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पत्रकार तवलीन सिंह ने जब शहीद की मां को समझ लिया बीजेपी ट्रोल!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 01 जुलाई, 2020 10:19 PM
  • 01 जुलाई, 2020 10:19 PM
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अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर जो बातें पत्रकार तवलीन सिंह (Tavleen Singh )ने ट्विटर (Twitter ) पर एक शहीद की मां से कहीं हैं वो खुद ब खुद इस बात की तस्दीख कर देती हैं कि भारत में बुद्धिजीवियों की समस्या क्या है? तवलीन ने बता दिया है कि जब बात खुद को सही साबित करने की आएगी तो वो किसी भी सीमा तक जा सकती हैं.

'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' 3 शब्दों का ये वाक्य दिखने में बहुत साधारण है और इसका उच्चारण जितना सहज है इसका इस्तेमाल उससे भी ज्यादा आसान है. आज जैसा माहौल है 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के नाम पर व्यक्ति कुछ भी अनाप शनाप बोल सकता है. कुछ भी कह सकता है. पत्रकार और ट्विटर सेलेब्स में शामिल तवलीन सिंह (Tavleen Singh) का मामला भी कुछ कुछ ऐसा ही है. भारत सरकार द्वारा 59 चीनी ऐप्स को प्रतिबंधित (GOI Banning Chinese Apps) करना शायद तवलीन सिंह को नागवार गुजरा है और इसे लेकर उन्होंने अपनी कुत्सित दिमाग का परिचय देते हुए न सिर्फ चीनी सीमा पर शहीद हुए जवान की मां का तिरस्कार किया बल्कि उसे भाजपा का ट्रोल (BJP TRoll ) तक बना दिया. बात दें कि तवलीन सिंह उन्हीं आतिश तासीर (Aatish Taseer) की मां हैं जिनका शुमार पीएम मोदी (PM Modi) और भाजपा के प्रबल आलोचकों में है और साथ ही पिछले साल नवंबर में जिनकी OCI (ओवर सीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया) "स्टेटस को रद्द किया गया है.

ट्विटर पर शहीद की मां को बीजेपी ट्रोल बता कर तवलीन सिंह ने बुद्धिजीवियों की समस्या बता दी है

बता दें कि चीनी ऐप्स पर भारत सरकार द्वारा लागू किये प्रतिबंध के बाद तवलीन सिंह ने सरकार की चुटकी लेते हुए ट्विटर पर लिखा कि , क्या इन ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने से चीनी सैनिक हमारे क्षेत्र से पीछे हट जाएंगे?

तवलीन सिंह ने एक बहुत ही ज्यादा बेतुकी बात की थी जो सीमा पर शाहीद हुए एक सैनिक की मां मेघना गिरीश को बुरी लगी और शायद...

'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' 3 शब्दों का ये वाक्य दिखने में बहुत साधारण है और इसका उच्चारण जितना सहज है इसका इस्तेमाल उससे भी ज्यादा आसान है. आज जैसा माहौल है 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' के नाम पर व्यक्ति कुछ भी अनाप शनाप बोल सकता है. कुछ भी कह सकता है. पत्रकार और ट्विटर सेलेब्स में शामिल तवलीन सिंह (Tavleen Singh) का मामला भी कुछ कुछ ऐसा ही है. भारत सरकार द्वारा 59 चीनी ऐप्स को प्रतिबंधित (GOI Banning Chinese Apps) करना शायद तवलीन सिंह को नागवार गुजरा है और इसे लेकर उन्होंने अपनी कुत्सित दिमाग का परिचय देते हुए न सिर्फ चीनी सीमा पर शहीद हुए जवान की मां का तिरस्कार किया बल्कि उसे भाजपा का ट्रोल (BJP TRoll ) तक बना दिया. बात दें कि तवलीन सिंह उन्हीं आतिश तासीर (Aatish Taseer) की मां हैं जिनका शुमार पीएम मोदी (PM Modi) और भाजपा के प्रबल आलोचकों में है और साथ ही पिछले साल नवंबर में जिनकी OCI (ओवर सीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया) "स्टेटस को रद्द किया गया है.

ट्विटर पर शहीद की मां को बीजेपी ट्रोल बता कर तवलीन सिंह ने बुद्धिजीवियों की समस्या बता दी है

बता दें कि चीनी ऐप्स पर भारत सरकार द्वारा लागू किये प्रतिबंध के बाद तवलीन सिंह ने सरकार की चुटकी लेते हुए ट्विटर पर लिखा कि , क्या इन ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने से चीनी सैनिक हमारे क्षेत्र से पीछे हट जाएंगे?

तवलीन सिंह ने एक बहुत ही ज्यादा बेतुकी बात की थी जो सीमा पर शाहीद हुए एक सैनिक की मां मेघना गिरीश को बुरी लगी और शायद जिसने उन्हें खूब हर्ट भी किया. तवलीन को जवाब देते हुए मेघना ने लिखा कि चीनी सैनिकों को पीछे खदेड़ने और सीमा की रक्षा के लिए 20 जवानों ने अपनी जान की कुर्बानी दी दी. ऐसे में इस तरह की टिप्पणी उन सैनिकों का अपमान है.

मेघना गिरीश का एक जायज बात कहना और तवलीन सिंह को समझना भर था उनके सुर बदल गए और उन्होंने अपना आपा खो दिया. तवलीन सिंह ने मेघना गिरीश की देशभक्ति को न सिर्फ सवालों के घेरे में डाला बल्कि ये तक कह दिया कि वो उनसे ज्यादा देशभक्त हैं. ऐसा इसलिए क्यों कि वो एक सैनिक की बेटी हैं और आर्मी स्टेशन में पली बढ़ी हैं. वह देश के लिए अपनी जान कुर्बान करने वालों के बारे में बखूबी जानती हैं.

तवलीन ने कहा कि 'मुझे अपने ट्विटर हैंडल पर अपनी देशभक्ति का जज्बा साबित करने की कोई जरूरत नहीं है जैसे 'बीजेपी टोल' करते हैं.

ट्विटर पर जो भी बातचीत तवलीन और मेघना के बीच हुई है यदि उसका अवलोकन किया जाए तो पता चलता है कि वो हर संभव यही कोशिश कर रही थीं कि कैसे भी करके अपनी बात मनवाई जा सके. गौरतलब है कि जिस मेघना गिरीश को तवलीन सिंह ने सत्ताधारी दल भाजपा का ट्रोल घोषित किया है वो और कोई नहीं बल्कि मेजर अक्षय गिरीश कुमार की मां हैं  जो 29 नवंबर 2016 को नगरोटा एयरबेस पर हुए आतंकी हमले में शहीद हो गए थे. तवलीन को उनकी भूल का एहसास कराया स्मिता बरुआ ने.

सवाल तवलीन सिंह द्वारा चीनी ऐप्स को लेकर सरकार की आलोचना का नहीं है. समस्या तवलीन सिंह के एटीट्यूड में है. मेघना गिरीश स्वयं एक शहीद की मां हैं जो किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. ऐसे में तवलीन का उनको न पहचानना और उनको भाजपा का ट्रोल बता देना न सिर्फ उनकी नीयत पर सवाल खड़े करता है बल्कि बुद्धिजीवियों की उस समस्या से अवगत कराता है जिसमें वो अपने आगे किसी की सुनते नहीं और प्रयास यही करते हैं कि कैसे भी करके उनकी ही बात सही साबित हो. खैर, तवलीन सिंह ने अपने आक्रामक ट्वीट को रिपेयर करते हुए एक ट्वीट और दागा, लेकिन वह भी गलत दिशा में चला गया.

तवलीन सिंह ने जिस अंदाज में माफी मांगी, उसमें भी अहंकार का स्वर था. वे मेघना गिरीश को यह अहसास दिलाना चाहती थीं कि गलती मेघना ने ही की है, उनसे तो सिर्फ भूूूल हुई है. इस कहासुनी का पटाक्षेप आखिर में मेघना गिरीश ने ही किया.

कहने सुनने को तो इस पूरे विषय पर तमाम बातें हैं मगर हम बस ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि तवलीन खुद एक सैनिक के घर पैदा हुईं थीं ऐसे में उन्हें कम से कम एक सैनिक की शहादत की लाज तो रखनी ही चाहिए थी कम से कम एक सैनिक और उसकी शहादत का मान तो बना ही रहता. इस अनावश्यक बहस के आखिर में तो ऐसा किया ही जा सकता था.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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