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उम्र तो महज एक बहाना है, आनंदीबेन के इस्‍तीफे के कारण कई हैं

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 02 अगस्त, 2016 02:06 PM
  • 02 अगस्त, 2016 02:06 PM
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गुजरात में पिछले दो साल के घटनाक्रम पर नज़र डालें तो आनंदीबेन पटेल सरकार की कथित नाकामियों से वहां भाजपा की परेशानी बढ़ने के संकेत थे. जानिए आखिर क्यों छोड़नी पड़ रही है उन्‍हें कुर्सी.

अगर 75 प्लस उम्र को ही बहाना बनाकर उन्हें हटना पड़ा तो दो साल पहले उन्हें मुख्यमंत्री क्यों बनाया गया. अमित शाह जिन्हें मोदी का चाणक्य कहा जाता है उन्होंने तब यह क्यों नहीं सोचा?

आनंदीबेन पटेल का कहना है- ''मैं हमेशा से ही बीजेपी की विचारधारा, सिद्धांत और अनुशासन से प्रेरित हूं और इसका आज तक पालन करती आई हूं. पिछले कुछ समय से पार्टी में 75 से ऊपर की उम्र के नेता और कार्यकर्ता स्वैच्छिक रूप से अपना पद छोड़ रहे हैं, जिससे युवाओं को मौका मिले. यह एक बहुत अच्छी परंपरा है. मेरे भी नवंबर महीने में 75 साल पूरे होने जा रहे हैं.''

 युवाओं को मौका मिले इसलिए स्वेच्छा से छोड़ रही हैं पद

गुजरात में पिछले दो सालों के घटनाक्रम पर अगर नज़र डाले तो आनंदीबेन पटेल सरकार की कथित नाकामियों से वहां भाजपा की परेशानी बढ़ने के संकेत थे. दरअसल, गुजरात में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव हैं. पिछले महीनों में जिस तरह वहां पटेल आंदोलन ने रंग लिया और फिर स्थानीय चुनाव में भाजपा की शिकस्त हुई, उससे नेतृत्व पहले से आशंकित था. मुख्यमंत्री के बदलाव की मंशा तो पहले से थी लेकिन पिछले दिनों पटेल की पुत्री के खिलाफ कुछ मामलों ने इसे और तेज कर दिया. ऊना में गाय की खाल को लेकर दलितों की पिटाई को मुद्दा बनाकर विपक्ष जिस तरह गोलबंद है, इस मुद्दे से भी पार्टी नेतृत्व चिंतित था.

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आनंदीबेन पटेल का कहना है- ''मैं हमेशा से ही बीजेपी की विचारधारा, सिद्धांत और अनुशासन से प्रेरित हूं और इसका आज तक पालन करती आई हूं. पिछले कुछ समय से पार्टी में 75 से ऊपर की उम्र के नेता और कार्यकर्ता स्वैच्छिक रूप से अपना पद छोड़ रहे हैं, जिससे युवाओं को मौका मिले. यह एक बहुत अच्छी परंपरा है. मेरे भी नवंबर महीने में 75 साल पूरे होने जा रहे हैं.''

 युवाओं को मौका मिले इसलिए स्वेच्छा से छोड़ रही हैं पद

गुजरात में पिछले दो सालों के घटनाक्रम पर अगर नज़र डाले तो आनंदीबेन पटेल सरकार की कथित नाकामियों से वहां भाजपा की परेशानी बढ़ने के संकेत थे. दरअसल, गुजरात में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव हैं. पिछले महीनों में जिस तरह वहां पटेल आंदोलन ने रंग लिया और फिर स्थानीय चुनाव में भाजपा की शिकस्त हुई, उससे नेतृत्व पहले से आशंकित था. मुख्यमंत्री के बदलाव की मंशा तो पहले से थी लेकिन पिछले दिनों पटेल की पुत्री के खिलाफ कुछ मामलों ने इसे और तेज कर दिया. ऊना में गाय की खाल को लेकर दलितों की पिटाई को मुद्दा बनाकर विपक्ष जिस तरह गोलबंद है, इस मुद्दे से भी पार्टी नेतृत्व चिंतित था.

ये भी पढ़ें- आनंदीबेन सरकार की वो गलतियां जिसके कारण भड़का दलितों का गुस्सा

गुजरात की कुल जनसंख्या में पटेल समुदाय की संख्या लगभग 15-16 फीसदी है, गुजरात को पटेल समुदाय ने अब तक चार मुख्यमंत्री दिए हैं, जिनमें बाबूभाई, चिमनभाई, केशुभाई और आनंदीबेन हैं. राज्य कैबिनेट में भी पटेलों का खासा वर्चस्व है.

आखिर क्यों छोड़नी पड़ी आनंदीबेन को कुर्सी

अनार पटेल

आनंदीबेन पटेल की बेटी अनार पटेल पर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि उनके बिजनेस पार्टनर की कंपनी को करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव में दी गई. पार्टी को इस विवाद से बैकफुट में आना पड़ा.

 आनंदीबेन पटेल और बेटी अनार पटेल

पटेल आंदोलन

खुद पटेल समुदाय से आने वाली आनंदीबेन अपने राज में पटेलों को संतुष्ट करने में नाकाम रहीं. उनके कार्यकाल में हार्दिक पटेल भाजपा के विरोध में बड़ा चेहरा बनकर उभरा. हार्दिक पटेल के आरक्षण आंदोलन को पूरे राज्य में अपार समर्थन मिला. यह बात भी उनके खिलाफ गई. गुजरात में करीब सालभर से पाटीदार आरक्षण आंदोलन चल रहा है. आंदोलन की अगुआई कर रहे हार्दिक पटेल ने कई बार आनंदीबेन पर आरोप लगाए थे. बीजेपी हाईकमान भी आंदोलन को हैंडल करने के तरीके से खुश नहीं. ग्राम पंचायत चुनावों में बीजेपी को मिले झटके से आनंदीबेन की लीडरशिप पर सवालिया निशान लगा था.

ये भी पढ़ें- ‘विकसित’ गुजरात की जड़ों में है धार्मिक कट्टरता और जातिवाद

 भाजपा के विरोध में बड़ा चेहरा बनकर उभरे हार्दिक पटेल

गुजरात के ऊना में दलितों से मारपीट का मामला

संघ परिवार व भाजपा ने खास रणनीति के तहत दलितों को लुभाने की कोशिश की. भाजपा ने आंबेडकर जयंती भी मनाई लेकिन हाल ही में गुजरात के ऊना जिले में गोरक्षक दलों ने दलितों को बांधकर पिटाई कर दी. इस निर्मम घटना का वीडियो वायरल हो गया. घटना का असर संसद से सड़क तक दिखाई पड़ा. संसद में जहां इस बात को लेकर जमकर हंगामा हुआ, वहीं गुजरात में दलितों ने इस घटना के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया.

 भाजपा के खिलाफ बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया ऊना में दलितों से मारपीट का मामला

इस मामले की वजह से गुजरात सरकार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा. दलितों ने अहमदाबाद में बड़ी रैली कर इसका विरोध किया. यह मामला इस वक्त पूरे देश में भाजपा के खिलाफ बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है.

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भाजपा के वोट प्रतिशत में गिरावट

आनंदीबेन के कार्यकाल में भाजपा के वोट प्रतिशत में लगातार गिरावट हुई. पंचायत और नगर निगम चुनावों में कांग्रेस की स्तिथि मजबूत हुई है. ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 44  से बढ़कर 47  प्रतिशत हो गया, वहीं शहरी इलाकों में भी भाजपा की वोट शेयरिंग 50 प्रतिशत से गिरकर 43 प्रतिशत हो गई.

ओम माथुर की रिपोर्ट

मोदी के करीबी ओम माथुर ने गुजरात सरकार और वहां बीजेपी के मौजूदा हालात को लेकर एक रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट में गुजरात में पुअर गवर्नेंस और स्टेट कम्युनिकेशन में दिक्कत का जिक्र किया था. हमें पाटीदारों का आंदोलन नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अपनी रिपोर्ट मैं उन्होंने कहा था कि पाटीदारों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, उन्होंने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा था कि पार्टी और सरकार में समन्वय नहीं है.

उम्र तो बस एक बहाना है

नरेंद्र मोदी 75 साल से ऊपर के नेताओं को पार्टी और सत्ता में अहम जिम्मेदारियों से दूर रखने के पक्षधर हैं. आनंदीबेन नवंबर में 75 साल की हो रही हैं. उन्होंने फेसबुक पोस्ट में खुद एज फैक्टर वाली बात का जिक्र किया है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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