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मोदी को तो चैलेंज करने वाली टीएमसी के सामने अपना कुनबा एकजुट कर पाने का संकट

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 05 मार्च, 2018 08:07 PM
  • 05 मार्च, 2018 08:05 PM
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डेरेक ओ ब्रायन ने पीएम मोदी को तो चुनौती दे दी, लेकिन असली चुनौती TMC को अपनी पार्टी के लोगों से मिल रही है. टीएमसी को अपना कुनबा ही बचाना भारी पड़ रहा है.

TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें एक बड़ी चुनौती दे डाली है. उन्होंने कहा है कि 15 अगस्त 2018 को पीएम मोदी लाल किले की प्राचीर से आखिरी बार भाषण देंगे. ये मौका उन्हें 2019 में किसी भी हालत में नहीं मिलेगा. अपनी बात में वह पीएम मोदी को चुनौती देते हुए कहते हैं- टीएमसी और सभी विपक्षी पार्टियों की तरफ से ये हमारा चैलेंज है. डेरेक ओ ब्रायन ने पीएम मोदी को तो चुनौती दे दी, लेकिन असली चुनौती टीएमसी को अपनी पार्टी के लोगों से मिल रही है. इस समय टीएमसी की ये हालत है कि उसे अपना ही कुनबा बचाना भारी पड़ रहा है.

अपनों ने हरा दिया त्रिपुरा चुनाव

त्रिपुरा में मिली हार का सबसे बड़ा कारण टीएमसी के ही वो नेता हैं, जो अब भाजपा में शामिल हो गए हैं. त्रिपुरा चुनाव के नतीजे तो अब आए हैं, लेकिन इससे पहले ही पार्टी को उनकी हार दिख गई थी. टीएमसी के जनरल सेक्रेटरी और पूर्व रेल मंत्री मुकुल रॉय की बात करते हुए ममता बनर्जी ने पहले ही यह कह दिया था कि वहां टीएमसी एक तगड़ी पार्टी हो सकती थी, लेकिन उसे मुकुल रॉय की वजह से नुकसान हुआ. मुकुल रॉय पिछले साल नवंबर में भाजपा में शामिल हो गए थे. त्रिपुरा में टीएमसी के कुल 6 विधायक (सुदीप रॉय बर्मन, आशीश साहा, दिलीप सरकार, प्रंजीत सिंघा रॉय, दिबा चंद्रा हरनखावल और बिश्व बंधु सेन) थे और ये सभी भाजपा में शामिल हो चुके हैं.

बाईचुंग भूटिया भी छोड़ चुके हैं टीएमसी का साथ

हाल ही में बाईचुंग भूटिया ने भी टीएमसी का साथ छोड़ दिया है. उन्होंने इसकी घोषणा अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए की थी. फुटबॉल के पूर्व खिलाड़ी भूटिया ने 2011 में खेल से संन्यास लेने के बाद 2013 में दार्जलिंग से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन भाजपा के उम्मीदवार एसएस अहलुवालिया से हार गए थे. 2014 के लोकसभा चुनावों के...

TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए उन्हें एक बड़ी चुनौती दे डाली है. उन्होंने कहा है कि 15 अगस्त 2018 को पीएम मोदी लाल किले की प्राचीर से आखिरी बार भाषण देंगे. ये मौका उन्हें 2019 में किसी भी हालत में नहीं मिलेगा. अपनी बात में वह पीएम मोदी को चुनौती देते हुए कहते हैं- टीएमसी और सभी विपक्षी पार्टियों की तरफ से ये हमारा चैलेंज है. डेरेक ओ ब्रायन ने पीएम मोदी को तो चुनौती दे दी, लेकिन असली चुनौती टीएमसी को अपनी पार्टी के लोगों से मिल रही है. इस समय टीएमसी की ये हालत है कि उसे अपना ही कुनबा बचाना भारी पड़ रहा है.

अपनों ने हरा दिया त्रिपुरा चुनाव

त्रिपुरा में मिली हार का सबसे बड़ा कारण टीएमसी के ही वो नेता हैं, जो अब भाजपा में शामिल हो गए हैं. त्रिपुरा चुनाव के नतीजे तो अब आए हैं, लेकिन इससे पहले ही पार्टी को उनकी हार दिख गई थी. टीएमसी के जनरल सेक्रेटरी और पूर्व रेल मंत्री मुकुल रॉय की बात करते हुए ममता बनर्जी ने पहले ही यह कह दिया था कि वहां टीएमसी एक तगड़ी पार्टी हो सकती थी, लेकिन उसे मुकुल रॉय की वजह से नुकसान हुआ. मुकुल रॉय पिछले साल नवंबर में भाजपा में शामिल हो गए थे. त्रिपुरा में टीएमसी के कुल 6 विधायक (सुदीप रॉय बर्मन, आशीश साहा, दिलीप सरकार, प्रंजीत सिंघा रॉय, दिबा चंद्रा हरनखावल और बिश्व बंधु सेन) थे और ये सभी भाजपा में शामिल हो चुके हैं.

बाईचुंग भूटिया भी छोड़ चुके हैं टीएमसी का साथ

हाल ही में बाईचुंग भूटिया ने भी टीएमसी का साथ छोड़ दिया है. उन्होंने इसकी घोषणा अपने ट्विटर अकाउंट के जरिए की थी. फुटबॉल के पूर्व खिलाड़ी भूटिया ने 2011 में खेल से संन्यास लेने के बाद 2013 में दार्जलिंग से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन भाजपा के उम्मीदवार एसएस अहलुवालिया से हार गए थे. 2014 के लोकसभा चुनावों के उम्मीदवारों की लिस्ट में भी उनका नाम था. फिलहाल टीएमसी छोड़ने के बाद उन्होंने कहा है कि वह किसी भी पार्टी के सदस्य नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि वह भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं.

पार्टी की एकता पर ध्यान देना जरूरी

डेरेक ओ ब्रायन ने भाजपा को जो चुनौती दी है, उसमें कहा है कि यह चुनौती टीएमसी और सभी विपक्षी दलों की ओर से है. देखा जाए तो वह सभी पार्टियों को एक होने का इशारा कर रहे हैं, लेकिन अभी टीएमसी के अंदर ही एकता के बीज बोने की जरूरत है, वरना उनकी राजनीति का पेड़ बढ़ नहीं पाएगा. जिस तरह से त्रिपुरा में सभी टीएमसी सांसद भाजपा में शामिल हो गए, वह पार्टी की एकता पर सवाल खड़े करता है. किसी दूसरी पार्टी को चुनौती देने से पहले डेरेक ओ ब्रायन को अपनी पार्टी को मजूबत करने की दिशा में काम करना होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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