भगवान भरोसे चल रही है. बैलेट पेपर से हुए चुनाव के बाद अब मतगणना 2 मई को होगी. कहना गलत नहीं होगा कि बैलेट पेपर भी कोरोना संक्रमण के फैलने का एक बड़ा कारण हो सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मतगणना को टालने से आसमान नहीं टूट पड़ेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने भी दे दी मतगणना को हरी झंडी

पंचायत चुनाव की मतगणना पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव की तैयारियों को लेकर निर्वाचन आयोग को लताड़ लगाई. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मतगणना को टालने से आसमान नहीं टूट पड़ेगा. हालात सुधरने के बाद भी मतगणना कराई जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से सवाल पूछा कि क्या मतगणना को दो हफ्तों के लिए टाला नहीं जा सकता है. यूपी चुनाव आयोग ने जवाब में कहा कि उत्तर प्रदेश में मंगलवार सुबह तक कोरोना की वजह से वीकेंड लॉकडाउन लगा हुआ है. सेनिटाइजेशन और कोरोना प्रोटोकॉल से जुड़ी सारी तैयारियां कर ली गई हैं. मतगणना भी एक साथ नहीं की जाएगी. चुनाव आयोग के जवाब से संतुष्ट होकर सुप्रीम कोर्ट ने मतगणना की इजाजत दे दी है. कोरोना की भयावह स्थिति को देखते हुए भी मतगणना की इजाजत देने से चुनाव आयोग लगाई गई लताड़ किस काम की रह गई.

मुआवजे की मांग के साथ भटक रहे हैं शिक्षक संघ

शिक्षक संघों ने मृतक शिक्षकों के लिए 50 लाख रुपये मुआवजे और आश्रितों को नौकरी देने की मांग की है. शिक्षक संघों के दावे के अनुसार, 10 हजार से शिक्षक कोरोना संक्रमण के शिकार हुए हैं. योगी सरकार ने इस मामले पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. शिक्षकों की मौत पर योगी सरकार की कोई जवाबदेही नहीं बनती है क्या? राज्य के तमाम विपक्षी नेता भी शिक्षकों के लिए मुआवजे का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन सरकार पर दबाव बनाने में नाकाम ही नजर आ रहे हैं. यूपी में विपक्ष इतना कमजोर कैसे हो गया है कि किसी सही बात के लिए भी सरकार पर दबाव नहीं बना पा रहा है. संघ ने मांग की थी कि कोरोना महामारी से उपजी विषम परिस्थितियों के चलते मतगणना को कुछ समय के लिए टाल दिया जाए. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह होता नहीं दिख रहा है. कोरोना संक्रमण के भयावहता के बीच शिक्षकों को मतगणना करनी ही होगी.

जिम्मेदारी किसी की तय नहीं है

सुप्रीम कोर्ट ने मतगणना का आदेश दे दिया है और राज्य चुनाव आयोग ने सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं. 2 मई को होने वाली मतगणना में चुनावी ड्यूटी पर लगे शिक्षकों समेत अन्य राज्य कर्मचारियों की जान एक बार फिर दांव पर होगी. कोरोना वायरस आरटी-पीसीआर जांच में भी पकड़ में नहीं आ रहा है. ऐसी स्थिति में अगर कोई संक्रमित शख्स मतगणना केंद्र पर पहुंचता है, तो लोगों में फैलने वाले संक्रमण की जिम्मेदारी किसकी होगी, ये सवाल जस का तस है. 700 शिक्षकों की जान चली जाने के बाद भी चुनाव आयोग और योगी सरकार नहीं जागी है. योगी सरकार कुछ नहीं कर सकती है, तो कम से कम शिक्षकों की मौत पर मुआवजे का एलान ही कर दे.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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