• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

मदरसों के लिए दानिश की प्लानिंग अच्छी है मगर मुसलमानों की जड़ता का क्या?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 10 अप्रिल, 2022 10:56 PM
  • 10 अप्रिल, 2022 10:56 PM
offline
मदरसों को लेकर यूपी सरकार के युवा मुस्लिम चेहरे दानिश आजाद अंसारी के प्लान तो अच्छे हैं मगर उस जड़ता और कट्टरपंथ का क्या जो मुसलमानों में विद्यमान है. सवाल है कि क्या अपनी प्लानिंग से मुसलमानों की जड़ता को दूर कर पाएगी योगी सरकार ?

करीब 24 करोड़ की आबादी वाला राज्य है उत्तर प्रदेश, जिसमें मुसलमानों की कुल आबादी लगभग 3 करोड़ है. यूपी के मुसलमानों की आर्थिक सामाजिक स्थिति कैसी है? इसपर चर्चा फिर कभी. लेकिन जिसका जिक्र आज के संदर्भ में होना चाहिए वो है मुस्लिम समुदाय की शिक्षा. लिखाई पढ़ाई के प्रति जैसा रवैया मुस्लिम समाज का रहा है, एक बड़ी आबादी है जो अपने बच्चों को शिक्षा के लिए मदरसों में भेजती है.

मदरसों में बच्चे दीनी तालीम तो हासिल करते हैं लेकिन दुनियावी तालीम से दूर होते जाते हैं. फिर एक वक़्त वो आता है जब मदरसों में मिली शिक्षा और वहां की पालिसी बच्चों के लॉजिक और रीजनिंग को प्रभावित कर देती यही और यहीं से उसके जीवन में जड़ता और कट्टरपंथ की शुरुआत होती है. तमाम छोटी बड़ी समस्याओं की तरह यूपी की योगी सरकार ने इसे भी गंभीरता से लिया है और सूबे के मुसलमानों के विकास के लिए बड़ी योजना बनाई है.

योगी कैबिनेट में अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने मदरसों के आधुनिकीकरण को लेकर बड़ी बात की है. अंसारी के अनुसार मदरसों में आधुनिक शिक्षा देने के लिए मोबाइल एप विकसित की जाएगी इसके साथ ही अब मदरसों में महापुरुषों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनी को भी सिलेबस में शामिल किया जाएगा ताकि मदरसे में पढ़ रहे मुस्लिम छात्रों में राष्ट्रवाद की भावना का संचार हो.

योगी कैबिनेट में अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने मदरसों के आधुनिकीकरण को लेकर बहुत अच्छी योजना बनाई है

दानिश आजाद अंसारी के अनुसार सरकार भी अपनी इस पहल के लिए खासी गंभीर है और इस दिशा में काम कैसे होगा? इसका रोड मैप तैयार हो चुका है जिसे जल्द ही अमली जामा पहनाया जाएगा. बकौल दानिश अंसारी सरकार परंपरागत रूप से चल रहे मदरसों को जल्द ही अपग्रेड करेगी और इस...

करीब 24 करोड़ की आबादी वाला राज्य है उत्तर प्रदेश, जिसमें मुसलमानों की कुल आबादी लगभग 3 करोड़ है. यूपी के मुसलमानों की आर्थिक सामाजिक स्थिति कैसी है? इसपर चर्चा फिर कभी. लेकिन जिसका जिक्र आज के संदर्भ में होना चाहिए वो है मुस्लिम समुदाय की शिक्षा. लिखाई पढ़ाई के प्रति जैसा रवैया मुस्लिम समाज का रहा है, एक बड़ी आबादी है जो अपने बच्चों को शिक्षा के लिए मदरसों में भेजती है.

मदरसों में बच्चे दीनी तालीम तो हासिल करते हैं लेकिन दुनियावी तालीम से दूर होते जाते हैं. फिर एक वक़्त वो आता है जब मदरसों में मिली शिक्षा और वहां की पालिसी बच्चों के लॉजिक और रीजनिंग को प्रभावित कर देती यही और यहीं से उसके जीवन में जड़ता और कट्टरपंथ की शुरुआत होती है. तमाम छोटी बड़ी समस्याओं की तरह यूपी की योगी सरकार ने इसे भी गंभीरता से लिया है और सूबे के मुसलमानों के विकास के लिए बड़ी योजना बनाई है.

योगी कैबिनेट में अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने मदरसों के आधुनिकीकरण को लेकर बड़ी बात की है. अंसारी के अनुसार मदरसों में आधुनिक शिक्षा देने के लिए मोबाइल एप विकसित की जाएगी इसके साथ ही अब मदरसों में महापुरुषों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की जीवनी को भी सिलेबस में शामिल किया जाएगा ताकि मदरसे में पढ़ रहे मुस्लिम छात्रों में राष्ट्रवाद की भावना का संचार हो.

योगी कैबिनेट में अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने मदरसों के आधुनिकीकरण को लेकर बहुत अच्छी योजना बनाई है

दानिश आजाद अंसारी के अनुसार सरकार भी अपनी इस पहल के लिए खासी गंभीर है और इस दिशा में काम कैसे होगा? इसका रोड मैप तैयार हो चुका है जिसे जल्द ही अमली जामा पहनाया जाएगा. बकौल दानिश अंसारी सरकार परंपरागत रूप से चल रहे मदरसों को जल्द ही अपग्रेड करेगी और इस आधुनिकीकरण में जो सबसे पहला काम होगा वो है छात्रों का ऐप पर पढाई करना.राष्ट्रवाद हमेशा ही भाजपा की पहली पसंद रहा है इसलिए सरकार मदरसों के छात्रों में भी राष्ट्रवाद की भावना का संचार करना चाहती है. कैसे? जवाब खुद योगी आदित्यनाथ कैबिनेट के युवा मुस्लिम चेहरे दानिश आज़ाद अंसारी ने दिया है.दानिश ने बताया कि जैसा कि अब तक हम देखते हुए आए हैं, स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल कुछ गिने चुने नाम हैं जिनके बारे में हमें पता है और इन्हें ही हमें पढ़ाया गया है. जबकि कई गुमनाम चेहरे हैं जिन्होंने बड़ा काम किया लेकिन नीतियां कुछ ऐसी बनीं कि आज कोई उनका नामलेवा नहीं है.

सरकार का प्रयास यही है कि मुस्लिम छात्र उन लोगों और आजादी में इनके योगदान को जानें और इनके बताए मार्ग पर चलकर देश और उत्तर प्रदेश को आगे ले जाएं. ये पूछे जाने पर कि उत्तर प्रदेश जैसा सूबा अभी तकनीकी रूप से इतना सक्षम नहीं है कि वहां मदरसों में पढ़ने वाले छात्र मोबाइल पर पढ़ाई लिखाई कर सकें इसपर दानिश का तर्क है कि सरकार द्वारा इसके लिए प्रबंध किये जा रहे हैं और छात्रों को मुफ्त स्मार्ट फोन वितरण उसी पहल का हिस्सा है.

गौरतलब है कि मौजूदा मदरसा एजुकेशन ने जितना मुसलमानों का फायदा नहीं किया, उससे कहीं ज्यादा नुकसान इसके जरिये मुस्लिम छात्रों का हुआ है. बात यदि वर्तमान की हो तो मौजूदा मदरसा शिक्षा की जैसी नीतियां हैं यहां से निकले छात्र समाज की मुख्या धारा से नहीं जुड़ पाते और उनके जीवन में वो क्षण भी आता है जब वो अपने को अलग मान लेते हैं और यही वो समय होता है जब जड़ता या कट्टरपंथ उनके दिमाग़ में हावी हो जाता है.

जड़ता और कट्टरपंथ के मद्देनजर पूछे गए सावल पर दानिश ने बड़े ही कॉन्फिडेंट अंदाज में अपनी बात कही. दानिश के मुताबिक जैसा अब तक मदरसों में शिक्षा का हिसाब किताब रहा है वहां छात्रों को सिर्फ दीन ही पढ़ाया जाता था लेकिन जो नया मॉडल है उसमें यहां भी शिक्षा का वैसा ही स्वरूप होगा जैसा स्कूल कॉलेजों में होता है. यानी अब नए मॉडल के अंतर्गत छात्र जहां अरबी, उर्दू, फारसी पढ़ेंगे तो वहीं उनके सिलेबस में गणित, अंग्रेजी, कंप्यूटर, विज्ञान को शामिल किया जाएगा और इसका उद्देश्य यही है कि आम मुस्लिम छात्र समाज की मुख्यधारा से जुड़े.

यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार मुस्लिम समुदाय के लिए किस लेवल पर काम कर रही है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अब मदरसों में स्किल डेवलपमेंट को भी तरजीह दी जाएगी. दानिश का मानना है कि यदि सूबे के मुसलमानों के लिए शिक्षा के सही प्रयास किये जाएं तो यक़ीनन उनकी जड़ता और कट्टरपंथ को कम किया जा सकता है और उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है.

बतौर राज्यमंत्री दानिश का प्लान अच्छा है लेकिन सवाल अब भी जस का तस या ये कहें कि कायम है और सवाल यही है कि क्या मदरसे के फॉर्मेट को बदल देना और उसका आधुनिकीकरण कर देबा पर्याप्त है? क्या यही मुसलमानों से जुडी समस्या का एकमात्र समाधान है? सवाल तमाम हैं जिनका जवाब वक़्त देगा लेकिन इतना तो है कि मौजूदा परिदृश्य में ये पहल बहुत जरूरी थी.

ये भी पढ़ें -

हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के बाद बीजेपी का तीसरा एजेंडा क्या हिंदी है?

गोरखनाथ मंदिर में हमला करने वाले मुर्तजा अब्बासी के बारे में कुछ अनसुलझे सवाल

बीजेपी की कसौटी पर शरद पवार और नीतीश कुमार में से कौन ज्यादा खरा है? 

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲