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UP Election 2022: छठे चरण में इन 7 हॉट सीट्स पर होगी सबकी नजर...

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 03 मार्च, 2022 01:29 PM
  • 03 मार्च, 2022 01:25 PM
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यूपी चुनाव 2022 (UP Election 2022) के छठे चरण के मतदान (Sixth Phase of Voting) में सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर में भी वोटिंग हो रही है. वहीं, समाजवादी पार्टी के छोटे दलों से गठबंधन और बागियों का भी इम्तिहान होना है. आइए छठे चरण की इन हॉट सीट्स पर डालते हैं एक नजर...

यूपी चुनाव 2022 का छठे चरण में सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इतना ही नहीं इस चरण में समाजवादी पार्टी के छोटे दलों से गठबंधन और भाजपा-बसपा छोड़ कर आए बागियों का भी इम्तिहान होना है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो छठे चरण में सीधे तौर पर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच सियासी मुकाबला है. यूपी चुनाव 2022 का छठवां चरण भाजपा से समाजवादी पार्टी तक के लिए 'अग्निपरीक्षा' जैसा है. उत्तर प्रदेश की 292 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो चुका है. और, अंतिम दो चरणों में 111 सीटों पर मतदान के साथ सूबे की सत्ता का महारथी तय हो जाएगा. छठे चरण में 10 जिलों की जिन 57 सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें से सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर का भी नाम है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो छठे चरण में 57 सीटों पर हो रहे मतदान में कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है. आइए जानते हैं छठे चरण की उन हॉट सीट्स के बारे में जिन पर होगी सबकी नजर...

छठे चरण में सीधे तौर पर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच सियासी मुकाबला है.

गोरखपुर में जनता दरबार के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ

सीएम योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. गोरखपुर सदर विधानसभा सीट सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनावी रण में जनता दरबार के बीच जाने से सबसे ज्यादा हॉट बनी है. गोरखपुर के गोरखनाथ मठ के महंत होने के चलते यह क्षेत्र उनकी कर्मभूमि रहा है. और, योगी आदित्यनाथ लंबे समय तक गोरखपुर सीट से सांसद रहे हैं, तो यह उनका राजनीतिक क्षेत्र भी है. गोरखपुर सदर सीट पर विपक्षी दलों ने सीएम योगी को उनके ही गढ़ घेरने का दांव खेला है. समाजवादी पार्टी ने भाजपा नेता स्व. उपेंद्र दत्त शुक्ल की पत्नी सुभावती शुक्ला को प्रत्याशी बनाकर योगी की चुनौती बढ़ा दी है. वहीं, कांग्रेस ने चेतना पांडे और बसपा ने ख्वाजा शमसुद्दीन को टिकट देकर ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाताओं को एकतरफा होने का मौका दे दिया है. वहीं, आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद रावण दलित मतदाताओं के बीच सेंध लगाने के लिए खड़े हैं.

यूपी चुनाव 2022 का छठे चरण में सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. इतना ही नहीं इस चरण में समाजवादी पार्टी के छोटे दलों से गठबंधन और भाजपा-बसपा छोड़ कर आए बागियों का भी इम्तिहान होना है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो छठे चरण में सीधे तौर पर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच सियासी मुकाबला है. यूपी चुनाव 2022 का छठवां चरण भाजपा से समाजवादी पार्टी तक के लिए 'अग्निपरीक्षा' जैसा है. उत्तर प्रदेश की 292 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो चुका है. और, अंतिम दो चरणों में 111 सीटों पर मतदान के साथ सूबे की सत्ता का महारथी तय हो जाएगा. छठे चरण में 10 जिलों की जिन 57 सीटों पर मतदान हो रहा है, उनमें से सीएम योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर का भी नाम है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो छठे चरण में 57 सीटों पर हो रहे मतदान में कई दिग्गजों की साख दांव पर लगी है. आइए जानते हैं छठे चरण की उन हॉट सीट्स के बारे में जिन पर होगी सबकी नजर...

छठे चरण में सीधे तौर पर भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच सियासी मुकाबला है.

गोरखपुर में जनता दरबार के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ

सीएम योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं. गोरखपुर सदर विधानसभा सीट सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनावी रण में जनता दरबार के बीच जाने से सबसे ज्यादा हॉट बनी है. गोरखपुर के गोरखनाथ मठ के महंत होने के चलते यह क्षेत्र उनकी कर्मभूमि रहा है. और, योगी आदित्यनाथ लंबे समय तक गोरखपुर सीट से सांसद रहे हैं, तो यह उनका राजनीतिक क्षेत्र भी है. गोरखपुर सदर सीट पर विपक्षी दलों ने सीएम योगी को उनके ही गढ़ घेरने का दांव खेला है. समाजवादी पार्टी ने भाजपा नेता स्व. उपेंद्र दत्त शुक्ल की पत्नी सुभावती शुक्ला को प्रत्याशी बनाकर योगी की चुनौती बढ़ा दी है. वहीं, कांग्रेस ने चेतना पांडे और बसपा ने ख्वाजा शमसुद्दीन को टिकट देकर ब्राह्मण और मुस्लिम मतदाताओं को एकतरफा होने का मौका दे दिया है. वहीं, आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर आजाद रावण दलित मतदाताओं के बीच सेंध लगाने के लिए खड़े हैं.

फाजिलनगर पर स्वामी प्रसाद मौर्य का 'इम्तिहान'

यूपी चुनाव 2022 की तारीखों का एलान होने के साथ ही भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए ओबीसी के बड़े नेता स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार फाजिलनगर विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ कई विधायक और नेता समाजवादी पार्टी में शामिल हुए थे. लेकिन, भाजपा ने पलटवार करते हुए कांग्रेस के कद्दावर नेता और 'पडरौना के राजा' कहे जाने वाले आरपीएन सिंह को पार्टी में शामिल किया था. कहना गलत नहीं होगा कि आरपीएन सिंह की भाजपा में एंट्री ने स्वामी प्रसाद मौर्य को अपनी परंपरागत पडरौना विधानसभा सीट छोड़ने पर मजबूर कर दिया. पडरौना सीट छोड़कर फाजिलनगर से चुनाव लड़ रहे स्वामी प्रसाद मौर्य की ओबीसी मतदाताओं के बीच मजबूत पकड़ के दावों की साख दांव पर लगी है. फाजिलनगर विधानसभा सीट पर 2012 और 2017 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी. भाजपा ने यहां से पूर्व विधायक रहे गंगा सिंह कुशवाहा के बेटे सुरेंद्र कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है. वहीं, बसपा ने समाजवादी पार्टी के बागी इलियास अंसारी को टिकट थमाकर स्वामी की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है.

पथरदेवा विधानसभा से सूर्य प्रताप शाही चुनाव मैदान में

देवरिया जिले की पथरदेवा विधानसभा सीट पर योगी सरकार के मंत्री और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही के चुनाव लड़ रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने सूर्य प्रताप शाही को टक्कर देने के लिए उनके चिर-परिचित प्रतिद्वंदी ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है. सूर्य प्रताप शाही और ब्रम्हाशंकर त्रिपाठी कुशीनगर जिले तत्कालीन कसया सीट पर सात बार एक-दूसरे से सियासी लड़ाई लड़ चुके हैं. जिसमें चार बार त्रिपाठी और तीन बार शाही को जीत मिली है. बसपा ने पथरदेवा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक स्व. शाकिर अली के बेटे परवेज आलम को टिकट देकर चुनाव दिलचस्प कर दिया है. वहीं, कांग्रेस ने अम्बर जहां को टिकट दी है.

सियासी रण में उतरे सीएम योगी के मीडिया सलाहकार

देवरिया सदर सीट से भाजपा ने सीएम योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकर शलभ मणि त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है. समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर भाजपा के पूर्व विधायक रहे स्व. जन्मेजय सिंह के बेटे अजय प्रताप सिंह उर्फ पिंटू पर दांव खेला है. वहीं, बसपा ने रामशरण सिंह और कांग्रेस ने पुरुषोत्तम नारायण सिंह को टिकट दिया है. शलभ मणि त्रिपाठी ने पूर्व पत्रकार हैं. प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता हैं. ये सीट पिछली बार भाजपा के खाते में गई थी. लेकिन, इस बार पूर्व विधायक के बेटे के बागी होने पर समाजवादी पार्टी से टिकट लाने पर यहां मुकाबला कड़ा हो गया है.

तमकुही राज सीट पर 'लल्लू' के साथ कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर

2017 के चुनावी नतीजों में छठे चरण की 57 विधानसभा सीटों में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन होने बावजूद कांग्रेस के खाते में केवल एक ही सीट आई थी. कुशीनगर जिले की तमकुही राज सीट पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने जीत हासिल की थी. अजय कुमार लल्लू फिर से तमकुही राज सीट से चुनावी मैदान में हैं. और, इस सीट पर केवल उनकी ही नहीं, बल्कि कांग्रेस की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है. अजय कुमार लल्लू के खिलाफ भाजपा गठबंधन की सहयोगी निषाद पार्टी के डॉ. असीम कुमार ताल ठोक रहे हैं. समाजवादी पार्टी के गठबंधन ने उदय नारायण गुप्ता और बसपा ने संजय गुप्ता को टिकट दिया है.

इटवा में योगी के मंत्री और सपा के दिग्गज के बीच भिड़ंत

सिद्धार्थनगर जिले की इटवा विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को पिछले चुनाव में भाजपा ने झटका दिया था. योगी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी ने 2002 से इटवा सीट पर कब्जा जमाए माता प्रसाद पांडेय को हराकर सीट जीती थी. इस बार भाजपा ने फिर से डॉ. सतीश चंद्र द्विवेदी को प्रत्याशी बनाया है. और, समाजवादी पार्टी ने भी माता प्रसाद पांडेय टिकट दिया है. इस तरह से दो दिग्गज इटवा सीट पर आमने-सामने हैं. इस सीट से बसपा ने हरिशंकर सिंह और कांग्रेस ने अरशद खुर्शीद को प्रत्याशी बनाया है.

बलिया की बैरिया सीट पर होगी जंग

बलिया जिले की बैरिया विधानसभा सीट से भाजपा ने आनंद स्वरुप शुक्ला को प्रत्याशी बनाया है. आनंद स्वरुप शुक्ला योगी सरकार में संसदीय कार्य राज्यमंत्री हैं. और, उन्होंने पिछले चुनाव में बलिया सदर सीट से जीत दर्ज की थी. लेकिन, बैरिया से भाजपा के विधायक रहे सुरेंद्र सिंह का पार्टी ने टिकट काट दिया था. जिसके बाद आनंद की सीट बदलकर उन्हें बलिया सदर से बैरिया लाया गया है. वहीं, बलिया सदर सीट पर योगी सरकार में मंत्री रही स्वाति सिंह के पति दयाशंकर सिंह को प्रत्याशी बनाया है. बैरिया सीट पर भाजपा के बागी विधायक सुरेंद्र सिंह भी बिहार की वीआईपी के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं. समाजवादी पार्टी ने यहां से जयप्रकाश अंचल और बसपा ने सुभाष यादव को चुनावी मैदान में उतारा है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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