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वायनाड में राहुल गांधी के खिलाफ लड़ने वाले दो अहम उम्मीदवार

    • आईचौक
    • Updated: 02 अप्रिल, 2019 02:56 PM
  • 02 अप्रिल, 2019 02:56 PM
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वायनाड सीट पर होने वाली लोकसभा चुनाव 2019 की लड़ाई बेहद दिलचस्प होती जा रही है. राहुल गांधी के खिलाफ NDA और LDF ने अपने-अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं.

लोकसभा चुनाव 2019 कई मामलों में अलग हैं. अब खुद ही देखिए कि राहुल गांधी अपनी जिंदगी में पहली बार दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. केरल की वायनाड सीट जिसे सभी पार्टियों के लिए अहम माना जा रहा है वो राहुल का नया चुनावी अखाड़ा है. जहां इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से खुद राहुल गांधी चुनाव के लिए खड़े हो रहे हैं वहीं अब NDA ने भी अपना उम्मीदवार इस सीट पर उतार दिया है. राहुल गांधी की लोकप्रियता तो किसी से छुपी नहीं है, लेकिन भाजपा का अपनी सहयोगी पार्टी भारत धर्म जनसेना (BJDS) का उम्मीदवार उतारा है.

राहुल गांधी के खिलाफ वायनाड सीट से तुषार वेल्लापल्ली लड़ेंगे. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस बारे में घोषणा की है और ये भी बताया है कि तुषार युवा नेता हैं जिन्हें वायनाड सीट से उतारने का सीधा सा कारण है कि पार्टी काम के प्रति अपना समर्पण और सामाजिक न्याय के साथ खड़ी है.

घोषणा होने के बाद से ही इस बात की अटकलें लगने लगीं कि क्या वाकई तुषार ऐसे कैंडिडेट हैं जो राहुल गांधी को टक्कर देने के लिए उपयुक्त हैं? कोई भी कयास लगाने से पहले तुषार के बारे में कुछ जान लेते हैं.

कौन हैं तुषार वेल्लापल्ली?

तुषार असल में वेल्लापल्ली नतेशन के बेटे हैं. ये प्रभावशाली संगठन श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (एसएनडीपी) के जनरल सेक्रेटरी हैं. यह संगठन राज्य में सबसे ज्यादा आबादी वाले हिंदू ग्रुप- एझावा पिछड़ा समुदाय (करीब 20.9%) के कल्याण के लिए काम करता है. केरल में एझावा समुदाय के लोगों का अच्छा खासा दबदबा है और ये कारण तुषार को एक लोकप्रिय नेता बनाता है.

तुषार खुद SNDP के वाइस-प्रेसिडेंट हैं. वायनाड उन इलाकों में से है जो केरल की बाढ़ के वक्त बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ था. वायनाड खेती के हिसाब से भी बहुत उपयुक्त इलाका है और इतने प्रभावशाली इलाके में अगर कोई जाना पहचाना कैंडिडेट हो तो...

लोकसभा चुनाव 2019 कई मामलों में अलग हैं. अब खुद ही देखिए कि राहुल गांधी अपनी जिंदगी में पहली बार दो लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ने जा रहे हैं. केरल की वायनाड सीट जिसे सभी पार्टियों के लिए अहम माना जा रहा है वो राहुल का नया चुनावी अखाड़ा है. जहां इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से खुद राहुल गांधी चुनाव के लिए खड़े हो रहे हैं वहीं अब NDA ने भी अपना उम्मीदवार इस सीट पर उतार दिया है. राहुल गांधी की लोकप्रियता तो किसी से छुपी नहीं है, लेकिन भाजपा का अपनी सहयोगी पार्टी भारत धर्म जनसेना (BJDS) का उम्मीदवार उतारा है.

राहुल गांधी के खिलाफ वायनाड सीट से तुषार वेल्लापल्ली लड़ेंगे. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इस बारे में घोषणा की है और ये भी बताया है कि तुषार युवा नेता हैं जिन्हें वायनाड सीट से उतारने का सीधा सा कारण है कि पार्टी काम के प्रति अपना समर्पण और सामाजिक न्याय के साथ खड़ी है.

घोषणा होने के बाद से ही इस बात की अटकलें लगने लगीं कि क्या वाकई तुषार ऐसे कैंडिडेट हैं जो राहुल गांधी को टक्कर देने के लिए उपयुक्त हैं? कोई भी कयास लगाने से पहले तुषार के बारे में कुछ जान लेते हैं.

कौन हैं तुषार वेल्लापल्ली?

तुषार असल में वेल्लापल्ली नतेशन के बेटे हैं. ये प्रभावशाली संगठन श्री नारायण धर्म परिपालन योगम (एसएनडीपी) के जनरल सेक्रेटरी हैं. यह संगठन राज्य में सबसे ज्यादा आबादी वाले हिंदू ग्रुप- एझावा पिछड़ा समुदाय (करीब 20.9%) के कल्याण के लिए काम करता है. केरल में एझावा समुदाय के लोगों का अच्छा खासा दबदबा है और ये कारण तुषार को एक लोकप्रिय नेता बनाता है.

तुषार खुद SNDP के वाइस-प्रेसिडेंट हैं. वायनाड उन इलाकों में से है जो केरल की बाढ़ के वक्त बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ था. वायनाड खेती के हिसाब से भी बहुत उपयुक्त इलाका है और इतने प्रभावशाली इलाके में अगर कोई जाना पहचाना कैंडिडेट हो तो उसे फायदा मिलना ही है. इसलिए एनडीए उम्मीदवार तुषार कई मामलों में राहुल गांधी को टक्कर दे सकते हैं. क्योंकि वायनाड में बहुत से आदिवासी समुदाय भी हैं इसलिए भी SNDP के दबदबे वाला क्षेत्र अहम भूमिका निभा सकता है.

जहां राजनीतिक विशलेषकों के अनुसार वायनाड सीट का इलेक्शन दो पार्टियों पर ही टिका हुआ है जहां राहुल गांधी बनाम लेफ्ट की लड़ाई होगी, लेकिन एनडीए का ये कैंडिडेट जरूर सुर्खियों का हिस्सा बन गया है.

तुषार की खूबी ये भी है कि वो पहले से ही चर्चित नेता के बेटे हैं.

तुषार और उनके पिता नतेशन पहले शराब का कारोबार किया करते थे और बाद में एझावा समुदाय के लीडर बन उन्होंने 2015 में BJDS की स्थापना की थी. इसका एकमात्र कारण था कि एझवा समुदाय के वोट बटें नहीं और केरल की लगभग चौथाई आबादी एक लीडर चुन सके. केरल के सबसे प्रभावशाली लोगों में नतेशन की गिनती होती है और कई पार्टियों के लीडर उनके दरवाजे सलाह मशवरा करने आते रहते हैं. कुछ समय पहले केरल के सीएम विजयन भी नतेशन के पास सबरीमला मुद्दे पर बात करने आए थे.

क्योंकि नतेशन और तुषार के पास एक समुदाय का साथ है इसलिए ऐसा मुमकिन है कि अगर जीत न भी हो तो भी राहुल गांधी और लेफ्ट के वोट काटने का काम NDA का ये कैंडिडेट कर सकता है. क्योंकि ये परिवार केरल के सबसे धनी परिवारों में से है इसलिए न सिर्फ चुनाव प्रचार बल्कि लोगों के बीच लोकप्रियता के मामले में भी तुषार आगे हैं.

तुषार के लिए राह इतनी भी आसान नहीं-

हालांकि, यहां बात इतनी सीधी नहीं है जितनी दिख रही है. कई मामलों में नतेशन और तुषार की नोक-झोंक सार्वजनिक होती रही है. नतेशन ने खुद को इलेक्शन से दूर सिर्फ एझावा समुदाय के लीडर के तौर पर रखा है और इसिलए BDJS की जिम्मेदारी तुषार पर है. साथ ही भाजपा के साथ गठबंधन करने पर भी तुषार को सार्वजनिक तौर पर नतेशन ताना भी मार चुके हैं. यहां तक कि नतेशन ये साफ कर चुके हैं कि अगर तुषार चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें SNDP के पद से इस्तीफा देना होगा. ये मामला तुषार के लिए गड़बड़ साबित हो सकता है.

वैसे तो एझावा समुदाय के लोग लेफ्ट पार्टी के वोटर रहे हैं और खास तौर पर मालाबार इलाके में लेफ्ट के कट्टर समर्थक हैं, लेकिन NDA का कैंडिडेट क्योंकि नतेशन का बेटा है इसलिए यहां मामला पलट सकता है.

क्या है भाजपा और BDJS का इतिहास-

लोकप्रियता के मामले में तुषार भले ही स्थानीय लोगों के बीच चर्चित हों, लेकिन जहां तक पार्टी का सवाल है तो BDJS और भाजपा का गठबंधन कुछ खास कमाल अभी तक नहीं दिखा पाया है. भाजपा द्वारा BDJS लेफ्ट के वोट काटने के लिए सामने की गई पार्टी है. दोनों ने मिलकर स्थानीय चुनाव और बाद में विधानसभा चुनाव लड़े हैं, लेकिन कुछ खास सफलता नहीं मिली. 2016 में BDJS ने 36 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी में तीसरे स्थान पर रही थी.

पिछले इलेक्शन के नतीजों के आधार पर तुषार के ऊपर जिम्मेदारी भी बहुत है. NDA का परचम लहराना तुषार के लिए आसान नहीं होगा. वो इलाका जहां अधिकतर वोटर मुस्लिम, ईसाई या आदिवासी समुदाय के हैं वहां भाजपा का सहयोग दिखाना गलत भी हो सकता है. BDJS के चुनावी भविष्य का दांव ये इलेक्शन ही है.

13,25,788 वोटरों वाला वायनाड इसलिए बेहद जरूरी हो गया है.

LDF का प्रत्याशी जो राहुल को हराने के इरादे से चुनाव लड़ रहा है..

वैसे सिर्फ तुषार ही नहीं हैं जो वायनाड में राहुल गांधी के खिलाफ खड़े हैं. वायनाड की सत्ताधीन पार्टी भी है जिसने पीपी सुनीर को राहुल गांधी के खिलाफ खड़ा किया है. क्योंकि वो इलाका हमेशा से लेफ्ट का गढ़ रहा है इसलिए राहुल गांधी की जीत में एक बड़ी रुकावट पीपी सुनीर भी हो सकते हैं.

हाल ही में एक इंटरव्यू में पीपी सुनीर का कहना था कि वोटों की गिनती तक रुक जाएं. वायनाड राहुल गांधी के लिए बड़ी हार होगी.

लेफ्ट अपने गढ़ में पीपी सुनीर को राहुल गांधी के खिलाफ खड़ा कर रही है

लोकसभा चुनाव हार चुका प्रत्याशी राहुल गांधी का सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी-

पीपी सुनीर केरल के मल्लापुरम से हैं. 50 साल के सुनीर सीपीआई के स्टूडेंट दल से स्कूल के दिनों में जुड़े थे और तब से लेकर अब तक वो पार्टी के साथ ही हैं.

सुनीर ने अपने गढ़ पोन्नानी से 1999 और 2004 में लोकसभा इलेक्शन लड़ा था, लेकिन वो हार गए थे. 2005 में मल्लापुरम जिला पंचायत के मेंबर जरूर चुने गए थे.

राहुल गांधी के वायनाड से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद CPI के लीडर सुधाकर रेड्डी ने कहा था कि लेफ्ट फ्रंट हर मुमकिन कोशिश करेगा ताकि राहुल गांधी को हराया जा सके. ऐसे में एक ऐसे कैंडिडेट को चुनावी जमीन पर कांग्रेस के अध्यक्ष के सामने उतारना लेफ्ट के बयान के विपरीत है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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