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तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ने पर जो आरोप लगाए, उनमें कितना दम है?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 13 अक्टूबर, 2022 07:58 PM
  • 13 अक्टूबर, 2022 07:58 PM
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अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार रही तुलसी गबार्ड (Tulsi Gabbard) ने डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) को छोड़ने का ऐलान कर सबको चौंका दिया. दरअसल, तुलसी गबार्ड ने सिर्फ इस्तीफा ही नहीं दिया. बल्कि, उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और पहली अमेरिकी हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़ने का ऐलान कर सबको चौंका दिया. दरअसल, तुलसी गबार्ड ने सिर्फ इस्तीफा ही नहीं दिया. बल्कि, उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी पर कई गंभीर आरोप भी लगाए. तुलसी गबार्ड ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगभग 29 मिनट के एक वीडियो में डेमोक्रेटिक पार्टी पर आरोपों की झड़ी लगा दी. बता दें कि तुलसी गबार्ड का पिछले साल ही अमेरिकी संसद के निचले सदन 'हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स' से कार्यकाल खत्म हो गया है. आसान शब्दों में कहें, तो गबार्ड सिर्फ एक डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता ही रह गई थीं. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि तुलसी गबार्ड ने पार्टी छोड़ने पर इतने गंभीर आरोप क्यों लगाए हैं? और, उनके आरोपों में कितना दम है?

पहले देखिये वो वीडियो जिसमें तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

तुलसी गबार्ड ने कहा है कि 'मैं डेमोक्रेटिक पार्टी में अब और नहीं रह सकती. जो अब कायरता से भरी 'वोक' सोच वाले कुलीन वर्ग के युद्ध भड़काने वालों के नियंत्रण में है. जो हर मुद्दे को नस्लीय बनाकर हमें बांटते हैं और श्वेत-विरोधी नस्लभेद को भड़काते हैं. ईश्वर द्वारा दी गई स्वतंत्रता को सक्रिय रूप से कमजोर करने के लिए काम करते हैं. आस्था और आध्यात्मिकता वाले लोगों के खिलाफ शत्रुतापूर्ण हैं, कानून का पालन करने वाले अमेरिकियों की कीमत पर पुलिस का प्रदर्शन और अपराधियों की रक्षा करते हैं. खुली सीमाओं पर विश्वास करते हैं. राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं. और, इन सबसे ऊपर हम सबको परमाणु युद्ध के और करीब खींच लाते हैं. मैं एक ऐसी सरकार में विश्वास करती हूं, जो जनता की, जनता के लिए और जनता के द्वारा है. दुर्भाग्य से आज की डेमोक्रेटिक पार्टी ऐसा नहीं करती है. इसके बजाय यह सरकार शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग के साथ खड़ी है. मैं स्वतंत्र सोच और कॉमन सेंस रखने वाले अपने डेमोक्रेट साथियों से डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ मेरे साथ शामिल होने का आह्वान करती हूं. अगर आप तथाकथित वोक डेमोक्रेटिक पार्टी के विचारकों द्वारा देश को जिस दिशा में ले जाया जा रहा है, उससे सहमत नहीं हैं. तो, मैं आपको मेरे साथ जुड़ने...

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार और पहली अमेरिकी हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़ने का ऐलान कर सबको चौंका दिया. दरअसल, तुलसी गबार्ड ने सिर्फ इस्तीफा ही नहीं दिया. बल्कि, उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी पर कई गंभीर आरोप भी लगाए. तुलसी गबार्ड ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लगभग 29 मिनट के एक वीडियो में डेमोक्रेटिक पार्टी पर आरोपों की झड़ी लगा दी. बता दें कि तुलसी गबार्ड का पिछले साल ही अमेरिकी संसद के निचले सदन 'हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स' से कार्यकाल खत्म हो गया है. आसान शब्दों में कहें, तो गबार्ड सिर्फ एक डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता ही रह गई थीं. इस स्थिति में सवाल उठना लाजिमी है कि तुलसी गबार्ड ने पार्टी छोड़ने पर इतने गंभीर आरोप क्यों लगाए हैं? और, उनके आरोपों में कितना दम है?

पहले देखिये वो वीडियो जिसमें तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

तुलसी गबार्ड ने कहा है कि 'मैं डेमोक्रेटिक पार्टी में अब और नहीं रह सकती. जो अब कायरता से भरी 'वोक' सोच वाले कुलीन वर्ग के युद्ध भड़काने वालों के नियंत्रण में है. जो हर मुद्दे को नस्लीय बनाकर हमें बांटते हैं और श्वेत-विरोधी नस्लभेद को भड़काते हैं. ईश्वर द्वारा दी गई स्वतंत्रता को सक्रिय रूप से कमजोर करने के लिए काम करते हैं. आस्था और आध्यात्मिकता वाले लोगों के खिलाफ शत्रुतापूर्ण हैं, कानून का पालन करने वाले अमेरिकियों की कीमत पर पुलिस का प्रदर्शन और अपराधियों की रक्षा करते हैं. खुली सीमाओं पर विश्वास करते हैं. राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं. और, इन सबसे ऊपर हम सबको परमाणु युद्ध के और करीब खींच लाते हैं. मैं एक ऐसी सरकार में विश्वास करती हूं, जो जनता की, जनता के लिए और जनता के द्वारा है. दुर्भाग्य से आज की डेमोक्रेटिक पार्टी ऐसा नहीं करती है. इसके बजाय यह सरकार शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग के साथ खड़ी है. मैं स्वतंत्र सोच और कॉमन सेंस रखने वाले अपने डेमोक्रेट साथियों से डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ मेरे साथ शामिल होने का आह्वान करती हूं. अगर आप तथाकथित वोक डेमोक्रेटिक पार्टी के विचारकों द्वारा देश को जिस दिशा में ले जाया जा रहा है, उससे सहमत नहीं हैं. तो, मैं आपको मेरे साथ जुड़ने के लिए आमंत्रित करती हूं.'

तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी पर कायरता से भरी 'वोक' सोच वाले कुलीन वर्ग के युद्ध भड़काने वालों के नियंत्रण में होने का आरोप लगाया है.

अब तुलसी गबार्ड की कही बात का विश्लेषण

परमाणु युद्ध के मुहाने पर ले आई बाइडेन सरकार- रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए कई महीने बीत चुके हैं. और, अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की चेतावनी भी दे दी है. संभव है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की के उकसावे वाली कार्रवाईयों से रूस परमाणु युद्ध छेड़ भी दे. और, अगर ऐसा होता है, तो इसका श्रेय अमेरिका को ही जाएगा. क्योंकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को नाटो की सदस्यता दिलाने का सपना अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों ने ही दिखाया था. और, रूस के खिलाफ लड़ने के लिए अमेरिका समेत यही पश्चिमी देश यूक्रेन को भारी मात्रा में हथियार उपलब्ध करा रहे हैं. वैसे, रूस के परमाणु हथियार इस्तेमाल करते ही दुनिया तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ जाएगी. जिसका इशारा तुलसी गबार्ड ने किया है.

सच में 'वोक' सोच वाली हो गई है डेमोक्रेटिक पार्टी- लंबे समय से 'वोक' शब्द दुनियाभर में मशहूर हो रहा है. दरअसल, किसी मामले या मुद्दे पर एक अलग तरह की अतरंगी सोच रखने वालों को 'वोक' की उपाधि से नवाजा जाता है. और, जो बाइडेन के कार्यकाल में डेमोक्रेटिक पार्टी भी ऐसी ही सोच के साथ आगे बढ़ रही है. बीते साल ही अमेरिका ने वैश्विक स्तर पर तथाकथित इस्लामोफोबिया से लड़ने के लिए एक बिल को मंजूरी दी है. जिसके तहत दुनिया के सभी देशों में मुस्लिम विरोधी पूर्वाग्रह की वजह से मुसलमानों के खिलाफ होने वाले घटनाओं को अब अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की वार्षिक मानवाधिकार की रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा. मुस्लिम महिला सांसद इल्हान उमर द्वारा लाए गए इस बिल में भारत को चीन और म्यांमार की श्रेणी में रखने की सिफारिश की गई थी.हाल ही में इस बिल की एक रिपोर्ट में भारत को निशाना बनाते हुए उस पर मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचार करने के आरोप भी लगाए गए थे. जबकि, ऐसा नहीं है. भारत में मुस्लिमों से कहीं ज्यादा हिंदू सांप्रदायिक हिंसा का शिकार होते हैं.

नस्लभेद को बढ़ावा दे रही है- तुलसी गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी पर हर मुद्दे को नस्लभेद के तौर पर पेश करने का आरोप लगाया है. वैसे, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के शासनकाल में धर्म के नाम पर हिंदुओं और सिखों को निशाना बनाए जाने के कई मामले सामने आए हैं. यहां तक कि धर्म के नाम पर हिंदुओं की हत्याएं भी की जा रही हैं. लेकिन, अमेरिकी प्रशासन इस पर कड़ी कार्रवाई करने में नाकाम रहा है. इसके उलट जो बाइडेन की सरकारइल्हान उमर जैसे मुस्लिम सांसदों के जरिये भारत में मुस्लिमों के खिलाफ हुए अपराधों के जरिये सीधे हिंदुओं को दोषी ठहराने की साजिश रच रही है. अमेरिका में मुस्लिम अप्रवासियों को बसाने के लिए इल्हान उमर जैसी सांसद खुलकर राजनीति कर रही हैं. लेकिन, जो बाइडेन इस पर नरम रुख अपनाए हुए हैं. और, इसकी वजह से अमेरिका में श्वेत नागरिकों पर भी हमले बढ़े हैं.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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